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हवा में खूबसूरत नजारों के होंगे दीदार, 15 मिनट में देहरादून से पहुंच जाएंगे मसूरी, जानिए रोपवे की ग्राउंड रिपोर्ट - DEHRADUN MUSSOORIE ROPEWAY PROJECT

देहरादून मसूरी रोपवे परियोजना की क्या है खासियत, रोपवे प्रोजेक्ट के बाद इस क्षेत्र की कैसे बदल रही है तस्वीर?ईटीवी भारत से जानिए ग्राउंड रिपोर्ट

DEHRADUN MUSSOORIE ROPEWAY PROJECT
देहरादून मसूरी रोपवे परियोजना (फोटो- ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 13, 2025 at 2:53 PM IST

9 Min Read

रोहित कुमार सोनी, देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से पहाड़ों की रानी मसूरी तक का सफर करना न सिर्फ ट्रैफिक मुक्त होगा. बल्कि, यात्रा के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य का भी दीदार हो सकेगा. इसके लिए रोपवे परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है. इसकी लंबाई करीब 5.5 किलोमीटर होगी. इस रोपवे का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद मात्र 15 मिनट में यात्री देहरादून से मसूरी पहुंच जाएंगे. रोपवे के शुरुआती प्वॉइंटस पर डेवलपमेंट के कार्य तेज हो गए हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि खासकर स्थानीय लोगों को इस रोपवे से रोजगार और स्वरोजगार का एक बड़ा जरिया मिल जाएगा.

'देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना' पर चल रहा काम: बता दें कि उत्तराखंड में साल दर साल आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. खासकर पर्यटन सीजन में तो अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है. जिसमें एक खूबसूरत हिल स्टेशन पहाड़ी की रानी मसूरी भी है. जहां गर्मियों और सर्दियों में बर्फबारी के दौरान तो पर्यटकों का हुजूम उमड़ता है. जिसके चलते देहरादून-मसूरी मार्ग पर भारी जाम लग जाता है. ऐसे में इस समस्या को देखते हुए उत्तराखंड सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर विशेष जोर दे रही है. जिसके तहत 'देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना' पर काम चल रहा है.

देहरादून मसूरी रोपवे परियोजना की ग्राउंड रिपोर्ट (वीडियो- ETV Bharat)

देहरादून-मसूरी रोपवे प्रोजेक्ट के मुख्य बिंदु-

  • करीब 5.5 किलोमीटर लंबा बन रहा रोपवे
  • मात्र 15 मिनट में देहरादून से पहुंच जाएंगे मसूरी
  • 300 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा है ये रोपवे
  • इस रोपवे में कुल 26 टावर बनाए जाएंगे
  • हर मौसम के लिए उपयुक्त होगी ये रोपवे
  • 10 सीट का डायमंड केबिन भी होगा मौजूद
  • सितंबर 2026 तक रोपवे प्रोजेक्ट पूरा होने की है उम्मीद.
  • भूमि अधिग्रहण के चलते रोपवे निर्माण में हुई देरी
  • एक घंटे के भीतर करीब 2,600 लोग आ जा सकेंगे

देहरादून के पुरकुल गांव से मसूरी के लाइब्रेरी चौक तक जाएगी रोपवे: पर्यटकों को जाम से मुक्ति दिलाने और पर्यावरणीय सुंदरता का दीदार कराने को लेकर रोपवे का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है. देहरादून के घंटाघर से करीब 12 किलोमीटर दूर पुरकुल गांव में इन दिनों रोपवे का निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहा है. इस रोपवे की खासियत ये है कि यह रोपवे देश सबसे लंबे रोपवे में शुमार होगा. मात्र 15 मिनट में यात्री रोपवे के जरिए मसूरी के लाइब्रेरी चौक पहुंच जाएंगे.

