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डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन से परिवहन लागत होगा कम, जानिए इसकी और खासियत - DOUBLE STACK CONTAINER TRAIN

कॉरिडोर प्रोजेक्ट का ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक सेक्टर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. ईटीवी भारत संवाददाता चंचल मुखर्जी की रिपोर्ट पढ़िए...

डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन (फाइल फोटो)
डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन (फाइल फोटो) (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : March 26, 2025 at 5:29 PM IST

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नई दिल्ली: रेल क्षेत्र में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) नई क्रांति लाने जा रहा है. बता दें कि, कॉरिडोर प्रोजेक्ट का ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक सेक्टर में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इस प्रयास के तहत पलवल से मुंद्रा तक डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन शुरू की गई है. इस मालवाहक ट्रेन में लगभग दोगुनी क्षमता के बढ़ाए जाने से परिवहन लागत कम हो जाएगा.

डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन से ट्रांसपोर्टेशन का मतलब है कि, रोड ट्रांसपोर्टेशन पर हमारी निर्भरता कम हो जाएगी और उपयोगकर्ता के लिए वस्तुओं पर सस्ती कीमत उपलब्ध कराने में मदद करेगी. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) के अधिकारी के मुताबिक, डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन लगभग दोगुना माल ले जाने में सक्षम है. इन ट्रेनों में सिंगल स्टैक कंटेनर की तुलना में दो लेयर वाले कंटेनर ले जाने की क्षमता होती है और डबल स्टैक की लागत सिंगल स्टैक की तुलना में बहुत भी सस्ती है.

अधिकारी के मुताबिक, पहले लेयर वाले कंटेनर की लागत समान है, लेकिन दूसरे लेयर वाले कंटेनर की लागत आधी है, जो कंटेनर बुक करने वाले लोगों को सीधा लाभ प्रदान करती है. अधिकारी ने बताया कि, ट्रांसपोर्टेशन का यह तरीका तेज है, क्योंकि ये डबल स्टैक ट्रेनें 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आसानी से चल सकती है. हालांकि, ज्यादातर ट्रेनों को 65 से 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाता है. इससे सड़क परिवहन पर निर्भरता को कम करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी.

अधिकारी ने आगे बताया कि, ट्रांसपोर्टेशन के लिहाज से पहले वाले में अतिरिक्त डबल स्टैक कंटेनर ट्रेनें जोड़ी जा सकती हैं, जिससे एक बार में क्षमता 90 से बढ़कर 180 कंटेनर की हो जाएगी, जिससे परिवहन लागत और परिचालन खर्च अपने आप कम हो जाएगा.

अब हिंद टर्मिनल्स लॉजिस्टिक्स पार्क पलवल में इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) क्षेत्र के निर्यातकों और आयातकों को प्रतिस्पर्धी डोर-टू-डोर मूल्य निर्धारण प्रदान करने में सक्षम होगा. यह वर्तमान में परिवहन के सड़क मोड का उपयोग कर रहे हैं. डीएफसीसीआईएल के अधिकारियों ने कहा कि देश की माल ढुलाई के क्षेत्र में रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाकर, यह पहल खाद्यान्न, जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं, औद्योगिक वस्तुओं और एमएसएमई उत्पादों सहित आवश्यक वस्तुओं की आसानी और कुशल आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए तैयार है.

डीएफसीसीआईएल के अनुसार, उत्पादकता को अधिक से अधिक करने के लिए और रास्ते के अधिकार का उपयोग करने के लिए, रोलिंग स्टॉक के आयामों को बढ़ाने का प्रस्ताव है. उनका कहना है कि, डबल स्टैक की ऊंचाई 7.1 मीटर है, जबकि सिंगल स्टैक की ऊंचाई 5.1 मीटर है. इस ट्रेन की चौड़ाई 3660 मिमी है. ट्रेन की लंबाई 1500 मीटर है और ट्रेन का भार 13 हजार टन है.

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा सत्र में बताया कि, रेलवे ने दो समर्पित माल ढुलाई गलियारों (डीएफसी) का निर्माण शुरू किया है. इनमें लुधियाना से सोननगर (1337 किमी) तक पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (ईडीएफसी) और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल (जेएनपीटी) से दादरी (1506 किमी) तक पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (डब्ल्यूडीएफसी) शामिल हैं.

कुल 2843 किलोमीटर में से 2741 रूट किलोमीटर (96.4 प्रतिशत) चालू हो चुके हैं. डबल स्टैक कंटेनर ट्रेनों, उच्च एक्सल लोड ट्रेनों की आवाजाही में वृद्धि होने से कॉरिडोर परियोजना का परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इससे पश्चिमी बंदरगाहों द्वारा उत्तरी अंतर्देशीय क्षेत्रों तक तेजी से पहुंच और नए टर्मिनलों का विकास होगा. डीएफसी के साथ औद्योगिक संपर्क स्थापित होंगे.

पूर्वी डीएफसी मुख्य रूप से पूर्वी भारत से खनिज यातायात को पूरा करेगा. ये विकास लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने में सक्षम होंगे. डीएफसीसीआईएल के मुताबिक, डीएफसी नेटवर्क देश में माल परिवहन में सुधार कर रहा है. इसके साथ ही राष्ट्रीय माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी को बढ़ाने के साथ-साथ लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक विकास को बढ़ावा दे रहा है. इससे रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं.

भारतीय रेलवे के कुल नेटवर्क का सिर्फ 4 प्रतिशत होने के बावजूद, डीएफसी पहले से ही अपनी माल ढुलाई क्षमता का 14 प्रतिशत से अधिक संभाल रहा है और क्षमता में लगातार वृद्धि जारी है.

