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एआई भारत मिशन और गेट्स फाउंडेशन ने मिलाया हाथ, कई सेक्टर में धूम मचाने की तैयारी - INDIA AI MISSION GATES FOUNDATION

ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में नई उड़ान भरने की तैयारी. पढ़िए ईटीवी भारत संवाददाता सुरभि गुप्ता की रिपोर्ट

How India AI Mission with Gates Foundation Will Transform Key Sectors
भारत एआई मिशन और गेट्स फाउंडेशन ने मिलाया हाथ (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : March 20, 2025 at 5:03 PM IST

7 Min Read

नई दिल्ली: गेट्स फाउंडेशन के साथ भारत का एआई मिशन प्रमुख क्षेत्रों को कैसे बदल देगा. एआई कैसे कृषि, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा को बदल सकता है. इसको लेकर एआई भारत मिशन और गेट्स फाउंडेशन ने हाथ मिलाया है.

भारत एआई मिशन के जरिए विभिन्न सेक्टर में ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में 18 अप्लीकेशंस को इस्तेमाल में लाया जाएगा. इससे एग्रीकल्चर, मेडिकल, जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और मौसम जैसे क्षेत्र में एक्यूरेट जानकारी इकट्ठा करने में काफी मदद मिलेगी.

विशेषज्ञों ने कई सेक्टर में एआई प्रौद्योगिकी की क्षमता पर जोर दिया है. इससे वैश्विक समस्याओं के समाधान में काफी मदद मिलेगी. इस तरह से एआई की मदद से सही मात्रा में फसलों की पैदावार और मौसम पैटर्न की भविष्यवाणी की जा सकेगी. इसके साथ ही एआई प्रौद्योगिकी की क्षमता बढ़ाने पर उन्नत स्वास्थ्य सेवा और अधिक व्यक्तिगत शिक्षा को एडवॉंस लेवल तक ले जाने में मदद मिलेगी. साथ ही एक्सपर्ट ने वैश्विक समस्याओं के निराकरण में इसकी प्रासंगिकता भी बताई है।

यूनियन मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने सोशल साइट एक्स पर इसकी जानकारी साझा की. वैष्णव ने लिखा है कि इसके लिए इंडिया एआई मिशन और गेट्स फाउंडेशन के बीच जल्द ही एमओयू पर साइन किया जाएगा. एआई से काम करने पर अच्छी फसल, मजबूत स्वास्थ्य तंत्र, स्मार्टर शिक्षा, क्लाइमेट चेंज आदि को लेकर बेहतर काम होगा.

एआई एंड बियॉंड के को फाउंडर जसप्रीत बिंद्रा ने फॉर्मिंग के क्षेत्र में एआई को लेकर कहा कि इससे फसल की पैदावार बढ़ेगी. मौसम के बारे में सटीक भविष्यवाणी की जा सकेगी. वहीं खेत की मिट्टी का सफल परीक्षण हो सकेगा. किसान बारिश के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकेंगे. फसलों के लिए बढ़िया खाद मिल सकेगा.

खेती-किसानी की बात करते हुए बिंद्रा कहते हैं कि इससे फसलों में लगने वाले रोग, सिंचाई के नए-नए तरीके और खराब मौसम सहित कई बातों का हल निकलने से किसानों को काफी मदद मिलेगी.

जानेमाने एक्सपर्ट जैन कहते हैं कि स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक माना जाता है. इसकी वजह से स्वास्थ्य संबंधी कई बड़े-बड़े काम आसानी से हो जाते हैं. इसके तहत मरीजों का डेटा इक्ट्ठा करने में बड़ी मदद मिलती है. मरीजों का त्वरित और बेहतर इलाज करने में मदद मिलती है. एआई टूल्स की मदद से महामारी के बारे में बेहतर जानकारी हो पाती है. मरीजों के उपचार में बड़ी मदद मिलती है. एआई बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए वैक्सीन के निर्माण में काफी सहायक होता है.

उन्होंने टीकों के उत्पादन में एआई के रोल की सराहना करते हुए कहा कि एआई ने इस दिसा में बड़ा काम किया है. इसकी वजह से कोविड-19 वैक्सीन की खोज में बहुत कम समय लगा. इससे दवा की खोज और वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया आसान हुई. इसके साथ ही खतरनाक बीमारियों की पहचान कर सकता है. साथ ही कुपोषण से लड़ने के लिए पोषण योजनाएं बना सकते हैं.

