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सूखा पड़े या भीषण गर्मी, वन्यजीवों को नहीं होगी पानी की कमी, जानिए WWW तकनीक का कमाल - WILDLIFE WATER SOURCE TECHNIQUE

सूखी और बीहड़ जगहों पर भी वन्यजीवों को पीने के साथ नहाने के लिए मिल रहा भरपूर पानी, जानिए क्या है ये तकनीक

Water Holes For Wild Animals
वाटर होल्स तकनीक (फोटो- ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : April 14, 2025 at 4:48 PM IST

10 Min Read

नवीन उनियाल, देहरादून: तापमान बढ़ने के साथ जब देश के तमाम क्षेत्रों में पानी की कमी दिखने लगती है, तब चिंता वनों में रहने वाले वन्यजीवों को लेकर भी होती है. हालांकि, राजाजी टाइगर रिजर्व इसको लेकर फिक्रमंद नहीं दिखता. दावा ये है कि कितना ही सूखा पड़ जाए या तापमान बढ़े, यहां के वन्य जीवों के लिए पानी की कमी नहीं होगी. ऐसा भी नहीं है कि यहां वन क्षेत्र में पानी की बेहद ज्यादा स्रोत हों, फिर राजाजी प्रबंधन का ऐसा क्या मैकेनिज्म है जिसके भरोसे वो पानी की उपलब्धता के लिए आश्वस्त दिखाई दे रहे हैं. इसी को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम राजाजी टाइगर रिजर्व पहुंची और यहां पानी की उपलब्धता की स्थिति को जाना.

राजाजी टाइगर रिजर्व में जैव विविधता की भरमार: राजाजी टाइगर रिजर्व करीब 1,075 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. यहां 50 से ज्यादा टाइगर की मौजूदगी के अलावा बड़ी संख्या में गुलदार भी मौजूद हैं. इतना ही नहीं, हाथियों की मौजूदगी तो राजाजी टाइगर रिजर्व के सभी रेंज में हैं, जबकि चीतल, सांभर जैसे कई वन्यजीव भी यहां बड़ी संख्या में पाए जाते हैं.

वाटर होल्स तकनीक को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट (वीडियो- ETV Bharat)

इतनी बड़ी संख्या में वाइल्डलाइफ की मौजूदगी जहां इस क्षेत्र की खूबसूरती को बढ़ाती ही है लेकिन कई चुनौतियों को भी पैदा करती है. इन्हीं में से एक टाइगर रिजर्व क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए पानी की उपलब्धता का होना भी है. राजाजी टाइगर रिजर्व पानी की मौजूदगी के लिहाज से सूखा क्षेत्र माना जा सकता है.

सूखी जगहों पर पानी कैसे पहुंचा रहा है राजाजी पार्क प्रशासन? खास तौर पर गर्मियों में तो इस क्षेत्र में पानी मिलना काफी मुश्किल है, बावजूद इसके राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन यहां वन्यजीवों के लिए पानी की उपलब्धता को लेकर कुछ खास चिंतित नहीं दिखता. ऐसा क्यों है और इस सूखे क्षेत्र में भी राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन कैसे पानी पहुंचा रहा है? ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम राजाजी टाइगर रिजर्व में खुद इसका अनुभव करने के लिए पहुंची.

Water Holes For Wild Animals
वाटर होल से प्यास बुझा रहे वन्यजीव (फोटो- ETV Bharat)

ग्राउंड रिपोर्ट में दिखा ऐसा नजारा: टाइगर रिजर्व में मोहड़ क्षेत्र से जैसे ही ईटीवी भारत की टीम ने एंट्री की तो यहां सूखी नदी दिखाई दी, जिसमें पानी का नामोनिशान नहीं था. अप्रैल के महीने में जब तापमान के तेजी से बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं, तब आने वाले मई और जून में पानी को लेकर हालात और चिंताजनक होना तय है.

हैरानी इस बात को लेकर हो रही थी कि राजाजी टाइगर रिजर्व में जाते समय ना तो कोई पानी का टैंकर दिखा और ना ही पानी एकत्रित करने के लिए कर्मचारी जद्दोजहद करते हुए मिले. करीब एक किलोमीटर अंदर जाते ही एक ऐसा नजारा दिखा, जिसे देखकर मन में कई सवाल पैदा हो गए.

