साइकिल के पैडल मार बना रहे बिजली, जल रहा बल्ब, चल रहा पंखा, हिसार में छात्रों ने किया कमाल
हिसार के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के छात्र पैडल मारकर साइकिल से बिजली बना रहे हैं.

Published : September 29, 2025 at 6:32 PM IST
|Updated : September 29, 2025 at 7:15 PM IST
हिसार से प्रवीण कुमार की रिपोर्ट
हिसार : हरियाणा के हिसार के गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (GJUST) के तीन विद्यार्थियों ने अनोखा आविष्कार किया है. छात्र यहां एक्सरसाइज़ करने वाली साइकिल पर पैडल मारकर बिजली बना रहे हैं.
साइकिल से बिजली : यूनिवर्सिटी के छात्रों ने साइकिल में कार का अल्टरनेटर साइकिल के व्हील से जोड़ा है जिसके बाद पैडल चलाने पर बिजली जेनरेट होती है. साइकिल में जैसे ही पैडल मारा जाता है तो अल्टरनेटर का रोटर घूमता है और बिजली बनाता है. साइकिल से जो बिजली पैदा होती है, उसे बैट्री में जमा किया जाता है. इस बिजली से जहां एक छोटा बल्ब जल सकता है, वहीं छोटा पंखा भी चलाया जा सकता है जो एक्सरसाइज़ करने के दौरान ठंडी-ठंडी हवा देता है. साइकिल से बनने वाली बिजली के जरिए कंप्यूटर चलाने के लिए यूपीएस बैट्री को भी चार्ज किया जा सकता है जो बिजली चले जाने पर कंप्यूटर को चला सकता है. यहां तक कि अगर जिम में इसका इस्तेमाल किया जाए तो वहां पर कई साइकिलों को एक साथ जोड़कर इनवर्टर को भी चार्ज किया जा सकता है.
कार्निक सिंह को आया आईडिया : इस प्रोजेक्ट को इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग (EEE) विभाग के डॉ. विजय पाल सिंह की देखरेख में बनाया गया है. यूनिवर्सिटी के बीएससी योगा साइंस और थेरेपी के छात्र कार्निक सिंह को ये दिलचस्प आईडिया आया था जिसे उन्होंने विजय पाल सिंह के साथ शेयर किया और फिर बीएससी योगा साइंस और थेरेपी के छात्र विशाल मानहास और यूनिवर्सिटी के ही बीटेक इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्यूनिकेशन के मोहित के साथ इस प्रोजेक्ट पर काम किया. वहीं हिसार के ऑटो मार्केट के मैकेनिक पालविंदर सिंह ने साइकिल के ढांचे में वेल्डिंग समेत तकनीकी मदद दी, जिससे इसे मजबूती मिली है.

सेहत बनाने के साथ बनती बिजली : गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरसी राम बिश्नोई और कुलसचिव प्रोफेसर विजय कुमार ने इस आविष्कार को पर्यावरण के लिए फायदेमंद बताते हुए इसकी खूब तारीफ की है. उन्होंने कहा कि "जहां इस तरीके से लोगों की सेहत बनेगी, वहीं आसानी से बिजली भी बन पाएगी."

एक्सरसाइज के दौरान आया आईडिया : कार्निक सिंह ने बताया कि "साइकिल पर एक्सरसाइज करने के दौरान उन्हें ये आईडिया आया था जिसके बाद उन्होंने इसे बाकी लोगों के साथ शेयर किया और आज उनका सपना साकार हो चुका है. एक घंटे की अगर साइकिलिंग की जाए तो 50 से 150 वॉट बिजली बन सकती है, जिससे पंखे या बैटरी को चार्ज किया जा सकता है. जिम में लगाई गई साइकिलों पर अगर काम किया जाए तो सेहत बनाने के साथ काफी बिजली बचाई जा सकती है. जहां बिजली बार-बार जाती है, वहां पर ये आविष्कार काफी ज्यादा काम आ सकता है. इसे बनाने में करीब 5 हजार रुपए का खर्च आया है और 20 दिनों के अंदर इसे बनाकर तैयार किया गया है."

उज्जवल भविष्य की शुरुआत : डॉ. विजय पाल सिंह ने कहा कि “ये एक्सरसाइज़, तकनीक और ऊर्जा का शानदार मेल है. बच्चों की बनाई ये स्पेशल साइकिल सेहत के साथ बिजली बचाने को भी बढ़ावा देगी. ये सस्ता तरीका जिम से लेकर गांव में भी बदलाव ला सकता है. पेडल मारकर बनाई जा रही बिजली एक उज्जवल भविष्य की शुरुआत है."





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