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भारत ने बांग्लादेश को दिया बड़ा झटका! रेडीमेड कपड़ों, प्रोसेस्ड फूड समेत इन वस्तुओं पर लगाया प्रतिबंध - RESTRICTION ON BANGLADESHI GOODS

भारत ने बांग्लादेश से रेडीमेड कपड़ों, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और अन्य वस्तुओं के आयात के लिए बंदरगाह प्रतिबंध लगा दिया है.

पीएम मोदी और मुहम्मद यूनुस, फाइल फोटो
पीएम मोदी और मुहम्मद यूनुस, फाइल फोटो (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 17, 2025 at 11:08 PM IST

Updated : May 17, 2025 at 11:28 PM IST

5 Min Read

नई दिल्ली: भारत सरकार ने शनिवार को बांग्लादेश से रेडीमेड वस्त्र और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसी कुछ वस्तुओं के आयात पर बंदरगाह प्रतिबंध लगा दिए. यह कदम पिछले महीने बांग्लादेश द्वारा कुछ भारतीय उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में उठाया गया है.

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की एक अधिसूचना के अनुसार, ये बंदरगाह प्रतिबंध भारत से होकर गुजरने वाले तथा नेपाल और भूटान जाने वाले बांग्लादेशी माल पर लागू नहीं होंगे.

भारत ने बांग्लादेश को झटका दिया
मंत्रालय ने कहा कि अधिसूचना में "बांग्लादेश से भारत में रेडीमेड वस्त्र, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ आदि जैसे कुछ सामान के आयात पर बंदरगाह प्रतिबंध लगाए गए हैं." आदेश में कहा गया है कि बांग्लादेश से रेडीमेड वस्त्रों का आयात किसी भी भूमि बंदरगाह से नहीं किया जा सकेगा. हालांकि, इसे केवल न्हावा शेवा और कोलकाता के बंदरगाहों के माध्यम से ही अनुमति दी गई है.

इन रास्तों से बांग्लादेशी सामानों की अनुमति नहीं
मंत्रालय ने कहा कि, फलों, फलों के स्वाद वाले और कार्बोनेटेड पेय, प्रोसेस्ड फूड (बेक्ड माल, स्नैक्स, चिप्स और कन्फेक्शनरी), कपास और सूती धागे के कचरे, प्लास्टिक और पीवीसी तैयार माल, रंग, प्लास्टिसाइजर और कणिकाओं, लकड़ी के फर्नीचर के लिए अधिसूचना में कहा गया है कि पड़ोसी देश से आने वाले शिपमेंट को असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में किसी भी एलसीएस (भूमि सीमा शुल्क स्टेशन) और आईसीपी (एकीकृत चेक पोस्ट) और पश्चिम बंगाल में एलसीएस चंग्रबांधा और फुलबारी के माध्यम से अनुमति नहीं दी जाएगी.

मंत्रालय ने बताया कि, अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि ये बंदरगाह प्रतिबंध बांग्लादेश से मछली, एलपीजी, खाद्य तेल और क्रश्ड स्टोन के आयात पर लागू नहीं होते हैं. इन बदलावों को करने के लिए, देश की आयात नीति में एक नया पैराग्राफ जोड़ा गया है, जो बांग्लादेश से भारत में इन वस्तुओं के आयात को "तत्काल प्रभाव से" रेगुलेट करता है.

भारत और बांग्लादेश के संबंधों में आई खटास!
9 अप्रैल को, भारत ने नेपाल और भूटान को छोड़कर मध्य पूर्व, यूरोप और विभिन्न अन्य देशों को विभिन्न वस्तुओं के निर्यात के लिए बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा को वापस ले लिया. यह घोषणा बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस द्वारा हाल ही में चीन में दिए गए विवादास्पद बयान की पृष्ठभूमि में की गई थी.

यूनुस ने कहा था कि भारत के सात पूर्वोत्तर राज्य, जो बांग्लादेश के साथ लगभग 1,600 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं, भूमि से घिरे हुए हैं और उनके देश के अलावा समुद्र तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है.

नई दिल्ली में इस टिप्पणी को अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली. इस पर भारत में राजनीतिक नेताओं ने भी पार्टी लाइन से हटकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. मुख्य रूप से परिधान क्षेत्र के भारतीय निर्यातकों ने भी पहले सरकार से पड़ोसी देश को यह सुविधा वापस लेने का आग्रह किया था. यूनुस द्वारा उस देश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं पर हमलों को रोकने में विफल रहने के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में नाटकीय रूप से गिरावट आई है.

कपड़ा क्षेत्र में बांग्लादेश भारत का एक बड़ा प्रतिस्पर्धी है. 2023-24 में भारत-बांग्लादेश व्यापार 12.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, भारत ने पहले बांग्लादेश को सभी LCS और ICP तथा बंदरगाहों के माध्यम से बिना किसी अनावश्यक प्रतिबंध के निर्यात की अनुमति दी थी. हालांकि, पड़ोसी देश ने भारतीय निर्यात पर बंदरगाह प्रतिबंध लगा दिए.