न झरना, न ही टैंकर फिर भी पानी से लबालब दिखा वाटर होल: दरअसल, सामने 70x58 मीटर का एक बड़ा वाटर होल मौजूद था. जंगल के बीच में इतना बड़ा वॉटर होल जिसमें पानी लबालब भरा हो, इसे समझना थोड़ा मुश्किल था. क्योंकि, न तो आसपास कोई पानी का झरना दिख रहा था और न ही इसे भरने के लिए पानी के टैंकर. वैसे भी इस वाटर होल में जितना पानी था, उतना पानी टैंकर से भरना मुश्किल दिखाई दे रहा था.

Water Holes For Wild Animals
वाटर होल मॉडल (फोटो- ETV Bharat)

पानी की मौजूदगी इतनी थी कि वाटर होल से पानी ओवरफ्लो हो रहा था. तो क्या राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन के निश्चिंत होने के पीछे यही अमृत सरोवर था, लेकिन एक वाटर होल से तो जंगल में कई किलोमीटर क्षेत्र तक वन्यजीवों की प्यास बुझाना मुमकिन नहीं था. तो सवाल उठा कि क्या जंगल में बाकी जगहों पर भी इसी तरह के वाटर होल मौजूद हैं? यदि हां तो फिर कैसे?

पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आरके मिश्रा ने दी अहम जानकारी (वीडियो- ETV Bharat)

इसी को जानने के लिए ईटीवी भारत ने चिल्लावाली रेंज की वन क्षेत्राधिकारी शीतल सिंह से बात की. शीतल सिंह ने बताया कि राजाजी टाइगर रिजर्व में एक ऐसा मैकेनिज्म तैयार किया गया है, जिसने जंगल में पानी की सारी चिंताएं ही खत्म कर दी हैं. दरअसल, वन विभाग W3 मॉडल पर काम कर रहा था. यानी W- वेल (Well), W- वाटर होल, W- वाइल्डलाइफ.

तीन W इस मॉडल के स्वरूप और मकसद को बता रहे हैं. पहला W वेल यानी कुएं से संबंधित है. दूसरा पानी के होल और तीसरा वन्यजीव. इसे वन विभाग के ही सीनियर अफसर पीके पात्रो ने तैयार किया था, और अब इस मॉडल का डॉक्यूमेंटेशन राजाजी के डिप्टी डायरेक्टर महातिम यादव कर रहे हैं.

Water Holes For Wild Animals
पानी से लबालब तालाब (फोटो- ETV Bharat)

कई मायनों में खास है मॉडल: राजाजी टाइगर रिजर्व में डब्ल्यू (W3) मॉडल कई मायनों में बेहद खास है. इसने वन क्षेत्र में पानी की बड़ी समस्या का बेहद ही सरलता के साथ हल निकाल दिया है. हालांकि, इस मॉडल को तैयार करने और इस पर अमलीजामा पहनाने का काम रातों-रात नहीं हुआ. अधिकारियों और कर्मचारियों की दिन-रात कई सालों की मेहनत के बाद राजाजी टाइगर रिजर्व का एक क्षेत्र पानी की बड़ी समस्या से निजात पा चुका है.

कैसे काम करता है यह मॉडल: इस मॉडल के तहत सबसे पहले राजाजी टाइगर रिजर्व में ऐसे क्षेत्र को चिन्हित किया गया, जहां पानी की उपलब्धता 12 महीने प्रचुर मात्रा में हो. इसके बाद यहां कुआं बनाकर इससे जमीन के भीतर पाइपलाइन तैयार कर ग्रेविटी के माध्यम से दूसरी जगह पर वाटर होल बनाकर पानी पहुंचाया गया.

इसके बाद इस वाटर होल के ओवरफ्लो पानी को अंडरग्राउंड पाइपलाइन के जरिए किसी दूसरे क्षेत्र में वाटर होल तैयार कर वहां तक पहुंचाया गया. इस तरह केवल एक पानी के सोर्स से जंगल के भीतर कई वाटर होल तैयार किए गए हैं. जहां तमाम वन्यजीव और पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं.

