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चारधाम क्षेत्र के तापमान को प्रभावित कर रहे लाखों वाहन, ग्लेशियर के मुहाने तक वाहनों की एंट्री से बढ़ा खतरा - CHARDHAM YATRA 2025

चारधाम में हर साल लाखों वाहन पहुंच रहे हैं, जमकर हेली सेवाओं का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जो ग्लेशियर के लिए खतरा है.

Uttarakhand Chardham Yatra
उतराखंड चारधाम यात्रा (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 11, 2025 at 9:20 AM IST

7 Min Read

देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा तीर्थ यात्रियों की संख्या के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी यात्राओं में से एक मानी जा सकती है. साल 2024 में चारधाम यात्रा करने वालों की संख्या करीब 47 लाख थी. जबकि यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करने वालों की संख्या 65 लाख की थी. इस तरह यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि चारधाम के दर्शन करने की इच्छा रखने वालों की देश दुनिया में कितनी बड़ी संख्या है. माना जा रहा है कि इस साल चारधाम श्रद्धालुओं की संख्या के लिहाज से पुराने रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है. वैसे तो उत्तराखंड के लिए यह खबर बेहद अच्छी है लेकिन जब बात पर्यावरण की आती है तो यह विचार बिल्कुल बदल जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि चारधाम में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के साथ ऐसी कई पर्यावरणीय समस्याएं भी यहां पहुंच जाती हैं जो न केवल इस पूरे क्षेत्र बल्कि देश के एक बड़े हिस्से के लिए भी बिल्कुल ठीक नहीं है.

वाहनों ने बढ़ाई पर्यावरणीय चुनौती: उत्तराखंड में लाखों श्रद्धालुओं के साथ लाखों वहां भी चारधाम क्षेत्र में पहुंचते हैं. आंकड़ों की नजर से देखे तो साल 2023 में चारधाम यात्रा क्षेत्र में करीब 568459 वाहन यहां पहुंचे थे. साल 2024 में यही आंकड़ा 520626 पहुंच गया था. जबकि इस साल अब तक चार धाम यात्रा के लिए 20492 प्राइवेट वाहन रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं.

चारधाम क्षेत्र के तापमान में हो रही बढ़ोतरी (Video-ETV Bharat)

साल दर साल बढ़ रही श्रद्धालुओं की तादाद: यानी इस साल भी लाखों की संख्या में ही चार धाम तक वाहनों के पहुंचने की पूरी उम्मीद है. इस तरह इन वाहनों के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण का खतरा भी फिर एक बार यहां बढ़ने वाला है. इतना ही नहीं करीब 1 लाख श्रद्धालु हेलीकॉप्टर के माध्यम से बाबा केदार के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इस तरह केदार बैली में हेलीकॉप्टर का जमकर उपयोग होता है. इस साल भी अब तक 25278 लोगों ने हेलीकॉप्टर के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया है.

Uttarakhand Chardham Yatra
चारधाम यात्रा में वाहनों की तादाद (ETV Bharat Graphics)

30 अप्रैल से शुरू होगी चारधाम यात्रा: इस बार 30 अप्रैल से चारधाम की यात्रा शुरू होने जा रही है, 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलेंगे जबकि 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने वाले हैं. इसके लिए अभी से ही श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करवाने लगे हैं. अभी तक 1533885 रजिस्ट्रेशन करवाएं जा चुके हैं. जिसका आंकड़ा काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है.

ग्लेशियर के मुहाने तक पहुंच रहे वाहन: पर्यावरण को लेकर बड़ी चिंता इस बात की है कि अब मध्य हिमालय में मौजूद इन तीर्थ स्थलों तक वाहनों की पहुंच हो गई है. जिसके कारण इस क्षेत्र में सीधे तौर पर ग्लेशियर के मुहाने तक वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण पहुंच रहा है. गंगोत्री धाम 11204 फीट की ऊंचाई पर है, इसी तरह यमुनोत्री धाम 10804 फीट पर मौजूद है. केदारनाथ धाम की ऊंचाई समुद्र तल से 11700 फीट की है, इसी तरह बदरीनाथ धाम समुद्र तल से 10279 फीट ऊंचाई पर है. यह वह क्षेत्र है जहां पर ग्लेशियर की भी मौजूदगी है. ऐसी स्थिति में वाहनों से निकलने वाला कार्बन और दूसरी गैसे ग्लेशियर को सीधे तौर से नुकसान पहुंचा रहा है.

