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कनाडा के साथ संबंधों को फिर से बेहतर बनाने की उम्मीद, भारत ने कहा - INDIA CANADA RELATION

भारत ने कनाडा के साथ संबंधों को फिर से बेहतर बनाने की उम्मीद जताई है. पीएम कार्नी भी भारत के साथ संबंध सुधारना चाहते हैं.

मार्क कार्नी , कनाडा के नए पीएम
मार्क कार्नी , कनाडा के नए पीएम (AFP)
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By PTI

Published : March 21, 2025 at 10:47 PM IST

2 Min Read

नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह कनाडा के साथ 'आपसी विश्वास और संवेदनशीलता’' के आधार पर संबंधों को फिर से बेहतर बनाना चाहता है. भारत ने संबंधों में तनाव के लिए कनाडा में चरमपंथी और अलगाववादी तत्वों को दी गई 'खुली छूट' को जिम्मेदार ठहराया.

नई दिल्ली की यह टिप्पणी, जस्टिन ट्रूडो के शीर्ष पद से हटने के बाद मार्क कार्नी द्वारा कनाडा के नए प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के कुछ दिनों बाद आई है. कार्नी ने कहा है कि वह भारत के साथ संबंध सुधारना चाहते हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि उस देश में चरमपंथी और अलगाववादी तत्वों को ‘खुली छूट’ देना ही भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट का कारण है. वह अपनी साप्ताहिक प्रेसवार्ता के दौरान भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे. जायसवाल ने कहा, "हमारी उम्मीद है कि हम आपसी विश्वास और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को फिर से बेहतर बना सकते हैं."

कनाडा की सुरक्षा खुफिया सेवा के प्रमुख डैनियल रोजर्स पिछले सप्ताह टॉप वैश्विक खुफिया अधिकारियों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए हुए थे, जो दोनों पक्षों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के प्रयासों का संकेत था. सितंबर 2023 में ट्रूडो द्वारा कनाडा की धरती पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध गंभीर तनाव में आ गए थे.

नई दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया. पिछले साल की दूसरी छमाही में दोनों देशों के बीच संबंधों में और गिरावट तब आई जब ओटावा ने निज्जर की हत्या में उच्चायुक्त संजय वर्मा सहित कई भारतीय राजनयिकों को शामिल किया. पिछले अक्टूबर में भारत ने वर्मा और पांच अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया. भारत ने नई दिल्ली से समान संख्या में कनाडाई राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया.

पिछले कुछ महीनों में भारत और कनाडा के सुरक्षा अधिकारियों ने फिर से संपर्क स्थापित किया है और दोनों पक्ष नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति की संभावना पर विचार कर रहे हैं. ट्रूडो के बाहर निकलने को द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है.

ये भी पढ़ें: मार्क कार्नी ने कनाडा के नए प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली

नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को कहा कि वह कनाडा के साथ 'आपसी विश्वास और संवेदनशीलता’' के आधार पर संबंधों को फिर से बेहतर बनाना चाहता है. भारत ने संबंधों में तनाव के लिए कनाडा में चरमपंथी और अलगाववादी तत्वों को दी गई 'खुली छूट' को जिम्मेदार ठहराया.

नई दिल्ली की यह टिप्पणी, जस्टिन ट्रूडो के शीर्ष पद से हटने के बाद मार्क कार्नी द्वारा कनाडा के नए प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के कुछ दिनों बाद आई है. कार्नी ने कहा है कि वह भारत के साथ संबंध सुधारना चाहते हैं.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि उस देश में चरमपंथी और अलगाववादी तत्वों को ‘खुली छूट’ देना ही भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट का कारण है. वह अपनी साप्ताहिक प्रेसवार्ता के दौरान भारत-कनाडा द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे. जायसवाल ने कहा, "हमारी उम्मीद है कि हम आपसी विश्वास और संवेदनशीलता के आधार पर अपने संबंधों को फिर से बेहतर बना सकते हैं."

कनाडा की सुरक्षा खुफिया सेवा के प्रमुख डैनियल रोजर्स पिछले सप्ताह टॉप वैश्विक खुफिया अधिकारियों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए हुए थे, जो दोनों पक्षों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के प्रयासों का संकेत था. सितंबर 2023 में ट्रूडो द्वारा कनाडा की धरती पर हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध गंभीर तनाव में आ गए थे.

नई दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया. पिछले साल की दूसरी छमाही में दोनों देशों के बीच संबंधों में और गिरावट तब आई जब ओटावा ने निज्जर की हत्या में उच्चायुक्त संजय वर्मा सहित कई भारतीय राजनयिकों को शामिल किया. पिछले अक्टूबर में भारत ने वर्मा और पांच अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया. भारत ने नई दिल्ली से समान संख्या में कनाडाई राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया.

पिछले कुछ महीनों में भारत और कनाडा के सुरक्षा अधिकारियों ने फिर से संपर्क स्थापित किया है और दोनों पक्ष नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति की संभावना पर विचार कर रहे हैं. ट्रूडो के बाहर निकलने को द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है.

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