Water Holes For Wild Animals
कैसे काम कर रहा यह मॉडल (फोटो- ETV Bharat GFX)

वैसे तो इन वाटर होल का निर्माण वन्यजीव को पानी की आपूर्ति के लिए किया गया है, लेकिन जंगलों में आग लगने की स्थिति में भी आसानी से पानी को इस्तेमाल में लाया जा सकता है. इसमें सबसे अहम भूमिका पानी के सोर्स वाले कुएं की है. जिसके लिए एक नहीं बल्कि कई छोटे-छोटे होल खोदे जाते हैं. ताकि, पता चल सके कि पानी का ऐसा सोर्स कहां है जहां 12 महीने पानी उपलब्ध है. इस काम में सालों लग जाते हैं क्योंकि, जंगल के भीतर ऐसे सोर्स को ढूंढ पाना ही सबसे बड़ी चुनौती है. एक सोर्स मिलने के बाद आगे वाटर होल के रूप में इस प्रोजेक्ट को वन क्षेत्र में बढ़ाया जा सकता है.

Water Holes For Wild Animals
राजाजी टाइगर रिजर्व (फोटो- ETV Bharat)

एक मॉडल ने निकाला कई समस्याओं का समाधान: राजाजी में W3 मॉडल इस कदर सफल हुआ है कि इसने कई समस्याओं का एक ही साथ हल निकाल खोजा है. इस मॉडल को लागू करने के साथ ही न केवल विभाग का वाटर होल के लिए पानी इकट्ठा करने को लेकर किया जाने वाला खर्च खत्म हुआ है बल्कि, पानी की 12 महीने पर्याप्त उपलब्धता के साथ वन कर्मियों की फिजूल मेहनत को भी होने रोका है.

इतना ही नहीं, केवल ग्रेविटी के माध्यम से जंगल के अलग-अलग क्षेत्र में वाटर होल तक पहुंच रहा. यह पानी बिना किसी बिजली के उपलब्ध हो रहा है. यानी न तो बिजली की बर्बादी है, न ही कर्मचारियों को बेवजह पानी इकट्ठा करने की ड्यूटी में लगाने की समस्या.

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जानकारी देतीं वन क्षेत्राधिकारी शीतल सिंह (फोटो- ETV Bharat)

वन्यजीवों को पीने ही नहीं, नहाने के लिए भी मिल रहा पर्याप्त पानी: राजाजी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों को केवल पीने के लिए ही पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. बल्कि, पानी इतनी बड़ी मात्रा में मौजूद है कि यहां हाथी या दूसरे वन्यजीव भी गर्मी में नहाकर खुद को तरोताजा रख सकते हैं.

इसके लिए वाटर होल के साथ एक हौज भी तैयार किया गया है. इस हौज का साफ पानी वाटर होल में जाता है. जहां पर वन्यजीव पानी पी भी सकते हैं और चाहे तो नहा भी सकते हैं. इस दौरान वाटर होल में पानी गंदा होने पर ये वन्यजीव हौज के साफ पानी को पी सकते हैं.

Water Holes For Wild Animals
आराम फरमाता बाघ (फोटो- ETV Bharat)

W3 के इस मैकेनिज्म और वन्यजीवों की उपलब्धता को जानने के लिए ईटीवी भारत ने राजाजी टाइगर रिजर्व के एसीएफ (असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट) अजय लिंगवाल से बात की. उन्होंने बताया कि इसके पीछे कई साल की मेहनत लगी है. जिसके बाद ही उनका यह प्रोजेक्ट सफल हो पाया.

