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वक्फ एक्ट 1995 से कितना अलग है वक्फ संशोधन विधेयक 2025? जानें - WAQF AMENDMENT BILL 2025

साल 1913 में वक्फ बोर्ड को औपचारिक रूप से ब्रिटिश सरकार ने शुरू किया था और बाद में साल 1923 में वक्फ एक्ट बनाया गया.

Waqf Amendment Bill 2025
वक्फ एक्ट 1995 से कितना अलग है वक्फ संशोधन विधेयक 2025? (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 8, 2025 at 4:53 PM IST

Updated : April 8, 2025 at 5:20 PM IST

6 Min Read

नई दिल्ली (दानिश मुशीर) : वक्फ (संशोधन) बिल 2025 को संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी की मंजूरी भी मिल गई. हालांकि, सरकार के सामने इसको प्रभावी रूप से लागू करने की चुनौती होगी, क्योंकि विपक्ष और कई अन्य संगठन अब भी इसका विरोध कर रहे हैं.

इतना ही नहीं इस वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई हैं. यह याचिकाएं तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), AIMIM प्रमुख असदुद्दीन, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्लाह खान की ओर से दायर की गई हैं.

क्या है वक्फ?
वक्फ अरबी भाषा से निकला एक शब्द है, जिसका मतलब संरक्षित करना होता है. इस्लाम में वक्फ का अर्थ संरक्षित की गई उस संपत्ति से है, जो जन-कल्याण के लिए उपयोग की जाती हो.

Waqf bill
वक्फ एक्ट 1995 से कितना अलग है वक्फ संशोधन विधेयक 2025 (ANI)

वक्फ एक्ट का इतिहास
साल 1913 में वक्फ बोर्ड को औपचारिक रूप से ब्रिटिश सरकार ने शुरू किया था और बाद में साल 1923 में वक्फ एक्ट बनाया गया. आजादी के बाद पहली बार साल 1954 में वक्फ अधिनियम संसद में पारित किया गया था. इसके बाद साल 1995 में इसे एक नए वक्फ अधिनियम से बदला गया, जिसने वक्फ बोर्ड को और ज्यादा शक्ति दी.

वहीं, साल 2013 में अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे वक्फ बोर्डों को मुस्लिम दान के नाम पर संपत्तियों का दावा करने के लिए असीमित अधिकार दिए गए. नए बिल में केंद्र सरकार ने 1995 वक्फ एक्ट में संशोधन किया है.

Waqf Amendment Bill 2025
वक्फ एक्ट 1995 से कितना अलग है वक्फ संशोधन विधेयक 2025 ? (ETV Bharat Graphics)

1995 एक्ट से कितना अलग है नया बिल?
पुराने अधिनियम को 1995 वक्फ एक्ट के नाम से जाना जाता था, जबकि नए बिल का नाम यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट 2025 कर दिया गया है. सरकार का कहना है कि 1995 वक्फ एक्ट में वक्फ गठन की घोषणा यूजर्स या एंडोमेंट (वक्फ-अलल-औलाद) द्वारा किया जा सकती है.

वहीं, नए बिल में वक्फ बाय यूजर्स को हटा दिया गया है और इसके गठन की घोषणा एंडोमेंट के माध्यम से करने की अनुमति दी गई है. इसके अलावा दानकर्ता को कम से कम पांच साल से मुस्लिम होना चाहिए और संपत्ति का मालिक होना चाहिए. वक्फ-अल-औलाद महिला उत्तराधिकारियों को विरासत के अधिकार से वंचित नहीं कर सकता है.

वक्फ के रूप में सरकारी संपत्ति
केंद्र के मुताबिक 1995 वक्फ एक्ट में इसको लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, जबकि नए बिल में वक्फ के रूप में पहचानी गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ नहीं होगी. साथ ही स्वामित्व संबंधी विवादों का समाधान कलेक्टर द्वारा किया जाएगा, जो राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा.

Waqf Board
शिया वक्फ बोर्ड (फाइल फोटो)

वक्फ संपत्ति निर्धारित करने की शक्ति
पुराने कानून में वक्फ बोर्ड के पास वक्फ संपत्ति की जांच और निर्धारण का अधिकार था, जबकि वक्फ (संशोधिन) बिल 2025 में इस प्रावधान को हटा दिया गया है.

वक्फ का सर्वे
पहले वक्फ सर्वे करने के लिए सर्वे कमीशन और अतिरिक्त आयुक्तों को नियुक्त किया जाता था, लेकिन नया कानून कलेक्टरों को सर्वे करने का अधिकार देता है. साथ ही लंबित सर्वे को राज्य के राजस्व कानूनों के अनुसार संचालित करने का आदेश देता है.

