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अहा ये तरबूज बड़े रसदार, अहा ये फल बड़े रंगदार! जानें, रसीले फल के अनोखे किस्मों की कहानी - SUCCESS STORY

खेती आसान नहीं लेकिन शिद्दत के साथ तरीका नया हो तो उपज भी शानदार और रंगदार होती है. जानें, इस किसान की सक्सेस स्टोरी में.

Farmer Manoj Kumar Mahto set example for farmers by cultivating yellow watermelon in Dhanbad
तरबूज के विभिन्न किस्म (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : April 11, 2025 at 3:34 PM IST

6 Min Read

धनबादः गर्मी का पारा हाई है और तापमान प्रचंड है. इस गर्मी में शरीर के पानी को भाप बनकर सूरज खींच ले रहा है. ऐसे में शरीर को तरावट चाहिए और तरबूज इसका सबसे सशक्त माध्यम है. परंपरागत फल से हटकर अगर तरबूज आपको कई वैराइटी में मिल जाए तो क्या कहने लेकिन ये सच है और असली भी. इस गर्मी आप भी तरबूज की नयी किस्मों को ट्राई करना चाहते हैं, आइये धनबाद.

गर्मियों में सेहत के लिए लोग तरबूज खाना बेहद पसंद करते हैं. इस दौरान बाजारों में तरबूज हर चौक चौराहों पर उपलब्ध है. अगर क्या हो कि किसी दिन आप ऊपर से हरा दिखने वाला तरबूज घर लाएं, उसे काटें तो उसके अंदर लाल के बजाए पीला या सफेद रंग नजर आए तो हैरानी तो होगी ही ना. लेकिन इस हैरत को साकार किया है. धनबाद के एक प्रगतिशील किसान ने.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः धनबाद में तरबूज के तीन किस्म की हो रही खेती (ETV Bharat)

धनबाद जिला में बरवाअड्डा जीटी रोड से सटे आसनबनी, जहां एक प्रगतिशील किसान ने खेती की दिशा बदल दी. किसान मनोज कुमार महतो ने अपनी नयी सोच और भरपूर ऊर्जा के साथ आम लोगों के बीच तरबूज की तीनों किस्म पेश की है. वो अपने खेत में तरबूज की तीन किस्में उगा रहे हैं जो चर्चा का विषय के साथ-साथ लोगों को भी खूब भा रहा है. हम बात कर रहे हैं मनोज कुमार महतो के खास पीले तरबूज की. पीले तरबूज की खेती धनबाद में की जा रही है. महज 70 से 90 दिनों में यह तैयार हो जाता है.

असिस्टेंट प्रोफेसर बीएसके कॉलेज डॉक्टर इशिता भट्टाचार्य ने कहा कि सामान्य तरबूज की तरह ही यह भी तरबूज है. सामान्य तरबूज की तरह ही इसमें भी न्यूट्रीशन पाए जाते हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि लाल की अपेक्षा पीले तरबूज के शुगर की मात्रा थोड़ा अधिक होती है. इससे इसका स्वाद थोड़ा शहद की तरह होता है. पिला तरबूज विटाकिरिटीन के कारण पिला होता है. जबकि लाल तरबूज में लाइकोटिन होता है. ये दोनों पाइटो कैमिकल हैं. प्लांट को कलर देने का काम पाइटो केमिकल्स का है. टमाटर भी लाइकोटिन के कारण ही लाल दिखता है. जैसे हरी घास या हरि पत्तियां क्लोरोफिल के कारण हरी होती हैं. सामान्य तरबूज भी 90 से 100 दिन में तैयार होते हैं.

