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मकानों के ध्वस्तीकरण पर सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार को फटकार लगाई, कहा- पुनर्निर्माण की देंगे इजाजत - SUPREME COURT

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में समय दिए बिना घरों को ध्वस्त करने पर असंतोष व्यक्त किया.

SC
सुप्रीम कोर्ट (IANS)
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By Sumit Saxena

Published : March 24, 2025 at 9:25 PM IST

3 Min Read

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घरों के पुनर्निर्माण की अनुमति देगा, जिन्हें उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के ध्वस्त कर दिया था.

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ मकान मालिकों को अपील दायर करने का समय दिए बिना घरों को ध्वस्त करने पर असंतोष व्यक्त किया. पीठ ने कहा कि नोटिस चिपकाकर भेजे गए थे, न कि कानून द्वारा स्वीकृत विधि से. केवल अंतिम नोटिस कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त विधि और रजिस्टर डाक के माध्यम से दिया गया था.

जस्टिस ओका ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को अपील दायर करने के लिए पर्याप्त समय देकर निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए. जस्टिस ओका ने कहा, "नोटिस 6 मार्च को दिया गया, 7 मार्च को ध्वस्तीकरण किया गया. अब हम उन्हें पुनर्निर्माण करने की अनुमति देंगे...".

उन्होंने कहा कि, "यह अदालत की अंतरात्मा को झकझोर देता है कि नोटिस के 24 घंटे के भीतर यह कैसे किया गया..." पीठ ने कहा कि वह एक आदेश पारित करेगी कि वे अपनी लागत पर पुनर्निर्माण कर सकते हैं. जस्टिस ओका ने कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में जो किया गया है उसका समर्थन नहीं करना चाहिए.

'अपीलकर्ता बेघर नहीं हैं'
इस पर अटॉर्नी जनरल ने तर्क दिया कि अपीलकर्ता बेघर नहीं हैं और उनके पास वैकल्पिक आवास है. वहीं, जस्टिस ओका ने इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और अटॉर्नी जनरल से कहा कि राज्य यह नहीं कह सकता कि इन लोगों के पास पहले से ही एक और घर है, इसलिए हम कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं करेंगे.

पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ताओं को उनकी अपनी लागत पर ध्वस्त संपत्तियों के पुनर्निर्माण की अनुमति देगी, बशर्ते कि वे निर्धारित समय के भीतर अपील दायर करें. पीठ ने यह स्पष्ट किया कि वे प्लॉट पर किसी भी तरह का अधिकार नहीं मांगेंगे और किसी तीसरे पक्ष के हितों का निर्माण नहीं करेंगे.

मामले में याचिकाकर्ता
मामले में अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो विधवाएं और एक अन्य व्यक्ति याचिकाकर्ता है. इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विध्वंस के खिलाफ उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि राज्य ने गलत तरीके से उनकी जमीन को गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद से जोड़ दिया है, जिनकी अप्रैल 2023 में हत्या कर दी गई थी.

यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का किया गठन, जानें क्या करेगा काम?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन अन्य लोगों के घरों के पुनर्निर्माण की अनुमति देगा, जिन्हें उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के ध्वस्त कर दिया था.

मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ मकान मालिकों को अपील दायर करने का समय दिए बिना घरों को ध्वस्त करने पर असंतोष व्यक्त किया. पीठ ने कहा कि नोटिस चिपकाकर भेजे गए थे, न कि कानून द्वारा स्वीकृत विधि से. केवल अंतिम नोटिस कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त विधि और रजिस्टर डाक के माध्यम से दिया गया था.

जस्टिस ओका ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को अपील दायर करने के लिए पर्याप्त समय देकर निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए. जस्टिस ओका ने कहा, "नोटिस 6 मार्च को दिया गया, 7 मार्च को ध्वस्तीकरण किया गया. अब हम उन्हें पुनर्निर्माण करने की अनुमति देंगे...".

उन्होंने कहा कि, "यह अदालत की अंतरात्मा को झकझोर देता है कि नोटिस के 24 घंटे के भीतर यह कैसे किया गया..." पीठ ने कहा कि वह एक आदेश पारित करेगी कि वे अपनी लागत पर पुनर्निर्माण कर सकते हैं. जस्टिस ओका ने कहा कि राज्य सरकार को इस मामले में जो किया गया है उसका समर्थन नहीं करना चाहिए.

'अपीलकर्ता बेघर नहीं हैं'
इस पर अटॉर्नी जनरल ने तर्क दिया कि अपीलकर्ता बेघर नहीं हैं और उनके पास वैकल्पिक आवास है. वहीं, जस्टिस ओका ने इस तर्क को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और अटॉर्नी जनरल से कहा कि राज्य यह नहीं कह सकता कि इन लोगों के पास पहले से ही एक और घर है, इसलिए हम कानून की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं करेंगे.

पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ताओं को उनकी अपनी लागत पर ध्वस्त संपत्तियों के पुनर्निर्माण की अनुमति देगी, बशर्ते कि वे निर्धारित समय के भीतर अपील दायर करें. पीठ ने यह स्पष्ट किया कि वे प्लॉट पर किसी भी तरह का अधिकार नहीं मांगेंगे और किसी तीसरे पक्ष के हितों का निर्माण नहीं करेंगे.

मामले में याचिकाकर्ता
मामले में अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद, दो विधवाएं और एक अन्य व्यक्ति याचिकाकर्ता है. इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विध्वंस के खिलाफ उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि राज्य ने गलत तरीके से उनकी जमीन को गैंगस्टर-राजनेता अतीक अहमद से जोड़ दिया है, जिनकी अप्रैल 2023 में हत्या कर दी गई थी.

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