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क्या आपको पता है डॉ भीम राव आंबेडकर ने किस भवन में बैठकर लिखा था देश का संविधान, जानें - BHIMRAO AMBEDKAR

संविधान निर्माता डॉ भीम राव आंबेडकर ने दिल्ली स्थित इस भवन में बैठकर लिखा था भारत का संविधान. पढ़ें पूरी खबर.

BR Ambedkar
डॉ भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण (ETV BHARAT)
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By PTI

Published : April 14, 2025 at 6:05 PM IST

4 Min Read

नई दिल्ली : मध्य दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित कनिका भवन वह बंगला है, जिसमें बाबासाहेब बीआर आंबेडकर ने भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में रहते हुए संविधान का प्रारूप लिखा था. इस भवन को मूल रूप से ओडिशा में कनिका की तत्कालीन रियासत के नाम पर रखा गया था.

इंडिया गेट के निकट इस ऐतिहासिक इमारत ‘कनिका हाउस’ का पता अब एक, हार्डिंग एवेन्यू से बदलकर एक, तिलक मार्ग है. वर्ष 1891 में आज ही के दिन (14 अप्रैल) जन्मे आंबेडकर ने बहुत संघर्षपूर्ण जीवन जिया और दलित समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी.

आंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री बने और 1947 से 1951 तक कैबिनेट में सेवा की. संविधान सभा के लगभग तीन वर्ष की अवधि तक किए गए विचार-विमर्श के बाद संविधान स्वीकृत किया गया.

देश में 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ, जो भारत गणराज्य के जन्म का प्रतीक है. आंबेडकर विधि विशेषज्ञ और संविधान निर्माता के रूप में जाने जाते हैं तथा देश भर में बड़ी संख्या में लोगों, विशेष रूप से दलित समुदाय द्वारा इन्हें पूजा जाता है.

संविधान सभा की पहली बैठक नौ दिसंबर, 1946 को पुराने संसद भवन के भव्य केंद्रीय कक्ष में हुई थी. सभा ने 26 नवंबर, 1949 को संविधान को स्वीकृत किया था. कानून मंत्री के रूप में आंबेडकर कनिका भवन में रहे, जिसका नाम तत्कालीन कनिका रियासत के नाम पर रखा गया था.

इस रियासत के पिछले शासकों द्वारा निर्मित एक भव्य कनिका पैलेस आज भी ओडिशा (पहले उड़ीसा) के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित है. इंडिया गेट परिसर क्षेत्र में कनिका भवन के पड़ोस में स्थित हैदराबाद हाउस, बड़ौदा हाउस, पटियाला हाउस, जयपुर हाउस, कोटा हाउस, धौलपुर हाउस और बीकानेर हाउस, दिल्ली में अन्य रियासतों द्वारा निर्मित आलीशान भवनों में शामिल हैं, जो बहुत लोकप्रिय हैं.

नया रंगरूप मिलने से पहले तक कनिका भवन और आंबेडकर की कहानी लोगों के बीच कुछ खास प्रसिद्ध नहीं थी. एक, तिलक मार्ग स्थित बंगले को जो चीज अलग बनाती है, वह है इसका आकर्षक डिजाइन. ‘आर्ट डेको’, एक वास्तुशिल्प शैली है जो अक्सर राजधानी शहर से जुड़ी हुई नहीं होती. हालांकि पुरानी दिल्ली और लुटियंस दिल्ली में भी में इसके कई नमूने हैं.

सोशल मीडिया पर साझा की गई एक पोस्ट के अनुसार, आर्किटेक्ट कार्ल माल्टे वॉन हेंज द्वारा डिजाइन किया गया कनिका भवन 1930 के दशक में बनाया गया था. ‘डेको इन दिल्ली’ ने 1930 के दशक के अंत में ‘द मॉडर्न हाउस इन इंडिया’ में प्रकाशित कनिका भवन की एक पुरानी तस्वीर भी साझा की.

कनिका भवन के ठेकेदार ‘सरदार साहब सरदार रणजीत सिंह’ का नाम भी इस पोस्ट में लिखा है. पोस्ट में लिखा है, “ये आलीशान घर राजधानी में ‘आर्ट डेको’ के शुरुआती निशानों को दर्शाता है.” आंबेडकर ने हिंदू कोड बिल के मुद्दे पर 1951 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार से इस्तीफा दे दिया और हार्डिंग एवेन्यू स्थित यह आकर्षक भवन खाली कर दिया.

कनिका भवन बाद में भारत में पोलैंड के राजदूत का निवास बन गया और यह आज भी अपना आकर्षण बनाए हुए है. कनिका भवन छोड़ने के बाद आंबेडकर सिविल लाइंस इलाके में 26, अलीपुर रोड पर एक दूसरे घर में चले गए, जहां वे 1956 में अपनी मृत्यु तक रहे. हालांकि सिविल लाइन्स स्थित आंबेडकर का मूल निवास अब अस्तित्व में नहीं है लेकिन उस स्थान पर उनके सम्मान में एक राष्ट्रीय स्मारक बनाया गया है.

