नई दिल्ली: केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने देश भर में विभिन्न दवा कंपनियों द्वारा निर्मित 131 नकली और घटिया गुणवत्ता वाली दवाओं की पहचान की है. औषधि नियामक ने ऐसी दवाओं को बाजार से तत्काल वापस लेने का आदेश दिया है. एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय औषधि प्रयोगशालाओं ने 70 दवा नमूनों की पहचान मानक गुणवत्ता (एनएसक्यू) के रूप में नहीं की है. वहीं राज्य औषधि परीक्षण प्रयोगशालाओं ने 61 दवा नमूनों की पहचान मानक गुणवत्ता के रूप में नहीं की है.
बता दें कि एनएसक्यू के रूप में दवा नमूनों की पहचान एक या अन्य निर्दिष्ट गुणवत्ता मापदंडों में दवा नमूने की विफलता के आधार पर की जाती है. अधिकारी के अनुसार, यह विफलता सरकारी प्रयोगशाला द्वारा परीक्षण किये गये बैच के औषधि उत्पादों तक ही सीमित है. इससे बाजार में उपलब्ध अन्य औषधि उत्पादों के संबंध में किसी प्रकार की चिंता की आवश्यकता नहीं है. अधिकारी के अनुसार एनएसक्यू और नकली दवाओं की पहचान करने की यह कार्रवाई राज्य नियामकों के सहयोग से नियमित आधार पर की जाती है.
जिन दवाओं को मानक गुणवत्ता का नहीं बताया गया है, उनमें कैल्शियम और विटामिन डी3 टैबलेट, जिंक सल्फेट 20 एमजी डिस्पर्सिबल टैबलेट, रैबिसैप टैबलेट, रैबेप्राजोल गैस्ट्रो रेसिस्टेंट टैबलेट आईपी 20 एमजी आदि शामिल हैं. औषधि नियामक ने हाल ही में 35 अस्वीकृत फिक्स्ड-डोज संयोजन (एफडीसी) दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया था, जिनमें दर्द निवारक, पोषण संबंधी पूरक और मधुमेह-रोधी दवाएं शामिल थीं.
भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ. राजीव रघुवंशी ने कहा, "यह निदेशालय के संज्ञान में आया है कि कुछ एफडीसी दवाओं को सुरक्षा और प्रभावकारिता के पूर्व मूल्यांकन के बिना विनिर्माण, बिक्री और वितरण के लिए लाइसेंस दिया गया है." उन्होंने औषधि नियामकों से एफडीसी को मंजूरी देने की अपनी प्रक्रियाओं की समीक्षा करने और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 तथा नई औषधि एवं क्लिनिकल परीक्षण (एनडीसीटी) नियम, 2019 का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को भी कहा है.
दवा नियामक ने बच्चों के लिए जोखिम के कारण चार वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए क्लोरफेनिरामाइन मैलेट और फिनाइलफ्रीन हाइड्रोक्लोराइड के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया. कुछ राज्य नियामकों को एफडीसी को मंजूरी देने के लिए अपनी प्रक्रियाओं की समीक्षा करनी होगी और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 तथा नई औषधि एवं नैदानिक परीक्षण (एनडीसीटी) नियम, 2019 का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करना होगा.
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