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IIT मंडी के छात्रों ने बनाई 'समुद्री मछली', सागरीय चक्रवातों का समय से पहले लगाया जा सकेगा पता - UNDERWATER ROBOTIC VEHICLE

आईआईटी मंडी ने एक अंडरवाटर व्हीकल बनाया है. ये व्हीकल समुद्र के नीचे के पैरामीटर को सही ढंग से जांचने में मदद करेगा.

सराज केवी स्कूल की चयनित जमीन का किया निरीक्षण
सराज केवी स्कूल की चयनित जमीन का किया निरीक्षण (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : March 18, 2025 at 4:27 PM IST

2 Min Read

मंडी: आईआईटी मंडी ने आईआईटी पलक्कड के साथ मिलकर एक ऐसा समुद्री व्हीकल बनाया है, जो समुद्र के नीचे के पैरामीटर को सही ढंग से जांचने में मदद करेगा. इस व्हीकल की मदद से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर समुद्री चक्रवातों का समय से पहले पता लगाया जा सकेगा. हालांकि, ये व्हीकल चक्रवात की सीधी कोई सूचना, चेतावनी या अलर्ट नहीं देगा, बल्कि जो डाटा इसके माध्यम से प्राप्त होगा, उसके आधार पर ही भविष्य की गतिविधियों का आंकलन किया जा सकेगा.

आईआईटी मंडी के असिस्टेंट प्रोफेसर जगदीश ने बताया कि, 'हमने मरीन रोबोट के साथ सरफेस व्हीकल और अंडर वाटर व्हीकल के साथ काम किया. इससे हमने एक व्हीकल तैयार किया और इसे हाइब्रिड प्रोपल्शन अंडरवाटर रोबोटिक व्हीकल नाम दिया है, जो मछली की तरह दिखता है. इस तरह का व्हीकल अभी तक भारत में कहीं मौजूद नहीं है. हम इस रोबोट अंडवाटर व्हीकल के जरिए समुद्र के पैरामीटर को समझने की कोशिश करेंगे. ये पानी में मछली जैसे तैर सकता है. प्रोपेलर लगाकर इसकी गति को और अधिक बढ़ाया जा सकता है. इसमें बर्न्स इंजन मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया गया है. ये समुद्र में काफी गहराई तक जा सकता है. इस तरह के सिस्टम पर बहुत सी आईआईटी भी शोध कर रही हैं. आईआईटी पलक्कड के प्रोफेसर शांतु कुमार मोहन के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट को बनाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से मेक इन इंडिया के तहत बनाया गया है.'

आईआईटी मंडी ने बनाया अंडरवाटर व्हीकल (ETV BHARAT)

प्रोफेसर जगदीश ने बताया कि, 'हाइब्रिड प्रोपलशन अंडरवाटर रोबोटिक व्हीकल का जो मॉडल हमने अभी बनाया है, वो समुद्र में 100 मीटर की गहराई तक चला जाता है. इसकी मदद से तापमान, लवणीयता जैसे पैरामीटर को जांचा जा सकता है और इस डाटा का अध्ययन कर चक्रवात के बारे में पता लगाया जा सकता है. ये व्हीकल चार से पांच घंटों तक पानी के अंदर रह सकता है, लेकिन अभी इस पर और काम जारी है. भविष्य में इसे इस तरह से बनाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि ये समुद्र की अधिक से अधिक गहराई में जा सके और कम से कम एक सप्ताह तक पानी के अंदर ही रहकर सारा डाटा भेजता रहे. चक्रवात के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए ये बहुत ही उपयोगी रहेगा.'

ये भी पढ़ें: ग्रीन हिमाचल का सपना ऐसे होगा साकार, पौधरोपण के लिए सरकार देगी इतने लाख की सहायता

मंडी: आईआईटी मंडी ने आईआईटी पलक्कड के साथ मिलकर एक ऐसा समुद्री व्हीकल बनाया है, जो समुद्र के नीचे के पैरामीटर को सही ढंग से जांचने में मदद करेगा. इस व्हीकल की मदद से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर समुद्री चक्रवातों का समय से पहले पता लगाया जा सकेगा. हालांकि, ये व्हीकल चक्रवात की सीधी कोई सूचना, चेतावनी या अलर्ट नहीं देगा, बल्कि जो डाटा इसके माध्यम से प्राप्त होगा, उसके आधार पर ही भविष्य की गतिविधियों का आंकलन किया जा सकेगा.

आईआईटी मंडी के असिस्टेंट प्रोफेसर जगदीश ने बताया कि, 'हमने मरीन रोबोट के साथ सरफेस व्हीकल और अंडर वाटर व्हीकल के साथ काम किया. इससे हमने एक व्हीकल तैयार किया और इसे हाइब्रिड प्रोपल्शन अंडरवाटर रोबोटिक व्हीकल नाम दिया है, जो मछली की तरह दिखता है. इस तरह का व्हीकल अभी तक भारत में कहीं मौजूद नहीं है. हम इस रोबोट अंडवाटर व्हीकल के जरिए समुद्र के पैरामीटर को समझने की कोशिश करेंगे. ये पानी में मछली जैसे तैर सकता है. प्रोपेलर लगाकर इसकी गति को और अधिक बढ़ाया जा सकता है. इसमें बर्न्स इंजन मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया गया है. ये समुद्र में काफी गहराई तक जा सकता है. इस तरह के सिस्टम पर बहुत सी आईआईटी भी शोध कर रही हैं. आईआईटी पलक्कड के प्रोफेसर शांतु कुमार मोहन के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट को बनाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से मेक इन इंडिया के तहत बनाया गया है.'

आईआईटी मंडी ने बनाया अंडरवाटर व्हीकल (ETV BHARAT)

प्रोफेसर जगदीश ने बताया कि, 'हाइब्रिड प्रोपलशन अंडरवाटर रोबोटिक व्हीकल का जो मॉडल हमने अभी बनाया है, वो समुद्र में 100 मीटर की गहराई तक चला जाता है. इसकी मदद से तापमान, लवणीयता जैसे पैरामीटर को जांचा जा सकता है और इस डाटा का अध्ययन कर चक्रवात के बारे में पता लगाया जा सकता है. ये व्हीकल चार से पांच घंटों तक पानी के अंदर रह सकता है, लेकिन अभी इस पर और काम जारी है. भविष्य में इसे इस तरह से बनाने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि ये समुद्र की अधिक से अधिक गहराई में जा सके और कम से कम एक सप्ताह तक पानी के अंदर ही रहकर सारा डाटा भेजता रहे. चक्रवात के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए ये बहुत ही उपयोगी रहेगा.'

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