DEHRADUN MUSSOORIE ROPEWAY PROJECT
मसूरी स्काई कार कंपनी प्राइवेट लिमिटेड कर रही काम (फोटो- ETV Bharat)

5.5 किमी रह जाएगी करीब 33 किलोमीटर की दूरी: वर्तमान समय में पर्यटन सीजन के दौरान पर्यटकों को देहरादून से मसूरी पहुंचने में करीब डेढ़ घंटे से 3 घंटे का समय लग जाता है. जबकि, सामान्य दिनों में भी करीब डेढ़ घंटे का वक्त मसूरी पहुंचने में लग जाता है. देहरादून से मसूरी की दूरी करीब 33 किलोमीटर है, लेकिन रोपवे के जरिए ये दूरी सिर्फ 5.5 किलोमीटर की रह जाएगी. रोपवे में ऑटोमेटिक यात्री ट्रॉलियां लगाई जाएगी.

एक घंटे दोनों तरफ से आ जा सकेंगे करीब 2,600 लोग: इस ट्रॉलियों के जरिए मात्र एक घंटे दोनों तरफ से करीब 2,600 लोग आ जा सकेंगे. इस रोपवे के संचालन के लिए 26 टावर लगाए जाएंगे. मसूरी- देहरादून रोपवे के निर्माण में करीब 300 करोड़ रुपए का खर्च आने की संभावना है. इस परियोजना को पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर मसूरी स्काई कार कंपनी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से निर्माण कार्य कराया जा रहा है. फिलहाल, सितंबर 2026 तक मसूरी-देहरादून रोपवे परियोजना का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

DEHRADUN MUSSOORIE ROPEWAY PROJECT
देहरादून-मसूरी रोपवे प्रोजेक्ट की टाइमलाइन (फोटो- ETV Bharat GFX)

रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर कब-कब क्या हुआ?

  • साल 2019 में केंद्र सरकार ने रोपवे परियोजना को मंजूरी दी थी
  • तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत ने 6 मार्च 2019 को रोपवे परियोजना का शिलान्यास किया था
  • साल 2020 में जमीन अधिग्रहण के दौरान स्थानीय लोगों ने किया विरोध
  • साल 2020-2021 में कोविड और स्थानीय लोगों के विरोध के चलते काम नहीं बढ़ सका आगे
  • साल 2021 में पुरकुल गांव के लोग शर्त के आधार पर हुए सहमत
  • स्थानीय लोगों को रोजगार और क्षेत्र के विकास की रखी शर्त
  • साल 2021 में पीएम मोदी की केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मसूरी में करीब 1500 वर्ग मीटर भूमि, उत्तराखंड सरकार को ट्रांसफर करने पर दी मंजूरी
  • साल 2022 में रोपवे निर्माण के लिए तमाम कागजी कार्यवाही और अनुमति कार्य को किया गया
  • अक्टूबर 2023 में रोपवे निर्माण के लिए कंपनी का किया गया चयन
  • रोपवे निर्माण के लिए मसूरी स्काई कार कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को दी गई जिम्मेदारी
  • साल 2024 में रोपवे निर्माण का कार्य हुआ शुरू
  • देहरादून के पुरकुल गांव में लोअर टर्मिनल और मसूरी के गांधी चौक में अपर टर्मिनल का चल रहा है निर्माण
  • साल 2025 में रोपवे निर्माण कार्य है जारी
  • 26 टावर में से 15 टावर का हो चुका है निर्माण

6 मार्च 2019 को तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत ने किया था रोपवे परियोजना का शिलान्यास: बता दें कि केंद्र सरकार ने साल 2019 में देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना को मंजूरी दी थी. जिसके बाद 6 मार्च 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना का शिलान्यास किया था, लेकिन इस परियोजना में लिए जब भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था. जिसके चलते रोपवे निर्माण का काम आगे नहीं बढ़ पाया.

DEHRADUN MUSSOORIE ROPEWAY PROJECT
रोपवे के अहम बिंदु (फोटो- ETV Bharat GFX)

रोपवे प्रोजेक्ट में आईं तमाम अड़चने: वहीं, तमाम विरोध के बीच सरकार ने निर्णय लिया कि मसूरी में स्थित आइटीबीपी कैंप के ऊपर से रोपवे का संचालन किया जाएगा, लेकिन आइटीबीपी कैंप और सुरक्षा गतिविधियों को देखते हुए बात नहीं बन पाई. ऐसे में मसूरी-देहरादून रोपवे परियोजना अधर में ना लटक जाए, इसके लिए रक्षा मंत्रालय से बात करके रोपवे निर्माण का रास्ता साफ किया गया था.

