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असम में धूमधाम से मनाया गया 'गोरू बिहू', गीत गाती नजर आईं महिलाएं, पुरुषों ने बजाया ढोल - GORU BIHU

असमिया नववर्ष के पहले दिन असम के जोरहाट जिले के मोनाई माझी गांव में 'गोरू बिहू' उत्सव पूरे उत्साह के साथ मनाया गया.

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असम में धूमधाम से मनाया गया 'गोरू बिहू' (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 14, 2025 at 7:58 PM IST

5 Min Read

जोरहाट: दुनिया भर में असमिया मूल के लोग ढोल की गूंज, मधुर पेपा संगीत और उत्साहवर्धक डांस के साथ भारतीय कैलेंडर के नए साल का जश्न मनाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इस बार उनका ध्यान राज्य की सर्वव्यापी गायों पर है, जो असमिया संस्कृति का अभिन्न अंग हैं. असमिया नववर्ष के पहले दिन रोंगाली बिहू के अवसर पर सोमवार को असम के जोरहाट जिले के मोनाई माझी गांव में 'गोरू बिहू' उत्सव पूरे उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया.

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह अवसर 'गो माता' की पूजा और देखभाल के लिए समर्पित है. सुबह-सुबह ग्रामीण अपनी गायों और बैलों को पास की नदी में ले गए, जहां उन्हें हल्दी और काले चने के लेप से नहलाया गया. गायों को लौकी, बैगन और अन्य सब्जियों की माला पहनाई गई. इस दौरान गांव की गलियों में लोकगीतों की मधुर धुनें गूंज रही थीं.

Goru Bihu
असम में धूमधाम से मनाया गया 'गोरू बिहू (ETV Bharat)

महिलाएं बिहू गीत गाती नजर आईं
पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाएं बिहू गीत गाती नजर आईं, जबकि पुरुष ढोल, पेपा और टोका बजाकर माहौल को संगीतमय बना रहे थे. गायों को नहलाने के बाद उन्हें कृषि में उनके योगदान के लिए आभार जताने के लिए पीठा, गुड़ और हरी घास खिलाई गई.

मोनाई माझी गांव में आयोजित इस कार्यक्रम में असम की कृषि परंपरा और सामुदायिक एकता की झलक देखने को मिली और यह भी दिखा कि बिहू उत्सव किस तरह से पीढ़ियों को पारंपरिक विरासत और आनंद से जोड़ता है.

Goru Bihu
असम में धूमधाम से मनाया गया 'गोरू बिहू (ETV Bharat)

गोरू बिहू को देखने पहुंचे विदेशी पर्यटक
सोमवार को विदेशी पर्यटक भी जोरहाट के नदी तट पर आयोजित 'गोरू बिहू' को देखने पहुंचे. स्वीडन से आए एक पर्यटक जोड़े ने असमिया संस्कृति को करीब से जाना और आनंद उठाया. स्वीडन से आए अन्ना ने कहा, "गोरू बिहू का हिस्सा बनकर मैं बहुत खुश हूं. मैं असम की दूसरी यात्रा पर हूं और इस जगह और इसकी समृद्ध संस्कृति, खासकर बिहू परंपरा से पूरी तरह से प्यार करता हूं."

Goru Bihu
असम में धूमधाम से मनाया गया 'गोरू बिहू (ETV Bharat)

यह दिन खास तौर पर पशुधन को समर्पित है, जहां गायों और बैलों को नहलाया जाता है, सजाया जाता है और सम्मान के प्रतीक के रूप में उनकी पूजा की जाती है. असम के लोग रोंगाली बिहू, जिसे बोहाग बिहू के नाम से भी जाना जाता है, को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाने की तैयारी कर रहे हैं. रोंगाली बिहू असम का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो असमिया नव वर्ष और वसंत के आगमन का प्रतीक है.

Bihu
बिहू गीत गाती महिलाएं (ETV Bharat)

'गोरू बिहू' का क्रेज
दुकानें पारंपरिक वस्तुओं जैसे भोजन, गमोसा, बिहू के कपड़े, धूल, पेपा और असमिया जापियों से सजी हुई हैं. राज्य भर में लोगों ने रोंगाली बिहू के पहले दिन को पारंपरिक रीति-रिवाजों और भक्ति के साथ मनाया, जिसे गोरू बिहू के नाम से जाना जाता है.

