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IIT-ISM पर्यावरण संरक्षण के लिए बायो बैरियर्स पर कर रहा शोध, चीन और जापान जैसे देश कर रहे इस्तेमाल - IIT ISM ON BIO BARRIERS

विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन आज की सबसे बड़ी चुनौती है. आईआईटी आईएसएम का बायो बैरियर्स पर शोध इसे प्रभावी बना सकता है.

IIT ISM ON BIO BARRIERS
IIT ISM (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : June 3, 2025 at 2:09 PM IST

3 Min Read

धनबाद: देश के विकास के लिए तेजी से औद्योगिकरण आवश्यक है, लेकिन इसके साथ पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है. खनन गतिविधियां, चाहे कोयला खदानें हों या धातु खदानें, उत्खनन के दौरान बड़ी मात्रा में हानिकारक तत्व वातावरण में छोड़ती हैं. इससे पर्यावरणीय असंतुलन और जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ रही है. इस समस्या से निपटने के लिए आईआईटी आईएसएम शोध कर रहा है.

बायो बैरियर्स: पर्यावरण संरक्षण का नया समाधान

जापान और चीन जैसे देश खनन से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए बायो बैरियर्स का उपयोग कर रहे हैं. बायो बैरियर्स में शैवाल (एल्गी) की दीवारें बनाई जाती हैं, जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में सक्षम होती हैं. यह तकनीक खनन क्षेत्रों में पर्यावरणीय नुकसान को कम करने में प्रभावी सिद्ध हो रही है.

प्रो आलोक सिन्हा से बात करते संवाददाता नरेंद्र निषाद (ईटीवी भारत)

आईआईटी आईएसएम में बायो बैरियर्स पर शोध

आईआईटी आईएसएम धनबाद के पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के छात्र बायो बैरियर्स पर शोध कर रहे हैं. विभागाध्यक्ष प्रो. आलोक सिन्हा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में बताया कि यह शोध जल्द पूरा होने की उम्मीद है. शोध की सफलता के बाद भारत की विभिन्न खनन परियोजनाओं में बायो बैरियर्स का उपयोग संभव हो सकेगा, जो पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देगा.

पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्य प्रयास

प्रो. सिन्हा ने बताया कि पेड़ लगाना पर्यावरण संरक्षण का सबसे प्रभावी तरीका है. एक पेड़ काटने की स्थिति में कम से कम दस पेड़ लगाने की आवश्यकता है. साथ ही, खनन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण और जल की गुणवत्ता पर भी शोध चल रहा है. खनन से निकलने वाले पानी को उपयोग योग्य बनाने और आसपास के समुदायों के लिए सुरक्षित करने पर काम किया जा रहा है.

खनन में मशीनों से होने वाले उत्सर्जन पर नियंत्रण

खनन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उपयोग होने वाली मशीनें कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती हैं. लेकिन अब ऐसी मशीनों का उपयोग बढ़ाया जाना चाहिए, जो कम उत्सर्जन करती हों. इसके अलावा, बायो बैरियर्स के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया जा सकता है.

खनन गतिविधियों से उत्पन्न हानिकारक तत्व

ओपन कास्ट खनन और ब्लास्टिंग के दौरान कई हानिकारक तत्व पर्यावरण में मिल जाते हैं, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा हैं. इन तत्वों को नियंत्रित करने के लिए बायो बैरियर्स और अन्य नवाचारों का उपयोग आवश्यक है.

ये भी पढ़ें:

पर्यावरण से खिलवाड़! रांची में धड़ल्ले से हो रहा सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल

समुद्री शैवाल की खेती पर्यावरण के लिए कितना अच्छा, विशेषताएं और उपयोग

धनबाद: देश के विकास के लिए तेजी से औद्योगिकरण आवश्यक है, लेकिन इसके साथ पेड़ों की अंधाधुंध कटाई पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है. खनन गतिविधियां, चाहे कोयला खदानें हों या धातु खदानें, उत्खनन के दौरान बड़ी मात्रा में हानिकारक तत्व वातावरण में छोड़ती हैं. इससे पर्यावरणीय असंतुलन और जलवायु परिवर्तन की समस्या बढ़ रही है. इस समस्या से निपटने के लिए आईआईटी आईएसएम शोध कर रहा है.

बायो बैरियर्स: पर्यावरण संरक्षण का नया समाधान

जापान और चीन जैसे देश खनन से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए बायो बैरियर्स का उपयोग कर रहे हैं. बायो बैरियर्स में शैवाल (एल्गी) की दीवारें बनाई जाती हैं, जो कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में सक्षम होती हैं. यह तकनीक खनन क्षेत्रों में पर्यावरणीय नुकसान को कम करने में प्रभावी सिद्ध हो रही है.

प्रो आलोक सिन्हा से बात करते संवाददाता नरेंद्र निषाद (ईटीवी भारत)

आईआईटी आईएसएम में बायो बैरियर्स पर शोध

आईआईटी आईएसएम धनबाद के पर्यावरण विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के छात्र बायो बैरियर्स पर शोध कर रहे हैं. विभागाध्यक्ष प्रो. आलोक सिन्हा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में बताया कि यह शोध जल्द पूरा होने की उम्मीद है. शोध की सफलता के बाद भारत की विभिन्न खनन परियोजनाओं में बायो बैरियर्स का उपयोग संभव हो सकेगा, जो पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देगा.

पर्यावरण संरक्षण के लिए अन्य प्रयास

प्रो. सिन्हा ने बताया कि पेड़ लगाना पर्यावरण संरक्षण का सबसे प्रभावी तरीका है. एक पेड़ काटने की स्थिति में कम से कम दस पेड़ लगाने की आवश्यकता है. साथ ही, खनन क्षेत्रों में वायु प्रदूषण और जल की गुणवत्ता पर भी शोध चल रहा है. खनन से निकलने वाले पानी को उपयोग योग्य बनाने और आसपास के समुदायों के लिए सुरक्षित करने पर काम किया जा रहा है.

खनन में मशीनों से होने वाले उत्सर्जन पर नियंत्रण

खनन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर उपयोग होने वाली मशीनें कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन करती हैं. लेकिन अब ऐसी मशीनों का उपयोग बढ़ाया जाना चाहिए, जो कम उत्सर्जन करती हों. इसके अलावा, बायो बैरियर्स के माध्यम से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया जा सकता है.

खनन गतिविधियों से उत्पन्न हानिकारक तत्व

ओपन कास्ट खनन और ब्लास्टिंग के दौरान कई हानिकारक तत्व पर्यावरण में मिल जाते हैं, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा हैं. इन तत्वों को नियंत्रित करने के लिए बायो बैरियर्स और अन्य नवाचारों का उपयोग आवश्यक है.

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