चेन्नई: तमिलनाडु की राजनीति में पाटलि मक्कल काची (पीएमके) एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार वजह है पार्टी के नेतृत्व को लेकर आंतरिक कलह. पीएमके के संस्थापक एस. रामदास ने एक घोषणा करते हुए खुद को विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी का नेता घोषित कर दिया और अपने बेटे अंबुमणि रामदास को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त कर दिया. रामदास ने यह भी स्पष्ट किया कि अन्य अधिकारी पहले की तरह ही काम करते रहेंगे.
इस घोषणा के बाद रामदास ने 2026 के विधानसभा चुनावों को लेकर अपनी कार्य योजनाओं का खुलासा किया. उन्होंने कहा कि चुनावी जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी संरचना में बदलाव जरूरी हैं और इसीलिए उन्होंने यह फैसला लिया है. रामदास ने यह भी कहा कि गठबंधन पर निर्णय आम सभा में लिया जाएगा.
हालांकि, इस घोषणा से पीएमके के भीतर खलबली मच गई. याद दिला दें कि कुछ महीने पहले, 28 दिसंबर को पुडुचेरी में आयोजित पीएमके महासमिति की बैठक में रामदास और अंबुमणि के बीच सार्वजनिक रूप से तीखी बहस हुई थी. अंबुमणि ने मंच पर ही माइक छोड़ दिया था और कार्यकर्ताओं को पनयूर स्थित अपने कार्यालय में मिलने के लिए आमंत्रित किया था.
इस घटना के बाद, 29 दिसंबर को अंबुमणि ने अपने पिता से मुलाकात की थी और इसे "लोकतांत्रिक पार्टी में सामान्य बहस" बताया था.
लेकिन 10 अप्रैल को रामदास की घोषणा के बाद स्थिति और जटिल हो गई. हालांकि रामदास ने अंबुमणि को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त किया था, लेकिन 12 अप्रैल को अंबुमणि रामदास ने एक बयान जारी करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि वह पीएमके नेता बने रहेंगे और पार्टी का नेतृत्व करते रहेंगे.
अंबुमणि ने अपने बयान में कहा कि पीएमके नेता का चुनाव पार्टी की सामान्य समिति के सदस्यों द्वारा ही किया जा सकता है. उन्होंने याद दिलाया कि 28 मई 2022 को उन्हें आम सभा की बैठक में पार्टी अध्यक्ष चुना गया था, जिसे भारत के चुनाव आयोग ने भी मंजूरी दे दी है.
अंबुमणि ने कहा कि सामान्य समिति के सदस्यों द्वारा चुने जाने और चुनाव आयोग द्वारा अनुमोदित होने के कारण वह वर्कर्स पार्टी के नेता के रूप में कार्य करना जारी रखेंगे. उन्होंने 2026 के विधानसभा चुनावों के संबंध में रामदास के मार्गदर्शन में मजबूत गठबंधन बनाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई.
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