ये भी पढ़ें: एक क्लिक में जानिए कंफर्म टिकट को अपने परिजनों को कैसे करें ट्रांसफर? ये है प्रॉसेस

नई दिल्ली: रेल क्षेत्र में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) नई क्रांति लाने जा रहा है. बता दें कि, कॉरिडोर प्रोजेक्ट का ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक सेक्टर में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इस प्रयास के तहत पलवल से मुंद्रा तक डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन शुरू की गई है. इस मालवाहक ट्रेन में लगभग दोगुनी क्षमता के बढ़ाए जाने से परिवहन लागत कम हो जाएगा.

डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन से ट्रांसपोर्टेशन का मतलब है कि, रोड ट्रांसपोर्टेशन पर हमारी निर्भरता कम हो जाएगी और उपयोगकर्ता के लिए वस्तुओं पर सस्ती कीमत उपलब्ध कराने में मदद करेगी. डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (डीएफसीसीआईएल) के अधिकारी के मुताबिक, डबल स्टैक कंटेनर ट्रेन लगभग दोगुना माल ले जाने में सक्षम है. इन ट्रेनों में सिंगल स्टैक कंटेनर की तुलना में दो लेयर वाले कंटेनर ले जाने की क्षमता होती है और डबल स्टैक की लागत सिंगल स्टैक की तुलना में बहुत भी सस्ती है.

अधिकारी के मुताबिक, पहले लेयर वाले कंटेनर की लागत समान है, लेकिन दूसरे लेयर वाले कंटेनर की लागत आधी है, जो कंटेनर बुक करने वाले लोगों को सीधा लाभ प्रदान करती है. अधिकारी ने बताया कि, ट्रांसपोर्टेशन का यह तरीका तेज है, क्योंकि ये डबल स्टैक ट्रेनें 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से आसानी से चल सकती है. हालांकि, ज्यादातर ट्रेनों को 65 से 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जाता है. इससे सड़क परिवहन पर निर्भरता को कम करने और कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी.

अधिकारी ने आगे बताया कि, ट्रांसपोर्टेशन के लिहाज से पहले वाले में अतिरिक्त डबल स्टैक कंटेनर ट्रेनें जोड़ी जा सकती हैं, जिससे एक बार में क्षमता 90 से बढ़कर 180 कंटेनर की हो जाएगी, जिससे परिवहन लागत और परिचालन खर्च अपने आप कम हो जाएगा.

अब हिंद टर्मिनल्स लॉजिस्टिक्स पार्क पलवल में इनलैंड कंटेनर डिपो (ICD) क्षेत्र के निर्यातकों और आयातकों को प्रतिस्पर्धी डोर-टू-डोर मूल्य निर्धारण प्रदान करने में सक्षम होगा. यह वर्तमान में परिवहन के सड़क मोड का उपयोग कर रहे हैं. डीएफसीसीआईएल के अधिकारियों ने कहा कि देश की माल ढुलाई के क्षेत्र में रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाकर, यह पहल खाद्यान्न, जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं, औद्योगिक वस्तुओं और एमएसएमई उत्पादों सहित आवश्यक वस्तुओं की आसानी और कुशल आवाजाही को सुविधाजनक बनाने के लिए तैयार है.

डीएफसीसीआईएल के अनुसार, उत्पादकता को अधिक से अधिक करने के लिए और रास्ते के अधिकार का उपयोग करने के लिए, रोलिंग स्टॉक के आयामों को बढ़ाने का प्रस्ताव है. उनका कहना है कि, डबल स्टैक की ऊंचाई 7.1 मीटर है, जबकि सिंगल स्टैक की ऊंचाई 5.1 मीटर है. इस ट्रेन की चौड़ाई 3660 मिमी है. ट्रेन की लंबाई 1500 मीटर है और ट्रेन का भार 13 हजार टन है.

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा सत्र में बताया कि, रेलवे ने दो समर्पित माल ढुलाई गलियारों (डीएफसी) का निर्माण शुरू किया है. इनमें लुधियाना से सोननगर (1337 किमी) तक पूर्वी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (ईडीएफसी) और जवाहरलाल नेहरू पोर्ट टर्मिनल (जेएनपीटी) से दादरी (1506 किमी) तक पश्चिमी समर्पित माल ढुलाई गलियारा (डब्ल्यूडीएफसी) शामिल हैं.

कुल 2843 किलोमीटर में से 2741 रूट किलोमीटर (96.4 प्रतिशत) चालू हो चुके हैं. डबल स्टैक कंटेनर ट्रेनों, उच्च एक्सल लोड ट्रेनों की आवाजाही में वृद्धि होने से कॉरिडोर परियोजना का परिवहन और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. इससे पश्चिमी बंदरगाहों द्वारा उत्तरी अंतर्देशीय क्षेत्रों तक तेजी से पहुंच और नए टर्मिनलों का विकास होगा. डीएफसी के साथ औद्योगिक संपर्क स्थापित होंगे.

पूर्वी डीएफसी मुख्य रूप से पूर्वी भारत से खनिज यातायात को पूरा करेगा. ये विकास लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने में सक्षम होंगे. डीएफसीसीआईएल के मुताबिक, डीएफसी नेटवर्क देश में माल परिवहन में सुधार कर रहा है. इसके साथ ही राष्ट्रीय माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी को बढ़ाने के साथ-साथ लॉजिस्टिक्स और औद्योगिक विकास को बढ़ावा दे रहा है. इससे रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं.

भारतीय रेलवे के कुल नेटवर्क का सिर्फ 4 प्रतिशत होने के बावजूद, डीएफसी पहले से ही अपनी माल ढुलाई क्षमता का 14 प्रतिशत से अधिक संभाल रहा है और क्षमता में लगातार वृद्धि जारी है.

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