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हिसार के मासूम युवांश को ख़तरनाक बीमारी, 16 करोड़ का चाहिए इंजेक्शन, फतेहाबाद के कांस्टेबल पिता ने लगाई गुहार - HISAR KID NEEDS ZOLGENSMA INJECTION

हरियाणा के हिसार के युवांश को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी यानि SMA बीमारी है. इसका इलाज करने के लिए 16 करोड़ के इंजेक्शन की जरूरत है.

Hisar Yuvansh suffering from spinal muscular atrophy SMA needs Zolgensma injection worth Rs 16 crore Fatehabad Police Constable Father Appealed
हिसार के मासूम युवांश को चाहिए 16 करोड़ का इंजेक्शन (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : June 21, 2025 at 8:04 PM IST

7 Min Read

हिसार : हरियाणा के हिसार के रहने वाले 8 महीने के मासूम युवांश को दुनिया की खतरनाक बीमारियों में से एक स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी यानि SMA हो गई है. इसके इलाज के लिए उसे 16 करोड़ के इंजेक्शन जोलगेन्समा की जरूरत है जिसके लिए युवांश के पिता सबसे गुहार लगा रहे हैं.

16 करोड़ के इंजेक्शन की जरूरत : हिसार के आदमपुर तहसील के गांव जाखोद खेड़ा के रहने वाले युवांश के पिता राजेश फतेहाबाद में साइबर शाखा में पुलिस कॉन्स्टेबल के तौर पर तैनात है. बेटे की लाचारी राजेश के आंखों में देखी जा सकती है. मददगारों के जरिए उन्होंने अभी तक 27 लाख रुपए जमा कर लिए हैं लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरे के समान है क्योंकि उन्हें बेटे युवांश के इलाज के लिए जिस इंजेक्शन की जरूरत है, उसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए है. वे अगर अपना सबकुछ बेच दें तब भी इतने पैसे नहीं मिल पाएंगे.

हिसार के मासूम युवांश को ख़तरनाक बीमारी (Etv Bharat)

6 जिलों के पुलिसकर्मी देंगे 1 दिन का वेतन : राजेश अपने बेटे के इलाज के लिए हर दरवाजे पर गुहार लगा रहे हैं. उनके बेटे की ज़िंदगी को बचाने के लिए हरियाणा के 6 जिलों के पुलिस कर्मचारियों ने अपने एक-एक दिन का वेतन देने का फैसला किया है. वहीं राजेश ने बेटे की मदद के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारी एडीजीपी और एसपी को भी ख़त लिखा है.फतेहाबाद पुलिस अधीक्षक सिद्धांत जैन ने भी आश्वासन दिया है कि उनकी तरफ से राजेश की मदद के लिए तमाम कोशिशें की जाएंगी. सिरसा, कैथल में तो पुलिस विभाग ने सभी कर्मियों को पत्र लिख कर मदद करने की गुजारिश की है.

Hisar Yuvansh suffering from spinal muscular atrophy SMA needs Zolgensma injection Fatehabad Police Constable Father Appealed to PM Modi
16 करोड़ के इंजेक्शन की जरूरत (Etv Bharat)

राजेश ने की मदद की अपील : राजेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, अभिनेता सलमान खान, टाटा फाउंडेशन, गौतम अडानी, सोनू सूद से भी मदद के लिए अपील की है. इसी बीच आदमपुर विधायक चंद्रप्रकाश ने भी हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर राजेश की मदद करने के लिए अपील की है.

Hisar Yuvansh suffering from spinal muscular atrophy SMA needs Zolgensma injection Fatehabad Police Constable Father Appealed to PM Modi
परिवार के साथ युवांश (Etv Bharat)

बीमार पड़ने पर युवांश को डॉक्टरों को दिखाया : राजेश ने बताया कि पिछले साल 9 अक्टूबर को बेटे का जन्म हुआ था. वो दो महीने का होने पर भी सामान्य बच्चों की तरह सक्रिय नहीं था. हिसार में हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाया तो उन्होंने कहा कि सब ठीक है, चिंता ना करें. दो-तीन महीने और बीते तो बेटे के सीने से कुछ आवाज सी आने लगी. इसके बाद हिसार में ही दूसरे डॉक्टर को दिखाया. उन्होंने दवा दी, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. डॉक्टर ने एक हफ्ते तक अस्पताल में भर्ती रखा. इसके बाद पीजीआई या एम्स में दिखाने की सलाह दी.