रोंगाली बिहू कृषि मौसम की शुरुआत का प्रतीक है और इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह एक बहु-दिवसीय त्योहार है जो आम तौर पर सात दिनों तक चलता है, प्रत्येक दिन को 'ज़ात बिहू' के रूप में जाना जाता है.

सप्ताह भर चलने वाला उत्सव गोरू बिहू से शुरू होता है और इसमें संगीत, नृत्य, पारंपरिक भोजन और रिश्तेदारों से मिलना शामिल होता है, जो असम की समृद्ध संस्कृति और एकता की भावना को दर्शाता है.

असम के स्थानीय निवासी विपुल शर्मा ने कहा, "असम में हमारे लिए वैशाख बिहू सबसे बड़ा त्योहार है. यह तीन से चार दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन, जिसे गोरू बिहू कहा जाता है, हम गायों को धोते हैं और हल्दी और काले चने के लेप से उनकी पूजा करते हैं. उसके बाद, परिवार के सभी लोग नहाते हैं और हल्दी लगाते हैं. हम अपने बड़ों का भी सम्मान करते हैं और पारंपरिक भोजन जैसे पीठा और दही खाते हैं. लोग रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और एक साथ उत्सव का आनंद लेते हैं."

असम में धूमधाम से मनाया गया 'गोरू बिहू' (ETV Bharat)

मवेशियों को धोया जाता है, हल्दी लगाई जाती है
रोंगाली बिहू के पहले दिन, जिसे गोरू बिहू के नाम से जाना जाता है. इस दिन मवेशियों को धोया जाता है और उन पर हल्दी, काली दाल और अन्य सामग्री से बना लेप लगाया जाता है. इसके बाद लोग जानवरों के लिए पारंपरिक गीत गाते हैं.

प्रतीकात्मकता और महत्व
इस अवसर पर उन पशुओं के प्रति 'सम्मान' और आभार प्रकट किया जाता है जो खेती और दैनिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं. गुवाहाटी और राज्य के अन्य हिस्सों में बिहू उत्सव समितियां सप्ताह भर चलने वाले रोंगाली बिहू कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं. असम सरकार ने रोंगाली बिहू उत्सव मनाने के लिए राज्य भर में 2,241 बिहू समितियों में से प्रत्येक को 1.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है.

यह भी पढे़ं- आंबेडकर की विरासत को लेकर भाजपा और विपक्ष के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप

जोरहाट: दुनिया भर में असमिया मूल के लोग ढोल की गूंज, मधुर पेपा संगीत और उत्साहवर्धक डांस के साथ भारतीय कैलेंडर के नए साल का जश्न मनाने की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन इस बार उनका ध्यान राज्य की सर्वव्यापी गायों पर है, जो असमिया संस्कृति का अभिन्न अंग हैं. असमिया नववर्ष के पहले दिन रोंगाली बिहू के अवसर पर सोमवार को असम के जोरहाट जिले के मोनाई माझी गांव में 'गोरू बिहू' उत्सव पूरे उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया गया.

स्थानीय लोगों के अनुसार, यह अवसर 'गो माता' की पूजा और देखभाल के लिए समर्पित है. सुबह-सुबह ग्रामीण अपनी गायों और बैलों को पास की नदी में ले गए, जहां उन्हें हल्दी और काले चने के लेप से नहलाया गया. गायों को लौकी, बैगन और अन्य सब्जियों की माला पहनाई गई. इस दौरान गांव की गलियों में लोकगीतों की मधुर धुनें गूंज रही थीं.

Goru Bihu
असम में धूमधाम से मनाया गया 'गोरू बिहू (ETV Bharat)

महिलाएं बिहू गीत गाती नजर आईं
पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाएं बिहू गीत गाती नजर आईं, जबकि पुरुष ढोल, पेपा और टोका बजाकर माहौल को संगीतमय बना रहे थे. गायों को नहलाने के बाद उन्हें कृषि में उनके योगदान के लिए आभार जताने के लिए पीठा, गुड़ और हरी घास खिलाई गई.

मोनाई माझी गांव में आयोजित इस कार्यक्रम में असम की कृषि परंपरा और सामुदायिक एकता की झलक देखने को मिली और यह भी दिखा कि बिहू उत्सव किस तरह से पीढ़ियों को पारंपरिक विरासत और आनंद से जोड़ता है.