ये भी पढ़ें : 'बीआर आंबेडकर को भारत रत्न के लायक नहीं मानते थे', पीएम मोदी ने कांग्रेस पर साधा निशाना

नई दिल्ली : मध्य दिल्ली स्थित प्रतिष्ठित कनिका भवन वह बंगला है, जिसमें बाबासाहेब बीआर आंबेडकर ने भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में रहते हुए संविधान का प्रारूप लिखा था. इस भवन को मूल रूप से ओडिशा में कनिका की तत्कालीन रियासत के नाम पर रखा गया था.

इंडिया गेट के निकट इस ऐतिहासिक इमारत ‘कनिका हाउस’ का पता अब एक, हार्डिंग एवेन्यू से बदलकर एक, तिलक मार्ग है. वर्ष 1891 में आज ही के दिन (14 अप्रैल) जन्मे आंबेडकर ने बहुत संघर्षपूर्ण जीवन जिया और दलित समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी.

आंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री बने और 1947 से 1951 तक कैबिनेट में सेवा की. संविधान सभा के लगभग तीन वर्ष की अवधि तक किए गए विचार-विमर्श के बाद संविधान स्वीकृत किया गया.

देश में 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ, जो भारत गणराज्य के जन्म का प्रतीक है. आंबेडकर विधि विशेषज्ञ और संविधान निर्माता के रूप में जाने जाते हैं तथा देश भर में बड़ी संख्या में लोगों, विशेष रूप से दलित समुदाय द्वारा इन्हें पूजा जाता है.

संविधान सभा की पहली बैठक नौ दिसंबर, 1946 को पुराने संसद भवन के भव्य केंद्रीय कक्ष में हुई थी. सभा ने 26 नवंबर, 1949 को संविधान को स्वीकृत किया था. कानून मंत्री के रूप में आंबेडकर कनिका भवन में रहे, जिसका नाम तत्कालीन कनिका रियासत के नाम पर रखा गया था.

इस रियासत के पिछले शासकों द्वारा निर्मित एक भव्य कनिका पैलेस आज भी ओडिशा (पहले उड़ीसा) के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित है. इंडिया गेट परिसर क्षेत्र में कनिका भवन के पड़ोस में स्थित हैदराबाद हाउस, बड़ौदा हाउस, पटियाला हाउस, जयपुर हाउस, कोटा हाउस, धौलपुर हाउस और बीकानेर हाउस, दिल्ली में अन्य रियासतों द्वारा निर्मित आलीशान भवनों में शामिल हैं, जो बहुत लोकप्रिय हैं.

नया रंगरूप मिलने से पहले तक कनिका भवन और आंबेडकर की कहानी लोगों के बीच कुछ खास प्रसिद्ध नहीं थी. एक, तिलक मार्ग स्थित बंगले को जो चीज अलग बनाती है, वह है इसका आकर्षक डिजाइन. ‘आर्ट डेको’, एक वास्तुशिल्प शैली है जो अक्सर राजधानी शहर से जुड़ी हुई नहीं होती. हालांकि पुरानी दिल्ली और लुटियंस दिल्ली में भी में इसके कई नमूने हैं.

सोशल मीडिया पर साझा की गई एक पोस्ट के अनुसार, आर्किटेक्ट कार्ल माल्टे वॉन हेंज द्वारा डिजाइन किया गया कनिका भवन 1930 के दशक में बनाया गया था. ‘डेको इन दिल्ली’ ने 1930 के दशक के अंत में ‘द मॉडर्न हाउस इन इंडिया’ में प्रकाशित कनिका भवन की एक पुरानी तस्वीर भी साझा की.

कनिका भवन के ठेकेदार ‘सरदार साहब सरदार रणजीत सिंह’ का नाम भी इस पोस्ट में लिखा है. पोस्ट में लिखा है, “ये आलीशान घर राजधानी में ‘आर्ट डेको’ के शुरुआती निशानों को दर्शाता है.” आंबेडकर ने हिंदू कोड बिल के मुद्दे पर 1951 में जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली सरकार से इस्तीफा दे दिया और हार्डिंग एवेन्यू स्थित यह आकर्षक भवन खाली कर दिया.

कनिका भवन बाद में भारत में पोलैंड के राजदूत का निवास बन गया और यह आज भी अपना आकर्षण बनाए हुए है. कनिका भवन छोड़ने के बाद आंबेडकर सिविल लाइंस इलाके में 26, अलीपुर रोड पर एक दूसरे घर में चले गए, जहां वे 1956 में अपनी मृत्यु तक रहे. हालांकि सिविल लाइन्स स्थित आंबेडकर का मूल निवास अब अस्तित्व में नहीं है लेकिन उस स्थान पर उनके सम्मान में एक राष्ट्रीय स्मारक बनाया गया है.

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