Hisar Yuvansh suffering from spinal muscular atrophy SMA needs Zolgensma injection Fatehabad Police Constable Father Appealed to PM Modi
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी क्या है ? (Etv Bharat)

मस्कुलर एट्रोफी टाइप 1 बीमारी की पुष्टि : 18 मई को उन्हें बच्चे की रिपोर्ट मिली जिसमें उसे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी की पुष्टि हुई. पीजीआई चंडीगढ़ में डॉ. रेणु सुथार ने बताया कि रीढ़ की हड्डी में न्यूरॉन्स बनते हैं. इनसे ही सेल बनते हैं, जो शरीर का विकास करते हैं. एसएमए बीमारी होने पर न्यूरॉन्स बनने बंद हो जाते है. इसके चलते शरीर की ग्रोथ रुक जाती है. दो साल की उम्र तक इस इंजेक्शन को लगवाना जरूरी होता है. इसके बाद 2 से 3 महीने तक इलाज चलता है जिसके बाद बच्चा ठीक हो जाता है.

Hisar Yuvansh suffering from spinal muscular atrophy SMA needs Zolgensma injection Fatehabad Police Constable Father Appealed to PM Modi
युवांश के पिता राजेश (Etv Bharat)

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी क्या है ? : स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) एक न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर है जिससे बच्चे का शरीर धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ने लगता है. उसका चलना-फिरना दूभर हो जाता है. बॉडी के मूवमेंट नहीं हो पाते क्यों मांसपेशियों पर कंट्रोल ख़त्म होने लगता है. इस बीमारी के चलते ब्रेन की नर्व सेल्स और स्पाइनल कॉर्ड डैमेज होने लगती हैं. ऐसी स्थिति में ब्रेन मसल्स को कंट्रोल करने के लिए मैसेज भेजना बंद करने लगता है, नतीजतन बच्चा मूवमेंट नहीं कर पाता. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, बच्चे के मूवमेंट बंद होने लगते हैं.

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी कितने तरह की होती है ? : स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) पांच तरह की होती है. टाइप 0 से लेकर टाइप 4 तक इसे क्लासीफाइड किया गया है.

  • टाइप 0 - पेट में होने के दौरान बच्चे को ये होता है. जन्म से ही बच्चे को जोड़ों का दर्द रहता है.
  • टाइप 1 - जब बच्चे को ये होता है तो वो अपना सिर तक नहीं हिला पाता. हाथ-पैर ढीले पड़ने लगते हैं.
  • टाइप 2 - इसका असर 6 से 18 महीने के बच्चे में सामने आता है. पैरों पर असर के चलते वो खड़ा तक नहीं हो पाता.
  • टाइप 3 - 2 से लेकर 17 साल तक के लोगों में इसके लक्षण नज़र आते हैं. असर हालांकि कम रहता है लेकिन आगे व्हीलचेयर की जरूरत पड़ सकती है.
  • टाइप 4 - 18 साल पार कर चुके लोगों में इसका असर देखा जाता है. मांसपेशियां कमज़ोर होती है और सांस लेने में तकलीफ रहती है. हाथ-पैरों में असर होता है.

जोलगेन्समा क्या है ? : जोलगेन्समा एक इंजेक्शन है जिसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपये है. इसी वजह से इसे दुनिया की सबसे महंगी दवा भी कहा जाता है. इसे स्विटजरलैंड की कम्पनी नोवार्टिस बनाती है. इसे जीन थैरेपी ट्रीटमेंट बताया गया है जिसे दो साल से कम उम्र के बच्चों को लगाया जाता है. ये इंजेक्शन मेडिकल वर्ल्ड में काफी बड़ी खोज है जो जानलेवा जेनेटिक बीमारी को ठीक कर सकती है. ये इंजेक्शन उस खराब जीन को रिप्लेस करता है जिसकी खराबी से स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) होती है. इसके बाद शरीर में दोबारा ये बीमारी नहीं होती.