प्रोफेसर का बयान (ईटीवी भारत)

किसान मनोज कुमार महतो ने बताया कि पारंपरिक खेती वो शुरू से करते आ रहे हैं लेकिन 2018 से उन्होंने आधुनिक खेती की शुरुआत की. 5 एकड़ भूमि पर खेती का कार्य फिलहा वो कर रहें हैं. उनके द्वारा तरबूज की तीन तरह की किस्में उगाई जा रही हैं. एक तरबूज बाहर से पीला और अंदर से लाल, दूसरा बाहर से हरा और अंदर से पीला और सामान्य तरबूज जो बाहर से हरा और अंदर से लाल है. जो तरबूज अंदर से पीला है, उसे सिरोही कहा जाता है जिस तरबूज का ऊपरी भाग पीला और अंदर में लाल है, उसे सिंजेंटा कहा जाता है और ऊपर से हरा और अंदर लाल तरबूज, यह भी सिंजेंटा है.

Farmer Manoj Kumar Mahto set example for farmers by cultivating yellow watermelon in Dhanbad
खेत में काम करते मनोज कुमार महतो व अन्य (ETV Bharat)

मनोज कुमार महतो बताते हैं कि वो बैंगलोर से बीज लाकर दिसंबर महीने में इसे खेतों में लगाया था. 70 से 90 दिनों में यह तरबूज के रूप में तैयार हो जाता है. उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर के रहने वाले तारा चंद बेल हमारे गुरु हैं. उनके द्वारा मुझे इसकी खेती करने की ट्रेनिंग दी गई. जिसके बाद से वो लगातार तरबूज की इन तीन किस्मों की खेती कर रहे हैं और लोगों के बीच तरबूज के नये रंग और नये फ्लेवर पेश कर रहे हैं.

Farmer Manoj Kumar Mahto set example for farmers by cultivating yellow watermelon in Dhanbad
लाल रंग की तरबूज (ETV Bharat)

उन्होंने बताया कि पहली बार देखने पर लोग इसे समझ नहीं पाते हैं लेकिन इसे खाने के बाद इसका स्वाद लोगों को काफी पसंद आ रहे है. आज बाजार में इसकी मांग बढ़ रही है जो इसे एक बार ले जाता है, फिर से दोबारा लेने के लिए आते हैं. अब तक पांच टन बाजार में बिक्री वो कर चुके हैं. खेतों में और 5 टन तरबूज होने के अनुमान हैं, उनकी भी मांग अभी से आ रही है.

Farmer Manoj Kumar Mahto set example for farmers by cultivating yellow watermelon in Dhanbad
किसान मनोज कुमार महतो (ETV Bharat)

कृषि विभाग के पदाधिकारी भी खेती में उनकी मदद की है. मनोज के परिवार में भाई अनिल महतो, सपन महतो व अन्य सदस्यों का भरपूर सहयोग खेती में मिला है. सरकार से थोड़ा और सहयोग की जरूरत उन्होंने बताई है. उन्होंने कहा कि पानी के संसाधन की यहां जरूरत है. सिंचाई की व्यवस्था होने से गांव के अन्य युवाओं को खेती के लिए प्रोत्साहित कर सके. लागत ज्यादा आने के कारण लोग खेती से भागते हैं. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इसकी खेती खूब होती है. उन्होंने बताया कि झारखंड में पहली बार इसकी खेती हम कर रहें हैं.

Farmer Manoj Kumar Mahto set example for farmers by cultivating yellow watermelon in Dhanbad
मनोज कुमार महतो द्वारा की गयी तरबूज की खेती (ETV Bharat)

मनोज कुमार महतो की खेती के कारण आसपास के युवाओं को भी रोजगार मिल रहा है. स्थानीय बताते हैं कि हमने लाल तरबूज देखी थी लेकिन यहां उगाए जाने वाली तरबूज पहली बार देख रहे हैं. जिसके बाद वो इसकी खेती देखने के लिए यहां पहुंचने लगे. अब वो यहां काम भी करते हैं, युवा वर्ग रोजगार के लिए बाहर जाते हैं लेकिन हमें यहां खेतों में ही रोजगार मिल रहा है.

