फरीदाबाद: अमृता अस्पताल के डॉक्टरों ने एक बार फिर इतिहास रचा है. उन्होंने उत्तराखंड की रहने वाली ट्विंकल डोगरा का सफल डबल हैंड ट्रांसप्लांट किया है. डॉक्टरों ने दावा कि उनके द्वारा उत्तर भारत में पहली बार डबल हैंड ट्रांसप्लांट किया गया है. करीब 12 घंटे की सर्जरी के बाद डॉक्टरों ने ये कामयाबी हासिल की है. अब ट्विंकल पूरी तरह ठीक हैं. उनके हाथों में सेंसेशन भी होने लगी है. डॉक्टरों के मुताबिक इसे पूरी तरह ठीक होने में करीब तीन साल का वक्त लग सकता है. धीरे-धीरे ट्विंकल के हाथ काम करना शुरू कर देंगे.
फरीदाबाद में डबल हैंड ट्रांसप्लांट: ट्विंकल डोगरा कपड़े सुखाते वक्त हाई टेंशन तार की चपेट में आ गई थी. जिसके चलते उनके हाथ और पैर बुरी तरीके से झुलस गए. पैर तो डॉक्टरों की टीम ने इलाज कर ठीक कर दिए, लेकिन ज्यादा झुलसने की वजह से ट्विंकल को दोनों हाथ गंवाने पड़े. अब फरीदाबाद के डॉक्टरों ने 76 वर्षीय बुजुर्ग महिला के दोनों हाथ सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किए हैं. डॉक्टरों ने बताया कि महिला की ब्रेन डेड होने से मौत हो गई थी. जिसके बाद उनके परिवार ने अंगदान का फैसला किया. उस महिला के हाथ डॉक्टरों ने 12 घंटे की सर्जरी के बाद ट्विंकल को लगा दिए.
अमृता अस्पताल के डॉक्टरों ने रचा इतिहास: ईटीवी भारत से बातचीत में अमृता अस्पताल के प्लास्टिक और रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉक्टर मोहित शर्मा ने बताया "ट्विंकल डोगरा का एक एक्सीडेंट हो गया था. जिसके बाद उनके दोनों हाथ चले गए और पैर में भी काफी दिक्कत थी. हालांकि पैर को हमने ठीक कर दिया, लेकिन हाथ को लेकर हम हैंड डोनर का इंतजार कर रहे थे. ट्विंकल डोगरा इसी वजह से 4 साल से हमारे संपर्क में थी. इस बीच हमारे पास एक 76 वर्ष की महिला डोनर मिली. जिसकी ब्रेन हेमरेज की वजह से मौत हो गई थी. उनके परिवार ने अंगदान करने का फैसला किया."
सफल रहा ऑपरेशन: डॉक्टर मोहित शर्मा ने बताया "हमने सबसे पहले बुजुर्ग महिला का ब्लड ग्रुप ट्विंकल डोगरा के ब्लड ग्रुप से मिलाया, जो बिल्कुल मैच कर गया. इसके बाद हमने ट्विंकल डोकरा को अमृता अस्पताल बुलाया और लगभग 12 घंटे की सर्जरी और कई तरह के जांच के बाद ऑपरेशन को सक्सेसफुल किया. जो हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था. अब ट्विंकल डोगरा का घाव पूरी तरह से भर चुका है. उनके हैंड ने मूवमेंट भी करना शुरू कर दिया है. हालांकि पूरी तरह से ठीक होने में उन्हें लगभग एक से डेढ़ साल लग जाएगा. अब तक हमने 18 लोगों में अंग ट्रांसप्लांट किए हैं, जो कि अपने आप में एक रिकॉर्ड है."
चुनौतीपूर्ण था दोनों हाथों को ट्रांसप्लांट करना: प्लास्टिक सर्जरी के सीनियर सर्जन डॉक्टर अनिल मुरारका ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि सर्जरी काफी तैयारी के साथ की जाती है. ये सर्जरी काफी चुनौती पूर्ण थी, क्योंकि जिस महिला का हाथ ट्विंकल को लगाना था. उन दोनों की खून की नालियों में काफी फर्क था. लगभग 50% का. अमूमन ऐसा नहीं होता है, लेकिन इस केस में ऐसा था. जो काफी चुनौतीपूर्ण था.

डॉक्टर ने बताया पूरा प्रोसेस: प्लास्टिक सर्जरी की कंसलटेंट डॉक्टर शिखा ने बताया कि इस तरह का ऑपरेशन काफी जटिल होता है और इसमें सबसे बड़ी चीज है समय की पाबंदी, क्योंकि हमें जल्दी-जल्दी सब कुछ करना होता है, हम लोग चार टीमों में बंट जाते हैं. सभी टीम अपने काम में जुट जाती हैं. कोई डोनर से ऑपरेशन करके बॉडी से हाथ हटाते हैं, तो दूसरी टीम रिसीवर में हाथ को लगाने की प्रक्रिया शुरू करते हैं. वहीं अलग टीम सभी नसों को आईडेंटिफाई करके आपस में जोड़ती हैं. जिसमें काफी समय लगता है. हालांकि ये ऑपरेशन काफी देर तक चलता है और काफी अलर्ट होकर हमें सर्जरी करना पड़ता है. सबसे बड़ी बात इसमें टीमवर्क की होती है. जो बहुत जरूरी होता है. क्योंकि टीमवर्क से ही इस तरह की सर्जरी को सक्सेसफुल किया जाता है.
