लातेहार: महुआ का सीजन भले ही ग्रामीणों के लिए आर्थिक समृद्धि का सीजन होता है. परंतु ग्रामीणों की लापरवाही के कारण महुआ का सीजन जंगल और छोटे-छोटे पेड़ पौधों के लिए अभिशाप भी बन जाता है. लोग महुआ चुनने के लिए जंगलों में आग लगा देते हैं. जिससे जंगलों में लगे छोटे-छोटे पेड़ पौधे जलकर नष्ट हो जाते हैं. इससे जंगल के साथ पर्यावरण और जमीन की उर्वरा शक्ति को भी भारी नुकसान होता है.
दरअसल, लातेहार जिले के जंगलों में बड़े पैमाने पर महुआ के पेड़ पाए जाते हैं. जंगली उत्पाद होने के कारण उस पर ग्रामीणों का ही अधिकार होता है. मार्च, पतझड़ का महीना माना जाता है. इस सीजन में पेड़ के पत्ते झड़कर जमीन पर गिर जाते हैं. इसी मौसम में महुआ का फल भी आता है. महुआ के पेड़ के नीचे के स्थान को साफ करने के लिए लोग नीचे गिरे पत्तों में आग लगा देते हैं. यह आग धीरे-धीरे फैलती जाती है और विकराल रूप धारण कर लेती है.
जंगल में आग लगने से होते हैं बड़े नुकसान
जंगल में लगी आग के कारण महुआ तथा अन्य पेड़ों के नए पौधे जलकर नष्ट हो जाते हैं. इसके अलावा धरती की उर्वरा शक्ति भी नष्ट हो जाती है. आग के कारण जमीन की ऊपरी सतह काफी सख्त हो जाता है, जिस कारण बारिश का पानी जमीन के अंदर नहीं जा पाता है. साथ ही भूगर्भ जल स्तर में भी भारी कमी आ जाती है.

इधर इस संबंध में वन विभाग के रेंजर नंदकुमार मेहता ने बताया कि कुछ ग्रामीणों की लापरवाही के कारण आने वाले पीढ़ियों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. पौधे जलकर नष्ट होने के कारण भविष्य में महुआ के नए पेड़ भी काफी कम हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर कहा जाए तो महुआ सीजन में जितना लाभ होता है, लोगों की लापरवाही के कारण जंगलों में आग लगने के कारण भविष्य के लिए उससे अधिक नुकसान होता है.

जंगल बचाने के लिए ग्रामीणों को किया जा रहा है जागरूक
रेंजर नंदकुमार मेहता ने बताया कि जंगल को आग से बचाने के लिए वन विभाग के द्वारा ग्रामीणों को लगातार जागरूक किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कई गांव के ग्रामीण जागरूक भी हुए हैं और जंगल में आग लगाने से परहेज भी करने लगे हैं. लेकिन अभी भी कुछ लोग लापरवाही दिखाते हुए जंगल में आग लगा दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि महुआ चुनने वाले लोग यदि थोड़ी सी मेहनत करें तो जंगलों में आग भी नहीं लगेगी और भविष्य में बड़े पैमाने पर महुआ के नए पेड़ भी लगेंगे. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों को बस इतना करना है कि महुआ के पेड़ के नीचे गिरे हुए सूखे पत्तों को इकट्ठा कर ले. इससे पेड़ के नीचे सफाई भी हो जाएगी और जंगल आग से भी सुरक्षित रहेंगे. सूखे पत्तों का उपयोग घर में जलावन के रूप में भी किया जा सकता है. सूखे पत्तों से बेहतर उर्वरक भी ग्रामीण बना सकते हैं.
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