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गूगल इंडिया को कर्नाटक हाई कोर्ट का झटका: FEMA उल्लंघन में 5.25 करोड़ का जुर्माना फिर लागू - GOOGLE INDIA FEMA VIOLATION

कर्नाटक हाई कोर्ट ने फेमा उल्लंघन के लिए गूगल इंडिया के खिलाफ ईडी द्वारा लगाये गये जुर्माना आदेश को बहाल किया.

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सांकेतिक तस्वीर. (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 14, 2025 at 7:51 PM IST

3 Min Read

बेंगलुरु: गूगल इंडिया को बड़ा झटका लगा है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने कंपनी को पहले मिली राहत को पलट दिया है. अब गूगल इंडिया पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लगाया गया 5.25 करोड़ रुपये का जुर्माना फिर से लागू हो गया है. यह जुर्माना फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के उल्लंघन के लिए लगाया गया था. गूगल इंडिया ने अभी तक उच्च न्यायालय के नवीनतम निर्देश पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

क्या है मामलाः ईडी का आरोप है कि गूगल इंडिया ने अपनी पैरेंट कंपनियों, गूगल आयरलैंड और गूगल इंक (यूएसए) के साथ सैकड़ों करोड़ रुपये के लेन-देन किए. इनमें 363.79 करोड़ रुपये गूगल आयरलैंड और 1.08 करोड़ रुपये गूगल इंक को विज्ञापन और बौद्धिक संपदा खरीद के लिए दिए गए. लेकिन इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) या केंद्र सरकार से जरूरी मंजूरी नहीं ली गई. जो फेमा द्वारा अनिवार्य है.

karnataka high court
कर्नाटक उच्च न्यायालय. (ETV Bharat)

ईडी ने लगाया था जुर्मानाः ईडी ने कुल 5.25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसमें गूगल इंडिया पर 5 करोड़ रुपये, इसके निदेशकों केंट वॉकर और लॉयड हार्टले मार्टिन पर 20 लाख रुपये और पूर्व सीएफओ हरिराजू महादेवू (वर्तमान में विवेक छाबड़ा) पर 5 लाख रुपये शामिल हैं.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने दी थी राहतः ईडी के जुर्माने के बाद, गूगल इंडिया ने नई दिल्ली में फेमा के तहत अपीलीय प्राधिकरण से संपर्क किया. न्यायाधिकरण ने यह तर्क देते हुए कि जुर्माना राशि जमा करने से याचिकाकर्ताओं को परेशानी हो सकती है, ईडी के आदेश पर रोक लगा दी थी. इसने पाया कि प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर, गूगल की अपील में दम है. किसी भी जमा राशि को लागू करने से पहले इस पर और विचार करने की आवश्यकता है.

स्थगन आदेश खारिज कियाः न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस. रचैया की खंडपीठ ने अपीलीय न्यायाधिकरण के अंतरिम आदेश को खारिज कर दिया. उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि ईडी के निर्देश पर न्यायाधिकरण के स्थगन में पर्याप्त औचित्य का अभाव था, विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुचित कठिनाई और सार्वजनिक हितों की रक्षा के बीच संतुलन की व्याख्या को देखते हुए.

आंशिक भुगतान अनिवार्य कियाः कोर्ट ने अब गूगल इंडिया को दो सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि का 50% यानी करीब 2.62 करोड़ रुपए बैंक गारंटी जमा करने का निर्देश दिया है. मामले में अंतिम फैसला आने तक यह गारंटी बरकरार रखी जानी चाहिए. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह गारंटी अपील के नतीजे के अधीन है और इसका अंतिम निपटान नहीं है.

सर्वोच्च न्यायालय का दिया हवालाः उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का भी हवाला दिया, जिसमें विस्तार से बताया गया था कि "अनुचित कठिनाई" क्या होती है और इस बात पर जोर दिया गया था कि केवल वित्तीय असुविधा ही वैधानिक दायित्वों को खत्म करने के लिए पर्याप्त नहीं है. पीठ ने जोर देकर कहा कि न्यायाधिकरण के अंतरिम आदेश, जिसने भुगतान से पूरी तरह राहत दी थी, ने FEMA के अनुपालन को लागू करने के ED के अधिकार को पर्याप्त रूप से संतुलित नहीं किया.

अब आगे क्याः अब यह मामला अंतिम निर्णय के लिए अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष चलेगा. हालांकि, उच्च न्यायालय का यह आदेश गूगल इंडिया के लिए कानूनी झटका है, जो नियामक मंजूरी के बिना बड़े पैमाने पर वित्तीय हस्तांतरण के बारे में ईडी की चिंताओं के न्यायिक समर्थन का संकेत देता है.