इस प्रोजेक्ट को यहां तक पहुंचने में करीब 5 से 6 साल की मेहनत लगी है. इसके बाद स्थिति ये है कि कितना भी सूखा पड़ जाए या गर्मी हो, अब जिन क्षेत्रों में ये वाटर होल तैयार किए गए हैं वहां पानी की कमी कभी नहीं पड़ती. इसके अलावा समय-समय पर इसको मेंटेन किया जाता है. फिलहाल, ये प्रोजेक्ट दो रेंज में पूरा हुआ है और अब आगे भी इसे करने की तैयारी की जा रही है.- अजय लिंगवाल, एसीएफ, राजाजी टाइगर रिजर्व

राजाजी टाइगर रिजर्व का 50 फीसदी हिस्सा हुआ W3 मॉडल से कवर: राजाजी टाइगर रिजर्व में चार रेंज मौजूद हैं. इनमें चिल्लावाली रेंज, धोलखंड रेंज, बेड़ीवाला रेंज और हरिद्वार रेंज शामिल हैं. इसमें चिल्लावाली रेंज और धोलखंड रेंज में W3 मॉडल को पूरा किया जा चुका है. यानी इस क्षेत्र में पानी की कोई समस्या नहीं रही. अभी बेरीवाड़ा और हरिद्वार रेंज में इसके लिए काम होना बाकी है.

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घास चरते हिरण (फोटो- ETV Bharat)

राजाजी टाइगर रिजर्व में बढ़ा इको टूरिज्म: राजाजी टाइगर रिजर्व में इको टूरिज्म भी काफी तेजी से बढ़ रहा है. राजाजी में जाते समय यहां पर्यटकों की अच्छी खासी संख्या देखने को मिली. हालांकि, विभाग के अधिकारी बताते हैं कि राजाजी टाइगर रिजर्व में इको टूरिज्म के लिए चार महीने बेहद अच्छे होते हैं.

वाटर होल्स के पास नजर आ जाते हैं वन्यजीव: इसमें मार्च और अप्रैल के अलावा अक्टूबर और नवंबर के महीने में वन्यजीवों को आसानी से देखा जा सकता है. यहां पानी के बड़े-बड़े वाटर होल में भी सुबह और शाम के वक्त वन्यजीवों के आसानी से दीदार हो जाते हैं.

वन्यजीव को यदि पानी नहीं मिलेगा तो वो जंगलों से बाहर की तरफ जाने लगेंगे. ऐसे में जंगलों में पानी की उपलब्धता बेहद जरूरी है और इसीलिए तमाम क्षेत्रों में पानी के बड़े-बड़े होल तैयार किया जा रहे हैं. - आरके मिश्रा, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ, उत्तराखंड वन विभाग

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नवीन उनियाल, देहरादून: तापमान बढ़ने के साथ जब देश के तमाम क्षेत्रों में पानी की कमी दिखने लगती है, तब चिंता वनों में रहने वाले वन्यजीवों को लेकर भी होती है. हालांकि, राजाजी टाइगर रिजर्व इसको लेकर फिक्रमंद नहीं दिखता. दावा ये है कि कितना ही सूखा पड़ जाए या तापमान बढ़े, यहां के वन्य जीवों के लिए पानी की कमी नहीं होगी. ऐसा भी नहीं है कि यहां वन क्षेत्र में पानी की बेहद ज्यादा स्रोत हों, फिर राजाजी प्रबंधन का ऐसा क्या मैकेनिज्म है जिसके भरोसे वो पानी की उपलब्धता के लिए आश्वस्त दिखाई दे रहे हैं. इसी को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम राजाजी टाइगर रिजर्व पहुंची और यहां पानी की उपलब्धता की स्थिति को जाना.

राजाजी टाइगर रिजर्व में जैव विविधता की भरमार: राजाजी टाइगर रिजर्व करीब 1,075 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है. यहां 50 से ज्यादा टाइगर की मौजूदगी के अलावा बड़ी संख्या में गुलदार भी मौजूद हैं. इतना ही नहीं, हाथियों की मौजूदगी तो राजाजी टाइगर रिजर्व के सभी रेंज में हैं, जबकि चीतल, सांभर जैसे कई वन्यजीव भी यहां बड़ी संख्या में पाए जाते हैं.

वाटर होल्स तकनीक को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट (वीडियो- ETV Bharat)

इतनी बड़ी संख्या में वाइल्डलाइफ की मौजूदगी जहां इस क्षेत्र की खूबसूरती को बढ़ाती ही है लेकिन कई चुनौतियों को भी पैदा करती है. इन्हीं में से एक टाइगर रिजर्व क्षेत्र में वन्यजीवों के लिए पानी की उपलब्धता का होना भी है. राजाजी टाइगर रिजर्व पानी की मौजूदगी के लिहाज से सूखा क्षेत्र माना जा सकता है.

