अंबाला/चंडीगढ़ : गुजरात के अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के हादसे का शिकार हो जाने के बाद से सभी के मन में सवाल है कि आखिर ऐसी क्या वजह रही होगी जिसके चलते प्लेन क्रैश हो गया और इतने लोगों की अकाल मौत हो गई. ये बोइंग का 787-8 ड्रीमलाइनर विमान था जो पहले कभी क्रैश नहीं हुआ था. ऐसे में अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश के बाद पूरी दुनिया हैरान है. ईटीवी भारत ने भारतीय वायुसेना से रिटायर्ड विंग कमांडर एस.डी. विज और पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एयरोस्पेस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और एयरोनॉटिकल इंजीनियर तेजिंदर कुमार जिंदल से बात करके हादसे की पीछे की वजह तलाशने की कोशिश की है.
AI-171 कुछ ही सेकेंड में हो गया क्रैश : 12 जून की दोपहर अहमदाबाद एयरपोर्ट से एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 उड़ती है लेकिन अपने डेस्टिनेशन की तरफ बढ़ने के बजाय कुछ ही सेकेंड में वो हवा में स्लाइड करते हुए नीचे आकर इमारत में क्रैश हो जाती है. तभी से हर कोई ये जानना चाह रहा है कि आखिर क्यों ये प्लेन उड़ान भरते ही अचानक से क्रैश हो गया. ईटीवी भारत की टीम ने एक्सपर्ट्स से बात करके आपके मन में आ रहे सवालों के जवाबों को ढूंढने की कोशिश की है.
सबसे पहले पायलट को पता चलता है : ईटीवी भारत ने इस बारे में चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज के एयरोस्पेस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और एयरोनॉटिकल इंजीनियर तेजिंदर कुमार जिंदल से एक्सक्लूसिव बातचीत की और प्लेन क्रैश के बारे में तफ़्सील से सारे सवाल पूछे. उन्होंने बताया कि प्लेन में खराबी आने का सबसे पहले पायलट को ही पता चलता है. पायलट इसके बाद एटीसी से कॉन्टैक्ट करता है और उन्हें बताता है कि ये प्रॉब्लम आ गई है. अगर आप कोई अरेंजमेंट कर सकते हैं तो करिए.
पायलट ने मेडे का कॉल दिया : अहमदाबाद प्लेन क्रैश के वक्त पायलट काफी ज्यादा प्रेशर में था और इसलिए उसने मेडे (May Day) का कॉल दिया और बताया कि थ्रस्ट लूज़ कर रहे हैं. इसका मतलब है कि इंजन में कोई मेजर प्रॉब्लम आ गई, तभी पायलट ने ऐसे बताया.
"प्लेन के दोनों इंजन हो गए फेल" : उन्होंने बताया कि प्लेन के इंजन विंग्स के नीचे लगे होते हैं. दो इंजन थे. अगर एक इंजन भी फेल होता है तो एयरक्राफ्ट दूसरे इंजन के जरिए भी फ्लाई कर सकता है इमरजेंसी में. यहां तक कि वो सेफ डिस्टेंस तक जा सकता है और फिर सेफ तरीके से लैंड भी कर सकता है. इस केस में तो ऐसा लग रहा है कि दोनों इंजन ही फेल हुए हैं.
"पायलट का एक्शन नज़र नहीं आया" : उन्होंने कहा कि मेरा जो पर्सनल ऑब्जर्वेशन है तो उसमें मुझे कंट्रोल लॉस भी वजह लगती है. 10-15 सेकेंड का वीडियो जिसने रिकॉर्ड किया था प्लेन के अंतिम क्षणों का, उसमें पायलट का एक्शन भी कुछ नज़र नहीं आ रहा है. तो ऐसा तो हो नहीं सकता कि पायलट ने प्लेन को बचाने के लिए कुछ ना किया हो. इसका मतलब कि उसके हाथों में कुछ भी नहीं था उस वक्त. इसीलिए वो नीचे जाते-जाते क्रैश हो गया.