सेंट्रल वक्फ काउंसिल की कंपोजिशन
सरकार के मुताबिक वक्फ एक्ट में सेंट्रल वक्फ काउंसिल का गठन सेंटर- राज्य सरकारों और वक्फ बोर्डों को सलाह देने के लिए किया गया था. इसके अलावा इसमें प्रावधान था कि काउंसिल के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए, जिनमें कम से कम दो महिला सदस्य शामिल होनी चाहिए.

Makka Masjid
हैदराबाद की मक्का मस्जिद (ANI)

नए बिल के मुताबिक सेंट्रल वक्फ काउंसिल में दो सदस्य गैर-मुस्लिम होने चाहिए. अधिनियम के अनुसार परिषद में नियुक्त सांसद, पूर्व न्यायाधीश और प्रतिष्ठित व्यक्ति मुस्लिम होने जरूरी नहीं हैं. इसके अलावा इसमें मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि, इस्लामी कानून के विद्वान, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और काउंसिल के मुस्लिम सदस्यों में से दो सदस्य महिलाए् होनी चाहिए.

वक्फ बोर्ड की संरचना
वक्फ एक्ट के तहत वक्फ बोर्ड में मुस्लिम निर्वाचन मंडल से प्रत्येक राज्य बोर्ड में अधिकतम दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान है इसमें सांसद, विधायक ,विधान परिषद सदस्य, बार काउंसिल के सदस्य और कम से कम दो सदस्य महिलाएं होनी चाहिए.

नया बिल राज्य सरकार को बोर्ड में एक व्यक्ति को नामित करने का अधिकार देता है. उन्हें मुस्लिम होने की आवश्यकता नहीं है. इसमें यह भी कहा गया है कि बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्य, शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिम वर्गों से कम से कम एक सदस्य, बोहरा और आगाखानी समुदायों से एक-एक सदस्य (यदि राज्य में वक्फ है) और दो मुस्लिम सदस्य महिलाएं होनी चाहिए.

ट्रिब्यूनल कंपोजिशन
पुराने एक्ट के अनुसार वक्फ विवादों के लिए राज्य स्तरीय ट्रिब्यूनल की आवश्यकता होती, जिसका नेतृत्व एक जज (क्लास-1, जिला, सत्र या सिविल न्यायाधीश) करेगा, और इसमें एक राज्य अधिकारी (अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट रैंक) और एक मुस्लिम कानून विशेषज्ञ शामिल होंगी.

वक्फ संशोधन बिल में मुस्लिम कानून विशेषज्ञ को हटा दिया गया है और इसके स्थान पर अध्यक्ष के रूप में एक वर्तमान या पूर्व डिस्ट्रिक्ट जज और राज्य सरकार के एक वर्तमान या पूर्व संयुक्त सचिव सो शामिल किया गया है.

ट्रिब्यूनल के आदेश पर अपील
वक्फ एक्ट में ट्रिब्यूनल के निर्णय अंतिम होते हैं और कोर्ट में इसके निर्णयों के विरुद्ध अपील निषिद्ध है. केवल हाई कोर्ट ही विशेष परिस्थितियों में मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं, जबकि नए बिल में ट्रिब्यूनल के निर्णयों को अंतिम मानने वाले प्रावधानों को हटा दिया गया है. साथ ही 90 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में अपील की अनुमति दी गई है.

केंद्र सरकार की शक्तियां
1995 के वक्फ एक्ट में राज्य सरकारें किसी भी समय वक्फ खातों का ऑडिट कर सकती हैं. जबकि नया विधेयक केंद्र सरकार को वक्फ के पंजीकरण, अकाउंट पब्लिकेशन और वक्फ बोर्डों की कार्यवाही के पब्लिकेशन के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है. विधेयक केंद्र सरकार को इनको कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर (CAG) या किसी नामित अधिकारी से ऑडिट कराने का अधिकार देता है.

संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड
वक्फ एक्ट 1995 के मुताबिक अगर राज्य में सभी वक्फ संपत्तियों या वक्फ आय में शिया वक्फ का हिस्सा 15 प्रतिशत से अधिक है तो सुन्नी और शिया संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाए जाएंगे, जबकि नए बिल में शिया और सुन्नी संप्रदायों के साथ-साथ बोहरा और आगाखानी संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड की अनुमति दी गई.