Uttarakhand Chardham Yatra
केदारनाथ धाम में बढ़ रही हेलीकॉप्टर की आवाजाही (ETV Bharat Graphics)

ग्लेशियरों को पहुंच रहा नुकसान: चारधाम क्षेत्र के आसपास मौजूद बड़े और छोटे ग्लेशियर भी इससे प्रभावित हो रहे हैं, यहां पर सतोपंथ ग्लेशियर, गंगोत्री ग्लेशियर, गौमुख ग्लेशियर, अलकापुरी ग्लेशियर, खातलिंग ग्लेशियर, दूनागिरी ग्लेशियर, भगिनी ग्लेशियर और बंदरपूछ ग्लेशियर भी मौजूद है. लेकिन पर्यावरण से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि इस स्थिति के कारण सबसे ज्यादा नुकसान छोटे ग्लेशियर को हो रहा है. यात्रा क्षेत्र के आसपास छोटे ग्लेशियर प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि इनकी मोटाई कम होती है और ऐसी स्थिति में कार्बन या वातावरण को गर्म करने वाली गैस से इन्हें तेजी से पिघलने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.

Uttarakhand Chardham Yatra
केदारनाथ धाम (Photo-ETV Bharat)

वातावरण को गर्म कर रहे बढ़ते वाहन: मध्य हिमालय में मौजूद यह तीर्थ स्थल ग्लेशियर के आसपास होने के कारण ठंडे रहते हैं. लेकिन अचानक 6 महीना के दौरान लाखों लोगों का यहां पहुंचना और इस दौरान लाखों वाहनों का ईंधन उपयोग यहां के वातावरण को गर्म कर देता है. इस तरह देखा जाए तो चारधाम यात्रा के दौरान यह पूरा क्षेत्र तापमान को लेकर भी काफी प्रभावित रहता है.

एक तरफ जहां लाखों वाहनों के पहुंचने से इससे निकलने वाला कार्बन ग्लेशियर को नुकसान पहुंचा रहा है. वहीं इससे वातावरण भी गर्म हो रहा है. इतना ही नहीं लाखों वाहनों के इस क्षेत्र में आने से होने वाले कंपन का असर चट्टानों पर भी पड़ता है और ग्लेशियर्स पर भी इससे हल्की दरारों की स्थिति बन सकती है.
प्रो. एसपी सती, जियोलॉजिस्ट

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रखता है निगरानी: उत्तराखंड में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वैसे तो राज्य भर में पर्यावरण पर निगरानी रखता है लेकिन इस बार बोर्ड की कोशिश चार धाम क्षेत्र में खास तौर पर पर्यावरण की निगरानी रखना है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से पूरे प्रदेश में सभी जिलों के मुख्यालय में लगाए जाने वाले इक्विपमेंट के जरिए चार धाम में यात्रा सीजन के दौरान हो रहे वातावरण बदलाव को भी देखा जाएगा.

Uttarakhand Chardham Yatra
केदारनाथ धाम में बढ़ी हेली एक्टिविटी (Photo-ETV Bharat)

जिला मुख्यालय पर एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम को लगाया जा रहा है, जिसके चलते वायु प्रदूषण को लेकर असल स्थिति आंकड़ों के रूप में मिलती रहेगी, इससे करीब 15 किस्म के आंकड़े प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मिलते रहेंगे. इस दौरान ग्रीन व्हीकल को प्रोत्साहित करने के भी प्रयास किया जा रहे हैं.
पराग मधुकर धकाते, सदस्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का प्रयोग: पर्यावरण से जुड़े एक्सपर्ट मानते हैं कि ग्लेशियर के आसपास के क्षेत्र में वाहनों की आवाजाही पर रोक होनी चाहिए और इसकी जगह सुविधा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का प्रयोग इस क्षेत्र में किया जाना चाहिए. इसमें सरकार चाहे तो एक निश्चित ऊंचाई के क्षेत्र तक ही पेट्रोल या डीजल वाले वाहनों को भेज सकती है और इससे आगे की यात्रा के लिए इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल को ही अनिवार्य किए जाने पर भी विचार कर सकती है.