रक्षा मंत्रालय से जुड़े साइबर लॉ एक्सपर्ट कर्णिका सेठ ने ईटीवी भारत को बताया कि एआई की मदद से बड़े-बड़े मेडिकल रिसर्च को करने में मदद मिलती है. उनका कहना है कि इस कम समय में डेटा एनॉलािज करने में मदद मिलती है. साथ बीमारियों के निराकरण के लिए वैक्सीन बनाने में मदद मिलती है.

फ्यूचर एजुकेशन के क्षेत्र में ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बड़ा ही कारगर है. वहीं शिक्षा के क्षेत्र में तो इसका उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है. स्टडी के दौरान विकलांग बच्चों के लिए एआई टूल्स मदद करते हैं. बिंद्रा इस बात पर जोर देते हुए कहते हैं कि एआई छात्रों को एक-एक वर्चुअल ट्यूटर प्रदान करके मदद करता है, ताकि बच्चों को उनकी पढ़ाई में कापी मदद मिल सके.

इसके साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में प्रबंधन कार्य के लिए काफी एआई टूल्स के यूज से शिक्षकों को काफी मदद मिलती है. ये एआई टूल्स बच्चों को नए-नए पाठ्यक्रम बनाने में मदद करते हैं. साथ ही ऑर्टिफिशियल चैटबॉट और इंटरेक्टिव टूल्स की मदद सामूहिक अध्ययन में मदद मिलती है. इससे पिछड़े समुदाय में लोगों को शिक्षित करने में कापी मदद मिलती है.

सेठ कहते हैं कि सूचना के क्षेत्र में एआई का रोल अहम है. इसकी मदद से हम अपने सोचने के तरीके और अध्ययन में मदद मिलती है. एआई की मदद से ई-लाइब्रेरी और डेटा कलेक्शन किया जा सकता है. इसके जरिए स्टूडेंट्स अपने क्षेत्र से संबंधित मैटेरियल आसानी से पा जाते हैं और अपनी शिक्षा को परवान चढ़ाते हैं.

क्लाइमेट चेंज में डेटा को लेकर एआई से मदद मिलेगी. इस दौर में दुनिया भर में ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा है. इसके लिए एक्सपर्ट को पॉवरफुल एआई टूल्स की दरकार रहती है. बिंद्रा कहते हैं कि उन्हें डर है कि एआई शायद ही मौसम का हाल बता सके और प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी कर सके. हालांकि एआई के माध्यम से बहुत से आंकड़े मिल जाते हैं.

इस तरह से देखा जाए तो एआई अगर जलवायु से संबंधित डेटा की जानकारी का इस्तेमाल करने में सक्षम होता है तो सरकारों और संगठनों को प्राकृतिक आपदा से निपटने में काफी मदद मिल सकती है. इससे समाज को बहुत फायदा हो सकता है.

इस तरह से देखा जाए तो भारत निस्संदेह दुनिया भर में एआई-संचालित प्रौद्योगिकी का भविष्य का लीडर है. इसकी वजह ये है कि यह नए युग के डिजिटल बुनियादी ढांचे और अत्याधुनिक एआई प्लेटफार्मों से भरा हुआ है.

इसी कड़ी में गेट्स फाउंडेशन के अध्यक्ष बिल गेट्स ने भारत की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए कहा, "एआई-आधारित तरीकों में भारत की बढ़त दुनिया को कुछ नया करने के लिए प्रेरित करेगी. गौर करें तो इसी तरह से सार्वजनिक क्षेत्र की प्रणालियों के डिजिटलीकरण में इसकी पिछली सफलता इंडिया में एक बड़ी उपलब्धि थी.

उन्होंने किफायती कीमत पर वैक्सीन बनाने में भारत की भूमिका पर रौशनी डालते हुए कहा कि इसी वजह से सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक और आईआरआई जैसी भारतीय कंपनियां कोरोना से निपटने के लिए वैक्सीन बनाने के दौड़ में शामिल हो सके. ऐसे में इन वैक्सीनों के भारतीय आविष्कार के अभाव में वैक्सीन और ज़्यादा महंगी होती. जिसे खरीद पाना बहुतों के लिए मुश्किल होता.

