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सुरक्षा बलों की ओर से बस पर 'मणिपुर राज्य परिवहन' को ढकने के मामले में जांच के आदेश - MANIPUR NEWS

सुरक्षा बलों ने इंफाल पूर्वी जिले में मीडिया कर्मियों को ले जा रही सरकारी बस को 'मणिपुर राज्य परिवहन' को ढकने का निर्देश दिया था.

Governor Ajay Kumar Bhalla orders for inquiry into concealing Manipur name
मणिपुर के पत्रकारों ने 20 मई, 2025 को इंफाल में सुरक्षा बलों द्वारा कथित उत्पीड़न के विरोध में रैली निकाली (PTI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 22, 2025 at 9:39 AM IST

4 Min Read

नई दिल्ली: मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने सुरक्षा बलों द्वारा पत्रकारों से भरी एक सरकारी बस को कथित तौर पर रोकने और उसके विंडशील्ड पर राज्य का नाम छिपाने के मामले की जांच के लिए बुधवार को एक जांच समिति गठित की.

मणिपुर के गृह विभाग के एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि 20 मई 2025 को इंफाल पूर्वी जिले में एक चेक पोस्ट के पास मणिपुर शिरुई लिली महोत्सव (Shirui Lily Festival 2025) को कवर करने के लिए मीडिया कर्मियों को ले जा रही सुरक्षा कर्मियों और मणिपुर राज्य सड़क परिवहन की बस से जुड़ी घटना के तथ्यों और परिस्थितियों की जांच के लिए जांच समिति का गठन किया गया है. जांच समिति में मणिपुर सरकार के गृह आयुक्त एन अशोक कुमार और मणिपुर सरकार के आईटी सचिव टीएच किरण कुमार सिंह शामिल होंगे. समिति 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.

इस घटना पर भाजपा के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा ने कहा कि मणिपुर की अखंडता से समझौता नहीं किया जा सकता क्योंकि राज्य के शिरुई लिली उत्सव के दौरान विवाद तब पैदा हो गया जब सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर पत्रकारों से भरी एक सरकारी बस को रोका और उसके विंडशील्ड पर राज्य का नाम छिपा दिया.

पात्रा ने एक संदेश में कहा, "मैं मणिपुर को दो साल बाद शिरुई लिली उत्सव आयोजित करने के लिए बधाई देता हूं. 17 मई से 20 मई तक मणिपुर राज्य परिवहन की तीन से चार बसें लगभग 2,000 लोगों को लेकर उखरुल पहुंची हैं, जहां शिरुई लिली उत्सव आयोजित किया जा रहा है. हालांकि, मंगलवार को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, जो एक टाली जा सकने वाली गलतफहमी थी."

पात्रा ने कहा, "मैं दृढ़ता से दोहराना चाहता हूं कि जहां तक ​​मणिपुर की अखंडता का सवाल है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस बात को बनाए रखा है, जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. यह ऐसी चीज है जिसके लिए हम हमेशा खड़े हैं."

मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी यही बात दोहराई और कहा, "ये क्या है कि राज्य का नाम मणिपुर में नहीं लिखा जा सकता. जो भी इस तरह की गैरजिम्मेदाराना हरकतों के पीछे हैं, उसे सजा मिलनी चाहिए. सबसे पहले मणिपुर को जानें. मैं पत्रकार बिरादरी और मणिपुर के लोगों के साथ खड़ा हूं."

मणिपुर अखंडता पर समन्वय समिति (COCOMI) ने एक बयान में कहा है कि शिरुई लिली महोत्सव 2025 के उद्घाटन को कवर करने के लिए जा रही आधिकारिक मीडिया टीम को मंगलवार को इंफाल पूर्व में ग्वालताबी चौकी (Gwaltabi Check Post) पर सुरक्षा बलों द्वारा बीच रास्ते से लौटने के लिए मजबूर किया गया. शिरुई लिली महोत्सव 2025 राज्य सरकार की ओर से प्रायोजित कार्यक्रम है, जिसे सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय (डीआईपीआर), मणिपुर द्वारा संचालित किया जाता है.

बयान में कहा गया है, "सुरक्षा कर्मियों ने पत्रकारों को आगे बढ़ने से पहले उनकी बस पर छपे 'मणिपुर राज्य परिवहन' शब्दों को ढकने का निर्देश दिया."

शिरुई लिली महोत्सव, जिसका नाम मणिपुर के नगा बहुल उखरुल जिले में शिरुई पहाड़ियों में पाए जाने वाले दुर्लभ और लुप्तप्राय लिली के नाम पर रखा गया है, मई 2023 में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से इस क्षेत्र में आयोजित पहला बड़ा पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रम है.

इंफाल से उखरुल तक का मार्ग संवेदनशील क्षेत्रों से होकर गुजरता है, जिसमें कुकी-जो बहुल गांव भी शामिल हैं.

घटना पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए मणिपुर के चार नागरिक समाज संगठनों ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को एक पत्र लिखा और घटना में शामिल महार रेजिमेंट के अधिकारियों और कर्मियों की पहचान करने के लिए तत्काल जांच करने और कठोर कार्रवाई करने की मांग की. इन संगठनों ने राज्य एजेंसियों और नागरिकों को धमकाने वाले चिन कुकी समूहों की पहचान करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की भी मांग की है.

पत्र में कहा गया है, "शिरुई महोत्सव आयोजित करने का क्या उद्देश्य है, अगर यह समुदायों को एक साथ लाने के महोत्सव की मूल भावना को ही पराजित करता है. मणिपुर सरकार द्वारा महोत्सव में आने वाले आगंतुकों के लिए सुरक्षा व्यवस्था करने के दावे तब धरे के धरे रह जाते हैं, जब आप मीडिया को भी सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते. इस प्रक्रिया में, आपने प्रेस की स्वतंत्रता और इसके साथ ही लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को भी कुचल दिया है."