भारत से भूमि बंदरगाहों के माध्यम से यार्न निर्यात पर रोक
इस साल 13 अप्रैल को, भारत से भूमि बंदरगाहों के माध्यम से यार्न निर्यात रोक दिया गया था और भारतीय शिपमेंट को प्रवेश पर कठोर निरीक्षण के अधीन किया गया था. अधिकारी ने कहा, "15 अप्रैल से बेनापोल ICP के माध्यम से भारत से चावल के निर्यात की अनुमति नहीं दी गई, जिससे मौजूदा प्रतिबंध और बढ़ गए हैं." उन्होंने कहा कि बांग्लादेश द्वारा अनुचित रूप से उच्च और आर्थिक रूप से अव्यवहारिक ट्रांजिट शुल्क लगाए जाने के कारण पूर्वोत्तर राज्यों में औद्योगिक विकास तीन गुना जोखिम में है.

इसी तरह, बांग्लादेश द्वारा भूमि बंदरगाहों पर प्रतिबंध लगाने के कारण, पूर्वोत्तर राज्यों को स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं को बेचने के लिए बांग्लादेश के बाजार तक पहुंच की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे बाजार तक पहुंच केवल प्राथमिक कृषि वस्तुओं तक ही सीमित है.

दूसरी ओर, पड़ोसी देश के पास पूरे पूर्वोत्तर बाजार तक मुफ्त पहुंच है. अधिकारी ने यह भी कहा कि अधिसूचना में वस्तुओं की सूची की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संबंधित पूर्वोत्तर राज्यों में निष्पक्ष और न्यायसंगत विकास हो सके.

बांग्लादेश ने हाल ही में भूमि बंदरगाहों के माध्यम से भारतीय यार्न के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, जिससे भारतीय यार्न को केवल बंदरगाहों के माध्यम से ही निर्यात करने की अनुमति मिलती है.

बांग्लादेश भारत को सालाना कितना रेडिमेड परिधान निर्यात करता है?
नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, "बंदरगाह प्रतिबंध लगाकर इस उपाय का जवाब देने का फैसला किया गया है." बांग्लादेश भारत को सालाना 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के रेडीमेड परिधान निर्यात करता है.

अधिकारी ने कहा, "बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों की शर्तों को केवल अपने फायदे के लिए नहीं चुन सकता या भारत की बाजार पहुंच को हल्के में नहीं ले सकता. भारत बातचीत करने को तैयार है, लेकिन यह बांग्लादेश की जिम्मेदारी है कि वह द्वेष मुक्त माहौल बनाए."

ये भी पढ़ें: एस जयशंकर पर कांग्रेस ने लगाए आरोप, विदेश मंत्रालय का आया 'तीखा' जवाब, कहा- ऑपरेशन सिंदूर....

नई दिल्ली: भारत सरकार ने शनिवार को बांग्लादेश से रेडीमेड वस्त्र और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों जैसी कुछ वस्तुओं के आयात पर बंदरगाह प्रतिबंध लगा दिए. यह कदम पिछले महीने बांग्लादेश द्वारा कुछ भारतीय उत्पादों पर लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में उठाया गया है.

विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की एक अधिसूचना के अनुसार, ये बंदरगाह प्रतिबंध भारत से होकर गुजरने वाले तथा नेपाल और भूटान जाने वाले बांग्लादेशी माल पर लागू नहीं होंगे.

भारत ने बांग्लादेश को झटका दिया
मंत्रालय ने कहा कि अधिसूचना में "बांग्लादेश से भारत में रेडीमेड वस्त्र, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ आदि जैसे कुछ सामान के आयात पर बंदरगाह प्रतिबंध लगाए गए हैं." आदेश में कहा गया है कि बांग्लादेश से रेडीमेड वस्त्रों का आयात किसी भी भूमि बंदरगाह से नहीं किया जा सकेगा. हालांकि, इसे केवल न्हावा शेवा और कोलकाता के बंदरगाहों के माध्यम से ही अनुमति दी गई है.

इन रास्तों से बांग्लादेशी सामानों की अनुमति नहीं
मंत्रालय ने कहा कि, फलों, फलों के स्वाद वाले और कार्बोनेटेड पेय, प्रोसेस्ड फूड (बेक्ड माल, स्नैक्स, चिप्स और कन्फेक्शनरी), कपास और सूती धागे के कचरे, प्लास्टिक और पीवीसी तैयार माल, रंग, प्लास्टिसाइजर और कणिकाओं, लकड़ी के फर्नीचर के लिए अधिसूचना में कहा गया है कि पड़ोसी देश से आने वाले शिपमेंट को असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में किसी भी एलसीएस (भूमि सीमा शुल्क स्टेशन) और आईसीपी (एकीकृत चेक पोस्ट) और पश्चिम बंगाल में एलसीएस चंग्रबांधा और फुलबारी के माध्यम से अनुमति नहीं दी जाएगी.

मंत्रालय ने बताया कि, अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि ये बंदरगाह प्रतिबंध बांग्लादेश से मछली, एलपीजी, खाद्य तेल और क्रश्ड स्टोन के आयात पर लागू नहीं होते हैं. इन बदलावों को करने के लिए, देश की आयात नीति में एक नया पैराग्राफ जोड़ा गया है, जो बांग्लादेश से भारत में इन वस्तुओं के आयात को "तत्काल प्रभाव से" रेगुलेट करता है.