Dehradun Mussoorie Ropeway Project
देहरादून मसूरी रोपवे परियोजना का तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत ने किया था शुभारंभ (फाइल फोटो- ETV Bharat)

दरअसल, साल 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान मसूरी में करीब 1500 वर्ग मीटर जमीन उत्तराखंड सरकार को ट्रांसफर करने पर मंजूरी दे दी. इसके साथ ही साल 2023 के अक्टूबर महीने में इस रोपवे निर्माण के लिए मसूरी स्काई कार कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके बाद साल 2024 में देहरादून-मसूरी रोपवे का निर्माण कार्य शुरू हो गया.

DEHRADUN MUSSOORIE ROPEWAY PROJECT
रोपवे के फायदे (फोटो- ETV Bharat GFX)

सुगम और आसान होगा मसूरी पहुंचना: इस रोपवे प्रोजेक्ट से न सिर्फ पर्यटन विभाग को राजस्व मिलेगा. बल्कि, इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा. इस रोपवे की खास बात ये भी है कि बरसात सीजन के दौरान भूस्खलन और मलबा गिरने से मसूरी मार्ग बाधित हो जाती है, लेकिन इस दौरान भी मसूरी-देहरादून रोपवे के जरिए यात्री आसानी से मसूरी पहुंच सकेंगे.

लोअर टर्मिनल प्वाइंट के पास 1,500 वाहन क्षमता वाली पार्किंग का किया जाएगा निर्माण: इसके साथ ही देहरादून के पुरकुल गांव में बन रहे देहरादून-मसूरी रोपवे प्रोजेक्ट के लोअर टर्मिनल प्वाइंट के पास ही पर्यटकों के वाहनों की पार्किंग के लिए मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण भी कराया जा रहा है. इस 10 मंजिला मल्टीलेवल पार्किंग में करीब 1,500 वाहनों की पार्किंग की जा सकेगी.

Dehradun Mussoorie Ropeway Project
देहरादून मसूरी रोपवे परियोजना का काम (फोटो- ETV Bharat)

वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत में देहरादून के पुरकुल गांव के स्थानीय लोगों ने कहा कि देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना का काम चल रहा है. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद जब पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी तो इससे उन्हें रोजगार का जरिया मिलेगा. साथ ही उसे क्षेत्र में मौजूद व्यापारियों का व्यापार भी बढ़ेगा.

रोपवे प्रोजेक्ट से रोजगार के साथ बढ़ेगा पर्यटन-

  • प्रोजेक्ट से करीब 350 लोगों को मिलेगा रोजगार
  • 1,500 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से मिलेगा रोजगार
  • पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा रोपवे
  • उत्तराखंड में पर्यटन उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
  • पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर होंगे पैदा

पुरकुल गांव के लोगों को सता रही ये चिंता: इसके साथ ही स्थानीय निवासी इस बात पर भी चिंता जाहिर कर रहे हैं कि जब पर्यटकों की आवाजाही इस क्षेत्र में बढ़ेगी तो इस गांव की जो शांति है, वो भंग होगी. ऐसे में ग्रामीण सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस दिशा में भी ध्यान दिया जाए. ताकि, पुरकुल गांव की जो शांति है, उसे बरकरार रखा जा सके.

DEHRADUN MUSSOORIE ROPEWAY PROJECT
उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का बयान (फोटो- ETV Bharat GFX)

वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि 'देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना के पूरा होने के बाद प्रदेश को काफी ज्यादा फायदा पहुंचेगा. क्योंकि, बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचेंगे. साथ ही जीवाश्म ईंधन की भी बचत होगी. वर्तमान समय में रोपवे परियोजना का काम की तेजी गति से चल रहा है.' स्थानीय लोगों की ओर से उठाए गए विषय के सवाल पर सतपाल महाराज ने कहा कि 'उनकी चिंता पर भी ध्यान दिया जाएगा, लेकिन जब पर्यटकों की संख्या बढ़ती है तो उससे स्थानीय लोगों को रोजगार के नए-नए साधन मिलते हैं.'

