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पेंशन पाने के लिए प्राइवेट कर्मी को कितने साल करनी होती है नौकरी? जानें - Private Employee

PF Deduction For Pension: कर्मचारी पेंशन योजना को 19 नवंबर 1995 को शुरू किया गया था. इसका उद्देशय संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों के रिटायरमेंट की जरूरतों को पूरा करना है.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2024, 4:40 PM IST

पेंशन पाने के लिए प्राइवेट कर्मी को कितने साल करनी होती है नौकरी?
पेंशन पाने के लिए प्राइवेट कर्मी को कितने साल करनी होती है नौकरी? (Getty Images)

नई दिल्ली: प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाला लगभग हर शख्स अपनी कमाई का कुछ न कुछ हिस्सा सेव करने की कोशिश करता है और इस पैसे को ऐसी जगह इंवेस्ट करता है, जहां से उसे शानदार रिटर्न मिले, जिससे उसे रिटायरमेंट के बाद आर्थिक परेशानी का सामना न करना पड़े.

इसके लिए PF अकाउंट सबसे अच्छा विकल्प होता है, इसमें शानदार रिटर्न के साथ -साथ पेंशन की भी टेंशन खत्म हो जाती है. बता दें कि पीएफ अकाउंट होल्डर्स को EPS-95 के तहत पेंशन का लाभ दिया जाता है. हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें होती हैं. इन शर्तों को पूरा करना के बाद ही आप पेंशन पा सकते हैं.

पेंशन के लिए करनी होगी 10 साल नौकरी
अक्‍सर लोग कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) को लेकर कंफ्यूज हो रहते हैं. इसलिए आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर EPS होता क्या है और किस काम आता है. बता दें कि यह एक पेंशन स्‍कीम है, जिसे EPFO मैनेज करता है.

इस स्‍कीम का लाभ उठाने के लिए आपको सिर्फ एक शर्त पूरी करनी होती है. ईपीएफओ के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी10 साल नौकरी करता है तो वह पेंशन पाने का हकदार होता है.

1995 को शुरू हुई थी स्कीम
कर्मचारी पेंशन योजना को 19 नवंबर 1995 को शुरू किया गया था. इसका उद्देशय संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों के रिटायरमेंट की जरूरतों को पूरा करना है. यह योजना 58 साल की आयु तक पहुंचने वाले पात्र कर्मचारियों को पेंशन लाभ की गारंटी देती है. नियमों के अनुसार अगर कोई शख्स 9 साल 6 महीने की सर्विस भी करता है तो उसे 10 साल के बराबर काउंट किया जाएगा.

हालांकि, अगर किसी व्यक्ति ने साढ़े 9 साल से कम नौकरी की है, तो फिर उसे 9 साल ही गिना जाएगा. ऐसी स्थिति में कर्मचारी अकाउंट में जमा राशि को रिटायरमेंट की उम्र से पहले भी निकाल सकते हैं. क्योंकि वे पेंशन पाने के हकदार नहीं होते.

पीएफ कटौती का कैलकुलेशन
दरअसल, प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की सैलरी का एक बड़ा हिस्सा PF के रूप में कटता है. इसे हर महीने कर्मचारी के PF अकाउंट में डिपॉजिट किया जाता है. ऐसे में अगर आप 10 साल तक प्राइवेट नौकरी करते हैं तो पेंशन लेने के हकदार हो जाते हैं.

नियमों के अनुसार कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 12 फीसदी हिस्‍सा हर महीने PF अकाउंट में जमा होता है. इसमें से कर्मचारी का पूरा हिस्सा EPF में जाता है, जबकि इम्पलोयर का 8.33 प्रतिशत हिस्सा भी कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है.

अगर नौकरी में गैप हो तो क्या?
अगर किसी कर्मचारी ने 5-5 साल के लिए दो अलग-अलग संस्थानों में काम किया है, तो फिर क्या होगा? या फिर उसने दोनों नौकरी के बीच गैप किया हो तो क्या होगा? क्या उस कर्मचारी पेंशन मिलेगी या नहीं ? नियमानुसार नौकरी में गैप होने के बावजूद या अलग-अलग कंपनी में नौकरी के समय को जोड़कर 10 साल पूरा करने पर भी कर्मचारी को पेंशन का लाभ मिल सकता है.