भारत और बांग्लादेश के संबंधों में आई खटास!
9 अप्रैल को, भारत ने नेपाल और भूटान को छोड़कर मध्य पूर्व, यूरोप और विभिन्न अन्य देशों को विभिन्न वस्तुओं के निर्यात के लिए बांग्लादेश को दी गई ट्रांसशिपमेंट सुविधा को वापस ले लिया. यह घोषणा बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस द्वारा हाल ही में चीन में दिए गए विवादास्पद बयान की पृष्ठभूमि में की गई थी.

यूनुस ने कहा था कि भारत के सात पूर्वोत्तर राज्य, जो बांग्लादेश के साथ लगभग 1,600 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं, भूमि से घिरे हुए हैं और उनके देश के अलावा समुद्र तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है.

नई दिल्ली में इस टिप्पणी को अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली. इस पर भारत में राजनीतिक नेताओं ने भी पार्टी लाइन से हटकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. मुख्य रूप से परिधान क्षेत्र के भारतीय निर्यातकों ने भी पहले सरकार से पड़ोसी देश को यह सुविधा वापस लेने का आग्रह किया था. यूनुस द्वारा उस देश में अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से हिंदुओं पर हमलों को रोकने में विफल रहने के बाद भारत-बांग्लादेश संबंधों में नाटकीय रूप से गिरावट आई है.

कपड़ा क्षेत्र में बांग्लादेश भारत का एक बड़ा प्रतिस्पर्धी है. 2023-24 में भारत-बांग्लादेश व्यापार 12.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर था. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, भारत ने पहले बांग्लादेश को सभी LCS और ICP तथा बंदरगाहों के माध्यम से बिना किसी अनावश्यक प्रतिबंध के निर्यात की अनुमति दी थी. हालांकि, पड़ोसी देश ने भारतीय निर्यात पर बंदरगाह प्रतिबंध लगा दिए.

भारत से भूमि बंदरगाहों के माध्यम से यार्न निर्यात पर रोक
इस साल 13 अप्रैल को, भारत से भूमि बंदरगाहों के माध्यम से यार्न निर्यात रोक दिया गया था और भारतीय शिपमेंट को प्रवेश पर कठोर निरीक्षण के अधीन किया गया था. अधिकारी ने कहा, "15 अप्रैल से बेनापोल ICP के माध्यम से भारत से चावल के निर्यात की अनुमति नहीं दी गई, जिससे मौजूदा प्रतिबंध और बढ़ गए हैं." उन्होंने कहा कि बांग्लादेश द्वारा अनुचित रूप से उच्च और आर्थिक रूप से अव्यवहारिक ट्रांजिट शुल्क लगाए जाने के कारण पूर्वोत्तर राज्यों में औद्योगिक विकास तीन गुना जोखिम में है.

इसी तरह, बांग्लादेश द्वारा भूमि बंदरगाहों पर प्रतिबंध लगाने के कारण, पूर्वोत्तर राज्यों को स्थानीय रूप से निर्मित वस्तुओं को बेचने के लिए बांग्लादेश के बाजार तक पहुंच की कमी का सामना करना पड़ रहा है, जिससे बाजार तक पहुंच केवल प्राथमिक कृषि वस्तुओं तक ही सीमित है.

दूसरी ओर, पड़ोसी देश के पास पूरे पूर्वोत्तर बाजार तक मुफ्त पहुंच है. अधिकारी ने यह भी कहा कि अधिसूचना में वस्तुओं की सूची की समय-समय पर समीक्षा की जाएगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि संबंधित पूर्वोत्तर राज्यों में निष्पक्ष और न्यायसंगत विकास हो सके.

बांग्लादेश ने हाल ही में भूमि बंदरगाहों के माध्यम से भारतीय यार्न के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है, जिससे भारतीय यार्न को केवल बंदरगाहों के माध्यम से ही निर्यात करने की अनुमति मिलती है.

बांग्लादेश भारत को सालाना कितना रेडिमेड परिधान निर्यात करता है?
नाम न बताने की शर्त पर अधिकारी ने कहा, "बंदरगाह प्रतिबंध लगाकर इस उपाय का जवाब देने का फैसला किया गया है." बांग्लादेश भारत को सालाना 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक मूल्य के रेडीमेड परिधान निर्यात करता है.

अधिकारी ने कहा, "बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों की शर्तों को केवल अपने फायदे के लिए नहीं चुन सकता या भारत की बाजार पहुंच को हल्के में नहीं ले सकता. भारत बातचीत करने को तैयार है, लेकिन यह बांग्लादेश की जिम्मेदारी है कि वह द्वेष मुक्त माहौल बनाए."

ये भी पढ़ें: एस जयशंकर पर कांग्रेस ने लगाए आरोप, विदेश मंत्रालय का आया 'तीखा' जवाब, कहा- ऑपरेशन सिंदूर....

Last Updated : May 17, 2025 at 11:28 PM IST
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