नई दिल्ली: हर साल सऊदी अरब के मक्का में आयोजित होने वाले हज की शुरुआत इस साल जून में होने की उम्मीद है. हालांकि, हज यात्रा से पहले ही सऊदी अरब के एक फैसले ने भारत में हज करने का ख्वाब देख रहे लोगों के बीच खलबली मचा दी है. दरअसल, सऊदी सरकार ने हाल ही में भारत के प्राइवेट हज कोटे में अचानक 80 फीसदी की कटौती कर दी थी.
इसको लेकर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने विदेश मंत्रालय से मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग की. हालांकि, केंद्र सरकार के दखल के बाद सऊदी अरब हज मंत्रालय भारतीय से हज यात्रा पर जाने वालों के लिए 10 हजार वीजा और देने पर सहमत हो गया.

अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय (MoMA) भारतीय हज समिति के माध्यम से मुख्य कोटे के तहत चालू वर्ष में 122,518 तीर्थयात्रियों के लिए व्यवस्था का प्रबंधन कर रहा है. सऊदी दिशा-निर्देशों के अनुसार सभी आवश्यक तैयारियां - उड़ानें, परिवहन, मीना शिविर, आवास और सेवाएं - पूरी कर ली गई हैं.
Thanks to the Government’s intervention, the Saudi Haj Ministry has agreed to re-open the Haj (Nusuk) Portal for CHGOs to accommodate 10,000 pilgrims, based on current availability in Mina.
— Ministry of Minority Affairs (@MOMAIndia) April 15, 2025
बेशक केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद सऊदी सरकार दस हजार देने पर सहमत हो गई हो, लेकिन यह सवाल अभी भी लोगों के मन में है कि आखिर सऊदी अरब किस आधार पर हज कोटा फिक्स करता है और इसके कम करने से क्या नुकसान होता है. अगर आप के मन में भी ये सवाल उठ रहे हैं, तो चलिए आपको इसके बारे में बताते हैं.

हज कोटा क्यों आवंटित होता है?
इस साल दुनिया भर से 20 लाख से ज्यादा मुसलमानों के सऊदी अरब के मक्का में हज के लिए पहुंचने की उम्मीद है. हज के दौरान दुनियाभर के मुसलमान इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल काबा की परिक्रमा (तवाफ) करते हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों के लिए हज यात्रा का आयोजन करना बड़ी चुनौती होती है. इतना ही नहीं हर हज यात्री को मक्का में 40 दिनों तक रुकना होता है.

दरअसल, सऊदी अरब को हज के दौरान दुनियाभर से मक्का आने वाले हज यात्रियों के लिए रहने की जगह, खाना और सिक्योरिटी का बंदोबस्त करना होता है. इसलिए, सऊदी अरब हर देश को कुछ कोटा आवंटित करता है, ताकि हर देश के मुसलमान हज के लिए मक्का आ सकें. इसके लिए हर देश से आने वाले हज यात्रियों के लिए एक संख्य तय जाती है.

हज कोटा आवंटन का तरीका क्या है?
हज कोटा मोटे तौर पर उस देश में मुसलमानों की संख्या के आधार पर आवंटित किया जाता है, जहां से मक्का आने वाले हैं. 1987 में इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) ने मुस्लिम बहुल देशों के लिए हर 1000 मुसलमानों पर एक हज यात्री का नियम बनाया था.
उदाहरण के लिए इंडोनेशिया सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है. यहां लगभग 25 करोड़ मुसलमान हैं. नियम के मुताबिक इंडोनेशिया को 250,000 लोगों के लिए वीजा जारी किए जाएंगे . इसके अलावा हज कोटा एक कूटनीतिक मुद्दा भी है. ऐसे में कुछ देश कूटनीति के आधार पर अपने देश के लिए अधिक हज कोटे की मांग करते हैं.

भारत में कैसे बंटता है हज कोटा?
बता दें कि भारत और सऊदी अरब के बीच हज द्विपक्षीय समझौता हुआ था. इसके अनुसार उस साल कुल 1,75,025 भारतीय हज यात्रा पर गए थे, जबकि अल्पसंख्यक मंत्रालय भारतीय हज समिति के माध्यम से मुख्य कोटे के तहत चालू वर्ष में 122,518 तीर्थयात्रियों के लिए व्यवस्था का प्रबंधन कर रहा है.
भारत में यह सिस्टम इस तरह काम करता है कि सऊदी अरब देश को जो कोटा आवंटिट करता है, उसे अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय हज समिति विभिन्न शेयरहोल्डर्स में वितरित करती है. भारत के कुल कोटे का 70 प्रतिशत हिस्सा भारत हज कमेटी के खाते में जाता है और 30 प्रतिशत प्राइवेट ऑपरेटरों को मिलता है.

किस राज्य को कितना कोटा?
अल्पसंख्यक मंत्रालय और भारतीय हज समिति यह तय करती है कि देश के किस राज्य के कितने लोग हज पर जाएंगे. इसके लिए हज कमेटी हर राज्य से ऐप्लीकेशन आवेदन मंगाती है. उसके बाद उसका ड्रॉ निकाला जाता है. जिन लोगों के नाम का ड्रॉ निकलता है उन्हें हज पर जाने का मौका मिलता है.
प्राइवेट ऑपरेटर लेते हैं ज्यादा पैसा
जैसे कि हमने पहले बताया कि हज कोटे का 30 प्रतिशत हिस्सा प्राइवेट ऑपरेटर को मिलता है. ऐसे में वह हज यात्रा पर जाने वाले यात्रियों से अपनी इच्छानुसार फीस लेते हैं. ऐसे में कोई भी शख्स ज्यादा पैसा खर्च करके प्राइवेट ऑपरेटर के जरिए हज करने जा सकता है. हालांकि, भारत से ज्यादातर यात्री हज कमेटी के माध्यम से मक्का जाते हैं.

एक यात्री पर कितना आता है खर्च
एक अनुमान के अनुसार2025 में एक हज यात्री पर लगभग 3 लाख 37 हजार रुपये का खर्च आ सकता है, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 3 लाख 53 हजार रुपये था. हज यात्रा का खर्च सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी पर निर्भर करता है. चूंकि अलग-अलग राज्य सरकारें से हज पर जाने वालों को कुछ सब्सिडी या आर्थिक मदद देती हैं.
हालांकि, प्राइवेट ऑपरेटर्स के जरिए हज करने पर आपको यह सब्सिडी नहीं मिलती. ऐसे में प्राइवेट ऑपरेटर्स हज यात्रियों से छह से सात लाख रुपये तक वसूलते हैं. इस पैसे में उनका फ्लाइट से आने-जाने, होटलों में ठहरने, खाने-पीने और मक्का में ट्रांसपोर्ट का खर्च शामिल होता है. यह सब खर्चा हज यात्री को खुद वहन करना होता है.
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