जोलगेन्समा का नेगेटिव पॉइंट : इस दवा का सबसे बड़ा नेगेटिव पॉइंट इसकी कीमत है क्योंकि इसे अफोर्ड करना भारत जैसे देश के लोगों के लिए काफी ज्यादा मुश्किल होता है. 16 करोड़ रुपए काफी बड़ी रकम है जिसे जुटा पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती. यही वजह है कि आज फतेहाबाद के पुलिस कॉन्स्टेबल पिता राजेश को अपने बच्चे की जान बचाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

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हिसार : हरियाणा के हिसार के रहने वाले 8 महीने के मासूम युवांश को दुनिया की खतरनाक बीमारियों में से एक स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी यानि SMA हो गई है. इसके इलाज के लिए उसे 16 करोड़ के इंजेक्शन जोलगेन्समा की जरूरत है जिसके लिए युवांश के पिता सबसे गुहार लगा रहे हैं.

16 करोड़ के इंजेक्शन की जरूरत : हिसार के आदमपुर तहसील के गांव जाखोद खेड़ा के रहने वाले युवांश के पिता राजेश फतेहाबाद में साइबर शाखा में पुलिस कॉन्स्टेबल के तौर पर तैनात है. बेटे की लाचारी राजेश के आंखों में देखी जा सकती है. मददगारों के जरिए उन्होंने अभी तक 27 लाख रुपए जमा कर लिए हैं लेकिन ये ऊंट के मुंह में जीरे के समान है क्योंकि उन्हें बेटे युवांश के इलाज के लिए जिस इंजेक्शन की जरूरत है, उसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपए है. वे अगर अपना सबकुछ बेच दें तब भी इतने पैसे नहीं मिल पाएंगे.

हिसार के मासूम युवांश को ख़तरनाक बीमारी (Etv Bharat)

6 जिलों के पुलिसकर्मी देंगे 1 दिन का वेतन : राजेश अपने बेटे के इलाज के लिए हर दरवाजे पर गुहार लगा रहे हैं. उनके बेटे की ज़िंदगी को बचाने के लिए हरियाणा के 6 जिलों के पुलिस कर्मचारियों ने अपने एक-एक दिन का वेतन देने का फैसला किया है. वहीं राजेश ने बेटे की मदद के लिए अपने वरिष्ठ अधिकारी एडीजीपी और एसपी को भी ख़त लिखा है.फतेहाबाद पुलिस अधीक्षक सिद्धांत जैन ने भी आश्वासन दिया है कि उनकी तरफ से राजेश की मदद के लिए तमाम कोशिशें की जाएंगी. सिरसा, कैथल में तो पुलिस विभाग ने सभी कर्मियों को पत्र लिख कर मदद करने की गुजारिश की है.

Hisar Yuvansh suffering from spinal muscular atrophy SMA needs Zolgensma injection Fatehabad Police Constable Father Appealed to PM Modi
16 करोड़ के इंजेक्शन की जरूरत (Etv Bharat)

राजेश ने की मदद की अपील : राजेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, अभिनेता सलमान खान, टाटा फाउंडेशन, गौतम अडानी, सोनू सूद से भी मदद के लिए अपील की है. इसी बीच आदमपुर विधायक चंद्रप्रकाश ने भी हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी को पत्र लिखकर राजेश की मदद करने के लिए अपील की है.

Hisar Yuvansh suffering from spinal muscular atrophy SMA needs Zolgensma injection Fatehabad Police Constable Father Appealed to PM Modi
परिवार के साथ युवांश (Etv Bharat)

बीमार पड़ने पर युवांश को डॉक्टरों को दिखाया : राजेश ने बताया कि पिछले साल 9 अक्टूबर को बेटे का जन्म हुआ था. वो दो महीने का होने पर भी सामान्य बच्चों की तरह सक्रिय नहीं था. हिसार में हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाया तो उन्होंने कहा कि सब ठीक है, चिंता ना करें. दो-तीन महीने और बीते तो बेटे के सीने से कुछ आवाज सी आने लगी. इसके बाद हिसार में ही दूसरे डॉक्टर को दिखाया. उन्होंने दवा दी, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. डॉक्टर ने एक हफ्ते तक अस्पताल में भर्ती रखा. इसके बाद पीजीआई या एम्स में दिखाने की सलाह दी.