यह भी पढ़ें- वक्फ बिल 2025: नए कानून में वक्फ डोनेशन के लिए क्यों लगाई गई पांच साल की समय सीमा ? जानें

नई दिल्ली (दानिश मुशीर) : वक्फ (संशोधन) बिल 2025 को संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी की मंजूरी भी मिल गई. हालांकि, सरकार के सामने इसको प्रभावी रूप से लागू करने की चुनौती होगी, क्योंकि विपक्ष और कई अन्य संगठन अब भी इसका विरोध कर रहे हैं.

इतना ही नहीं इस वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई हैं. यह याचिकाएं तमिलनाडु की सत्ताधारी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK), AIMIM प्रमुख असदुद्दीन, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक अमानतुल्लाह खान की ओर से दायर की गई हैं.

क्या है वक्फ?
वक्फ अरबी भाषा से निकला एक शब्द है, जिसका मतलब संरक्षित करना होता है. इस्लाम में वक्फ का अर्थ संरक्षित की गई उस संपत्ति से है, जो जन-कल्याण के लिए उपयोग की जाती हो.

Waqf bill
वक्फ एक्ट 1995 से कितना अलग है वक्फ संशोधन विधेयक 2025 (ANI)

वक्फ एक्ट का इतिहास
साल 1913 में वक्फ बोर्ड को औपचारिक रूप से ब्रिटिश सरकार ने शुरू किया था और बाद में साल 1923 में वक्फ एक्ट बनाया गया. आजादी के बाद पहली बार साल 1954 में वक्फ अधिनियम संसद में पारित किया गया था. इसके बाद साल 1995 में इसे एक नए वक्फ अधिनियम से बदला गया, जिसने वक्फ बोर्ड को और ज्यादा शक्ति दी.

वहीं, साल 2013 में अधिनियम में संशोधन किया गया, जिससे वक्फ बोर्डों को मुस्लिम दान के नाम पर संपत्तियों का दावा करने के लिए असीमित अधिकार दिए गए. नए बिल में केंद्र सरकार ने 1995 वक्फ एक्ट में संशोधन किया है.

Waqf Amendment Bill 2025
वक्फ एक्ट 1995 से कितना अलग है वक्फ संशोधन विधेयक 2025 ? (ETV Bharat Graphics)

1995 एक्ट से कितना अलग है नया बिल?
पुराने अधिनियम को 1995 वक्फ एक्ट के नाम से जाना जाता था, जबकि नए बिल का नाम यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट एक्ट 2025 कर दिया गया है. सरकार का कहना है कि 1995 वक्फ एक्ट में वक्फ गठन की घोषणा यूजर्स या एंडोमेंट (वक्फ-अलल-औलाद) द्वारा किया जा सकती है.

वहीं, नए बिल में वक्फ बाय यूजर्स को हटा दिया गया है और इसके गठन की घोषणा एंडोमेंट के माध्यम से करने की अनुमति दी गई है. इसके अलावा दानकर्ता को कम से कम पांच साल से मुस्लिम होना चाहिए और संपत्ति का मालिक होना चाहिए. वक्फ-अल-औलाद महिला उत्तराधिकारियों को विरासत के अधिकार से वंचित नहीं कर सकता है.

वक्फ के रूप में सरकारी संपत्ति
केंद्र के मुताबिक 1995 वक्फ एक्ट में इसको लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, जबकि नए बिल में वक्फ के रूप में पहचानी गई कोई भी सरकारी संपत्ति वक्फ नहीं होगी. साथ ही स्वामित्व संबंधी विवादों का समाधान कलेक्टर द्वारा किया जाएगा, जो राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा.

Waqf Board
शिया वक्फ बोर्ड (फाइल फोटो)

वक्फ संपत्ति निर्धारित करने की शक्ति
पुराने कानून में वक्फ बोर्ड के पास वक्फ संपत्ति की जांच और निर्धारण का अधिकार था, जबकि वक्फ (संशोधिन) बिल 2025 में इस प्रावधान को हटा दिया गया है.

वक्फ का सर्वे
पहले वक्फ सर्वे करने के लिए सर्वे कमीशन और अतिरिक्त आयुक्तों को नियुक्त किया जाता था, लेकिन नया कानून कलेक्टरों को सर्वे करने का अधिकार देता है. साथ ही लंबित सर्वे को राज्य के राजस्व कानूनों के अनुसार संचालित करने का आदेश देता है.

सेंट्रल वक्फ काउंसिल की कंपोजिशन
सरकार के मुताबिक वक्फ एक्ट में सेंट्रल वक्फ काउंसिल का गठन सेंटर- राज्य सरकारों और वक्फ बोर्डों को सलाह देने के लिए किया गया था. इसके अलावा इसमें प्रावधान था कि काउंसिल के सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए, जिनमें कम से कम दो महिला सदस्य शामिल होनी चाहिए.

