रांची: आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर के झारखंड माड्यूल से जुड़े पांच संदिग्धों की गिरफ्तारी के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. जिसमें सबसे अहम यह है कि हिज्ब उत तहरीर के गिरफ्तार संदिग्धों को एक टारगेट दिया गया था. टारगेट एक प्रभावी शख्स की हत्या करने का दिया गया था. इस मामले में एटीएस अब इस जांच में जुट गई है कि आखिर हिज्ब उत तहरीर के संदिग्धों का आखिर टारगेट कौन था.
किसकी हत्या के लिए खरीदे गए थे हथियार
जांच में एटीएस को पता चला है कि हिज्ब उत तहरीर के झारखंड माड्यूल झारखंड या फिर झारखंड के बाहर एक ऐसे शख्स की हत्या करना चाहता था, ताकि सामाजिक माहौल खराब हो या फिर कुछ ऐसा हो जिससे कुछ बड़ी घटना हो जाए. हालांकि टारगेट कौन था इसका खुलासा सार्वजनिक तौर पर अभी भी एटीएस नहीं कर रही है.
आपको बता दें कि धनबाद से जो संदिग्ध पकड़े गए थे उनके पास से ऑटोमैटिक हथियार बरामद किए गए थे. उन हथियारों से एक ऐसे शख्स की हत्या की प्लानिंग थी जो बेहद प्रभावशाली माना जाता है. जानकारी के अनुसार टारगेट एक से ज्यादा भी हो सकते थे.
इस संबंध में झारखंड एटीएस के एसपी ऋषभ झा ने बताया कि टारगेट को लेकर कुछ जानकारियां जरूर हासिल हुई हैं, जिनकी तफ्तीश की जा रही है. संदिग्ध आतंकियों का टारगेट झारखंड में था या उससे बाहर का कोई था इसकी जानकारी अभी तक स्पष्ट रूप से नहीं मिली है.
टारगेट जानने से पहले ही हो गए गिरफ्तार!
पूरे मामले में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है. झारखंड एटीएस के द्वारा धनबाद से पहले दिन पकड़े गए चार संदिग्ध हिज्ब उत तहरीर से जुड़े थे, जबकि पांचवां शख्स इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा हुआ था. पांचों झारखंड के धनबाद के ही रहने वाले हैं. ऐसे में एटीएस के पास ऐसे कई सवाल हैं जिन्हें सुलझाने की कोशिश की जा रही है.
इस मामले में यह भी जानकारी मिल रही है कि संदिग्धों को फिलहाल टारगेट कौन है इसकी जानकारी ही नहीं दी गई थी. पहले उनसे हथियारों की खरीद करायी गई और फिर उनका ब्रेनवॉश किया गया. आशंका यह भी जताई जा रही है कि जब सभी पूरी तरह से कांड को अंजाम देने की तैयार हो जाते, तब उन्हें टारगेट के बारे में बताया जाता. लेकिन उससे पहले ही सभी गिरफ्तार कर लिए गए. मतलब साफ है खतरा अभी भी बरकरार है.
हम हर पहलू की जांच कर रहे-एटीएस एसपी
मामला काफी गंभीर है. ऐसे में झारखंड एटीएस की टीम बहुत ही गंभीरता के साथ जांच में जुटी है. हिज्ब उत तहरीर के झारखंड मॉड्यूल में और कौन-कौन लोग हैं इसकी जानकारी भी अभी झारखंड एटीएस को जुटानी है. झारखंड एटीएस के एसपी ऋषभ झा ने बताया कि अब तक की जांच में तो यही बात सामने आ रही है कि धनबाद से पकड़े गए पांचों संदिग्ध इंटरनेट के माध्यम से ही संगठन से जुड़े हुए थे. उन्हें इंटरनेट के माध्यम से ही निर्देश और आदेश मिल रहे थे. लेकिन हमें इस मॉड्यूल के हर पहलू की जांच करनी है और हम उसे पर काम कर रहे हैं.