इसे भी पढ़ें- भीषण गर्मी ने हजारीबाग के किसानों के चेहरों पर ला दी मुस्कान, जानिए वजह - Watermelon cultivation in Hazaribag

इसे भी पढ़ें- हजारीबाग में ताइवान के पीले तरबूज की खेती, चीची गांव की महिलाओं ने किया कमाल

इसे भी पढ़ें- केला में नहीं है कोई झमेला ना खाने में और ना ही उगाने में -2 वर्षों से केला उत्पादन में जुटा है सोनू अन्य लोगों को भी दे रहे हैं रोजगार

धनबादः गर्मी का पारा हाई है और तापमान प्रचंड है. इस गर्मी में शरीर के पानी को भाप बनकर सूरज खींच ले रहा है. ऐसे में शरीर को तरावट चाहिए और तरबूज इसका सबसे सशक्त माध्यम है. परंपरागत फल से हटकर अगर तरबूज आपको कई वैराइटी में मिल जाए तो क्या कहने लेकिन ये सच है और असली भी. इस गर्मी आप भी तरबूज की नयी किस्मों को ट्राई करना चाहते हैं, आइये धनबाद.

गर्मियों में सेहत के लिए लोग तरबूज खाना बेहद पसंद करते हैं. इस दौरान बाजारों में तरबूज हर चौक चौराहों पर उपलब्ध है. अगर क्या हो कि किसी दिन आप ऊपर से हरा दिखने वाला तरबूज घर लाएं, उसे काटें तो उसके अंदर लाल के बजाए पीला या सफेद रंग नजर आए तो हैरानी तो होगी ही ना. लेकिन इस हैरत को साकार किया है. धनबाद के एक प्रगतिशील किसान ने.

ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्टः धनबाद में तरबूज के तीन किस्म की हो रही खेती (ETV Bharat)

धनबाद जिला में बरवाअड्डा जीटी रोड से सटे आसनबनी, जहां एक प्रगतिशील किसान ने खेती की दिशा बदल दी. किसान मनोज कुमार महतो ने अपनी नयी सोच और भरपूर ऊर्जा के साथ आम लोगों के बीच तरबूज की तीनों किस्म पेश की है. वो अपने खेत में तरबूज की तीन किस्में उगा रहे हैं जो चर्चा का विषय के साथ-साथ लोगों को भी खूब भा रहा है. हम बात कर रहे हैं मनोज कुमार महतो के खास पीले तरबूज की. पीले तरबूज की खेती धनबाद में की जा रही है. महज 70 से 90 दिनों में यह तैयार हो जाता है.

असिस्टेंट प्रोफेसर बीएसके कॉलेज डॉक्टर इशिता भट्टाचार्य ने कहा कि सामान्य तरबूज की तरह ही यह भी तरबूज है. सामान्य तरबूज की तरह ही इसमें भी न्यूट्रीशन पाए जाते हैं. हालांकि उन्होंने कहा कि लाल की अपेक्षा पीले तरबूज के शुगर की मात्रा थोड़ा अधिक होती है. इससे इसका स्वाद थोड़ा शहद की तरह होता है. पिला तरबूज विटाकिरिटीन के कारण पिला होता है. जबकि लाल तरबूज में लाइकोटिन होता है. ये दोनों पाइटो कैमिकल हैं. प्लांट को कलर देने का काम पाइटो केमिकल्स का है. टमाटर भी लाइकोटिन के कारण ही लाल दिखता है. जैसे हरी घास या हरि पत्तियां क्लोरोफिल के कारण हरी होती हैं. सामान्य तरबूज भी 90 से 100 दिन में तैयार होते हैं.

