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द्रौपदी अम्मन मंदिर में कुछ समुदाय के सदस्यों ने अनुष्ठान में भाग लेने से किया परहेज - DRAUPADI AMMAN TEMPLE

मद्रास हाई कोर्ट के बाद विलुप्पुरम जिले स्थित द्रौपदी अम्मन मंदिर गुरुवार को करीब 22 महीने बाद फिर से खुल गया.

Draupadi Amman Temple
द्रौपदी अम्मन मंदिर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : April 18, 2025 at 4:11 PM IST

2 Min Read

चेन्नई: तमिलनाडु के विलुप्पुरम जिले स्थित द्रौपदी अम्मन मंदिर गुरुवार को करीब 22 महीने बाद फिर से खुल गया. ऐतिहासिक मेलपाथी द्रौपदी अम्मन मंदिर को 17 अप्रैल को सुबह 6 बजे भारी पुलिस सुरक्षा के साथ फिर से खोल गया था. इसके साथ ही मंदिर में सार्वजनिक पूजा-अर्चना की अनुमति मिल गई.

इस दौरान अनुसूचित जाति के श्रद्धालुओं ने अनुष्ठानों में हिस्सा लिया और अपने परिवार के साथ पूजा-अर्चना की. हालांकि, मंदिर खुलने के दूसरे दिन लोगों ने सुबह होने वाली रस्मों में हिस्सा नहीं लिया. कथित तौर पर एक प्समुदाय की महिलाओं ने उनके प्रवेश का विरोध किया.

वहीं, जिला एसपी सरवनन के नेतृत्व में 300 से अधिक पुलिसकर्मियों को व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किया गया है. ज्योतिषीय शुभ समय के बिना मंदिर को फिर से खोलने का हवाला देते हुए कुछ ने शुक्रवार को अनुष्ठान में शामिल नहीं होने का फैसला किया.

पूजा के बाद मंदिर बंद
उनकी अनुपस्थिति के कारण केवल मंदिर के पुजारी ने सुबह की पूजा की और उसके बाद मंदिर बंद कर दिया गया. बता दें कि हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि रोजना होने वाले दो अनुष्ठान केवल शुक्रवार को ही किए जाएं.

पूजा के अधिकार को लेकर दो समुदायों के बीच झड़प
कहा जाता है कि यह मंदिर सदियों पुराना है. पूजा के अधिकार को लेकर दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद इसे 7 जून, 2023 को सील कर दिया गया था. अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था की चिंताओं का हवाला देते हुए इलाके में धारा 144 लागू कर दी और मंदिर को बंद कर दिया था.

हाई कोर्ट पहुंचा मामला
इसके बाद मेलपाथी के निवासियों ने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने बिना किसी सार्वजनिक प्रवेश के एक दैनिक अनुष्ठान के लिए मंदिर को फिर से खोलने की अनुमति दी. बाद में सील हटा दी गई और प्रतिबंधित अनुष्ठान फिर से शुरू हो गए.

हाई कोर्ट ने दोनों समुदायों के सदस्यों को पूजा करने की अनुमति देते हुए नए निर्देश जारी किए, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि कोई भी व्यक्ति मंदिर पर विशेष अधिकार का दावा नहीं कर सकता और भगवान सभी के हैं. जिला प्रशासन को सार्वजनिक पहुंच और शांतिपूर्ण पूजा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया .

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस को 1940 से कब्जे वाले फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया

चेन्नई: तमिलनाडु के विलुप्पुरम जिले स्थित द्रौपदी अम्मन मंदिर गुरुवार को करीब 22 महीने बाद फिर से खुल गया. ऐतिहासिक मेलपाथी द्रौपदी अम्मन मंदिर को 17 अप्रैल को सुबह 6 बजे भारी पुलिस सुरक्षा के साथ फिर से खोल गया था. इसके साथ ही मंदिर में सार्वजनिक पूजा-अर्चना की अनुमति मिल गई.

इस दौरान अनुसूचित जाति के श्रद्धालुओं ने अनुष्ठानों में हिस्सा लिया और अपने परिवार के साथ पूजा-अर्चना की. हालांकि, मंदिर खुलने के दूसरे दिन लोगों ने सुबह होने वाली रस्मों में हिस्सा नहीं लिया. कथित तौर पर एक प्समुदाय की महिलाओं ने उनके प्रवेश का विरोध किया.

वहीं, जिला एसपी सरवनन के नेतृत्व में 300 से अधिक पुलिसकर्मियों को व्यवस्था बनाए रखने के लिए तैनात किया गया है. ज्योतिषीय शुभ समय के बिना मंदिर को फिर से खोलने का हवाला देते हुए कुछ ने शुक्रवार को अनुष्ठान में शामिल नहीं होने का फैसला किया.

पूजा के बाद मंदिर बंद
उनकी अनुपस्थिति के कारण केवल मंदिर के पुजारी ने सुबह की पूजा की और उसके बाद मंदिर बंद कर दिया गया. बता दें कि हाल ही में मद्रास हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि रोजना होने वाले दो अनुष्ठान केवल शुक्रवार को ही किए जाएं.

पूजा के अधिकार को लेकर दो समुदायों के बीच झड़प
कहा जाता है कि यह मंदिर सदियों पुराना है. पूजा के अधिकार को लेकर दो समुदायों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद इसे 7 जून, 2023 को सील कर दिया गया था. अधिकारियों ने कानून-व्यवस्था की चिंताओं का हवाला देते हुए इलाके में धारा 144 लागू कर दी और मंदिर को बंद कर दिया था.

हाई कोर्ट पहुंचा मामला
इसके बाद मेलपाथी के निवासियों ने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिसने बिना किसी सार्वजनिक प्रवेश के एक दैनिक अनुष्ठान के लिए मंदिर को फिर से खोलने की अनुमति दी. बाद में सील हटा दी गई और प्रतिबंधित अनुष्ठान फिर से शुरू हो गए.

हाई कोर्ट ने दोनों समुदायों के सदस्यों को पूजा करने की अनुमति देते हुए नए निर्देश जारी किए, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि कोई भी व्यक्ति मंदिर पर विशेष अधिकार का दावा नहीं कर सकता और भगवान सभी के हैं. जिला प्रशासन को सार्वजनिक पहुंच और शांतिपूर्ण पूजा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया .

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