सूखी जगहों पर पानी कैसे पहुंचा रहा है राजाजी पार्क प्रशासन? खास तौर पर गर्मियों में तो इस क्षेत्र में पानी मिलना काफी मुश्किल है, बावजूद इसके राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन यहां वन्यजीवों के लिए पानी की उपलब्धता को लेकर कुछ खास चिंतित नहीं दिखता. ऐसा क्यों है और इस सूखे क्षेत्र में भी राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन कैसे पानी पहुंचा रहा है? ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम राजाजी टाइगर रिजर्व में खुद इसका अनुभव करने के लिए पहुंची.

Water Holes For Wild Animals
वाटर होल से प्यास बुझा रहे वन्यजीव (फोटो- ETV Bharat)

ग्राउंड रिपोर्ट में दिखा ऐसा नजारा: टाइगर रिजर्व में मोहड़ क्षेत्र से जैसे ही ईटीवी भारत की टीम ने एंट्री की तो यहां सूखी नदी दिखाई दी, जिसमें पानी का नामोनिशान नहीं था. अप्रैल के महीने में जब तापमान के तेजी से बढ़ने के संकेत मिलने लगे हैं, तब आने वाले मई और जून में पानी को लेकर हालात और चिंताजनक होना तय है.

हैरानी इस बात को लेकर हो रही थी कि राजाजी टाइगर रिजर्व में जाते समय ना तो कोई पानी का टैंकर दिखा और ना ही पानी एकत्रित करने के लिए कर्मचारी जद्दोजहद करते हुए मिले. करीब एक किलोमीटर अंदर जाते ही एक ऐसा नजारा दिखा, जिसे देखकर मन में कई सवाल पैदा हो गए.

न झरना, न ही टैंकर फिर भी पानी से लबालब दिखा वाटर होल: दरअसल, सामने 70x58 मीटर का एक बड़ा वाटर होल मौजूद था. जंगल के बीच में इतना बड़ा वॉटर होल जिसमें पानी लबालब भरा हो, इसे समझना थोड़ा मुश्किल था. क्योंकि, न तो आसपास कोई पानी का झरना दिख रहा था और न ही इसे भरने के लिए पानी के टैंकर. वैसे भी इस वाटर होल में जितना पानी था, उतना पानी टैंकर से भरना मुश्किल दिखाई दे रहा था.

Water Holes For Wild Animals
वाटर होल मॉडल (फोटो- ETV Bharat)

पानी की मौजूदगी इतनी थी कि वाटर होल से पानी ओवरफ्लो हो रहा था. तो क्या राजाजी टाइगर रिजर्व प्रबंधन के निश्चिंत होने के पीछे यही अमृत सरोवर था, लेकिन एक वाटर होल से तो जंगल में कई किलोमीटर क्षेत्र तक वन्यजीवों की प्यास बुझाना मुमकिन नहीं था. तो सवाल उठा कि क्या जंगल में बाकी जगहों पर भी इसी तरह के वाटर होल मौजूद हैं? यदि हां तो फिर कैसे?

पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आरके मिश्रा ने दी अहम जानकारी (वीडियो- ETV Bharat)

इसी को जानने के लिए ईटीवी भारत ने चिल्लावाली रेंज की वन क्षेत्राधिकारी शीतल सिंह से बात की. शीतल सिंह ने बताया कि राजाजी टाइगर रिजर्व में एक ऐसा मैकेनिज्म तैयार किया गया है, जिसने जंगल में पानी की सारी चिंताएं ही खत्म कर दी हैं. दरअसल, वन विभाग W3 मॉडल पर काम कर रहा था. यानी W- वेल (Well), W- वाटर होल, W- वाइल्डलाइफ.

तीन W इस मॉडल के स्वरूप और मकसद को बता रहे हैं. पहला W वेल यानी कुएं से संबंधित है. दूसरा पानी के होल और तीसरा वन्यजीव. इसे वन विभाग के ही सीनियर अफसर पीके पात्रो ने तैयार किया था, और अब इस मॉडल का डॉक्यूमेंटेशन राजाजी के डिप्टी डायरेक्टर महातिम यादव कर रहे हैं.