बेतहाशा हो रहा हेलीकॉप्टर का प्रयोग: परेशानी केवल वाहनों के ग्लेशियर के आसपास पहुंचने की ही नहीं है, बल्कि चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर से यात्रा करने वालों की भी अच्छी खासी संख्या रहती है. खास तौर पर केदारनाथ धाम तक पहुंचने वाले श्रद्धालु बड़ी संख्या में हेलीकॉप्टर का सहारा लेते हैं. हेलीकॉप्टर की केदारनाथ वैली में बेइंतहा उपयोग वातावरण को भी प्रभावित कर रहा है. केदारनाथ में श्रद्धालुओं के लिए करीब 9 कंपनियां अनुबंध की गई है जो हवाई सेवा देती है और सुबह से दिन तक लगातार हेलीकॉप्टर केदारनाथ वैली में उड़ते रहते हैं.

पर्यावरण को पहुंचता है नुकसान: इससे हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियर पर नॉइस पॉल्यूशन का प्रभाव पड़ता है साथ ही प्रदूषण भी बेहद ज्यादा होता है. इतना ही नहीं इस क्षेत्र में घने जंगलों में रहने वाले वाइल्डलाइफ को भी इससे नुकसान होता है. हालांकि यह सभी स्थितियां सरकार की संज्ञान में भी है और लगातार पर्यावरण प्रेमी और वाइल्डलाइफ के जानकार भी इस बात को पूर्व में उठाते रहे हैं.लेकिन इसको लेकर कोई नियोजित यात्रा पर कभी कोई फैसला नहीं हो पाया.

पढे़ं- बदरीनाथ और केदारनाथ में पूजाओं की एडवांस बुकिंग शुरू, यहां देखें रेट लिस्ट, जानिये कैसे करें रजिस्ट्रेशन

पढे़ं- केदारघाटी में आफत की बारिश! उफान पर गाड़ गदेरे, लोगों ने भाग कर बचाई जान, बादल फटने की भी सूचना

देहरादून: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा तीर्थ यात्रियों की संख्या के लिहाज से दुनिया की सबसे बड़ी यात्राओं में से एक मानी जा सकती है. साल 2024 में चारधाम यात्रा करने वालों की संख्या करीब 47 लाख थी. जबकि यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करने वालों की संख्या 65 लाख की थी. इस तरह यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि चारधाम के दर्शन करने की इच्छा रखने वालों की देश दुनिया में कितनी बड़ी संख्या है. माना जा रहा है कि इस साल चारधाम श्रद्धालुओं की संख्या के लिहाज से पुराने रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है. वैसे तो उत्तराखंड के लिए यह खबर बेहद अच्छी है लेकिन जब बात पर्यावरण की आती है तो यह विचार बिल्कुल बदल जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि चारधाम में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के साथ ऐसी कई पर्यावरणीय समस्याएं भी यहां पहुंच जाती हैं जो न केवल इस पूरे क्षेत्र बल्कि देश के एक बड़े हिस्से के लिए भी बिल्कुल ठीक नहीं है.

वाहनों ने बढ़ाई पर्यावरणीय चुनौती: उत्तराखंड में लाखों श्रद्धालुओं के साथ लाखों वहां भी चारधाम क्षेत्र में पहुंचते हैं. आंकड़ों की नजर से देखे तो साल 2023 में चारधाम यात्रा क्षेत्र में करीब 568459 वाहन यहां पहुंचे थे. साल 2024 में यही आंकड़ा 520626 पहुंच गया था. जबकि इस साल अब तक चार धाम यात्रा के लिए 20492 प्राइवेट वाहन रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं.

