मुंबई: जेल नियम किया है और इसे जानने का सभी को अधिकार है. इस पर जोर देते हुए बंबई हाई कोर्ट ने अगले 48 घंटों के भीतर राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर जेल और पुलिस नियम प्रकाशित करने का निर्देश दिया है.
बंबई हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि, इस संबंध में जागरूकता पैदा करने के लिए सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए. जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति डॉ. नीला गोखले की खंडपीठ के समक्ष कैदियों को दी जाने वाली सुविधाओं से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस संबंध में कई मुद्दों पर गंभीर टिप्पणी की है.
अदालत ने कहा कि, मूल रूप से जेल नियमों के बारे में किसी को भी जानकारी नहीं है तो इसे प्रकाशित क्यों नहीं किया जाता है. इसके लिए सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तरह की महत्वपूर्ण जानकारी आम आदमी तक पहुंचाने के उद्देश्य से इस माध्यम का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने कहा कि, पुलिस नियमों में क्या लिखा है, इसे जानने का अधिकार सभी को है. कोर्ट ने राज्य सरकार को इन नियमों को ऑनलाइन प्रकाशित न करने के किसी भी कारण के लिए वरिष्ठ अधिकारियों से सुझाव लेने का भी आदेश दिया और मामले की सुनवाई सोमवार, 28 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी.
हाई कोर्ट ने राज्य की जेलों में कैदियों की स्वास्थ्य देखभाल की स्थिति पर गंभीर चिंता व्यक्त की. कोर्ट ने कुछ सवाल किए...
- राज्य भर की जेलों में इस समय कितने डॉक्टर उपलब्ध हैं और उनकी योग्यता अनुभव क्या है
- जेलों में कौन सी दवाइयां उपलब्ध है
- अगर किसी को कैंसर या इंसुलिन की जरूरत है तो क्या वो दवाइयां उपलब्ध हैं
- क्या दवाइयों लिए जरूरी फंड है
कोर्ट ने कहा कि, अगर कैदी हैं भी तो उन्हें इलाज से वंचित नहीं किया जा सकता. इतना ही नहीं कोर्ट ने जेलों में मेडिकल रिक्तियों की भी जानकारी मांगी है. इसके साथ ही कोर्ट ने आपातकालीन परिवहन सेवाओं की उपलब्धता पर भी सवाल उठाए हैं.
कोर्ट ने पूछा कि, क्या जेल के पास एंबुलेंस हैं ताकि आपातकालीन स्थिति में कैदियों को अस्पताल पहुंचाया जा सके. हाईकोर्ट ने राज्य भर की किन जेलों में एंबुलेंस उपलब्ध हैं और कहां-कहां, इसकी जानकारी पेश करने के आदेश जारी किए हैं. कोर्ट ने कहा कि, इन सबके लिए आपके जेल अधिकारी ही जिम्मेदार होंगे.
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