किसने किसको जोड़ा, कौन है हैंडलर
धनबाद के वासेपुर से गिरफ्तार आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर के पांच संदिग्धों में से एक अम्मार यसार का आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन से गहरा नाता रहा है. पांचों गिरफ्तार संदिग्धों में सबसे महत्वपूर्ण गिरफ्तारी अम्मार यसार की है. अम्मार यसार को साल 2014 में राजस्थान के जोधपुर से गिरफ्तार किया गया था. उस समय उसे इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकी के तौर पर गिरफ्तार किया गया था. साल 2024 में जेल से बाहर निकालने के बाद अम्मार यसार एक बार फिर से आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया था. इस बार वह हिब्ज उत तहरीर से जुड़ कर देश विरोधी कार्यों में संलिप्त था. अम्मार यसार को भी धनबाद के वासेपुर से ही गिरफ्तार महिला संदिग्ध शबनम की निशानदेही पर गिरफ्तार किया गया था.
अब सवाल यह है कि क्या जेल में रहते हुए भी अम्मार आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ था. क्योंकि जेल जाने के बाद भी उसकी गतिविधियों पर कोई फर्क नहीं पड़ा. जेल से निकलने के बाद वह अपने गृह क्षेत्र में आकर शबनम से जुड़ गया. अब जांच का विषय यह है कि क्या अम्मार अब भी इंडियन मुजाहिदीन से जुड़ा हुआ था और धनबाद लौटने के बाद वह वासेपुर के चार संदिग्धों से जुड़ गया.
एटीएस के सामने कई सवाल
एटीएस के सामने कई सवाल हैं. जैसे कि हैंडलर कौन था? वह विदेशी था या भारत देश में ही रहने वाला कोई शख्स था? धनबाद के वासेपुर से जो पांच संदिग्ध गिरफ्तार किए गए है वो सभी इस्लामिक जिहाद से कैसे जुड़े? क्या अम्मार यसार ने ही अपने इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क के जरिए सभी को एक साथ जोड़ा? इन सभी सवालों के जवाब झारखंड एटीएस की टीम तलाश रही है. जब इनका जवाब सामने आएगा यकीनन झारखंड में संदिग्धों की संख्या और बढ़ेगी.
अम्मार के रहे हैं बड़े आतंकियों से संबंध
झारखंड एटीएस की टीम ने आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर के झारखंड मॉड्यूल से जुड़े जिस अम्मार यसार को जेल भेजा है. दरअसल वह इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक भटकल ब्रदर्स का काफी करीबी रहा है. यासिन भटकल, रियाज भटकल और इकबाल के साथ मिलकर वह घटना को अंजाम देने की पूरी प्लानिंग भी किया करता था.
यसार से पूछताछ में एटीएस को पता चला कि वह भटकल ब्रदर्स के कहने पर वह कई घटनाओं को भी अंजाम दे चुका है. बिहार में भी आईएम से जोड़ने के लिए उसने मुहिम चलायी थी. दरभंगा इलाके में कई बैठकें भी कर चुका है. पूछताछ में यह भी जानकारी मिली कि यसार 10 साल जेल में रहने के बाद वह जब बाहर निकला तो आईएम से उसका संपर्क फिर हो गया. जेल से बाहर आने के बाद वह धनबाद के वासेपुर स्थित अपने घर में रहने लगा. इसी दौरान उसका संपर्क संदिग्ध आयान जावेद की पत्नी शबनम से हुआ. शबनम ने उसे इस्लामिक जिहाद के लिए हिज्ब उत तहरीर से जुड़ने का प्रस्ताव दिया. अम्मार ने बताया है कि वह एक साल से वह तहरीर से जुड़कर संगठन को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है.