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रोहित कुमार सोनी, देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से पहाड़ों की रानी मसूरी तक का सफर करना न सिर्फ ट्रैफिक मुक्त होगा. बल्कि, यात्रा के दौरान प्राकृतिक सौंदर्य का भी दीदार हो सकेगा. इसके लिए रोपवे परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है. इसकी लंबाई करीब 5.5 किलोमीटर होगी. इस रोपवे का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद मात्र 15 मिनट में यात्री देहरादून से मसूरी पहुंच जाएंगे. रोपवे के शुरुआती प्वॉइंटस पर डेवलपमेंट के कार्य तेज हो गए हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि खासकर स्थानीय लोगों को इस रोपवे से रोजगार और स्वरोजगार का एक बड़ा जरिया मिल जाएगा.

'देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना' पर चल रहा काम: बता दें कि उत्तराखंड में साल दर साल आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. खासकर पर्यटन सीजन में तो अन्य राज्यों से आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ जाती है. जिसमें एक खूबसूरत हिल स्टेशन पहाड़ी की रानी मसूरी भी है. जहां गर्मियों और सर्दियों में बर्फबारी के दौरान तो पर्यटकों का हुजूम उमड़ता है. जिसके चलते देहरादून-मसूरी मार्ग पर भारी जाम लग जाता है. ऐसे में इस समस्या को देखते हुए उत्तराखंड सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर विशेष जोर दे रही है. जिसके तहत 'देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना' पर काम चल रहा है.

देहरादून मसूरी रोपवे परियोजना की ग्राउंड रिपोर्ट (वीडियो- ETV Bharat)

देहरादून-मसूरी रोपवे प्रोजेक्ट के मुख्य बिंदु-

  • करीब 5.5 किलोमीटर लंबा बन रहा रोपवे
  • मात्र 15 मिनट में देहरादून से पहुंच जाएंगे मसूरी
  • 300 करोड़ रुपए की लागत से बन रहा है ये रोपवे
  • इस रोपवे में कुल 26 टावर बनाए जाएंगे
  • हर मौसम के लिए उपयुक्त होगी ये रोपवे
  • 10 सीट का डायमंड केबिन भी होगा मौजूद
  • सितंबर 2026 तक रोपवे प्रोजेक्ट पूरा होने की है उम्मीद.
  • भूमि अधिग्रहण के चलते रोपवे निर्माण में हुई देरी
  • एक घंटे के भीतर करीब 2,600 लोग आ जा सकेंगे

देहरादून के पुरकुल गांव से मसूरी के लाइब्रेरी चौक तक जाएगी रोपवे: पर्यटकों को जाम से मुक्ति दिलाने और पर्यावरणीय सुंदरता का दीदार कराने को लेकर रोपवे का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है. देहरादून के घंटाघर से करीब 12 किलोमीटर दूर पुरकुल गांव में इन दिनों रोपवे का निर्माण कार्य जोर-शोर से चल रहा है. इस रोपवे की खासियत ये है कि यह रोपवे देश सबसे लंबे रोपवे में शुमार होगा. मात्र 15 मिनट में यात्री रोपवे के जरिए मसूरी के लाइब्रेरी चौक पहुंच जाएंगे.

DEHRADUN MUSSOORIE ROPEWAY PROJECT
मसूरी स्काई कार कंपनी प्राइवेट लिमिटेड कर रही काम (फोटो- ETV Bharat)

5.5 किमी रह जाएगी करीब 33 किलोमीटर की दूरी: वर्तमान समय में पर्यटन सीजन के दौरान पर्यटकों को देहरादून से मसूरी पहुंचने में करीब डेढ़ घंटे से 3 घंटे का समय लग जाता है. जबकि, सामान्य दिनों में भी करीब डेढ़ घंटे का वक्त मसूरी पहुंचने में लग जाता है. देहरादून से मसूरी की दूरी करीब 33 किलोमीटर है, लेकिन रोपवे के जरिए ये दूरी सिर्फ 5.5 किलोमीटर की रह जाएगी. रोपवे में ऑटोमेटिक यात्री ट्रॉलियां लगाई जाएगी.

