नई दिल्ली: चीनी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि दोनों देशों की सेनाएं गलवान घाटी सहित सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चार जगहों से पीछे हट गई है. इसमें यह भी बताया गया कि रूस में ब्रिक्स बैठक के इतर भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बैठक हुई. इसमें दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दों पर हाल के परामर्श में हुई प्रगति पर चर्चा की और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाने पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा, '12 सितंबर को निदेशक वांग यी ने सेंट पीटर्सबर्ग में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की. दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दों पर हाल के परामर्श में हुई प्रगति पर चर्चा की. दोनों देशों के नेताओं के बीच बनी आम सहमति को पूरा करने, आपसी समझ और विश्वास को बढ़ाने, द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के लिए परिस्थितियां बनाने और इस दिशा में संवाद बनाए रखने पर सहमति जताई.
यह पूछे जाने पर कि क्या दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के करीब हैं, जो पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के कारण चार साल से अधिक समय से तनावपूर्ण हैं. इसके जवाब में माओ निंग ने कहा, 'हाल के वर्षों में दोनों देशों की अग्रिम पंक्ति की सेनाओं ने चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र की चार जगहों से सैनिकों को हटाना उचित समझा. इसमें गैलवान घाटी भी शामिल है. चीन-भारत सीमा की स्थिति आम तौर पर स्थिर और नियंत्रण में है.
उनकी यह टिप्पणी विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर द्वारा जिनेवा में दिए गए उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि 75 प्रतिशत सैन्य वापसी की समस्याएं सुलझ गई हैं. उन्होंने कहा था, 'यदि सैन्य वापसी का कोई समाधान है और शांति एवं सौहार्द की वापसी होती है, तो हम अन्य संभावनाओं पर विचार कर सकते हैं. चीन के साथ आर्थिक संबंध बहुत अनुचित रहे हैं.'
डोभाल-वांग बैठक के बारे में विस्तार से बताते हुए, चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि दोनों पक्षों ने यह विश्वास व्यक्त किया कि चीन-भारत संबंधों की स्थिरता दोनों देशों के लोगों के मौलिक और दीर्घकालिक हित में है तथा क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए अनुकूल है. गुरुवार को दोनों देशों के बीच हुई बैठक के बाद भारतीय पक्ष ने एक बयान जारी किया. इसमें कहा गया कि दोनों पक्ष तत्परता से काम करने और शेष क्षेत्रों में पूर्ण विघटन को साकार करने के लिए अपने प्रयासों को दोगुना करने पर सहमत हुए.
विदेश मंत्रालय के अनुसार एनएसए ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और सौहार्द तथा एलएसी का सम्मान द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति के लिए आवश्यक है. दोनों पक्षों को दोनों सरकारों द्वारा अतीत में किए गए प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल और सहमतियों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए. दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि क्षेत्र और विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण हैं.
2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से दोनों दक्षिण एशियाई दिग्गजों के बीच संबंध बेहद खराब रहे हैं. दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध, व्यापार संबंधी मुद्दों और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण तनाव में वृद्धि हुई है.