समय पर सही काम सबसे बड़ी चुनौती: इस ऑपरेशन को लेकर सीनियर सर्जन डॉक्टर अरुण ने बताया कि इसमें सबसे जरूरी है आपस में तालमेल बिठाकर ऑपरेशन करना और सबसे बड़ी चुनौती है कम समय में करना, क्योंकि एक समय पर एक ऑपरेशन थिएटर में एक सर्जरी डोनर की चलती रहती है. वहीं दूसरे ऑपरेशन थिएटर में दूसरी सर्जरी रिसीवर की चलती रहती है. आपस में तालमेल बैठाना काफी जरूरी है. सबसे जरूरी समय का ध्यान रखना पड़ता है.
करंट लगने से गए थे ट्विंकल के दोनों हाथ: उत्तराखंड की रहने वाली ट्विंकल डोगरा ने ईटीवी भारत से बताया कि वो कपड़े सुखाने के लिए छत पर गई थी. उनकी छत के ऊपर हाईटेंशन बिजली की तारें थी. जो बाउंड्री वॉल से ढकी हुई थी. इसी वजह से उसे याद नहीं रहा. जब कपड़े सुखाने के लिए उसने रैक को पकड़ा, तो रैक स्लिप होकर हाई टेंशन बिजली की तार से जा चिपका. करंट हाथों से जाकर पैरों से निकला. इस हादसे में ट्विंकल के हाथ और पैर पूरी तरह जख्मी हो चुके थे. डॉक्टरों के ट्रीटमेंट की वजह से ट्विंकल के पैर तो ठीक हो गए, लेकिन ज्यादा जख्म और बर्न होने की वजह से उसके दोनों हाथ काटने पड़े. इसके बाद लगभग ढाई साल तक ट्विंकल डोगरा बेड पर रही.

फिजिकल और मानसिक रूप से परेशान रही ट्विंकल: ट्विंकल डोगरा ने कहा लंबे वक्त बाद मेरे पैर ठीक हो गए और मैं अपने पैरों से चलने लगी, लेकिन मेरे हाथ नहीं थे. लगभग 13 साल तक फिजिकल तौर पर नहीं, बल्कि मेंटली तौर पर भी परेशान हो गई थी. क्योंकि मुझे हर चीज के लिए दूसरे पर डिपेंड रहना पड़ता था. हालांकि मेरी फैमिली का पूरा सपोर्ट रहा, लेकिन बाहर के लोगों का मेरे प्रति नजरिया बदल चुका था. उनकी सोच बदल गई थी. जिससे मुझे मानसिक तौर पर भी बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. इसी वजह से कई बार घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो जाता था.
ऐसे जगी हैंड ट्रांसप्लांट की उम्मीद: ट्विंकल ने कहा "जब मेरे साथ ये हादसा हुआ. उसके बाद मुझे इसे एक्सेप्ट करने में काफी ज्यादा मुश्किल आई, क्योंकि अचानक से मेरी लाइफ बदल गई. उस वक्त मेरी उम्र 26 साल की थी. मेरे बेटे की उम्र 10 महीने की थी. मैंने एक्सेप्ट किया और सोचा कि दोनों हाथ के बिना ही जिंदगी जी लूंगी. मैं एम्स ऋषिकेश में पीएचडी कर रही थी. इस दौरान मैंने अपनी गाइड जया चतुर्वेदी को बताया था कि अगर हैंड ट्रांसप्लांट कहां होता है, तो मैं करवाऊंगी. इस दौरान अमृता हॉस्पिटल से एक डॉक्टर की टीम एम्स ऋषिकेश गई थी. मेरी गाइड जया चतुर्वेदी ने बताया कि अमृता हॉस्पिटल में हैंड ट्रांसप्लांट होता है."
ट्विंकल को लगाए गए बुजुर्ग महिला के हाथ: ट्विंकल ने बताया "मैं अमृता अस्पताल के संपर्क में आई. जहां पर मेरी मुलाकात डॉक्टर मोहित शर्मा से हुई और उन्होंने मेरा चेकअप किया. उन्होंने कहा कि आपका हैंड ट्रांसप्लांट हो सकता है. आपको हम रजिस्टर्ड कर लेते हैं. इसी दौरान मेरे पास 30 दिसंबर 2024 को अमृता अस्पताल से फोन आया कि हमें हाथ डोनर मिल गया है. आप जल्दी अमृता अस्पताल आ जाइए. जैसी मैंने ये खबर सुनी, तुरंत ऋषिकेश से मैं अपने परिवार के साथ अमृता अस्पताल पहुंच गई. जहां पर कुछ टेस्ट हुए और मुझे बताया गया कि एक बुजुर्ग महिला है. जिनके हाथ मुझे लगाए जाएंगे."
13 लोगों की जान बचा सकता है एक इंसान का अंगदान: ट्विंकल डोगरा ने बताया "मेरी लगभग 12 घंटे की सर्जरी शुरू हुई और सर्जरी सक्सेसफुल रही. अब मेरा घाव पूरी तरह से भर चुका है. मैं अब हाथों से चीजों को फील कर सकती हूं. पूरी तरह से फंक्शन होने में अभी एक से डेढ़ साल लगेंगे. ट्विंकल ने कहा कि मैं अब फिर से हाथ पाकर बहुत ज्यादा खुश हूं. मैं डोनर महिला और डॉक्टर का धन्यवाद करना चाहती हूं. ट्विंकल और डॉक्टर ने लोगों से अंगदान का अपील की. डॉक्टर ने बताया कि एक इंसान अंगदान से करीब 13 लोगों की जान बचाई जा सकती है. इसलिए सभी को अंगदान जरूर करना चाहिए."