ब्लैक बॉक्स में सारी बातचीत रिकॉर्ड होती है : तेजिंदर कुमार जिंदल ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया वैज्ञानिक डॉ. डेविड वॉरेन ने 1950 के दशक में ब्लैक बॉक्स का आविष्कार किया था. प्लेन के अंदर ब्लैक बॉक्स होता है जिसमें कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर होता है. इसमें पायलट और को पायलट के आपस की बातचीत भी रिकॉर्ड होती है. इंस्ट्रूमेंट की नॉयज़, केबिन की आवाज़ें सभी कुछ कैप्चर होती है. एटीसी से क्या बात कर रहे हैं पायलट, वो सब भी रिकॉर्ड होती है इसमें. दूसरा इसमें होता है फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर. उसमें फ्लाइट के सारे पैरामीटर्स लगातार रिकॉर्ड होते रहते हैं.
ब्लैक बॉक्स की अहम भूमिका : विमान हादसे की जांच में सबसे ज्यादा अहम भूमिका ब्लैक बॉक्स की ही होती है. ब्लैक बॉक्स को इस तरह से बनाया जाता है कि कितना भी ख़तरनाक क्रैश क्यों ना हो, ये सुरक्षित रहता है और फिर जांच से हादसे की वजह पता चलती है और फ्यूचर में होने वाले हादसों को रोकने में मदद मिलती है. ब्लैक बॉक्स का डाटा बताता है कि हादसे के पीछे क्या पायलट की गलती थी या फिर कोई तकनीकी खराबी या फिर मौसम इसकी वजह थी या फिर बर्ड हिट जैसी कोई बाहरी दिक्कत.

"ब्लैक बॉक्स में 25 घंटे का डाटा" : उन्होंने बताया कि ब्लैक बॉक्स में आज से 40 साल पहले आधे घंटे की टेप होती थी जो कंटीन्यू घूमती रहती थी. 30 मिनट के बाद दोबारा से रिकॉर्ड होना शुरू हो जाता था. हमारे पास तब 30 मिनट का ही डेटा होता था. अब सॉलिड स्टेट डिवाइस आ चुकी है, ऐसे में इसमें 25 घंटे का डाटा स्टोर रहता है जिसमें इंजन, ऑल्टीट्यूड से लेकर सारे पैरामीटर्स शामिल होते हैं.
ब्लैक बॉक्स का डाटा आने में कितना वक्त? : तेजिंदर कुमार जिंदल ने कहा कि ब्लैक बॉक्स को रिट्रीव करके इसकी रिपोर्ट तैयार की जाती है. अगर ब्लैक बॉक्स से डाटा रिट्रीव करने की बात करें तो अगर वो सेफ हालत में है तो उसको एनालिसिस करके शुरुआती रिपोर्ट आने में 25 से 30 दिन का समय लगता है. पूरी रिपोर्ट आने में तो एक-दो साल भी लग जाते हैं क्योंकि उसमें काफी सारा डाटा होता है. अलग-अलग टूल्स का इस्तेमाल करना पड़ता है, पूरी घटना को रिप्रोड्यूस करना पड़ता है.
"बोइंग 737 में थी प्रॉब्लम" : उन्होंने कहा कि कमर्शियल प्लेन की बात करें तो दो कंपनियां है, एक बोइंग कंपनी है, दूसरा एयरबस है. बोइंग के दो प्रोडक्ट्स है. एक बोइंग 737 मैक्स में ऑटो पायलट ऑटोमैटिकली एंगेज हो जाता था. उसकी वजह से दो घटनाएं हो चुकी है, क्योंकि उसका एक उपकरण फॉल्ट ही था. सिस्टम ऑटो पायलट में चला जाता था और पायलट के कंट्रोल में नहीं रहता था.

