गुजराती मां का छलका दर्द: मोदी सरकार के सामने फैलाया आंचल, यूक्रेन के खिलाफ रूस के लिए लड़ रहा था साहिल
युवक की मां का आरोप है कि साहिल को ड्रग केस में फंसाकर जेल भेजा. सजा माफी का लालच देकर यूक्रेन के खिलाफ लड़ने भेजा.

Published : October 9, 2025 at 5:06 PM IST
अहमदाबाद: यूक्रेनी सेना द्वारा जारी किए गए एक गुजराती युवक के वीडियो के बाद, उसका परिवार सामने आया है. साहिल नाम का यह युवक मोरबी का रहने वाला था और डेढ़-दो साल पहले पढ़ाई और काम के सिलसिले में रूस गया था.
युवक की मां का आरोप है कि साहिल को ड्रग केस में फंसाकर जेल भेज दिया गया और सजा माफ करने का लालच देकर यूक्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए भेज दिया गया. उन्होंने अपने बेटे को वापस लाने के लिए सरकार से मदद मांगी है.
#WATCH | Gandinagar, Gujarat: Hasina Majoti, mother of Majoti Sahil Mohammad Hussain, who surrendered before the Ukrainian Forces after fighting for Russia, says, " our indian embassy in russia had issued a notice for indian nationals saying that no matter how many requests the… pic.twitter.com/R4zSf5uu5o
— ANI (@ANI) October 9, 2025
दरअसल, यूक्रेनी सेना ने मंगलवार को घोषणा की कि रूसी सेना की ओर से लड़ रहे एक भारतीय नागरिक ने यूक्रेनी सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. यूक्रेनी सेना की 63वीं मैकेनाइज्ड ब्रिगेड ने अपने टेलीग्राम चैनल पर भारतीय नागरिक का एक वीडियो जारी किया. इसमें उसकी पहचान गुजरात निवासी मजोती साहिल मोहम्मद हुसैन के रूप में हुई.
#WATCH | Morbi, Gujarat: Abdul Ibrahim Majoti, maternal uncle of Majoti Sahil Mohammad Hussain, who surrendered before the Ukrainian Forces after fighting for Russia, says, " he had gone to russia to study and work... his mother is his family, who works very hard to manage all… pic.twitter.com/q1v16WxoQF
— ANI (@ANI) October 8, 2025
साहिल नाम के एक युवक की मां हसीना मजोती ने बताया, "रूस स्थित हमारे भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों को एक नोटिस जारी किया था. इसमें कहा गया था कि रूसी सेना चाहे जितना भी अनुरोध करे और चाहे जितने भी बहाने बनाए, उनके साथ न जाएं. अपने बेटे तक यह संदेश पहुंचाने के लिए मैंने अपने बेटे को एक पत्र लिखा. मैंने वह पत्र भारतीय दूतावास को भेजा, लेकिन वह पत्र मेरे बेटे तक नहीं पहुंचा. मैंने अपने वकील के जरिए साहिल को पत्र भेजने की कोशिश की, लेकिन वह अभी तक उस तक नहीं पहुंचा है. उसे दूतावास द्वारा जारी ऐसे किसी नोटिस की जानकारी नहीं थी."
उन्होंने आगे कहा, साहिल को रूसी अदालत ने अपने परिवार से बात करने की कानूनी इजाजत तो दे दी है, लेकिन इन 19 महीनों में उसे हमसे बात करने के लिए नहीं कहा गया.
रूस से किसी ने हमसे संपर्क किया और कहा कि वह एक करोड़ रुपये के बदले साहिल की रिहाई में मदद कर सकता है, लेकिन हमने मना कर दिया, क्योंकि हमारे पास इतने पैसे नहीं थे. मैंने भारत और रूस में शिकायत की और आदमी फ्रॉड निकला. साहिल को ड्रग के झूठे मामले में फँसाकर जेल भेज दिया गया." साहिल को रूसी सरकार से नागरिकता का प्रस्ताव मिला था, जिसे उसने स्वीकार नहीं किया. बाद में, उसे रूसी सेना में भर्ती होने के लिए कहा गया और इसके बदले उसकी सजा कम कर दी जाएगी. हमें मीडिया के जरिए पता चला कि साहिल इस समय यूक्रेन में है.
साहिल के मामा अब्दुलभाई इब्राहिमभाई मजोठी ने कहा, "हमें कोई जानकारी नहीं है. मेरे परिवार में एक भतीजा है. वह मूल रूप से राजस्थान का रहने वाला है. परिवार में सभी पढ़े-लिखे हैं. वह ग्रेजुएट है और उसके परिवार में सभी सरकारी कर्मचारी हैं. हम सरकार से न्याय की गुहार लगाते हैं. साहिल बचपन से ही होशियार था और उसकी अंग्रेजी भी अच्छी है, वह यहीं काम करता था. ढाई साल पहले वह काम के सिलसिले में रूस गया था. उसके परिवार में एक बेटा और एक मां है, उसके पिता जामनगर से हैं और उनके साथ उसका रिश्ता टूट गया है.
साहिल हुसैन ने वीडियो में क्या कहा? वीडियो में, साहिल हुसैन ने कहा, "मुझे ड्रग्स से जुड़े आरोपों में रूसी जेल में सात साल की सजा सुनाई गई और आगे की सजा से बचने के लिए रूसी सेना के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का मौका दिया गया. मैं जेल में नहीं रहना चाहता था, इसलिए मैंने एक विशेष सैन्य अभियान के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए. लेकिन मैं वहां से बाहर निकलना चाहता था."
16 दिनों के प्रशिक्षण के बाद, हुसैन को 1 अक्टूबर को अपने पहले लड़ाकू मिशन पर भेजा गया, जो तीन दिनों तक चला. अपने कमांडर के साथ लड़ाई के बाद, उन्होंने यूक्रेनी सैनिकों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. हुसैन ने कहा, "मैं लगभग दो-तीन किलोमीटर दूर यूक्रेनी खाई में पहुंचा. मैंने तुरंत अपनी राइफल नीचे रख दी और कहा कि मैं लड़ना नहीं चाहता. मुझे मदद चाहिए. मैं रूस वापस नहीं जाना चाहता."
रूस के लिए लड़ रहे भारतीय: 63वीं मैकेनाइज्ड ब्रिगेड ने एक टेलीग्राम पोस्ट में कहा कि हुसैन ने रूस में पढ़ाई की थी, लेकिन ड्रग्स के साथ पकड़ा गया था. पोस्ट में कहा गया है कि जेल जाने से बचने के लिए वह युद्ध में चला गया. विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि भारत ने रूस से रूसी सेना में सेवारत 27 भारतीय नागरिकों को रिहा करने और उन्हें स्वदेश वापस भेजने का पुरजोर आग्रह किया था.
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