ऐसे में जैसे-जैसे एआई को अपनाने की प्रक्रिया तेज हो रही है. विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि इसका जिम्मेदारी से उपयोग किया जाना चाहिए. साथ ही समाज पर इसके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए बढ़िया उपाय करने चाहिए.

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नई दिल्ली: गेट्स फाउंडेशन के साथ भारत का एआई मिशन प्रमुख क्षेत्रों को कैसे बदल देगा. एआई कैसे कृषि, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा को बदल सकता है. इसको लेकर एआई भारत मिशन और गेट्स फाउंडेशन ने हाथ मिलाया है.

भारत एआई मिशन के जरिए विभिन्न सेक्टर में ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में 18 अप्लीकेशंस को इस्तेमाल में लाया जाएगा. इससे एग्रीकल्चर, मेडिकल, जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन और मौसम जैसे क्षेत्र में एक्यूरेट जानकारी इकट्ठा करने में काफी मदद मिलेगी.

विशेषज्ञों ने कई सेक्टर में एआई प्रौद्योगिकी की क्षमता पर जोर दिया है. इससे वैश्विक समस्याओं के समाधान में काफी मदद मिलेगी. इस तरह से एआई की मदद से सही मात्रा में फसलों की पैदावार और मौसम पैटर्न की भविष्यवाणी की जा सकेगी. इसके साथ ही एआई प्रौद्योगिकी की क्षमता बढ़ाने पर उन्नत स्वास्थ्य सेवा और अधिक व्यक्तिगत शिक्षा को एडवॉंस लेवल तक ले जाने में मदद मिलेगी. साथ ही एक्सपर्ट ने वैश्विक समस्याओं के निराकरण में इसकी प्रासंगिकता भी बताई है।

यूनियन मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने सोशल साइट एक्स पर इसकी जानकारी साझा की. वैष्णव ने लिखा है कि इसके लिए इंडिया एआई मिशन और गेट्स फाउंडेशन के बीच जल्द ही एमओयू पर साइन किया जाएगा. एआई से काम करने पर अच्छी फसल, मजबूत स्वास्थ्य तंत्र, स्मार्टर शिक्षा, क्लाइमेट चेंज आदि को लेकर बेहतर काम होगा.

एआई एंड बियॉंड के को फाउंडर जसप्रीत बिंद्रा ने फॉर्मिंग के क्षेत्र में एआई को लेकर कहा कि इससे फसल की पैदावार बढ़ेगी. मौसम के बारे में सटीक भविष्यवाणी की जा सकेगी. वहीं खेत की मिट्टी का सफल परीक्षण हो सकेगा. किसान बारिश के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकेंगे. फसलों के लिए बढ़िया खाद मिल सकेगा.

खेती-किसानी की बात करते हुए बिंद्रा कहते हैं कि इससे फसलों में लगने वाले रोग, सिंचाई के नए-नए तरीके और खराब मौसम सहित कई बातों का हल निकलने से किसानों को काफी मदद मिलेगी.

जानेमाने एक्सपर्ट जैन कहते हैं कि स्वास्थ्य सेवा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक माना जाता है. इसकी वजह से स्वास्थ्य संबंधी कई बड़े-बड़े काम आसानी से हो जाते हैं. इसके तहत मरीजों का डेटा इक्ट्ठा करने में बड़ी मदद मिलती है. मरीजों का त्वरित और बेहतर इलाज करने में मदद मिलती है. एआई टूल्स की मदद से महामारी के बारे में बेहतर जानकारी हो पाती है. मरीजों के उपचार में बड़ी मदद मिलती है. एआई बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए वैक्सीन के निर्माण में काफी सहायक होता है.

उन्होंने टीकों के उत्पादन में एआई के रोल की सराहना करते हुए कहा कि एआई ने इस दिसा में बड़ा काम किया है. इसकी वजह से कोविड-19 वैक्सीन की खोज में बहुत कम समय लगा. इससे दवा की खोज और वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया आसान हुई. इसके साथ ही खतरनाक बीमारियों की पहचान कर सकता है. साथ ही कुपोषण से लड़ने के लिए पोषण योजनाएं बना सकते हैं.