इसे भी पढ़ेंः Google के इतिहास की सबसे बड़ी डील, 2.7 लाख करोड़ में अपने नाम की साइबर सिक्योरिटी कंपनी - GOOGLE BIGGEST ACQUISITION

बेंगलुरु: गूगल इंडिया को बड़ा झटका लगा है. कर्नाटक हाई कोर्ट ने कंपनी को पहले मिली राहत को पलट दिया है. अब गूगल इंडिया पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा लगाया गया 5.25 करोड़ रुपये का जुर्माना फिर से लागू हो गया है. यह जुर्माना फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के उल्लंघन के लिए लगाया गया था. गूगल इंडिया ने अभी तक उच्च न्यायालय के नवीनतम निर्देश पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

क्या है मामलाः ईडी का आरोप है कि गूगल इंडिया ने अपनी पैरेंट कंपनियों, गूगल आयरलैंड और गूगल इंक (यूएसए) के साथ सैकड़ों करोड़ रुपये के लेन-देन किए. इनमें 363.79 करोड़ रुपये गूगल आयरलैंड और 1.08 करोड़ रुपये गूगल इंक को विज्ञापन और बौद्धिक संपदा खरीद के लिए दिए गए. लेकिन इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) या केंद्र सरकार से जरूरी मंजूरी नहीं ली गई. जो फेमा द्वारा अनिवार्य है.

karnataka high court
कर्नाटक उच्च न्यायालय. (ETV Bharat)

ईडी ने लगाया था जुर्मानाः ईडी ने कुल 5.25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था, जिसमें गूगल इंडिया पर 5 करोड़ रुपये, इसके निदेशकों केंट वॉकर और लॉयड हार्टले मार्टिन पर 20 लाख रुपये और पूर्व सीएफओ हरिराजू महादेवू (वर्तमान में विवेक छाबड़ा) पर 5 लाख रुपये शामिल हैं.

अपीलीय न्यायाधिकरण ने दी थी राहतः ईडी के जुर्माने के बाद, गूगल इंडिया ने नई दिल्ली में फेमा के तहत अपीलीय प्राधिकरण से संपर्क किया. न्यायाधिकरण ने यह तर्क देते हुए कि जुर्माना राशि जमा करने से याचिकाकर्ताओं को परेशानी हो सकती है, ईडी के आदेश पर रोक लगा दी थी. इसने पाया कि प्रस्तुत दस्तावेजों के आधार पर, गूगल की अपील में दम है. किसी भी जमा राशि को लागू करने से पहले इस पर और विचार करने की आवश्यकता है.

स्थगन आदेश खारिज कियाः न्यायमूर्ति वी. कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति एस. रचैया की खंडपीठ ने अपीलीय न्यायाधिकरण के अंतरिम आदेश को खारिज कर दिया. उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि ईडी के निर्देश पर न्यायाधिकरण के स्थगन में पर्याप्त औचित्य का अभाव था, विशेष रूप से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुचित कठिनाई और सार्वजनिक हितों की रक्षा के बीच संतुलन की व्याख्या को देखते हुए.

आंशिक भुगतान अनिवार्य कियाः कोर्ट ने अब गूगल इंडिया को दो सप्ताह के भीतर जुर्माने की राशि का 50% यानी करीब 2.62 करोड़ रुपए बैंक गारंटी जमा करने का निर्देश दिया है. मामले में अंतिम फैसला आने तक यह गारंटी बरकरार रखी जानी चाहिए. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह गारंटी अपील के नतीजे के अधीन है और इसका अंतिम निपटान नहीं है.

सर्वोच्च न्यायालय का दिया हवालाः उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का भी हवाला दिया, जिसमें विस्तार से बताया गया था कि "अनुचित कठिनाई" क्या होती है और इस बात पर जोर दिया गया था कि केवल वित्तीय असुविधा ही वैधानिक दायित्वों को खत्म करने के लिए पर्याप्त नहीं है. पीठ ने जोर देकर कहा कि न्यायाधिकरण के अंतरिम आदेश, जिसने भुगतान से पूरी तरह राहत दी थी, ने FEMA के अनुपालन को लागू करने के ED के अधिकार को पर्याप्त रूप से संतुलित नहीं किया.

अब आगे क्याः अब यह मामला अंतिम निर्णय के लिए अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष चलेगा. हालांकि, उच्च न्यायालय का यह आदेश गूगल इंडिया के लिए कानूनी झटका है, जो नियामक मंजूरी के बिना बड़े पैमाने पर वित्तीय हस्तांतरण के बारे में ईडी की चिंताओं के न्यायिक समर्थन का संकेत देता है.

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