Goru Bihu
असम में धूमधाम से मनाया गया 'गोरू बिहू (ETV Bharat)

गोरू बिहू को देखने पहुंचे विदेशी पर्यटक
सोमवार को विदेशी पर्यटक भी जोरहाट के नदी तट पर आयोजित 'गोरू बिहू' को देखने पहुंचे. स्वीडन से आए एक पर्यटक जोड़े ने असमिया संस्कृति को करीब से जाना और आनंद उठाया. स्वीडन से आए अन्ना ने कहा, "गोरू बिहू का हिस्सा बनकर मैं बहुत खुश हूं. मैं असम की दूसरी यात्रा पर हूं और इस जगह और इसकी समृद्ध संस्कृति, खासकर बिहू परंपरा से पूरी तरह से प्यार करता हूं."

Goru Bihu
असम में धूमधाम से मनाया गया 'गोरू बिहू (ETV Bharat)

यह दिन खास तौर पर पशुधन को समर्पित है, जहां गायों और बैलों को नहलाया जाता है, सजाया जाता है और सम्मान के प्रतीक के रूप में उनकी पूजा की जाती है. असम के लोग रोंगाली बिहू, जिसे बोहाग बिहू के नाम से भी जाना जाता है, को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाने की तैयारी कर रहे हैं. रोंगाली बिहू असम का सबसे बड़ा और सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है, जो असमिया नव वर्ष और वसंत के आगमन का प्रतीक है.

Bihu
बिहू गीत गाती महिलाएं (ETV Bharat)

'गोरू बिहू' का क्रेज
दुकानें पारंपरिक वस्तुओं जैसे भोजन, गमोसा, बिहू के कपड़े, धूल, पेपा और असमिया जापियों से सजी हुई हैं. राज्य भर में लोगों ने रोंगाली बिहू के पहले दिन को पारंपरिक रीति-रिवाजों और भक्ति के साथ मनाया, जिसे गोरू बिहू के नाम से जाना जाता है.

रोंगाली बिहू कृषि मौसम की शुरुआत का प्रतीक है और इसे बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह एक बहु-दिवसीय त्योहार है जो आम तौर पर सात दिनों तक चलता है, प्रत्येक दिन को 'ज़ात बिहू' के रूप में जाना जाता है.

सप्ताह भर चलने वाला उत्सव गोरू बिहू से शुरू होता है और इसमें संगीत, नृत्य, पारंपरिक भोजन और रिश्तेदारों से मिलना शामिल होता है, जो असम की समृद्ध संस्कृति और एकता की भावना को दर्शाता है.

असम के स्थानीय निवासी विपुल शर्मा ने कहा, "असम में हमारे लिए वैशाख बिहू सबसे बड़ा त्योहार है. यह तीन से चार दिनों तक मनाया जाता है. पहले दिन, जिसे गोरू बिहू कहा जाता है, हम गायों को धोते हैं और हल्दी और काले चने के लेप से उनकी पूजा करते हैं. उसके बाद, परिवार के सभी लोग नहाते हैं और हल्दी लगाते हैं. हम अपने बड़ों का भी सम्मान करते हैं और पारंपरिक भोजन जैसे पीठा और दही खाते हैं. लोग रिश्तेदारों से मिलने जाते हैं और एक साथ उत्सव का आनंद लेते हैं."

असम में धूमधाम से मनाया गया 'गोरू बिहू' (ETV Bharat)

मवेशियों को धोया जाता है, हल्दी लगाई जाती है
रोंगाली बिहू के पहले दिन, जिसे गोरू बिहू के नाम से जाना जाता है. इस दिन मवेशियों को धोया जाता है और उन पर हल्दी, काली दाल और अन्य सामग्री से बना लेप लगाया जाता है. इसके बाद लोग जानवरों के लिए पारंपरिक गीत गाते हैं.

प्रतीकात्मकता और महत्व
इस अवसर पर उन पशुओं के प्रति 'सम्मान' और आभार प्रकट किया जाता है जो खेती और दैनिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं. गुवाहाटी और राज्य के अन्य हिस्सों में बिहू उत्सव समितियां सप्ताह भर चलने वाले रोंगाली बिहू कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं. असम सरकार ने रोंगाली बिहू उत्सव मनाने के लिए राज्य भर में 2,241 बिहू समितियों में से प्रत्येक को 1.5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है.

यह भी पढे़ं- आंबेडकर की विरासत को लेकर भाजपा और विपक्ष के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप

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