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अरुणाचल प्रदेश में कुछ स्थानों के नाम बदलने की चीन की 'नापाक' कोशिश, भारत ने किया कड़ा विरोध - INDIA OBJECTS TO CHINA

चीन ने अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने का बेतुका प्रयास किया है. भारत ने इसका कड़ा विरोध किया है. वहीं, विशेषज्ञों ने भारत सरकार से सीमा पर चीनी गतिविधियों पर नजर रखने का आग्रह किया है.

भारतीय सेना के जवान वास्तविक नियंत्रण रेखा  के पास तवांग सेक्टर में अभ्यास का प्रदर्शन करते हुए, फाइल फोटो
भारतीय सेना के जवान वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास तवांग सेक्टर में अभ्यास का प्रदर्शन करते हुए, फाइल फोटो (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 14, 2025 at 10:20 AM IST

Updated : May 14, 2025 at 11:08 AM IST

7 Min Read

नई दिल्ली: चीन की तरफ से अरुणाचल प्रदेश में जगहों के नाम बदलने की कोशिशों पर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने चीन को करारा जवाब दिया है. भारत ने चीन की 'नापाक' कोशिशों को सिरे से खारिज कर दिया है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मसले पर बुधवार को मीडिया के सवालों का जवाब दिया. उन्होंने चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि, चीन की इस तरह के 'बेतुके' प्रयासों से यह 'निर्विवाद' सच्चाई नहीं बदलेगी कि, यह राज्य भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा.

भारत ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के लिए चीन द्वारा उसके नामों की घोषणा किए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह टिप्पणी की है. चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश तिब्बत का दक्षिणी भाग है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमने देखा है कि चीन ने भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के व्यर्थ और बेतुके प्रयास किए हैं."

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "हम इस तरह के प्रयासों को अपने सैद्धांतिक रुख के अनुरूप स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं."जायसवाल ने इस मुद्दे पर मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए ये टिप्पणियां कीं. उन्होंने कहा, "रचनात्मक नाम रखने से यह निर्विवाद वास्तविकता नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य अंग था, है और हमेशा रहेगा."

भारत और चीन के बीच की सीमा को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहते हैं. मैकमोहन लाइन भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत से अलग करती है. वैसे देखा जाए तो चीन इसे मान्यता नहीं देता और अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बता कर इस पर समय समय पर दावा करता है. वहीं, भारत चीन के इस दावे को खारिज करता रहा है.

चीन की करतूत पर विशेषज्ञों की राय
इस विषय पर अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने बुधवार को पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के चीन के प्रयास की निंदा की और केंद्र सरकार से अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर चीनी गतिविधियों पर नजर रखने का आग्रह किया. उन्होंने यह भी कहा कि, भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष विराम से चीन बौखलाया हुआ है और सीमावर्ती राज्य में स्थानों का नाम बदलने का हालिया प्रयास इसी दिशा में एक कदम है.

विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि सरकार को सीमा पर चीनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सैटेलाइट इमेजरी की मदद लेनी चाहिए. उनका कहना है कि, सीमावर्ती राज्य प्रदेश चीन के साथ करीब 1,080 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है.

क्या बोले रिटायर्ड कर्नल दिब्य भट्टाचार्य
कर्नल (रिटायर्ड) दिब्य भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से कहा कि, चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलना कोई नई घटना नहीं है. यह पहले भी होता रहा है. जब वे अरुणाचल प्रदेश को फोकस में लाना चाहते हैं तो वे आमतौर पर यही हथकंडा अपनाते हैं.

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के कुछ दिनों बाद हुए इस विवाद के समय पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, "वास्तव में जो बात अधिक संदिग्ध है, वह है इसका समय, क्योंकि अगर आप देखें तो भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम उन शर्तों पर नहीं हुआ होगा, जो चीन चाहता था.

चीन इस बात से नाखुश है कि पाकिस्तान ने अमेरिका की शरण ली है, क्योंकि वे दावा कर रहे थे कि हमने (चीन) पाकिस्तान को हर समय सामग्री सहित समर्थन दिया है. भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष विराम का जिक्र करते हुए रिटायर्ड कर्नल भट्टाचार्य ने कहा, "पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद ली है और एक तरह से वे (चीन) खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. वे अमेरिका, भारत और पाकिस्तान के कारण पैदा हुए समीकरण से खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. इसलिए, उन्हें लग रहा है कि भारत पर लगातार दबाव बना रहना चाहिए और यह उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है.

उन्होंने कहा कि चीन को यह समझना चाहिए कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है, था और हमेशा रहेगा. कर्नल (रिटायर) भट्टाचार्य ने कहा, "इसलिए, यह ऐसा मुद्दा है, जिसे चीनी दूतावास के समक्ष मजबूती से उठाया जाएगा. हम कूटनीतिक रूप से भी अपने विचार उनके समक्ष रखते हैं."

उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार को सैटेलाइट इमेजरी की मदद लेनी चाहिए, ताकि चीनी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और सीमा पार क्या गतिविधियां चल रही हैं. भट्टाचार्य ने कहा, "सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हम जो सुरक्षा व्यवस्था कर रहे हैं, उससे सीमा पर तैनात हमारे जवानों का मनोबल बढ़े और हम सीमा पार चीन की किसी भी गतिविधि से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं."

AAPSU के पूर्व महासचिव तबोम दाई ने कहा, अरुणाचल के लोगों का चीन से कोई लेना-देना नहीं
अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने के चीन के बार-बार प्रयासों की आलोचना करते हुए राज्य के शीर्ष छात्र संगठन ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट यूनियन (AAPSU) के पूर्व महासचिव तबोम दाई ने इसे 'बेतुका' करार दिया. दाई ने ईटीवी भारत से कहा, "अरुणाचल प्रदेश के मूल निवासियों के रूप में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने के बारे में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा की गई कड़ी प्रतिक्रिया के बाद हमारे पास कहने के लिए और कुछ नहीं है. उन्होंने कहा, चीन ने जो किया है, अरुणाचल में इसका कोई समर्थन नहीं करेगा. तबोम दाई ने कहा कि, अतीत में भी अरुणाचल के लोगों का चीन से कोई लेना-देना नहीं रहा है.

पाकिस्तान को हराने से ज्यादा भारत ने दुनिया को चीन की क्षमता बताई, प्रदीप कुमार बेहरा ने कहा
वहीं, अरुणाचल प्रदेश में रिपोर्टिंग का कई दशकों का अनुभव रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार बेहरा ने भी इसी तरह की राय जाहिर करते हुए ईटीवी भारत से कहा कि, वास्तव में भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में जो संघर्ष हुआ है, खासकर S-400 मिसाइल ने भारत की क्षमता और दुनिया भर में चीनी मिसाइलों की क्षमता को साबित किया है.

उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान को हराने से ज्यादा भारत ने दुनिया को चीन की क्षमता बताई है. इसलिए अब चीन कभी भी भारत पर किसी भी तरह से हमला करने की हिम्मत नहीं करेगा. उन्होंने आगे कहा कि, यह पहली बार नहीं हुआ है, चीन की फितरत ही है कि वह भारत पर हमला करे.चीन भी भारत की क्षमता को अच्छी तरह जानता है.

उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मौजूदा सरकार किसी भी तरह की 'बकवास' बर्दाश्त नहीं करेगी. बेहरा ने सीमा पर चीनी गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाने पर भी जोर दिया.

ये भी पढ़ें: अमेरिका-चीन टैरिफ डील: दो महाशक्तियों के बीच व्यापार की शुरुआत से लेकर विवादों तक की पूरी कहानी

नई दिल्ली: चीन की तरफ से अरुणाचल प्रदेश में जगहों के नाम बदलने की कोशिशों पर भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने चीन को करारा जवाब दिया है. भारत ने चीन की 'नापाक' कोशिशों को सिरे से खारिज कर दिया है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मसले पर बुधवार को मीडिया के सवालों का जवाब दिया. उन्होंने चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा कि, चीन की इस तरह के 'बेतुके' प्रयासों से यह 'निर्विवाद' सच्चाई नहीं बदलेगी कि, यह राज्य भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा.

भारत ने अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों के लिए चीन द्वारा उसके नामों की घोषणा किए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए यह टिप्पणी की है. चीन दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश तिब्बत का दक्षिणी भाग है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "हमने देखा है कि चीन ने भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के व्यर्थ और बेतुके प्रयास किए हैं."

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "हम इस तरह के प्रयासों को अपने सैद्धांतिक रुख के अनुरूप स्पष्ट रूप से अस्वीकार करते हैं."जायसवाल ने इस मुद्दे पर मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए ये टिप्पणियां कीं. उन्होंने कहा, "रचनात्मक नाम रखने से यह निर्विवाद वास्तविकता नहीं बदलेगी कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य अंग था, है और हमेशा रहेगा."

भारत और चीन के बीच की सीमा को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) कहते हैं. मैकमोहन लाइन भारत के राज्य अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत से अलग करती है. वैसे देखा जाए तो चीन इसे मान्यता नहीं देता और अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बता कर इस पर समय समय पर दावा करता है. वहीं, भारत चीन के इस दावे को खारिज करता रहा है.

चीन की करतूत पर विशेषज्ञों की राय
इस विषय पर अलग-अलग क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने बुधवार को पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलने के चीन के प्रयास की निंदा की और केंद्र सरकार से अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर चीनी गतिविधियों पर नजर रखने का आग्रह किया. उन्होंने यह भी कहा कि, भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष विराम से चीन बौखलाया हुआ है और सीमावर्ती राज्य में स्थानों का नाम बदलने का हालिया प्रयास इसी दिशा में एक कदम है.

विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि सरकार को सीमा पर चीनी गतिविधियों पर नजर रखने के लिए सैटेलाइट इमेजरी की मदद लेनी चाहिए. उनका कहना है कि, सीमावर्ती राज्य प्रदेश चीन के साथ करीब 1,080 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करता है.

क्या बोले रिटायर्ड कर्नल दिब्य भट्टाचार्य
कर्नल (रिटायर्ड) दिब्य भट्टाचार्य ने ईटीवी भारत से कहा कि, चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों का नाम बदलना कोई नई घटना नहीं है. यह पहले भी होता रहा है. जब वे अरुणाचल प्रदेश को फोकस में लाना चाहते हैं तो वे आमतौर पर यही हथकंडा अपनाते हैं.

भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के कुछ दिनों बाद हुए इस विवाद के समय पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा, "वास्तव में जो बात अधिक संदिग्ध है, वह है इसका समय, क्योंकि अगर आप देखें तो भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम उन शर्तों पर नहीं हुआ होगा, जो चीन चाहता था.

चीन इस बात से नाखुश है कि पाकिस्तान ने अमेरिका की शरण ली है, क्योंकि वे दावा कर रहे थे कि हमने (चीन) पाकिस्तान को हर समय सामग्री सहित समर्थन दिया है. भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए संघर्ष विराम का जिक्र करते हुए रिटायर्ड कर्नल भट्टाचार्य ने कहा, "पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद ली है और एक तरह से वे (चीन) खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. वे अमेरिका, भारत और पाकिस्तान के कारण पैदा हुए समीकरण से खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं. इसलिए, उन्हें लग रहा है कि भारत पर लगातार दबाव बना रहना चाहिए और यह उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है.

उन्होंने कहा कि चीन को यह समझना चाहिए कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है, था और हमेशा रहेगा. कर्नल (रिटायर) भट्टाचार्य ने कहा, "इसलिए, यह ऐसा मुद्दा है, जिसे चीनी दूतावास के समक्ष मजबूती से उठाया जाएगा. हम कूटनीतिक रूप से भी अपने विचार उनके समक्ष रखते हैं."

उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार को सैटेलाइट इमेजरी की मदद लेनी चाहिए, ताकि चीनी गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और सीमा पार क्या गतिविधियां चल रही हैं. भट्टाचार्य ने कहा, "सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि हम जो सुरक्षा व्यवस्था कर रहे हैं, उससे सीमा पर तैनात हमारे जवानों का मनोबल बढ़े और हम सीमा पार चीन की किसी भी गतिविधि से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं."

AAPSU के पूर्व महासचिव तबोम दाई ने कहा, अरुणाचल के लोगों का चीन से कोई लेना-देना नहीं
अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने के चीन के बार-बार प्रयासों की आलोचना करते हुए राज्य के शीर्ष छात्र संगठन ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट यूनियन (AAPSU) के पूर्व महासचिव तबोम दाई ने इसे 'बेतुका' करार दिया. दाई ने ईटीवी भारत से कहा, "अरुणाचल प्रदेश के मूल निवासियों के रूप में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने के बारे में विदेश मंत्रालय के अधिकारियों द्वारा की गई कड़ी प्रतिक्रिया के बाद हमारे पास कहने के लिए और कुछ नहीं है. उन्होंने कहा, चीन ने जो किया है, अरुणाचल में इसका कोई समर्थन नहीं करेगा. तबोम दाई ने कहा कि, अतीत में भी अरुणाचल के लोगों का चीन से कोई लेना-देना नहीं रहा है.

पाकिस्तान को हराने से ज्यादा भारत ने दुनिया को चीन की क्षमता बताई, प्रदीप कुमार बेहरा ने कहा
वहीं, अरुणाचल प्रदेश में रिपोर्टिंग का कई दशकों का अनुभव रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप कुमार बेहरा ने भी इसी तरह की राय जाहिर करते हुए ईटीवी भारत से कहा कि, वास्तव में भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में जो संघर्ष हुआ है, खासकर S-400 मिसाइल ने भारत की क्षमता और दुनिया भर में चीनी मिसाइलों की क्षमता को साबित किया है.

उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान को हराने से ज्यादा भारत ने दुनिया को चीन की क्षमता बताई है. इसलिए अब चीन कभी भी भारत पर किसी भी तरह से हमला करने की हिम्मत नहीं करेगा. उन्होंने आगे कहा कि, यह पहली बार नहीं हुआ है, चीन की फितरत ही है कि वह भारत पर हमला करे.चीन भी भारत की क्षमता को अच्छी तरह जानता है.

उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मौजूदा सरकार किसी भी तरह की 'बकवास' बर्दाश्त नहीं करेगी. बेहरा ने सीमा पर चीनी गतिविधियों पर निगरानी बढ़ाने पर भी जोर दिया.

ये भी पढ़ें: अमेरिका-चीन टैरिफ डील: दो महाशक्तियों के बीच व्यापार की शुरुआत से लेकर विवादों तक की पूरी कहानी

Last Updated : May 14, 2025 at 11:08 AM IST
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