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अमरनाथ यात्रा 2025: भक्तों के लिए जम्मू-कश्मीर की 250 बसें तैनात की जाएगी - AMARNATH YATRA 2025

इस बार अमरनाथ यात्रा केवल 38 दिनों के लिए हो रही है. विस्तार से जानें.

JK Govt Deploying RTC Buses for Amarnath Yatra
अमरनाथ यात्रा 2025 (प्रतीकात्मक फोटो) (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : June 11, 2025 at 12:23 PM IST

3 Min Read

श्रीनगर: अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है. इसलिए जम्मू-कश्मीर के अधिकारी जम्मू से कश्मीर घाटी तक तीर्थयात्रियों को ले जाने के लिए जम्मू-कश्मीर सड़क परिवहन निगम (जेकेआरटीसी) की यात्री बसों का एक बेड़ा तैनात करेंगे.

देश के विभिन्न राज्यों से लोग जम्मू के भगवती नगर में यात्री निवास पहुंचते हैं. यहां वे अपना रजिस्ट्रेशन करवाते है. इसके बाद सुरक्षा जांच होती और उन्हें श्रीनगर के बाहरी इलाके पंथाचौक में ट्रांजिट कैंप में ले जाया जाता है. इस ट्रांजिट कैंप से यात्रियों की जांच की जाती है और फिर उन्हें बालटाल और पहलगाम मार्गों से हिमालय में स्थित अमरनाथ गुफा तक पहुंचाया जाता है.

जम्मू-कश्मीर सरकार के सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक राकेश कुमार सरंगल ने कहा कि निगम ने 250 बसों का बेड़ा रखा है, लेकिन 'हम यात्रियों की संख्या के आधार पर संख्या कम या ज्यादा कर सकते हैं.' आरटीसी के पास करीब 500 बसों का बेड़ा है जो केंद्र शासित प्रदेश के 20 जिला मार्गों पर चलती हैं.

तीन जुलाई से 9 अगस्त तक चलने वाली यात्रा अवधि के दौरान, आरटीसी को अमरनाथ यात्रियों के लिए अपने बेड़े से बसों की संख्या में कटौती करनी पड़ती है. राकेश कुमार ने ईटीवी भारत को बताया, 'हमारे पास करीब 500 बसों का बेड़ा है. उनमें से आधी बसों को सार्वजनिक परिवहन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.

यात्रा की शुरुआत से ही बसें सैकड़ों यात्रियों को लेकर भगवती नगर कैंप से श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से सुरक्षा काफिले के बीच श्रीनगर ले जाती है. इनकी सुरक्षा जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान और अर्ध सैनिक बल करते हैं. किसी बस के खराब होने की स्थिति में काफिले के साथ बैकअप के तौर पर अतिरिक्त बसें तैनात की जाती हैं ताकि यात्रियों को परेशानी न हो.

38 दिवसीय यात्रा 3 जुलाई को शुरू होगी और 9 अगस्त को समाप्त होगी. पूरे भारत से भक्तों के दो मुख्य मार्गों से यात्रा करने की उम्मीद है. इनमें से पहला अनंतनाग जिले के पहलगाम से 48 किलोमीटर का पारंपरिक पहाड़ी मार्ग और दूसरा रास्ता गंदेरबल जिले के बालटाल से 14 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई वाला है.

यात्रियों के आगमन के लिए पंथाचौक ट्रांजिट कैंप में तैयारियां जोरों पर हैं. जम्मू-कश्मीर सरकार ने आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं की देखरेख और कंट्रोल रूप स्थापित करने के लिए श्रीनगर प्रशासन के कर्मचारियों की टीमें तैनात की है.

ट्रांजिट कैंप के प्रभारी अधिकारी मानव धर ने ईटीवी भारत को बताया, 'हम ठहरने के लिए हॉल बनाने और उसका नवीनीकरण करने, पंजीकरण काउंटर बनाने, कपड़े धोने और नहाने की सुविधा जैसी तैयारियां पूरी कर रहे हैं. सफाई कर्मचारी पूरे शिविर स्थल की सफाई कर रहे हैं.

सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि पहलगाम हमले के बाद गृह मंत्रालय ने यात्रा के सुरक्षित संचालन के लिए जम्मू-कश्मीर में लगभग 580 सीएपीएफ कंपनियों (जो 42,000 से अधिक कर्मियों के बराबर है) की तैनाती को मंजूरी दी है.

जम्मू-कश्मीर सरकार भी यात्रा के सुचारू संचालन पर भरोसा कर रही है और उम्मीद है कि यह यात्रा पहलगाम हमले से प्रभावित पर्यटन को पुनर्जीवित करने में मदद करेगी. पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि एक सफल अमरनाथ यात्रा देश के बाकी हिस्सों में यह संदेश देने में मदद करेगी कि कश्मीर में शांति है.

