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चंद्रयान-5 मिशन से चांद पर रोबोट भेजेगा भारत, जापान भी करेगा सहयोग, ISRO चीफ ने किया खुलासा - CHANDRAYAAN 5 PROJECT

इसरो चेयरमैन नारायणन ने बताया कि भारत और जापान मिलकर चंद्रयान-5 मिशन पर काम करेंगे. इसके जरिए रोबोट को चांद पर भेजा जाएगा.

India-Japan to developed Chandrayaan-5 project robots will send to the moon ISRO Chairman Narayanan
इसरो चेयरमैन नारायणन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : March 17, 2025 at 6:50 AM IST

2 Min Read

कन्याकुमारी: तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के नागरकोइल में डॉ. जयशेखर की जन्म शताब्दी मनाई गई. इस समारोह में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन वी. नारायणन शामिल हुए.

इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इस साल 16 जनवरी को हमने दो सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे थे. उन्हें एक साथ डॉक किया गया और फिर सफलतापूर्वक अलग किया गया. भारत ऐसा सफल प्रयोग करने वाला चौथा देश है.

इसरो प्रमुख ने कहा कि 9,800 किलोग्राम का चंद्रयान-4 उपग्रह जल्द ही लॉन्च किया जाएगा. इसे दो रॉकेट के जरिये चांद पर भेजने, लैंड कराने, वहां के खनिजों को इकट्ठा करने और धरती पर वापस लाने की तैयारी चल रही है.

चांद पर रोबोट भेजने का परीक्षण

नारायणन ने बताया कि चांद पर इंसानों को भेजने की भविष्य की परियोजना के लिए छोटे मानवरहित रॉकेट बनाए जाएंगे और उनमें रोबोट को परीक्षण के लिए भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत और जापान मिलकर चंद्रयान-5 मिशन के लिए काम करेंगे. इसकी अनुमति भी मिल गई है. इस परियोजना के जरिये बिना इंसान की तरह दिखने वाले रोबोट को चांद पर भेजा जाएगा.

उन्होंने कहा कि भारत का पहला अंतरिक्ष यान 1979 में डॉ. अब्दुल कलाम के नेतृत्व में लॉन्च किया गया था. इस साल जनवरी में हमने 100वां अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक लॉन्च किया है.

इसरो प्रमुख ने कहा कि महेंद्रगिरि में अत्याधुनिक रॉकेट के उत्पादन पर अध्ययन किया जा रहा है. इसके जरिये 'नासल प्रोटेक्टिव सिस्टम' ने सफलता हासिल की है. अंतरिक्ष में व्याप्त जलवायु और परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक में बड़ी सफलता मिली है.

मार्स ऑर्बिट मिशन
उन्होंने कहा कि मार्स ऑर्बिट मिशन के जरिये मंगल ग्रह पर भेजे गए अंतरिक्ष यान ने 680 मिलियन किलोमीटर की यात्रा की और 294 दिनों के बाद इसमें लगे उपकरण काम करना शुरू कर दिए. इसके सफलतापूर्वक काम करने के बाद भारत को इस प्रयोग में सफल होने वाले दुनिया के पहले देश होने का गौरव प्राप्त हुआ है. यह उपलब्धि किसी अन्य देश को नहीं मिला है.

अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स की वापसी पर इसरो चीफ नारायणन ने कहा कि सुनीता विलियम्स को कोई नुकसान नहीं होगा. वह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष से धरती पर वापस आएंगी.

यह भी पढ़ें- ISS पर क्रू-10 टीम से मिलकर खुशी से झूमीं सुनीता विलियम्स, एक-दूसरे से गले मिले अंतरिक्ष यात्री

कन्याकुमारी: तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के नागरकोइल में डॉ. जयशेखर की जन्म शताब्दी मनाई गई. इस समारोह में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन वी. नारायणन शामिल हुए.

इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इस साल 16 जनवरी को हमने दो सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे थे. उन्हें एक साथ डॉक किया गया और फिर सफलतापूर्वक अलग किया गया. भारत ऐसा सफल प्रयोग करने वाला चौथा देश है.

इसरो प्रमुख ने कहा कि 9,800 किलोग्राम का चंद्रयान-4 उपग्रह जल्द ही लॉन्च किया जाएगा. इसे दो रॉकेट के जरिये चांद पर भेजने, लैंड कराने, वहां के खनिजों को इकट्ठा करने और धरती पर वापस लाने की तैयारी चल रही है.

चांद पर रोबोट भेजने का परीक्षण

नारायणन ने बताया कि चांद पर इंसानों को भेजने की भविष्य की परियोजना के लिए छोटे मानवरहित रॉकेट बनाए जाएंगे और उनमें रोबोट को परीक्षण के लिए भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि भारत और जापान मिलकर चंद्रयान-5 मिशन के लिए काम करेंगे. इसकी अनुमति भी मिल गई है. इस परियोजना के जरिये बिना इंसान की तरह दिखने वाले रोबोट को चांद पर भेजा जाएगा.

उन्होंने कहा कि भारत का पहला अंतरिक्ष यान 1979 में डॉ. अब्दुल कलाम के नेतृत्व में लॉन्च किया गया था. इस साल जनवरी में हमने 100वां अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक लॉन्च किया है.

इसरो प्रमुख ने कहा कि महेंद्रगिरि में अत्याधुनिक रॉकेट के उत्पादन पर अध्ययन किया जा रहा है. इसके जरिये 'नासल प्रोटेक्टिव सिस्टम' ने सफलता हासिल की है. अंतरिक्ष में व्याप्त जलवायु और परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए अत्याधुनिक तकनीक में बड़ी सफलता मिली है.

मार्स ऑर्बिट मिशन
उन्होंने कहा कि मार्स ऑर्बिट मिशन के जरिये मंगल ग्रह पर भेजे गए अंतरिक्ष यान ने 680 मिलियन किलोमीटर की यात्रा की और 294 दिनों के बाद इसमें लगे उपकरण काम करना शुरू कर दिए. इसके सफलतापूर्वक काम करने के बाद भारत को इस प्रयोग में सफल होने वाले दुनिया के पहले देश होने का गौरव प्राप्त हुआ है. यह उपलब्धि किसी अन्य देश को नहीं मिला है.

अंतरिक्ष में फंसी सुनीता विलियम्स की वापसी पर इसरो चीफ नारायणन ने कहा कि सुनीता विलियम्स को कोई नुकसान नहीं होगा. वह सफलतापूर्वक अंतरिक्ष से धरती पर वापस आएंगी.

यह भी पढ़ें- ISS पर क्रू-10 टीम से मिलकर खुशी से झूमीं सुनीता विलियम्स, एक-दूसरे से गले मिले अंतरिक्ष यात्री

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