प्रोफेसर का बयान (ईटीवी भारत)

किसान मनोज कुमार महतो ने बताया कि पारंपरिक खेती वो शुरू से करते आ रहे हैं लेकिन 2018 से उन्होंने आधुनिक खेती की शुरुआत की. 5 एकड़ भूमि पर खेती का कार्य फिलहा वो कर रहें हैं. उनके द्वारा तरबूज की तीन तरह की किस्में उगाई जा रही हैं. एक तरबूज बाहर से पीला और अंदर से लाल, दूसरा बाहर से हरा और अंदर से पीला और सामान्य तरबूज जो बाहर से हरा और अंदर से लाल है. जो तरबूज अंदर से पीला है, उसे सिरोही कहा जाता है जिस तरबूज का ऊपरी भाग पीला और अंदर में लाल है, उसे सिंजेंटा कहा जाता है और ऊपर से हरा और अंदर लाल तरबूज, यह भी सिंजेंटा है.

Farmer Manoj Kumar Mahto set example for farmers by cultivating yellow watermelon in Dhanbad
खेत में काम करते मनोज कुमार महतो व अन्य (ETV Bharat)

मनोज कुमार महतो बताते हैं कि वो बैंगलोर से बीज लाकर दिसंबर महीने में इसे खेतों में लगाया था. 70 से 90 दिनों में यह तरबूज के रूप में तैयार हो जाता है. उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर के रहने वाले तारा चंद बेल हमारे गुरु हैं. उनके द्वारा मुझे इसकी खेती करने की ट्रेनिंग दी गई. जिसके बाद से वो लगातार तरबूज की इन तीन किस्मों की खेती कर रहे हैं और लोगों के बीच तरबूज के नये रंग और नये फ्लेवर पेश कर रहे हैं.

Farmer Manoj Kumar Mahto set example for farmers by cultivating yellow watermelon in Dhanbad
लाल रंग की तरबूज (ETV Bharat)

उन्होंने बताया कि पहली बार देखने पर लोग इसे समझ नहीं पाते हैं लेकिन इसे खाने के बाद इसका स्वाद लोगों को काफी पसंद आ रहे है. आज बाजार में इसकी मांग बढ़ रही है जो इसे एक बार ले जाता है, फिर से दोबारा लेने के लिए आते हैं. अब तक पांच टन बाजार में बिक्री वो कर चुके हैं. खेतों में और 5 टन तरबूज होने के अनुमान हैं, उनकी भी मांग अभी से आ रही है.

Farmer Manoj Kumar Mahto set example for farmers by cultivating yellow watermelon in Dhanbad
किसान मनोज कुमार महतो (ETV Bharat)

कृषि विभाग के पदाधिकारी भी खेती में उनकी मदद की है. मनोज के परिवार में भाई अनिल महतो, सपन महतो व अन्य सदस्यों का भरपूर सहयोग खेती में मिला है. सरकार से थोड़ा और सहयोग की जरूरत उन्होंने बताई है. उन्होंने कहा कि पानी के संसाधन की यहां जरूरत है. सिंचाई की व्यवस्था होने से गांव के अन्य युवाओं को खेती के लिए प्रोत्साहित कर सके. लागत ज्यादा आने के कारण लोग खेती से भागते हैं. तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इसकी खेती खूब होती है. उन्होंने बताया कि झारखंड में पहली बार इसकी खेती हम कर रहें हैं.

Farmer Manoj Kumar Mahto set example for farmers by cultivating yellow watermelon in Dhanbad
मनोज कुमार महतो द्वारा की गयी तरबूज की खेती (ETV Bharat)

मनोज कुमार महतो की खेती के कारण आसपास के युवाओं को भी रोजगार मिल रहा है. स्थानीय बताते हैं कि हमने लाल तरबूज देखी थी लेकिन यहां उगाए जाने वाली तरबूज पहली बार देख रहे हैं. जिसके बाद वो इसकी खेती देखने के लिए यहां पहुंचने लगे. अब वो यहां काम भी करते हैं, युवा वर्ग रोजगार के लिए बाहर जाते हैं लेकिन हमें यहां खेतों में ही रोजगार मिल रहा है.

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