ये भी पढ़ें- अमरनाथ यात्रा 2025: सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बने स्टिकी बम - STICKY BOMBS

श्रीनगर: अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है. इसलिए जम्मू-कश्मीर के अधिकारी जम्मू से कश्मीर घाटी तक तीर्थयात्रियों को ले जाने के लिए जम्मू-कश्मीर सड़क परिवहन निगम (जेकेआरटीसी) की यात्री बसों का एक बेड़ा तैनात करेंगे.

देश के विभिन्न राज्यों से लोग जम्मू के भगवती नगर में यात्री निवास पहुंचते हैं. यहां वे अपना रजिस्ट्रेशन करवाते है. इसके बाद सुरक्षा जांच होती और उन्हें श्रीनगर के बाहरी इलाके पंथाचौक में ट्रांजिट कैंप में ले जाया जाता है. इस ट्रांजिट कैंप से यात्रियों की जांच की जाती है और फिर उन्हें बालटाल और पहलगाम मार्गों से हिमालय में स्थित अमरनाथ गुफा तक पहुंचाया जाता है.

जम्मू-कश्मीर सरकार के सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक राकेश कुमार सरंगल ने कहा कि निगम ने 250 बसों का बेड़ा रखा है, लेकिन 'हम यात्रियों की संख्या के आधार पर संख्या कम या ज्यादा कर सकते हैं.' आरटीसी के पास करीब 500 बसों का बेड़ा है जो केंद्र शासित प्रदेश के 20 जिला मार्गों पर चलती हैं.

तीन जुलाई से 9 अगस्त तक चलने वाली यात्रा अवधि के दौरान, आरटीसी को अमरनाथ यात्रियों के लिए अपने बेड़े से बसों की संख्या में कटौती करनी पड़ती है. राकेश कुमार ने ईटीवी भारत को बताया, 'हमारे पास करीब 500 बसों का बेड़ा है. उनमें से आधी बसों को सार्वजनिक परिवहन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा.

यात्रा की शुरुआत से ही बसें सैकड़ों यात्रियों को लेकर भगवती नगर कैंप से श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग के माध्यम से सुरक्षा काफिले के बीच श्रीनगर ले जाती है. इनकी सुरक्षा जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान और अर्ध सैनिक बल करते हैं. किसी बस के खराब होने की स्थिति में काफिले के साथ बैकअप के तौर पर अतिरिक्त बसें तैनात की जाती हैं ताकि यात्रियों को परेशानी न हो.

38 दिवसीय यात्रा 3 जुलाई को शुरू होगी और 9 अगस्त को समाप्त होगी. पूरे भारत से भक्तों के दो मुख्य मार्गों से यात्रा करने की उम्मीद है. इनमें से पहला अनंतनाग जिले के पहलगाम से 48 किलोमीटर का पारंपरिक पहाड़ी मार्ग और दूसरा रास्ता गंदेरबल जिले के बालटाल से 14 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई वाला है.

यात्रियों के आगमन के लिए पंथाचौक ट्रांजिट कैंप में तैयारियां जोरों पर हैं. जम्मू-कश्मीर सरकार ने आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं की देखरेख और कंट्रोल रूप स्थापित करने के लिए श्रीनगर प्रशासन के कर्मचारियों की टीमें तैनात की है.

ट्रांजिट कैंप के प्रभारी अधिकारी मानव धर ने ईटीवी भारत को बताया, 'हम ठहरने के लिए हॉल बनाने और उसका नवीनीकरण करने, पंजीकरण काउंटर बनाने, कपड़े धोने और नहाने की सुविधा जैसी तैयारियां पूरी कर रहे हैं. सफाई कर्मचारी पूरे शिविर स्थल की सफाई कर रहे हैं.

सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ईटीवी भारत को बताया कि पहलगाम हमले के बाद गृह मंत्रालय ने यात्रा के सुरक्षित संचालन के लिए जम्मू-कश्मीर में लगभग 580 सीएपीएफ कंपनियों (जो 42,000 से अधिक कर्मियों के बराबर है) की तैनाती को मंजूरी दी है.

जम्मू-कश्मीर सरकार भी यात्रा के सुचारू संचालन पर भरोसा कर रही है और उम्मीद है कि यह यात्रा पहलगाम हमले से प्रभावित पर्यटन को पुनर्जीवित करने में मदद करेगी. पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि एक सफल अमरनाथ यात्रा देश के बाकी हिस्सों में यह संदेश देने में मदद करेगी कि कश्मीर में शांति है.

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