"बोइंग 787 में भी थी शुरुआती दिक्कतें" : दूसरा बोइंग 787 जिसे ड्रीमलाइनर कहते हैं, ये जब शुरू-शुरू में लॉन्च हुआ था, तब इसमें बैट्री की प्रॉब्लम थी, उसे बाद में ठीक कर लिया गया था. बाकी छोटी-छोटी प्रॉब्लम्स आई थी लेकिन मेजर प्रॉब्लम कभी नहीं आई. सेफ्टी रेगुलेटर्स को ज्यादा जानकारी होगी इस बारे में. लेकिन मीडिया में ऐसा कुछ निकलकर सामने नहीं आया.
पायलट के पास पूरी चेकलिस्ट : उन्होंने कहा कि पायलट के पास एक चेकलिस्ट होती है. हर प्लेन का अपना एक प्रोटोकॉल होता है. आजकल हर चीज ऑटोमेटेड है. पायलट को कब क्या करना है, वो भी तय है. बस इमरजेंसी के दौरान पायलट का फैसला होता है वर्ना पायलट को प्रोटोकॉल के मुताबिक ही करना होता है. तो देखा जाए तो फ्लाइट बड़ी सेफ है. ऐसी कोई घबराने वाली बात नहीं है.

हादसा होने की पॉसिबिलिटी कब ? : आगे उन्होंने बताते हुए कहा कि कभी कोई टेक्निकल ग्लिच रह जाता है, कभी कुछ मेंटेनेंस में प्रॉब्लम रह जाती है, कभी पायलट कुछ स्टेप लेना भी भूल जाता है गलती से तो भी हादसा होने की पॉसिबिलिटी रहती है. प्लेन के पायलट के साथ एटीसी भी प्लेन का डाटा मॉनिटर करता रहता है. उसके पास भी डाटा कंटीन्यू ऑनलाइन स्ट्रीम होता रहता है.
उड़ान से पहले पैरामीटर्स को किया जाता है चेक : वहीं अंबाला में भारतीय वायुसेना से रिटायर्ड विंग कमांडर एस.डी. विज ने भी अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट के क्रैश होने पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि उड़ान से पहले हमेशा सारे पैरामीटर्स चेक किए जाते हैं. पायलट और को-पायलट भी कॉकपिट में जाकर सबकुछ अच्छे से एक बार चेक कर लेते हैं
"इंजन शुरू करने से पहले देते हैं सिग्नल" : पैरामीटर्स को चेक करने के बाद फिर ग्राउंड कंट्रोल को पायलट सिग्नल देते हैं कि वे इंजन शुरू करने जा रहे हैं. इसके बाद पायलट प्लेन को रनवे पर ले जाता है और फिर से पैरामीटर्स चेक किए जाते हैं. वे कहते हैं कि इस तरह से देखा जाए तो अहमदाबाद फ्लाइट के पायलट के हिसाब से सारे पैरामीटर्स बिलकुल ठीक थे.
"हाइड्रोलिक फेल्योर हुआ"!: एस.डी. विज कहते हैं कि अभी तक के वीडियोज़ में जो कुछ सामने आया है, उस हिसाब से प्लेन को अगर देखें तो फ्लाइट का नॉर्मल टेकऑफ हुआ है. लेकिन फिर हम देखते हैं कि प्लेन अचानक से नीचे आने लग जाता है. विज कहते हैं कि उनके हिसाब से हाइड्रोलिक फेल्योर हुआ है.

क्या होता है हाइड्रोलिक फेल्योर ? : अब जानिए कि क्या होता है हाइड्रोलिक फेल्योर. दरअसल फ्लाइट में हाइड्रोलिक फेल्योर का मतलब है कि विमान का हाइड्रोलिक सिस्टम, जिसमें लैंडिंग गियर, ब्रेक, फ्लैप और बाकी महत्वपूर्ण भाग आते हैं, वो ठीक से काम करना बंद कर देते हैं. इससे विमान को कंट्रोल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.
"फ्लैप प्लेन को ड्रिफ्ट देते हैं" : विज ने कहा कि कि हाइड्रोलिक फेल्योर के चलते प्लेन का अंडर कैरियेज ऊपर नहीं जा पाया और जो टेक ऑफ करने के बाद फ्लैप है वो नीचे आता है. फ्लैप विंग के पीछे लगे होते हैं, वो उसको ड्रिफ्ट देते हैं प्लेन को लिफ्ट करने के लिए. फ्लैप जो मुझे नज़र आया, वो फ्लैट थे, जिसकी वजह से प्लेन को लिफ्ट नहीं मिली.

