नई दिल्ली: कहा जाता है कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती. इसका जीता जागता प्रमाण हैं नियति चित्रांश. नियति 14 साल की हैं और 42 म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट्स को आंखों में पट्टी बांधकर बजाने का हुनर रखती हैं. नियति में छह महीने की उम्र से ही यह प्रतिभा दिखने लगी थी. 21 जून को वर्ल्ड म्यूजिक डे के मौके पर नियति चित्रांश की बात करना इस दिन को और अनमोल बना दे रहा है. आइए बात करते हैं नियति चित्रांश की प्रतिभा और उपलब्धियों के बारे में...
संगीतकार ए आर रहमान हैं नियति के आदर्श
नियति 42 म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट ब्लाइंडफोल्ड (आंखों पर पट्टी बांधकर) बजा लेती हैं. मशहूर म्यूजिक कंपोजर एआर रहमान उनके आइडल हैं. आंखों पर पट्टी बांधकर वह भारतीय और विदेशी इंस्ट्रूमेंट बजाती हैं. इसमें तबला, पियानो, कलिंगा, यूकुलेले, तबला, बांसुरी आदि शामिल है. 'ETV भारत' से बातचीत के दौरान वो अफ्रीकन इंस्ट्रूमेंट कीहोन के साथ थीं.
लक्ष्मी नगर के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट शॉप की हैं ब्रांड एंबेसडर
नियति ने कई इंस्ट्रूमेंट बजाने के लिए पर्याप्त ट्रेनिंग ली है. कई दूसरे इंस्ट्रूमेंट के लिए उन्होंने यूट्यूब का सहारा लिया. इतना ही नहीं दिल्ली के लक्ष्मी नगर की एक दुकान से वह अपने सभी म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट खरीदती हैं और इस दुकानदार ने उनको अपनी दुकान का ब्रांड एंबेसडर बनाया है. दुकान पर आने वाले सभी नए म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट की जांच के लिए वह नियति को बुलाते हैं.

कई अवार्ड्स से सम्मानित हो चुकी हैं नियति
उपलब्धियों की फेहरिस्त में नियति को अभी तक ब्लाइंडफोल्ड के जरिए इंस्ट्रूमेंट को बजाने के लिए इंडिया बुक ऑफ अवॉर्ड, नेशनल बुक ऑफ अवॉर्ड, स्टेट लेवल ट्रॉफी आदि से सम्मानित किया जा चुका है. इसमें उनको मात्र 65 सेकेंड्स के अंदर 15 वाद्य यंत्रों के साथ भारत का राष्ट्रगान पियानो के जरिए बजाने का रिकॉर्ड भी कायम किया है. साथ ही, वह शिव तांडव को ब्लाइंडफोल्ड कर के पियानो पर बखूबी बजा लेती हैं. इसके लिए उन्हें एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है.

स्कूल में खुद का एक बैंड
नियति ईस्ट दिल्ली के सूर्या नगर के प्लेटिनम वैली इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ती हैं. यहां के सभी टीचर्स उनके हुनर का सम्मान करते हैं. वहीं पूरे स्कूल में केवल नियति हैं जिनको कभी भी म्यूजिक रूम में जाने की इजाजत है. इसके अलावा नियति ने स्कूल में खुद का एक बैंड भी बनाया है. इसमें 80 बच्चों की टीम है.

6 महीने की उम्र में गिफ्ट किया पियानो
नियति आगे बताती हैं कि उनकी मां ने मात्र 6 महीने की आयु में खिलौने के रूप में एक पियानो गिफ्ट किया था, जो उनके जीवन का सबसे पसंदीदा खिलौना बन गया. 3 साल की आयु में केवल टैलेंट चेक करने के लिए मां ने एक टीचर के पास भेजना शुरू किया. इसके बाद औपचारिक रूप से 6 वर्ष की आयु में म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने की ट्रेनिंग लेनी शुरू की. स्कूल में पहले ही परफॉर्मेंस में बच्चों और टीचर्स ने तालियां बजा कर प्रोत्साहित किया था. 13 साल की उम्र में स्टेट परफोर्मेंस में तबला बजाया, तब भी जजों ने बीच में ही खड़े होकर तालियां बजाई. जो कि नियति के लिए ना भूलने वाला पल था.
लैपटॉप पर एडिटिंग भी करती हैं नियति
नियति की उपलब्धियां कई हैं. वह इंडियन आइडल में भाग ले चुकी हैं. इसके अलावा वह कई मशहूर हस्तियों से भी मिली है. हैरान कर देने वाली बात यह है कि नियति केवल म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाती ही नहीं बल्कि उनकी लैपटॉप पर एडिटिंग भी कर लेती हैं. नियति की मां दिव्या बताती हैं कि उन्होंने छह महीने की आयु से ही नियति की म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट के प्रति रुचि देख कर 3 साल होने पर एक टीचर के पास भेज दिया. नियति के मामा बेहतरीन इंस्ट्रुमेंटल प्लेयर हैं.

संगीत में Phd करेगी नियति
हर माता पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे तरक्की में चार कदम आगे रहें. यही सपना नियति की मां सिंगल पेरेंट के तौर पर देखती हैं. दिव्या बताती हैं कि नियति बड़ी होकर संगीत में Phd करना चाहती हैं. इसके लिए उन्होंने अपने टॉपिक का चयन भी कर लिया है, जो 'इवोल्यूशन ऑफ म्यूजिक ऋग्वेद टू प्रेजेंट टाइम' है. ताकि वह पता लगा सकें कि अभी तक तमाम वाद्य यंत्रों में कितना बदलाव आया है.

मशहूर संतूर वादक अभय रुस्तम सोपोरी ने की प्रशंसा
मशहूर संतूर वादक और संगीतकार पंडित अभय रुस्तम सोपोरी नियति की तारीफ करते हुए बताते हैं कि जिसके साथ भगवान होता है, वह एक अलग पथ पर आगे बढ़ता है. इसी बात की मिसाल साबित कर रही हैं नियति चित्रांश. नियति 42 वाद्य यंत्र बजा लेती हैं. म्यूजिक एडिटिंग कर लेती हैं. वहीं कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं.
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