हर पहलू पर जांच
झारखंड एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड (एटीएस) के एसपी ऋषभ झा ने बताया कि इंडियन मुजाहिदीन से लेकर हर तरह के लिंक को संभाल जा रहा है. वासेपुर वाले कुनबे में कितने संदिग्ध और हैं. इनका हैंडलर अंतरराष्ट्रीय था या फिर देसी. इन सभी सवालों का जवाब एटीएस की टीम तलाश रही है. अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि गिरफ्तार सभी संदिग्ध डार्क नेट के माध्यम से ही आतंकी संगठन से जुड़े हुए थे. इस मामले में और गिरफ्तारियां होनी अभी बाकी हैं. मामले की तफ्तीश बेहद गहराई से चल रही है. धनबाद के रहने वाले चार युवा हिज्ब उत तहरीर जैसे आतंकी संगठन से कैसे जुड़े? इस सवाल का जवाब तलाशा जा रहा है.
डार्क नेट का इस्तेमाल
अब तक की जांच में यह बात सामने आई है की वासेपुर से गिरफ्तार सभी पांचों संदिग्ध डार्क नेट के माध्यम से देश-विदेश के हिज्ब उत तहरीर एजेंटों के संपर्क में थे. एटीएस के द्वारा गिरफ्तार सभी पांच संदिग्धों के पास से कई डिजिटल एविडेंस मिले हैं, जिसमें उनके हिज्ब उत तहरीर से संपर्क होने की पुख्ता जानकारी मिली है. गिरफ्तार शबनम सहित पांचों अपने-अपने घर से ही इस्लामिक जिहाद को लेकर सक्रिय थे. एटीएस की टीम सभी पर पिछले कई महीनों से नजर रखे हुए थी.
पिछले एक साल से यूज कर रहे डार्क नेट
खुफिया एजेंसी की सूचना पर एटीएस की टीम ने जब गिरफ्तार गुलफाम हसन, भूली के आजाद नगर अमन सोसाइटी से आयान जावेद, शमशेर नगर गली नंबर-3 से उसकी पत्नी शबनम परवीन और मोहम्मद शहजाद आलम को गिरफ्तार किया तब उनके पास से इस्लामिक जिहाद कैसे करें, काफिर कौन, काफिरों पर हमला कैसे करें इस तरह की विवादित किताबें भी मिली थी. इसके अलावा जब मौके से बरामद कुछ लैपटॉप की तलाशी ली तो उसमें से कई आपत्तिजनक डाक्यूमेंट्स बरामद किए गए. जांच के क्रम में यह जानकारी भी हासिल हुई है कि डार्क नेट के माध्यम से लगातार देश और विदेश के एजेंट से संपर्क साधे गए थे. उनके इशारे पर वह लगातार काम कर रहे था. हालांकि इन सब में सबसे महत्वपूर्ण गिरफ्तारी पांचवें संदिग्ध की है.
डीजीपी अनुराग गुप्ता ने बताया कि अम्मार यसार को साल 2014 में राजस्थान के जोधपुर से गिरफ्तार किया गया था. उस समय उसे इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकी के तौर पर गिरफ्तार किया गया था. साल 2024 में जेल से बाहर निकालने के बाद अम्मार यसार एक बार फिर से आतंकी गतिविधियों में शामिल हो गया था. इस बार वह हिब्ज उत तहरीर से जुड़ कर देश विरोधी कार्यों में संलिप्त था. अम्मार यसार को भी धनबाद के वासेपुर से ही शबनम की निशानदेही पर गिरफ्तार किया गया है.
स्लीपर सेल की तलाश
झारखंड में हिज्ब उत तहरीर की जड़े कितनी गहरी हैं, प्रतिबंधित संगठन के कौन-कौन से स्लीपर सेल अभी भी एक्टिव हैं इसकी गहराई से जांच चल रही है. यह तो साफ हो चुका है कि आतंकी संगठन हिज्ब उत तहरीर झारखंड में भी अपना माड्यूल तैयार करने में लगा हुआ था. वासेपुर से गिरफ्तार पांचों संदिग्धों को एटीएस ने रिमांड पर लेकर लंबी पूछताछ की है. एटीएस एसपी ने बताया कि जरूरत पड़ी तो दुबारा रिमांड पर लेकर भी पांचों से फिर से पूछताछ की जाएगी.
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