यह भी पढ़ें- दिल्ली-श्रीनगर इंडिगो फ्लाइट भयानक टर्बुलेंस में फंसी, विमान का आगे का हिस्सा डैमेज

नई दिल्ली: मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने सुरक्षा बलों द्वारा पत्रकारों से भरी एक सरकारी बस को कथित तौर पर रोकने और उसके विंडशील्ड पर राज्य का नाम छिपाने के मामले की जांच के लिए बुधवार को एक जांच समिति गठित की.

मणिपुर के गृह विभाग के एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि 20 मई 2025 को इंफाल पूर्वी जिले में एक चेक पोस्ट के पास मणिपुर शिरुई लिली महोत्सव (Shirui Lily Festival 2025) को कवर करने के लिए मीडिया कर्मियों को ले जा रही सुरक्षा कर्मियों और मणिपुर राज्य सड़क परिवहन की बस से जुड़ी घटना के तथ्यों और परिस्थितियों की जांच के लिए जांच समिति का गठन किया गया है. जांच समिति में मणिपुर सरकार के गृह आयुक्त एन अशोक कुमार और मणिपुर सरकार के आईटी सचिव टीएच किरण कुमार सिंह शामिल होंगे. समिति 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी.

इस घटना पर भाजपा के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा ने कहा कि मणिपुर की अखंडता से समझौता नहीं किया जा सकता क्योंकि राज्य के शिरुई लिली उत्सव के दौरान विवाद तब पैदा हो गया जब सुरक्षा बलों ने कथित तौर पर पत्रकारों से भरी एक सरकारी बस को रोका और उसके विंडशील्ड पर राज्य का नाम छिपा दिया.

पात्रा ने एक संदेश में कहा, "मैं मणिपुर को दो साल बाद शिरुई लिली उत्सव आयोजित करने के लिए बधाई देता हूं. 17 मई से 20 मई तक मणिपुर राज्य परिवहन की तीन से चार बसें लगभग 2,000 लोगों को लेकर उखरुल पहुंची हैं, जहां शिरुई लिली उत्सव आयोजित किया जा रहा है. हालांकि, मंगलवार को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई, जो एक टाली जा सकने वाली गलतफहमी थी."

पात्रा ने कहा, "मैं दृढ़ता से दोहराना चाहता हूं कि जहां तक ​​मणिपुर की अखंडता का सवाल है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस बात को बनाए रखा है, जिस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता. यह ऐसी चीज है जिसके लिए हम हमेशा खड़े हैं."

मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने भी यही बात दोहराई और कहा, "ये क्या है कि राज्य का नाम मणिपुर में नहीं लिखा जा सकता. जो भी इस तरह की गैरजिम्मेदाराना हरकतों के पीछे हैं, उसे सजा मिलनी चाहिए. सबसे पहले मणिपुर को जानें. मैं पत्रकार बिरादरी और मणिपुर के लोगों के साथ खड़ा हूं."

मणिपुर अखंडता पर समन्वय समिति (COCOMI) ने एक बयान में कहा है कि शिरुई लिली महोत्सव 2025 के उद्घाटन को कवर करने के लिए जा रही आधिकारिक मीडिया टीम को मंगलवार को इंफाल पूर्व में ग्वालताबी चौकी (Gwaltabi Check Post) पर सुरक्षा बलों द्वारा बीच रास्ते से लौटने के लिए मजबूर किया गया. शिरुई लिली महोत्सव 2025 राज्य सरकार की ओर से प्रायोजित कार्यक्रम है, जिसे सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय (डीआईपीआर), मणिपुर द्वारा संचालित किया जाता है.

बयान में कहा गया है, "सुरक्षा कर्मियों ने पत्रकारों को आगे बढ़ने से पहले उनकी बस पर छपे 'मणिपुर राज्य परिवहन' शब्दों को ढकने का निर्देश दिया."

शिरुई लिली महोत्सव, जिसका नाम मणिपुर के नगा बहुल उखरुल जिले में शिरुई पहाड़ियों में पाए जाने वाले दुर्लभ और लुप्तप्राय लिली के नाम पर रखा गया है, मई 2023 में जातीय हिंसा भड़कने के बाद से इस क्षेत्र में आयोजित पहला बड़ा पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रम है.

इंफाल से उखरुल तक का मार्ग संवेदनशील क्षेत्रों से होकर गुजरता है, जिसमें कुकी-जो बहुल गांव भी शामिल हैं.

घटना पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए मणिपुर के चार नागरिक समाज संगठनों ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को एक पत्र लिखा और घटना में शामिल महार रेजिमेंट के अधिकारियों और कर्मियों की पहचान करने के लिए तत्काल जांच करने और कठोर कार्रवाई करने की मांग की. इन संगठनों ने राज्य एजेंसियों और नागरिकों को धमकाने वाले चिन कुकी समूहों की पहचान करने और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की भी मांग की है.

पत्र में कहा गया है, "शिरुई महोत्सव आयोजित करने का क्या उद्देश्य है, अगर यह समुदायों को एक साथ लाने के महोत्सव की मूल भावना को ही पराजित करता है. मणिपुर सरकार द्वारा महोत्सव में आने वाले आगंतुकों के लिए सुरक्षा व्यवस्था करने के दावे तब धरे के धरे रह जाते हैं, जब आप मीडिया को भी सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते. इस प्रक्रिया में, आपने प्रेस की स्वतंत्रता और इसके साथ ही लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को भी कुचल दिया है."

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