ग्वालियर (पीयूष श्रीवास्तव): कहते हैं ग्वालियर चंबल अंचल में लोगों का खून गर्म होता है, लेकिन अगर हम कहें कि यहां गर्मी का मौसम लोगों को हिंसक भी बना रहा है तो चौंकियेगा नहीं. क्योंकि पुलिस के आंकड़े तो कुछ ऐसा ही बता रहे हैं. सर्दियों की अपेक्षा गर्मियों में मध्य प्रदेश में हत्या जैसी वारदातों का आंकड़ा लगभग 25 फीसदी तक बढ़ जाता है और प्रदेश में घटे कुल मामलों में ग्वालियर चंबल 20 प्रतिशत भूमिका निभाता है. एक नजर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट पर.
हीट इफेक्ट हो रहा जानलेवा साबित
गर्मी का मौसम आते ही लोग गर्म हवाओं, लू, डिहाइड्रेशन जैसी समस्याओं से जूझते हैं. शरीर के साथ साथ इसका असर मानसिक तौर पर भी पड़ता है. तेज गर्मी की वजह से शरीर में सुस्ती, थकान, चिड़चिड़ापन जैसी परेशानियां होने लगती हैं, जिनकी वजह से अक्सर लोगों में गुस्सा भी बढ़ जाता है. इस बात की पुष्टि मनोचिकित्सक भी कर रहे हैं. लेकिन हीट इफेक्ट दूसरों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. बीते तीन वर्षों में ये देखा गया है कि, सर्दियों के मुकाबले गर्मियों के सीजन में हत्या के प्रयास या हत्या जैसी घटनाओं में इजाफा हो जाता है.

गर्मी के मौसम में बढ़ जाती है हत्या की वारदातें
बीते दो वर्षों में देखने को मिला है कि पूरे मध्य प्रदेश में जनवरी के मुकाबले अप्रैल से जून महीने तक हत्याएं बढ़ जाती हैं. तुलनात्मक आंकड़ों की बात करें तो मध्य प्रदेश में जनवरी 2023 में 111 हत्याओं के केस दर्ज हुए थे. जबकि अप्रैल 2023 में 166, मई में 179 और जून में भी 179 में हत्याए हुईं. इसी तरह 2024 के जनवरी में 135 हत्याएं, अप्रैल में 164, मई में 172 और जून में 162 हत्या के मामले सामने आए. जबकि गर्मी का मौसम खत्म होते ही जुलाई 2024 में यह आंकड़ा घटकर 100 रह गया.

ग्वालियर चंबल में सबसे ज्यादा मर्डर
ये तो हुई मध्य प्रदेश की बात, लेकिन क्या आपको पता है कि ग्वालियर चंबल क्षेत्र में प्रदेश में सबसे ज्यादा गर्मी रहती है और इन आंकड़ों में सबसे ज्यादा केस भी ग्वालियर चम्बल के होते हैं. गर्मी के मौसम में इस अंचल में हत्या, हत्या के प्रयास जैसी घटनाओं में 20% तक इजाफा हो जाता है. छोटी मोटी बातों पर फायरिंग की घटनाएं भी सामने आती हैं.
गर्मी में हत्याओं के आंकड़े चौकाने वाले
अगर आंकड़ों में तुलना करें तो ग्वालियर चंबल अंचल में बीते तीन वर्षों में सर्दियों के बाद गर्मी के मौसम में ज्यादा मर्डर हुए हैं. 2022 में जहां जनवरी में 18 मर्डर केस रजिस्टर हुए तो वहीं अप्रैल में आंकड़ा बढ़कर 31 हो गया. मई में भी 26 हत्याएं हुईं और जून में 23 मर्डर हुए. इसके बाद 2023 की जनवरी में मर्डर केस 17 थे जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 27 हत्याओं पर पहुंच गया. मई में 30 हत्याएं हुईं और जून में भी 27 मर्डर के केस हुए. इतना ही नहीं पिछले साल 2024 में भी जनवरी में ग्वालियर चंबल अंचल में 13 हत्याएं हो चुकी थीं. लेकिन अप्रैल के महीने में यह आंकड़ा 18, फिर मई में 25 और जून में और बढ़कर 28 हत्याएं हुईं. यानी गर्मी का मौसम जैसे जैसे आगे बढ़ा मर्डर केस भी बढ़ते गए.

गर्मी से बिगड़ता है दिमाग का संतुलन
बहरहाल, पुलिस रिकॉर्ड से यह तो पता चल गया कि, जनवरी की अपेक्षा अप्रैल, मई और जून के महीने में हत्याओं के केस बढ़ जाते हैं. लेकिन आखिर ऐसा होता क्यों है. ये जानने हमने एक्सपर्ट ओपिनियन के लिए मनोचिकित्सक डॉ. कमलेश उदैनिया से संपर्क किया. जिनके मुताबिक, ''गर्मी और तापमान का असर सीधे मानव शरीर और मस्तिष्क पर पड़ता ही है. मेडिकल साइंस की भाषा में समझे तो दिमाग में मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर और डोपामिन हार्मोन रेगुलेशन बिगड़ जाता है. जो सीधे तौर पर सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन, डोपामिन और एंडोरफिन्स हार्मोन को रिलीज नहीं होने देता जो हैप्पी हार्मोन माने जाते हैं.''

गर्मी से दिमाग के इन हार्मोन्स पर पड़ता है असर
जब दिमाग में हैप्पी हार्मोन्स रिलीज नहीं होते तो ऐसे हालातों में हमारा मस्तिष्क भी डिप्रेस रहता है. लोगों की ठीक से नींद नहीं आती, स्ट्रेस लेवल बढ़ जाता है जिसकी वजह से चिड़चिड़ापन और गुस्सा बढ़ जाता है. साथ ही शरीर में गर्मी बढ़ने से दिमाग में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है जिसकी वजह से गलत और सही सोचने समझने की क्षमता पर भी असर पड़ता है. और इसकी वजह से छोटी मिटी बातों पर भी चिड़चिड़ाहट और गुस्सा बढ़ने लगता है. इन हालातों में गुस्से में कई बार लोग हिंसक हो कर गलत कदम उठा लेते हैं.
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गर्मी के असर से ऐसे करें मस्तिष्क का बचाव
जब ये पता चल चुका है कि, गर्मी में गुस्सा किस वजह से बढ़ता है तो अब ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि, इससे बचाव किस तरह किया जाये. मनोचिकित्सक डॉ. कमलेश उदैनिया ने बताया कि, ''गर्मी का मौसम शुरू होने के बाद किसी को चिड़चिड़ापन महसूस हो रहा हो तो अपने आप को ठंडा रखने का प्रयास करें. हो सके तो तेज गर्मी में बाहर निकलने से बचें, हो सके तो समय निकाल कर प्रकृति से जुड़ी हरी भरी जगहों पर समय बितायें, ठंडी जगहों पर घूमने जाएं. सुबह जल्दी सो कर उठे, ठंडे मौसम में यानी गर्मी के सीजन में सुबह 5-6 बजे पर जब मौसम गर्म नहीं होता मॉर्निंग वाक करें, समय मिले तो योग करें जिससे मन शांत रहेगा. साथ ही मस्तिष्क में डोपामिन हार्मोन के स्तर में सुधार आयेगा साथ अन्य हैपी हार्मोन भी ज्यादा रिलीज होंगे.''