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चैत्र और शारदीय नवरात्र में क्या अंतर है? एक क्लिक में दूर करें कन्फ्यूजन - NAVRATRI 2025

आज चैत्र नवरात्र का पहला दिन है. पहले दिन दुर्गा मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जा जाती है.

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चैत्र नवरात्र की शुरुआत (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : March 30, 2025 at 3:48 PM IST

2 Min Read

देहरादून: नवरात्र, जिसका शाब्दिक अर्थ नौ रातों का समय होता है. इन नौ दिनों को दुर्गा मां को समर्पित किया जाता है.नवरात्र के मौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है. जिसमें तबर तरह के विधि विधान से पूजा की जाती है. साल में चार बार नवरात्र आते हैं. इन्हें माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन नवरात्र के नाम से जानते हैं. इनमें भी विशेषकर चैत्र और शारदीय नवरात्र की बात की जाती है. इन दोनों में क्या अंतर है, आइये आपको बताते हैं.

चैत्र और शारदीय नवरात्र में सबसे पहला अंतर इसके टाइम और मौसम को लेकर होता है.चैत्र नवरात्र में हिंदू नव वर्ष की शुरूआत होती है. चैत्र नवरात्र वसंत ऋतु में मनाई जाती है. अंग्रेजी महीनों की बात करें तो ये मार्च अप्रैल में पड़ते हैं. वहीं, शारदीय नवरात्र शरद ऋतु में मनाई जाती है. अंग्रेजी महीनों में इसका समय सितंबर अक्टूबर पड़ता है.

चैत्र नवरात्र के अगर प्रतीकों की बात करें तो इसे नई शुरुआत के तौर पर देखा जाता है. साथ ही आध्यात्मिक नवीनीकरण से भी इसे जोड़ा जाता है. इसके अलावा फसलों के साथ ही मौसम का भी चैत्र नवरात्र प्रतीक हैं. वहीं, शारदीय नवरात्रों की बात करें तो इसे अंतिम दिन के प्रतीक के रूप में माना जाता है. इस समय नवमी,दशहरा जैसे पर्व मनाये जाते हैं. ये सभी पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं. इसके अलावा शारदीय नवरात्र कठिन साधना और कठिन व्रत का भी प्रतीक है. इसके साथ ही शारदीय नवरात्र नृत्य और उत्सव को भी दर्शाते हैं. देश के अलग अलग हिस्सों में इसे अलग अलग तरीके से मनाया जाता है.

चैत्र नवरात्र का खासकर महत्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक में है. उत्तर भारते के कुछ हिस्सों में भी इसे सेलिब्रेट किया जाता है. चैत्र नवरात्र महाराष्ट में गुड़ी पड़वा, कशमीर में नवरेह, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में उगादी के रूप में मनाया जाता है.वहीं, शारदीय नवरात्र खासकर गुजरात, बंगाल में मनाया जाता है.

पढ़ें- चैत्र नवरात्रि: मां मनसा देवी मंदिर में उमड़ा श्रद्धालुओं का रेला, विधिवत पूजा कर की सुख-समृद्धि की कामना -

देहरादून: नवरात्र, जिसका शाब्दिक अर्थ नौ रातों का समय होता है. इन नौ दिनों को दुर्गा मां को समर्पित किया जाता है.नवरात्र के मौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है. जिसमें तबर तरह के विधि विधान से पूजा की जाती है. साल में चार बार नवरात्र आते हैं. इन्हें माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन नवरात्र के नाम से जानते हैं. इनमें भी विशेषकर चैत्र और शारदीय नवरात्र की बात की जाती है. इन दोनों में क्या अंतर है, आइये आपको बताते हैं.

चैत्र और शारदीय नवरात्र में सबसे पहला अंतर इसके टाइम और मौसम को लेकर होता है.चैत्र नवरात्र में हिंदू नव वर्ष की शुरूआत होती है. चैत्र नवरात्र वसंत ऋतु में मनाई जाती है. अंग्रेजी महीनों की बात करें तो ये मार्च अप्रैल में पड़ते हैं. वहीं, शारदीय नवरात्र शरद ऋतु में मनाई जाती है. अंग्रेजी महीनों में इसका समय सितंबर अक्टूबर पड़ता है.

चैत्र नवरात्र के अगर प्रतीकों की बात करें तो इसे नई शुरुआत के तौर पर देखा जाता है. साथ ही आध्यात्मिक नवीनीकरण से भी इसे जोड़ा जाता है. इसके अलावा फसलों के साथ ही मौसम का भी चैत्र नवरात्र प्रतीक हैं. वहीं, शारदीय नवरात्रों की बात करें तो इसे अंतिम दिन के प्रतीक के रूप में माना जाता है. इस समय नवमी,दशहरा जैसे पर्व मनाये जाते हैं. ये सभी पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं. इसके अलावा शारदीय नवरात्र कठिन साधना और कठिन व्रत का भी प्रतीक है. इसके साथ ही शारदीय नवरात्र नृत्य और उत्सव को भी दर्शाते हैं. देश के अलग अलग हिस्सों में इसे अलग अलग तरीके से मनाया जाता है.

चैत्र नवरात्र का खासकर महत्व महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक में है. उत्तर भारते के कुछ हिस्सों में भी इसे सेलिब्रेट किया जाता है. चैत्र नवरात्र महाराष्ट में गुड़ी पड़वा, कशमीर में नवरेह, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में उगादी के रूप में मनाया जाता है.वहीं, शारदीय नवरात्र खासकर गुजरात, बंगाल में मनाया जाता है.

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