एक घंटे दोनों तरफ से आ जा सकेंगे करीब 2,600 लोग: इस ट्रॉलियों के जरिए मात्र एक घंटे दोनों तरफ से करीब 2,600 लोग आ जा सकेंगे. इस रोपवे के संचालन के लिए 26 टावर लगाए जाएंगे. मसूरी- देहरादून रोपवे के निर्माण में करीब 300 करोड़ रुपए का खर्च आने की संभावना है. इस परियोजना को पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप मोड पर मसूरी स्काई कार कंपनी प्राइवेट लिमिटेड की ओर से निर्माण कार्य कराया जा रहा है. फिलहाल, सितंबर 2026 तक मसूरी-देहरादून रोपवे परियोजना का निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

DEHRADUN MUSSOORIE ROPEWAY PROJECT
देहरादून-मसूरी रोपवे प्रोजेक्ट की टाइमलाइन (फोटो- ETV Bharat GFX)

रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर कब-कब क्या हुआ?

  • साल 2019 में केंद्र सरकार ने रोपवे परियोजना को मंजूरी दी थी
  • तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत ने 6 मार्च 2019 को रोपवे परियोजना का शिलान्यास किया था
  • साल 2020 में जमीन अधिग्रहण के दौरान स्थानीय लोगों ने किया विरोध
  • साल 2020-2021 में कोविड और स्थानीय लोगों के विरोध के चलते काम नहीं बढ़ सका आगे
  • साल 2021 में पुरकुल गांव के लोग शर्त के आधार पर हुए सहमत
  • स्थानीय लोगों को रोजगार और क्षेत्र के विकास की रखी शर्त
  • साल 2021 में पीएम मोदी की केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मसूरी में करीब 1500 वर्ग मीटर भूमि, उत्तराखंड सरकार को ट्रांसफर करने पर दी मंजूरी
  • साल 2022 में रोपवे निर्माण के लिए तमाम कागजी कार्यवाही और अनुमति कार्य को किया गया
  • अक्टूबर 2023 में रोपवे निर्माण के लिए कंपनी का किया गया चयन
  • रोपवे निर्माण के लिए मसूरी स्काई कार कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को दी गई जिम्मेदारी
  • साल 2024 में रोपवे निर्माण का कार्य हुआ शुरू
  • देहरादून के पुरकुल गांव में लोअर टर्मिनल और मसूरी के गांधी चौक में अपर टर्मिनल का चल रहा है निर्माण
  • साल 2025 में रोपवे निर्माण कार्य है जारी
  • 26 टावर में से 15 टावर का हो चुका है निर्माण

6 मार्च 2019 को तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत ने किया था रोपवे परियोजना का शिलान्यास: बता दें कि केंद्र सरकार ने साल 2019 में देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना को मंजूरी दी थी. जिसके बाद 6 मार्च 2019 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना का शिलान्यास किया था, लेकिन इस परियोजना में लिए जब भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था. जिसके चलते रोपवे निर्माण का काम आगे नहीं बढ़ पाया.

DEHRADUN MUSSOORIE ROPEWAY PROJECT
रोपवे के अहम बिंदु (फोटो- ETV Bharat GFX)

रोपवे प्रोजेक्ट में आईं तमाम अड़चने: वहीं, तमाम विरोध के बीच सरकार ने निर्णय लिया कि मसूरी में स्थित आइटीबीपी कैंप के ऊपर से रोपवे का संचालन किया जाएगा, लेकिन आइटीबीपी कैंप और सुरक्षा गतिविधियों को देखते हुए बात नहीं बन पाई. ऐसे में मसूरी-देहरादून रोपवे परियोजना अधर में ना लटक जाए, इसके लिए रक्षा मंत्रालय से बात करके रोपवे निर्माण का रास्ता साफ किया गया था.

