जबलपुर : भारतीय सेना का सबसे भरोसेमंद टैंक है T 72. इन टैंक की खेप जबलपुर आनी शुरू हो गई है. रूस में बने ये टैंक भारतीय सेना में बहुत अहम स्थान रखता है. इन टैंकों को अपग्रेडेशन के लिए जबलपुर लाया जा रहा है. भारत में इन टैंकों की संख्या करीब 2500 है. जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री में टैंक पहुंचना शुरू हो गए हैं. भारत सरकार ने रूस के साथ मिलकर इन टैंकों के अपग्रेडेशन का काम शुरू किया है. अपग्रेडेशन के बाद ये टैंक नए रूप में भारतीय सेना में शामिल होंगे.
T 72 टैंक में अभी 780 हॉर्स पॉवर का इंजन
गौरतलब है कि T 72 टैंक का निर्माण 70 के दशक में रूस ने शुरू किया था. पूरी दुनिया में इस प्रकार के लगभग 20 हजार टैंक हैं. युद्ध के दौरान ये टैंक किसी भी परिस्थिति से निपटने में सक्षम हैं. इस टैंक में मात्र 3 सैनिक बैठकर कहीं भी हमला कर सकते हैं. ये टैंक ना तो बहुत छोटा है और ना ही बहुत बड़ा. इसमें लगा इंजन 780 हॉर्स पॉवर का है. ये टैंक मशीन के बिना ही सड़क पर 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है. इसके अंदर बैठे जवान पूरी तरह सुरक्षित रहते हैं.
पलक झपकते 360 डिग्री घूमती है तोप
इस टैंक में लगी हुई गन से बड़ी तेजी से 360 डिग्री घूम कर किसी भी तरफ निशाना लगाया जा सकता है. भारत ने रूस से 1970 से 1980 के बीच इन टैंकों को खरीदा था. उम्र के हिसाब से इन टैंक की मशीन अब पुरानी पड़ गई हैं. इसी को देखते हुए रूस ने इन टैंक में लगी मशीन को अपग्रेड करने की तकनीकी विकसित की है. इसलिए इनका अपग्रेडेशन किया जा रहा है. अब टी 72 टैंक में 780 हॉर्स पावर की जगह 1000 हॉर्स पावर का इंजन लगाया जा रहा है.

T 72 टैंक का ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटरीकृत होगा
T 72 के अपग्रेडेशन का काम इसके पहले चेन्नई में होता था लेकिन जबलपुर की व्हीकल फैक्ट्री ने भी तकनीकी संसाधनों को विकसित करके यह काम अपने हाथों में लिया है. पहला टैंक जबलपुर पहुंच गया है. इसमें न केवल इंजन बदला जाएगा, बल्कि इसका ऑपरेटिंग सिस्टम भी कंप्यूटर से जोड़ा जाएगा. इससे इसकी मारक क्षमता को बढ़ाने की कोशिश की जाएगी. इसके अलावा इसकी ओवर ऑयलिंग की जाएगी. इसके अंदर बैठे हुए सैनिकों के लिए सीटों को और अधिक सुविधाजनक बनाया जाएगा.

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टैंक के अपग्रेडेशन के लिए रूस से करार
T 72 टैंक की अपग्रेडेशन के लिए भारत सरकार ने रूस के साथ लगभग 248 मिलियन डॉलर का समझौता किया है. भारतीय रुपए में इसकी कीमत लगभग ₹2100 करोड़ रुपये है. यदि भारत नए टैंक खरीदता तो उसमें 6000 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ते. व्हीकल फैक्ट्री के मुख्य महाप्रबंधक संजीव भोला ने बताया "जबलपुर ने इसके पहले बोफोस फोर्स तोप को अपग्रेड करके सारंग बनाई थी, जो पूरी तरह भारतीय है. इस बार व्हीकल फैक्ट्री ने टी 72 का जिम्मा लिया है. जबलपुर व्हीकल फैक्ट्री के अधिकारियों ने इसकी ट्रेनिंग ली है."