रक्षा मंत्रालय से जुड़े साइबर लॉ एक्सपर्ट कर्णिका सेठ ने ईटीवी भारत को बताया कि एआई की मदद से बड़े-बड़े मेडिकल रिसर्च को करने में मदद मिलती है. उनका कहना है कि इस कम समय में डेटा एनॉलािज करने में मदद मिलती है. साथ बीमारियों के निराकरण के लिए वैक्सीन बनाने में मदद मिलती है.

फ्यूचर एजुकेशन के क्षेत्र में ऑर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बड़ा ही कारगर है. वहीं शिक्षा के क्षेत्र में तो इसका उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है. स्टडी के दौरान विकलांग बच्चों के लिए एआई टूल्स मदद करते हैं. बिंद्रा इस बात पर जोर देते हुए कहते हैं कि एआई छात्रों को एक-एक वर्चुअल ट्यूटर प्रदान करके मदद करता है, ताकि बच्चों को उनकी पढ़ाई में कापी मदद मिल सके.

इसके साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में प्रबंधन कार्य के लिए काफी एआई टूल्स के यूज से शिक्षकों को काफी मदद मिलती है. ये एआई टूल्स बच्चों को नए-नए पाठ्यक्रम बनाने में मदद करते हैं. साथ ही ऑर्टिफिशियल चैटबॉट और इंटरेक्टिव टूल्स की मदद सामूहिक अध्ययन में मदद मिलती है. इससे पिछड़े समुदाय में लोगों को शिक्षित करने में कापी मदद मिलती है.

सेठ कहते हैं कि सूचना के क्षेत्र में एआई का रोल अहम है. इसकी मदद से हम अपने सोचने के तरीके और अध्ययन में मदद मिलती है. एआई की मदद से ई-लाइब्रेरी और डेटा कलेक्शन किया जा सकता है. इसके जरिए स्टूडेंट्स अपने क्षेत्र से संबंधित मैटेरियल आसानी से पा जाते हैं और अपनी शिक्षा को परवान चढ़ाते हैं.

क्लाइमेट चेंज में डेटा को लेकर एआई से मदद मिलेगी. इस दौर में दुनिया भर में ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा है. इसके लिए एक्सपर्ट को पॉवरफुल एआई टूल्स की दरकार रहती है. बिंद्रा कहते हैं कि उन्हें डर है कि एआई शायद ही मौसम का हाल बता सके और प्राकृतिक आपदा की भविष्यवाणी कर सके. हालांकि एआई के माध्यम से बहुत से आंकड़े मिल जाते हैं.

इस तरह से देखा जाए तो एआई अगर जलवायु से संबंधित डेटा की जानकारी का इस्तेमाल करने में सक्षम होता है तो सरकारों और संगठनों को प्राकृतिक आपदा से निपटने में काफी मदद मिल सकती है. इससे समाज को बहुत फायदा हो सकता है.

इस तरह से देखा जाए तो भारत निस्संदेह दुनिया भर में एआई-संचालित प्रौद्योगिकी का भविष्य का लीडर है. इसकी वजह ये है कि यह नए युग के डिजिटल बुनियादी ढांचे और अत्याधुनिक एआई प्लेटफार्मों से भरा हुआ है.

इसी कड़ी में गेट्स फाउंडेशन के अध्यक्ष बिल गेट्स ने भारत की उपलब्धियों पर चर्चा करते हुए कहा, "एआई-आधारित तरीकों में भारत की बढ़त दुनिया को कुछ नया करने के लिए प्रेरित करेगी. गौर करें तो इसी तरह से सार्वजनिक क्षेत्र की प्रणालियों के डिजिटलीकरण में इसकी पिछली सफलता इंडिया में एक बड़ी उपलब्धि थी.

उन्होंने किफायती कीमत पर वैक्सीन बनाने में भारत की भूमिका पर रौशनी डालते हुए कहा कि इसी वजह से सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक और आईआरआई जैसी भारतीय कंपनियां कोरोना से निपटने के लिए वैक्सीन बनाने के दौड़ में शामिल हो सके. ऐसे में इन वैक्सीनों के भारतीय आविष्कार के अभाव में वैक्सीन और ज़्यादा महंगी होती. जिसे खरीद पाना बहुतों के लिए मुश्किल होता.

ऐसे में जैसे-जैसे एआई को अपनाने की प्रक्रिया तेज हो रही है. विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि इसका जिम्मेदारी से उपयोग किया जाना चाहिए. साथ ही समाज पर इसके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए बढ़िया उपाय करने चाहिए.

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