चारधाम क्षेत्र के तापमान में हो रही बढ़ोतरी (Video-ETV Bharat)

साल दर साल बढ़ रही श्रद्धालुओं की तादाद: यानी इस साल भी लाखों की संख्या में ही चार धाम तक वाहनों के पहुंचने की पूरी उम्मीद है. इस तरह इन वाहनों के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण का खतरा भी फिर एक बार यहां बढ़ने वाला है. इतना ही नहीं करीब 1 लाख श्रद्धालु हेलीकॉप्टर के माध्यम से बाबा केदार के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. इस तरह केदार बैली में हेलीकॉप्टर का जमकर उपयोग होता है. इस साल भी अब तक 25278 लोगों ने हेलीकॉप्टर के लिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया है.

Uttarakhand Chardham Yatra
चारधाम यात्रा में वाहनों की तादाद (ETV Bharat Graphics)

30 अप्रैल से शुरू होगी चारधाम यात्रा: इस बार 30 अप्रैल से चारधाम की यात्रा शुरू होने जा रही है, 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलेंगे जबकि 2 मई को केदारनाथ और 4 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने वाले हैं. इसके लिए अभी से ही श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करवाने लगे हैं. अभी तक 1533885 रजिस्ट्रेशन करवाएं जा चुके हैं. जिसका आंकड़ा काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है.

ग्लेशियर के मुहाने तक पहुंच रहे वाहन: पर्यावरण को लेकर बड़ी चिंता इस बात की है कि अब मध्य हिमालय में मौजूद इन तीर्थ स्थलों तक वाहनों की पहुंच हो गई है. जिसके कारण इस क्षेत्र में सीधे तौर पर ग्लेशियर के मुहाने तक वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण पहुंच रहा है. गंगोत्री धाम 11204 फीट की ऊंचाई पर है, इसी तरह यमुनोत्री धाम 10804 फीट पर मौजूद है. केदारनाथ धाम की ऊंचाई समुद्र तल से 11700 फीट की है, इसी तरह बदरीनाथ धाम समुद्र तल से 10279 फीट ऊंचाई पर है. यह वह क्षेत्र है जहां पर ग्लेशियर की भी मौजूदगी है. ऐसी स्थिति में वाहनों से निकलने वाला कार्बन और दूसरी गैसे ग्लेशियर को सीधे तौर से नुकसान पहुंचा रहा है.

Uttarakhand Chardham Yatra
केदारनाथ धाम में बढ़ रही हेलीकॉप्टर की आवाजाही (ETV Bharat Graphics)

ग्लेशियरों को पहुंच रहा नुकसान: चारधाम क्षेत्र के आसपास मौजूद बड़े और छोटे ग्लेशियर भी इससे प्रभावित हो रहे हैं, यहां पर सतोपंथ ग्लेशियर, गंगोत्री ग्लेशियर, गौमुख ग्लेशियर, अलकापुरी ग्लेशियर, खातलिंग ग्लेशियर, दूनागिरी ग्लेशियर, भगिनी ग्लेशियर और बंदरपूछ ग्लेशियर भी मौजूद है. लेकिन पर्यावरण से जुड़े एक्सपर्ट बताते हैं कि इस स्थिति के कारण सबसे ज्यादा नुकसान छोटे ग्लेशियर को हो रहा है. यात्रा क्षेत्र के आसपास छोटे ग्लेशियर प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं क्योंकि इनकी मोटाई कम होती है और ऐसी स्थिति में कार्बन या वातावरण को गर्म करने वाली गैस से इन्हें तेजी से पिघलने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.

Uttarakhand Chardham Yatra
केदारनाथ धाम (Photo-ETV Bharat)

वातावरण को गर्म कर रहे बढ़ते वाहन: मध्य हिमालय में मौजूद यह तीर्थ स्थल ग्लेशियर के आसपास होने के कारण ठंडे रहते हैं. लेकिन अचानक 6 महीना के दौरान लाखों लोगों का यहां पहुंचना और इस दौरान लाखों वाहनों का ईंधन उपयोग यहां के वातावरण को गर्म कर देता है. इस तरह देखा जाए तो चारधाम यात्रा के दौरान यह पूरा क्षेत्र तापमान को लेकर भी काफी प्रभावित रहता है.