Hisar Yuvansh suffering from spinal muscular atrophy SMA needs Zolgensma injection Fatehabad Police Constable Father Appealed to PM Modi
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी क्या है ? (Etv Bharat)

मस्कुलर एट्रोफी टाइप 1 बीमारी की पुष्टि : 18 मई को उन्हें बच्चे की रिपोर्ट मिली जिसमें उसे स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी बीमारी की पुष्टि हुई. पीजीआई चंडीगढ़ में डॉ. रेणु सुथार ने बताया कि रीढ़ की हड्डी में न्यूरॉन्स बनते हैं. इनसे ही सेल बनते हैं, जो शरीर का विकास करते हैं. एसएमए बीमारी होने पर न्यूरॉन्स बनने बंद हो जाते है. इसके चलते शरीर की ग्रोथ रुक जाती है. दो साल की उम्र तक इस इंजेक्शन को लगवाना जरूरी होता है. इसके बाद 2 से 3 महीने तक इलाज चलता है जिसके बाद बच्चा ठीक हो जाता है.

Hisar Yuvansh suffering from spinal muscular atrophy SMA needs Zolgensma injection Fatehabad Police Constable Father Appealed to PM Modi
युवांश के पिता राजेश (Etv Bharat)

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी क्या है ? : स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) एक न्यूरो मस्क्यूलर डिसऑर्डर है जिससे बच्चे का शरीर धीरे-धीरे कमज़ोर पड़ने लगता है. उसका चलना-फिरना दूभर हो जाता है. बॉडी के मूवमेंट नहीं हो पाते क्यों मांसपेशियों पर कंट्रोल ख़त्म होने लगता है. इस बीमारी के चलते ब्रेन की नर्व सेल्स और स्पाइनल कॉर्ड डैमेज होने लगती हैं. ऐसी स्थिति में ब्रेन मसल्स को कंट्रोल करने के लिए मैसेज भेजना बंद करने लगता है, नतीजतन बच्चा मूवमेंट नहीं कर पाता. जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, बच्चे के मूवमेंट बंद होने लगते हैं.

स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी कितने तरह की होती है ? : स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) पांच तरह की होती है. टाइप 0 से लेकर टाइप 4 तक इसे क्लासीफाइड किया गया है.

  • टाइप 0 - पेट में होने के दौरान बच्चे को ये होता है. जन्म से ही बच्चे को जोड़ों का दर्द रहता है.
  • टाइप 1 - जब बच्चे को ये होता है तो वो अपना सिर तक नहीं हिला पाता. हाथ-पैर ढीले पड़ने लगते हैं.
  • टाइप 2 - इसका असर 6 से 18 महीने के बच्चे में सामने आता है. पैरों पर असर के चलते वो खड़ा तक नहीं हो पाता.
  • टाइप 3 - 2 से लेकर 17 साल तक के लोगों में इसके लक्षण नज़र आते हैं. असर हालांकि कम रहता है लेकिन आगे व्हीलचेयर की जरूरत पड़ सकती है.
  • टाइप 4 - 18 साल पार कर चुके लोगों में इसका असर देखा जाता है. मांसपेशियां कमज़ोर होती है और सांस लेने में तकलीफ रहती है. हाथ-पैरों में असर होता है.

जोलगेन्समा क्या है ? : जोलगेन्समा एक इंजेक्शन है जिसकी कीमत करीब 16 करोड़ रुपये है. इसी वजह से इसे दुनिया की सबसे महंगी दवा भी कहा जाता है. इसे स्विटजरलैंड की कम्पनी नोवार्टिस बनाती है. इसे जीन थैरेपी ट्रीटमेंट बताया गया है जिसे दो साल से कम उम्र के बच्चों को लगाया जाता है. ये इंजेक्शन मेडिकल वर्ल्ड में काफी बड़ी खोज है जो जानलेवा जेनेटिक बीमारी को ठीक कर सकती है. ये इंजेक्शन उस खराब जीन को रिप्लेस करता है जिसकी खराबी से स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) होती है. इसके बाद शरीर में दोबारा ये बीमारी नहीं होती.

जोलगेन्समा का नेगेटिव पॉइंट : इस दवा का सबसे बड़ा नेगेटिव पॉइंट इसकी कीमत है क्योंकि इसे अफोर्ड करना भारत जैसे देश के लोगों के लिए काफी ज्यादा मुश्किल होता है. 16 करोड़ रुपए काफी बड़ी रकम है जिसे जुटा पाना हर किसी के बस की बात नहीं होती. यही वजह है कि आज फतेहाबाद के पुलिस कॉन्स्टेबल पिता राजेश को अपने बच्चे की जान बचाने के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

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