अहमदाबाद: पद्म विभूषण से सम्मानित भारतीय कथक नृत्यांगना और कोरियोग्राफर कुमुदिनी लाखिया का 95 वर्ष की आयु में शनिवार को निधन हो गया. लाखिया ने शनिवार सुबह अहमदाबाद में अंतिम सांस ली. इस साल गणतंत्र दिवस पर उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्हें 1987 में पद्म श्री और 2010 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसिद्ध कथक कलाकार कुमुदिनी लाखिया के निधन पर शोक व्यक्त किया. उन्होंने को एक उत्कृष्ट सांस्कृतिक प्रतीक बताया और कहा कि कथक और भारतीय शास्त्रीलाखिया य नृत्यों के प्रति जुनून उनके वर्षों के उल्लेखनीय काम में झलकता था.
लाखिया को 'सच्ची अग्रणी' बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने नर्तकियों की कई पीढ़ियों का मार्गदर्शन किया. उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा."
Deeply saddened by the passing of Kumudini Lakhia ji, who made a mark as an outstanding cultural icon. Her passion towards Kathak and Indian classical dances was reflected in her remarkable work over the years. A true pioneer, she also nurtured generations of dancers. Her…
— Narendra Modi (@narendramodi) April 12, 2025
एक्स पर एक पोस्ट में पीएम मोदी ने कहा, "कुमुदिनी लाखिया जी के निधन से गहरा दुख हुआ, जिन्होंने एक उत्कृष्ट सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में अपनी पहचान बनाई. कथक और भारतीय शास्त्रीय नृत्यों के प्रति उनका जुनून वर्षों से उनके उल्लेखनीय कार्यों में झलकता था. एक सच्ची अग्रणी, उन्होंने नर्तकियों की पीढ़ियों को भी आगे बढ़ाया. उनके योगदान को संजोया जाएगा. उनके परिवार, छात्रों और प्रशंसकों के प्रति संवेदना. ओम शांति."
कथक के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग किया
कुमुदिनी लाखिया का जन्म 17 मई 1930 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ था. वह एक सफल भारतीय कथक नर्तक और कोरियोग्राफर थीं. उन्होंने 1967 में अहमदाबाद में कदंब नृत्य एवं संगीत विद्यालय की स्थापना की, जो भारतीय नृत्य और संगीत को समर्पित एक संस्था है. लाखिया को कथक के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग का श्रेय दिया जाता है.
कुमुदिनी लाखिया को 1987 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया था, जिसके बाद उन्हें 2010 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. वर्ष 2025 में उन्हें कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया.
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