नई दिल्ली: दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद पिछली सरकार द्वारा उपराज्यपाल के अधिकारों को चुनौती देने वाली याचिका वापस लेने की कार्यवाही शुरू हो गई है. दिल्ली की बीजेपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर आम आदमी पार्टी के शासनकाल में दायर सात याचिकाएं वापस लेने की अनुमति मांगी थी. इसे सुप्रीम कोर्ट ने अनुमति दे दी.
पिछले शासनकाल में दायर सात याचिकाएं वापस लेने की मांग : दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी दाखिल कर आम आदमी पार्टी के पिछले शासनकाल में दायर सात याचिकाएं वापस लेने की अनुमति मांगी है. यह याचिकाएं उपराज्यपाल की विभिन्न निकायों में उनकी अथॉरिटी को चुनौती देती थीं. यमुना सफाई को लेकर गठित कमेटी का प्रमुख उपराज्यपाल को बनाने पर भी तत्कालीन आम आदमी पार्टी सरकार ने आपत्ति जताई थी और इसको कोर्ट में चुनौती दी थी.
सौरभ भारद्वाज ने कहा था कि यह गलत परंपरा है : यमुना सफाई से जुड़ा एक मामला यह भी शामिल है. उपराज्यपाल की अथॉरिटी को चुनौती देने वाली इन याचिकाओं को मौजूदा बीजेपी सरकार ने वापस लेने की इजाजत मांगी है. इस संबंध में आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि यह गलत परंपरा है. पिछली सरकार ने कोर्ट का रुख किया था तो उसके वाजिब कारण थे. सरकार बदली तो उन याचिका को वापस लेना राजनीतिक लाभ के उद्देश्य को पूरा करता है.
शुक्रवार के लिए अर्जी सूचीबद्ध : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने दिल्ली सरकार की अर्जी को शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है. दिल्ली सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने बताया कि यह अर्जी सुप्रीम कोर्ट में लंबित सात मामलों को वापस लेने के लिए दाखिल की गई है.
सुप्रीम कोर्ट में लगी अर्जी पर सुनवाई आज: ये याचिकाएं उपराज्यपाल की ठोस कचरा प्रबंधन, यमुना सफाई में भूमिका, और कुछ अधिनियमों व अध्यादेशों की वैधता को चुनौती देती थीं. याचिका में बताया है कि अब इन मामलों से कोर्ट को परेशान नहीं होना चाहिए. मौजूदा दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई आज होगी सुनवाई.
दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई : वर्ष 2023 में दिल्ली की तत्कालीन आम आदमी पार्टी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका लगाई थी, इनमें एक याचिका में, जिसे तत्कालीन आप सरकार ने दायर किया था, सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2023 में एनजीटी के उस आदेश पर रोक लगाई थी, जिसमें उपराज्यपाल को यमुना नदी के पुनर्जीवन से जुड़े मसलों से निपटने के लिए गठित उच्चस्तरीय कमिटी का प्रमुख बनाए जाने का निर्देश दिया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए नोटिस जारी किया था, जो एनजीटी के 19 जनवरी 2023 के आदेश के खिलाफ थी और उस याचिकाकर्ता को भेजा था, जिसकी याचिका पर एनजीटी ने आदेश दिया था.
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