हाइट हो तो प्लेन रिकवर कर सकता है : एस.डी. विज ने आगे बताया कि पायलट ने मेडे-मेडे किया. ये तभी किया जाता है, जब एक्सट्रीम इमरजेंसी होती है. सिर्फ उसी टाइम पर ये कॉल दी जाती है. ऐसी परिस्थितियों में अगर पायलट के पास जरूरत के मुताबिक हाइट है तो वो इससे रिकवर कर सकता है, वर्ना बहुत मुश्किल होता है. अगर पायलट के पास हाइट है और टाइम है तो भी ऐसी परिस्थितियों में प्लेन को रिकवर किया जा सकता है लेकिन ना तो उसके पास हाइट थी और ना ही उसके पास टाइम था जिसके चलते ये हालात बने.
फ्लैप डाउन होने पर थ्रस्ट मिलती है : विज ने कहा कि फ्लैप डाउन होने पर थ्रस्ट मिलती है, हाईट गेन होती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो सका. फिर व्हील को भी कुछ हाइट पर ऊपर उठा दिया जाता है. वो भी नहीं हो सका. इसका मतलब है कि कोई मेजर फेल्योर हुआ है जिसके चलते ये क्रैश हुआ है.

बोइंग प्लेनों पर उठ रहे सवालों पर क्या बोले ? : बोइंग प्लेन को लेकर उठ रहे सवालों पर बोलते हुए विज ने कहा कि भारत के पास साल 2014 से बोइंग है लेकिन पिछले 11 सालों में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. कोई हादसा नहीं हुआ. इसकी हिस्ट्री काफी अच्छी है. कोई दिक्कत नहीं आई कभी.
विमान हादसे का सबसे ज्यादा ख़तरा कब ? : आपको बता दें कि विमान हादसे का सबसे ज्यादा ख़तरा टेकऑफ करते वक्त और लैंडिंग करते वक्त ही रहता है. इस दौरान मौसम का टर्बुलेंस, बर्ड हिट और इंजन फेल्योर का ख़तरा होता है.
उड़ान से पहले किस तरह की जांच होती है ? : विमान की उड़ान से पहले कई तरह की जांच होती है. सारे पैरामीटर्स चेक किए जाते हैं. इसमें फ्यूल सिस्टम की जांच की जाती है. साथ ही इंजन में ईंधन डालने और ऑयल सिस्टम की जांच होती है. प्लेन के हाइड्रोलिक सिस्टम को जांचा जाता है. ब्रेक्स को चेक किया जाता है. साथ ही इंजन के पावर का टेस्ट भी किया जाता है. इसके अलावा कैबिन में हवा पहुंचाने वाले सिस्टम की भी जांच होती है.
अहमदाबाद में क्रैश होने वाले बोइंग ड्रीमलाइनर को जानिए : अहमदाबाद में क्रैश होने वाला बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर को अमेरिकी कंपनी बोइंग ने बनाया है जो दुनिया भर के अलग-अलग देशों को हवाई जहाज बेचती है. बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर एक आधुनिक एयरक्राफ्ट है जिसमें डबल इंजन हैं और इसे लंबी दूरी के उड़ानों के लिए डिज़ाइन किया गया है. ये काफी फ्यूल-एफिशिएंट विमान है और इससे फ्यूल की बचत भी होती है. इसका 50 फीसदी हिस्सा कार्बन फाइबर जैसे मटेरियल से बना हुआ है जिसके चलते ये लाइट वेट होने के साथ मजबूत भी होता है. इसमें बाकी कमर्शियल फ्लाइट्स के मुकाबले बड़ी खिड़कियां होती है. साथ ही इसमें सीटें काफी आरामदायक होती है और लोगों को एक अच्छा एक्सपीरियंस देती है.


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