Dehradun Mussoorie Ropeway Project
देहरादून मसूरी रोपवे परियोजना का तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र रावत ने किया था शुभारंभ (फाइल फोटो- ETV Bharat)

दरअसल, साल 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान मसूरी में करीब 1500 वर्ग मीटर जमीन उत्तराखंड सरकार को ट्रांसफर करने पर मंजूरी दे दी. इसके साथ ही साल 2023 के अक्टूबर महीने में इस रोपवे निर्माण के लिए मसूरी स्काई कार कंपनी प्राइवेट लिमिटेड को जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके बाद साल 2024 में देहरादून-मसूरी रोपवे का निर्माण कार्य शुरू हो गया.

DEHRADUN MUSSOORIE ROPEWAY PROJECT
रोपवे के फायदे (फोटो- ETV Bharat GFX)

सुगम और आसान होगा मसूरी पहुंचना: इस रोपवे प्रोजेक्ट से न सिर्फ पर्यटन विभाग को राजस्व मिलेगा. बल्कि, इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा. इस रोपवे की खास बात ये भी है कि बरसात सीजन के दौरान भूस्खलन और मलबा गिरने से मसूरी मार्ग बाधित हो जाती है, लेकिन इस दौरान भी मसूरी-देहरादून रोपवे के जरिए यात्री आसानी से मसूरी पहुंच सकेंगे.

लोअर टर्मिनल प्वाइंट के पास 1,500 वाहन क्षमता वाली पार्किंग का किया जाएगा निर्माण: इसके साथ ही देहरादून के पुरकुल गांव में बन रहे देहरादून-मसूरी रोपवे प्रोजेक्ट के लोअर टर्मिनल प्वाइंट के पास ही पर्यटकों के वाहनों की पार्किंग के लिए मल्टीलेवल पार्किंग का निर्माण भी कराया जा रहा है. इस 10 मंजिला मल्टीलेवल पार्किंग में करीब 1,500 वाहनों की पार्किंग की जा सकेगी.

Dehradun Mussoorie Ropeway Project
देहरादून मसूरी रोपवे परियोजना का काम (फोटो- ETV Bharat)

वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत में देहरादून के पुरकुल गांव के स्थानीय लोगों ने कहा कि देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना का काम चल रहा है. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि इस परियोजना के पूरा होने के बाद जब पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी तो इससे उन्हें रोजगार का जरिया मिलेगा. साथ ही उसे क्षेत्र में मौजूद व्यापारियों का व्यापार भी बढ़ेगा.

रोपवे प्रोजेक्ट से रोजगार के साथ बढ़ेगा पर्यटन-

  • प्रोजेक्ट से करीब 350 लोगों को मिलेगा रोजगार
  • 1,500 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से मिलेगा रोजगार
  • पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा रोपवे
  • उत्तराखंड में पर्यटन उद्योग को मिलेगा बढ़ावा
  • पर्यटन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर होंगे पैदा

पुरकुल गांव के लोगों को सता रही ये चिंता: इसके साथ ही स्थानीय निवासी इस बात पर भी चिंता जाहिर कर रहे हैं कि जब पर्यटकों की आवाजाही इस क्षेत्र में बढ़ेगी तो इस गांव की जो शांति है, वो भंग होगी. ऐसे में ग्रामीण सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस दिशा में भी ध्यान दिया जाए. ताकि, पुरकुल गांव की जो शांति है, उसे बरकरार रखा जा सके.

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उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का बयान (फोटो- ETV Bharat GFX)

वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि 'देहरादून-मसूरी रोपवे परियोजना के पूरा होने के बाद प्रदेश को काफी ज्यादा फायदा पहुंचेगा. क्योंकि, बड़ी संख्या में पर्यटक यहां पहुंचेंगे. साथ ही जीवाश्म ईंधन की भी बचत होगी. वर्तमान समय में रोपवे परियोजना का काम की तेजी गति से चल रहा है.' स्थानीय लोगों की ओर से उठाए गए विषय के सवाल पर सतपाल महाराज ने कहा कि 'उनकी चिंता पर भी ध्यान दिया जाएगा, लेकिन जब पर्यटकों की संख्या बढ़ती है तो उससे स्थानीय लोगों को रोजगार के नए-नए साधन मिलते हैं.'

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