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UNHRC में भारत ने पाकिस्तान को लगाई लताड़, कहा- अवैध कब्जे वाले क्षेत्र को खाली करे

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत ने पाकिस्तान को उसकी पोल खोली. कहा वह आतंकवाद का पनाहगाह रहा है.

INDIA SLAMS PAKISTAN
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के राजनयिक क्षितिज त्यागी (PTI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : September 24, 2025 at 11:20 AM IST

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नई दिल्ली: भारत ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की और इस्लामाबाद पर 'भारत के खिलाफ निराधार और भड़काऊ बयानों के साथ मंच का दुरुपयोग करने' का आरोप लगाया. साथ ही खैबर पख्तूनख्वा में अपने ही लोगों पर हवाई हमले पर तीखी प्रतिक्रिया दी. साथ ही पहलगाम, उरी और मुंबई हमले की भी याद दिलाई.

मानवाधिकार परिषद के 60वें सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के राजनयिक क्षितिज त्यागी क्षितिज त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान को हमारे क्षेत्र पर लालच करने के बजाय अवैध कब्जे वाले भारत के हिस्से को खाली कर देना चाहिए. उन्होंने आगे कहा, पाकिस्तान को जीवन रक्षक प्रणाली पर निर्भर अर्थव्यवस्था, सैन्य ताकत से दबाई गई राजनीति और उत्पीड़न से दागदार मानवाधिकार रिकॉर्ड को बचाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए. शायद तब जब उन्हें आतंकवाद का निर्यात करने, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों को शरण देने और अपने ही लोगों पर बमबारी करने से फुर्सत मिले.'

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार सोमवार को खैबर पख्तूनख्वा गाँव में रात भर हुए पाकिस्तानी हवाई हमले में कम से कम 30 लोग मारे गए. उन्होंने भारत के इस रुख की पुष्टि की कि परिषद को अपने दृष्टिकोण में सार्वभौमिक, वस्तुनिष्ठ और गैर-चयनात्मक रहना चाहिए. उन्होंने कहा, 'हमारे सामूहिक प्रयासों से एकता और रचनात्मक जुड़ाव को बढ़ावा मिलना चाहिए, न कि विभाजन को.'

सलाहकार क्षितिज त्यागी ने कहा,'हम देश-विशिष्ट मेंडेट के निरंतर प्रसार से चिंतित हैं. परिषद के मूल मेंडेट को आगे बढ़ाने के बजाय ये पूर्वाग्रह और चयनात्मकता की धारणाओं को मजबूत करते हैं. कुछ देशों में मानवाधिकारों की स्थिति पर सीमित रूप से ध्यान केंद्रित करने से हम दुनिया के सामने मौजूद तात्कालिक और साझा चुनौतियों से विचलित हो जाते हैं.'

त्यागी ने कहा, 'हमारा दृढ़ विश्वास है कि स्थायी प्रगति केवल बातचीत, सहयोग और क्षमता निर्माण के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकती है. ऐसे समय में जब विश्व अनेक संकटों से जूझ रहा है, परिषद का कार्य गैर-राजनीतिक और दूरदर्शी दृष्टिकोण के माध्यम से आम सहमति बनाने की दिशा में होना चाहिए.'

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