Makka Masjid
हैदराबाद की मक्का मस्जिद (ANI)

नए बिल के मुताबिक सेंट्रल वक्फ काउंसिल में दो सदस्य गैर-मुस्लिम होने चाहिए. अधिनियम के अनुसार परिषद में नियुक्त सांसद, पूर्व न्यायाधीश और प्रतिष्ठित व्यक्ति मुस्लिम होने जरूरी नहीं हैं. इसके अलावा इसमें मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि, इस्लामी कानून के विद्वान, वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष और काउंसिल के मुस्लिम सदस्यों में से दो सदस्य महिलाए् होनी चाहिए.

वक्फ बोर्ड की संरचना
वक्फ एक्ट के तहत वक्फ बोर्ड में मुस्लिम निर्वाचन मंडल से प्रत्येक राज्य बोर्ड में अधिकतम दो सदस्यों के चुनाव का प्रावधान है इसमें सांसद, विधायक ,विधान परिषद सदस्य, बार काउंसिल के सदस्य और कम से कम दो सदस्य महिलाएं होनी चाहिए.

नया बिल राज्य सरकार को बोर्ड में एक व्यक्ति को नामित करने का अधिकार देता है. उन्हें मुस्लिम होने की आवश्यकता नहीं है. इसमें यह भी कहा गया है कि बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्य, शिया, सुन्नी और पिछड़े मुस्लिम वर्गों से कम से कम एक सदस्य, बोहरा और आगाखानी समुदायों से एक-एक सदस्य (यदि राज्य में वक्फ है) और दो मुस्लिम सदस्य महिलाएं होनी चाहिए.

ट्रिब्यूनल कंपोजिशन
पुराने एक्ट के अनुसार वक्फ विवादों के लिए राज्य स्तरीय ट्रिब्यूनल की आवश्यकता होती, जिसका नेतृत्व एक जज (क्लास-1, जिला, सत्र या सिविल न्यायाधीश) करेगा, और इसमें एक राज्य अधिकारी (अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट रैंक) और एक मुस्लिम कानून विशेषज्ञ शामिल होंगी.

वक्फ संशोधन बिल में मुस्लिम कानून विशेषज्ञ को हटा दिया गया है और इसके स्थान पर अध्यक्ष के रूप में एक वर्तमान या पूर्व डिस्ट्रिक्ट जज और राज्य सरकार के एक वर्तमान या पूर्व संयुक्त सचिव सो शामिल किया गया है.

ट्रिब्यूनल के आदेश पर अपील
वक्फ एक्ट में ट्रिब्यूनल के निर्णय अंतिम होते हैं और कोर्ट में इसके निर्णयों के विरुद्ध अपील निषिद्ध है. केवल हाई कोर्ट ही विशेष परिस्थितियों में मामले में हस्तक्षेप कर सकते हैं, जबकि नए बिल में ट्रिब्यूनल के निर्णयों को अंतिम मानने वाले प्रावधानों को हटा दिया गया है. साथ ही 90 दिनों के भीतर हाई कोर्ट में अपील की अनुमति दी गई है.

केंद्र सरकार की शक्तियां
1995 के वक्फ एक्ट में राज्य सरकारें किसी भी समय वक्फ खातों का ऑडिट कर सकती हैं. जबकि नया विधेयक केंद्र सरकार को वक्फ के पंजीकरण, अकाउंट पब्लिकेशन और वक्फ बोर्डों की कार्यवाही के पब्लिकेशन के संबंध में नियम बनाने का अधिकार देता है. विधेयक केंद्र सरकार को इनको कम्पट्रोलर एंड ऑडिटर (CAG) या किसी नामित अधिकारी से ऑडिट कराने का अधिकार देता है.

संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड
वक्फ एक्ट 1995 के मुताबिक अगर राज्य में सभी वक्फ संपत्तियों या वक्फ आय में शिया वक्फ का हिस्सा 15 प्रतिशत से अधिक है तो सुन्नी और शिया संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड बनाए जाएंगे, जबकि नए बिल में शिया और सुन्नी संप्रदायों के साथ-साथ बोहरा और आगाखानी संप्रदायों के लिए अलग-अलग वक्फ बोर्ड की अनुमति दी गई.

यह भी पढ़ें- वक्फ बिल 2025: नए कानून में वक्फ डोनेशन के लिए क्यों लगाई गई पांच साल की समय सीमा ? जानें

Last Updated : April 8, 2025 at 5:20 PM IST
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