Water Holes For Wild Animals
पानी से लबालब तालाब (फोटो- ETV Bharat)

कई मायनों में खास है मॉडल: राजाजी टाइगर रिजर्व में डब्ल्यू (W3) मॉडल कई मायनों में बेहद खास है. इसने वन क्षेत्र में पानी की बड़ी समस्या का बेहद ही सरलता के साथ हल निकाल दिया है. हालांकि, इस मॉडल को तैयार करने और इस पर अमलीजामा पहनाने का काम रातों-रात नहीं हुआ. अधिकारियों और कर्मचारियों की दिन-रात कई सालों की मेहनत के बाद राजाजी टाइगर रिजर्व का एक क्षेत्र पानी की बड़ी समस्या से निजात पा चुका है.

कैसे काम करता है यह मॉडल: इस मॉडल के तहत सबसे पहले राजाजी टाइगर रिजर्व में ऐसे क्षेत्र को चिन्हित किया गया, जहां पानी की उपलब्धता 12 महीने प्रचुर मात्रा में हो. इसके बाद यहां कुआं बनाकर इससे जमीन के भीतर पाइपलाइन तैयार कर ग्रेविटी के माध्यम से दूसरी जगह पर वाटर होल बनाकर पानी पहुंचाया गया.

इसके बाद इस वाटर होल के ओवरफ्लो पानी को अंडरग्राउंड पाइपलाइन के जरिए किसी दूसरे क्षेत्र में वाटर होल तैयार कर वहां तक पहुंचाया गया. इस तरह केवल एक पानी के सोर्स से जंगल के भीतर कई वाटर होल तैयार किए गए हैं. जहां तमाम वन्यजीव और पक्षी अपनी प्यास बुझाते हैं.

Water Holes For Wild Animals
कैसे काम कर रहा यह मॉडल (फोटो- ETV Bharat GFX)

वैसे तो इन वाटर होल का निर्माण वन्यजीव को पानी की आपूर्ति के लिए किया गया है, लेकिन जंगलों में आग लगने की स्थिति में भी आसानी से पानी को इस्तेमाल में लाया जा सकता है. इसमें सबसे अहम भूमिका पानी के सोर्स वाले कुएं की है. जिसके लिए एक नहीं बल्कि कई छोटे-छोटे होल खोदे जाते हैं. ताकि, पता चल सके कि पानी का ऐसा सोर्स कहां है जहां 12 महीने पानी उपलब्ध है. इस काम में सालों लग जाते हैं क्योंकि, जंगल के भीतर ऐसे सोर्स को ढूंढ पाना ही सबसे बड़ी चुनौती है. एक सोर्स मिलने के बाद आगे वाटर होल के रूप में इस प्रोजेक्ट को वन क्षेत्र में बढ़ाया जा सकता है.

Water Holes For Wild Animals
राजाजी टाइगर रिजर्व (फोटो- ETV Bharat)

एक मॉडल ने निकाला कई समस्याओं का समाधान: राजाजी में W3 मॉडल इस कदर सफल हुआ है कि इसने कई समस्याओं का एक ही साथ हल निकाल खोजा है. इस मॉडल को लागू करने के साथ ही न केवल विभाग का वाटर होल के लिए पानी इकट्ठा करने को लेकर किया जाने वाला खर्च खत्म हुआ है बल्कि, पानी की 12 महीने पर्याप्त उपलब्धता के साथ वन कर्मियों की फिजूल मेहनत को भी होने रोका है.

इतना ही नहीं, केवल ग्रेविटी के माध्यम से जंगल के अलग-अलग क्षेत्र में वाटर होल तक पहुंच रहा. यह पानी बिना किसी बिजली के उपलब्ध हो रहा है. यानी न तो बिजली की बर्बादी है, न ही कर्मचारियों को बेवजह पानी इकट्ठा करने की ड्यूटी में लगाने की समस्या.