गौरतलब है कि कर्मचारी को अलग-अलग कंपनी में काम करने के बाद भी अपना UAN नंबर न बदलना चाहिए. आपको अपनी नौकरी में एक ही UAN नंबर ही जारी रखना पड़ेगा.

यह भी पढ़ें- टैक्स बचाने वाली टॉप सरकारी सेविंग स्कीम, बचत के साथ मिलता है शानदार रिटर्न, आज ही करें निवेश

नई दिल्ली: प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाला लगभग हर शख्स अपनी कमाई का कुछ न कुछ हिस्सा सेव करने की कोशिश करता है और इस पैसे को ऐसी जगह इंवेस्ट करता है, जहां से उसे शानदार रिटर्न मिले, जिससे उसे रिटायरमेंट के बाद आर्थिक परेशानी का सामना न करना पड़े.

इसके लिए PF अकाउंट सबसे अच्छा विकल्प होता है, इसमें शानदार रिटर्न के साथ -साथ पेंशन की भी टेंशन खत्म हो जाती है. बता दें कि पीएफ अकाउंट होल्डर्स को EPS-95 के तहत पेंशन का लाभ दिया जाता है. हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें होती हैं. इन शर्तों को पूरा करना के बाद ही आप पेंशन पा सकते हैं.

पेंशन के लिए करनी होगी 10 साल नौकरी
अक्‍सर लोग कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) को लेकर कंफ्यूज हो रहते हैं. इसलिए आपके लिए यह जानना जरूरी है कि आखिर EPS होता क्या है और किस काम आता है. बता दें कि यह एक पेंशन स्‍कीम है, जिसे EPFO मैनेज करता है.

इस स्‍कीम का लाभ उठाने के लिए आपको सिर्फ एक शर्त पूरी करनी होती है. ईपीएफओ के मुताबिक अगर कोई कर्मचारी10 साल नौकरी करता है तो वह पेंशन पाने का हकदार होता है.

1995 को शुरू हुई थी स्कीम
कर्मचारी पेंशन योजना को 19 नवंबर 1995 को शुरू किया गया था. इसका उद्देशय संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों के रिटायरमेंट की जरूरतों को पूरा करना है. यह योजना 58 साल की आयु तक पहुंचने वाले पात्र कर्मचारियों को पेंशन लाभ की गारंटी देती है. नियमों के अनुसार अगर कोई शख्स 9 साल 6 महीने की सर्विस भी करता है तो उसे 10 साल के बराबर काउंट किया जाएगा.

हालांकि, अगर किसी व्यक्ति ने साढ़े 9 साल से कम नौकरी की है, तो फिर उसे 9 साल ही गिना जाएगा. ऐसी स्थिति में कर्मचारी अकाउंट में जमा राशि को रिटायरमेंट की उम्र से पहले भी निकाल सकते हैं. क्योंकि वे पेंशन पाने के हकदार नहीं होते.

पीएफ कटौती का कैलकुलेशन
दरअसल, प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की सैलरी का एक बड़ा हिस्सा PF के रूप में कटता है. इसे हर महीने कर्मचारी के PF अकाउंट में डिपॉजिट किया जाता है. ऐसे में अगर आप 10 साल तक प्राइवेट नौकरी करते हैं तो पेंशन लेने के हकदार हो जाते हैं.

नियमों के अनुसार कर्मचारी की बेसिक सैलरी+DA का 12 फीसदी हिस्‍सा हर महीने PF अकाउंट में जमा होता है. इसमें से कर्मचारी का पूरा हिस्सा EPF में जाता है, जबकि इम्पलोयर का 8.33 प्रतिशत हिस्सा भी कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है.

अगर नौकरी में गैप हो तो क्या?
अगर किसी कर्मचारी ने 5-5 साल के लिए दो अलग-अलग संस्थानों में काम किया है, तो फिर क्या होगा? या फिर उसने दोनों नौकरी के बीच गैप किया हो तो क्या होगा? क्या उस कर्मचारी पेंशन मिलेगी या नहीं ? नियमानुसार नौकरी में गैप होने के बावजूद या अलग-अलग कंपनी में नौकरी के समय को जोड़कर 10 साल पूरा करने पर भी कर्मचारी को पेंशन का लाभ मिल सकता है.

गौरतलब है कि कर्मचारी को अलग-अलग कंपनी में काम करने के बाद भी अपना UAN नंबर न बदलना चाहिए. आपको अपनी नौकरी में एक ही UAN नंबर ही जारी रखना पड़ेगा.

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