एक तरफ जहां लाखों वाहनों के पहुंचने से इससे निकलने वाला कार्बन ग्लेशियर को नुकसान पहुंचा रहा है. वहीं इससे वातावरण भी गर्म हो रहा है. इतना ही नहीं लाखों वाहनों के इस क्षेत्र में आने से होने वाले कंपन का असर चट्टानों पर भी पड़ता है और ग्लेशियर्स पर भी इससे हल्की दरारों की स्थिति बन सकती है.
प्रो. एसपी सती, जियोलॉजिस्ट

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड रखता है निगरानी: उत्तराखंड में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वैसे तो राज्य भर में पर्यावरण पर निगरानी रखता है लेकिन इस बार बोर्ड की कोशिश चार धाम क्षेत्र में खास तौर पर पर्यावरण की निगरानी रखना है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से पूरे प्रदेश में सभी जिलों के मुख्यालय में लगाए जाने वाले इक्विपमेंट के जरिए चार धाम में यात्रा सीजन के दौरान हो रहे वातावरण बदलाव को भी देखा जाएगा.

Uttarakhand Chardham Yatra
केदारनाथ धाम में बढ़ी हेली एक्टिविटी (Photo-ETV Bharat)

जिला मुख्यालय पर एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम को लगाया जा रहा है, जिसके चलते वायु प्रदूषण को लेकर असल स्थिति आंकड़ों के रूप में मिलती रहेगी, इससे करीब 15 किस्म के आंकड़े प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को मिलते रहेंगे. इस दौरान ग्रीन व्हीकल को प्रोत्साहित करने के भी प्रयास किया जा रहे हैं.
पराग मधुकर धकाते, सदस्य सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का प्रयोग: पर्यावरण से जुड़े एक्सपर्ट मानते हैं कि ग्लेशियर के आसपास के क्षेत्र में वाहनों की आवाजाही पर रोक होनी चाहिए और इसकी जगह सुविधा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का प्रयोग इस क्षेत्र में किया जाना चाहिए. इसमें सरकार चाहे तो एक निश्चित ऊंचाई के क्षेत्र तक ही पेट्रोल या डीजल वाले वाहनों को भेज सकती है और इससे आगे की यात्रा के लिए इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल को ही अनिवार्य किए जाने पर भी विचार कर सकती है.

बेतहाशा हो रहा हेलीकॉप्टर का प्रयोग: परेशानी केवल वाहनों के ग्लेशियर के आसपास पहुंचने की ही नहीं है, बल्कि चारधाम यात्रा के दौरान हेलीकॉप्टर से यात्रा करने वालों की भी अच्छी खासी संख्या रहती है. खास तौर पर केदारनाथ धाम तक पहुंचने वाले श्रद्धालु बड़ी संख्या में हेलीकॉप्टर का सहारा लेते हैं. हेलीकॉप्टर की केदारनाथ वैली में बेइंतहा उपयोग वातावरण को भी प्रभावित कर रहा है. केदारनाथ में श्रद्धालुओं के लिए करीब 9 कंपनियां अनुबंध की गई है जो हवाई सेवा देती है और सुबह से दिन तक लगातार हेलीकॉप्टर केदारनाथ वैली में उड़ते रहते हैं.

पर्यावरण को पहुंचता है नुकसान: इससे हिमालय क्षेत्र में ग्लेशियर पर नॉइस पॉल्यूशन का प्रभाव पड़ता है साथ ही प्रदूषण भी बेहद ज्यादा होता है. इतना ही नहीं इस क्षेत्र में घने जंगलों में रहने वाले वाइल्डलाइफ को भी इससे नुकसान होता है. हालांकि यह सभी स्थितियां सरकार की संज्ञान में भी है और लगातार पर्यावरण प्रेमी और वाइल्डलाइफ के जानकार भी इस बात को पूर्व में उठाते रहे हैं.लेकिन इसको लेकर कोई नियोजित यात्रा पर कभी कोई फैसला नहीं हो पाया.

पढे़ं- बदरीनाथ और केदारनाथ में पूजाओं की एडवांस बुकिंग शुरू, यहां देखें रेट लिस्ट, जानिये कैसे करें रजिस्ट्रेशन

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