Water Holes For Wild Animals
जानकारी देतीं वन क्षेत्राधिकारी शीतल सिंह (फोटो- ETV Bharat)

वन्यजीवों को पीने ही नहीं, नहाने के लिए भी मिल रहा पर्याप्त पानी: राजाजी टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों को केवल पीने के लिए ही पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है. बल्कि, पानी इतनी बड़ी मात्रा में मौजूद है कि यहां हाथी या दूसरे वन्यजीव भी गर्मी में नहाकर खुद को तरोताजा रख सकते हैं.

इसके लिए वाटर होल के साथ एक हौज भी तैयार किया गया है. इस हौज का साफ पानी वाटर होल में जाता है. जहां पर वन्यजीव पानी पी भी सकते हैं और चाहे तो नहा भी सकते हैं. इस दौरान वाटर होल में पानी गंदा होने पर ये वन्यजीव हौज के साफ पानी को पी सकते हैं.

Water Holes For Wild Animals
आराम फरमाता बाघ (फोटो- ETV Bharat)

W3 के इस मैकेनिज्म और वन्यजीवों की उपलब्धता को जानने के लिए ईटीवी भारत ने राजाजी टाइगर रिजर्व के एसीएफ (असिस्टेंट कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट) अजय लिंगवाल से बात की. उन्होंने बताया कि इसके पीछे कई साल की मेहनत लगी है. जिसके बाद ही उनका यह प्रोजेक्ट सफल हो पाया.

इस प्रोजेक्ट को यहां तक पहुंचने में करीब 5 से 6 साल की मेहनत लगी है. इसके बाद स्थिति ये है कि कितना भी सूखा पड़ जाए या गर्मी हो, अब जिन क्षेत्रों में ये वाटर होल तैयार किए गए हैं वहां पानी की कमी कभी नहीं पड़ती. इसके अलावा समय-समय पर इसको मेंटेन किया जाता है. फिलहाल, ये प्रोजेक्ट दो रेंज में पूरा हुआ है और अब आगे भी इसे करने की तैयारी की जा रही है.- अजय लिंगवाल, एसीएफ, राजाजी टाइगर रिजर्व

राजाजी टाइगर रिजर्व का 50 फीसदी हिस्सा हुआ W3 मॉडल से कवर: राजाजी टाइगर रिजर्व में चार रेंज मौजूद हैं. इनमें चिल्लावाली रेंज, धोलखंड रेंज, बेड़ीवाला रेंज और हरिद्वार रेंज शामिल हैं. इसमें चिल्लावाली रेंज और धोलखंड रेंज में W3 मॉडल को पूरा किया जा चुका है. यानी इस क्षेत्र में पानी की कोई समस्या नहीं रही. अभी बेरीवाड़ा और हरिद्वार रेंज में इसके लिए काम होना बाकी है.

Water Holes For Wild Animals
घास चरते हिरण (फोटो- ETV Bharat)

राजाजी टाइगर रिजर्व में बढ़ा इको टूरिज्म: राजाजी टाइगर रिजर्व में इको टूरिज्म भी काफी तेजी से बढ़ रहा है. राजाजी में जाते समय यहां पर्यटकों की अच्छी खासी संख्या देखने को मिली. हालांकि, विभाग के अधिकारी बताते हैं कि राजाजी टाइगर रिजर्व में इको टूरिज्म के लिए चार महीने बेहद अच्छे होते हैं.

वाटर होल्स के पास नजर आ जाते हैं वन्यजीव: इसमें मार्च और अप्रैल के अलावा अक्टूबर और नवंबर के महीने में वन्यजीवों को आसानी से देखा जा सकता है. यहां पानी के बड़े-बड़े वाटर होल में भी सुबह और शाम के वक्त वन्यजीवों के आसानी से दीदार हो जाते हैं.

वन्यजीव को यदि पानी नहीं मिलेगा तो वो जंगलों से बाहर की तरफ जाने लगेंगे. ऐसे में जंगलों में पानी की उपलब्धता बेहद जरूरी है और इसीलिए तमाम क्षेत्रों में पानी के बड़े-बड़े होल तैयार किया जा रहे हैं. - आरके मिश्रा, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ, उत्तराखंड वन विभाग

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