नई दिल्ली: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी दिल्ली में कांग्रेस को मिली चुनावी हार के बाद पार्टी में फिर से जान फूंकने के लिए कमर कस चुके हैं. राहुल 27, 28 मार्च और 3 अप्रैल को देशभर के 750 से अधिक जिला इकाई प्रमुखों से सीधे कांग्रेस की जमीनी हकीकत जानेंगे.
राहुल गांधी जिला इकाई प्रमुखों की फीडबैक का इस्तेमाल राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी को फिर से पटरी पर लाने में इस्तेमाल करेंगे. करीब 250 के बैच में होने वाले इस संवाद से पहले अलग-अलग राज्य इकाइयां जिला स्तर पर रिक्त पदों को सक्रिय रूप से भरने में जुटी हैं.
तीन दिवसीय संवाद के दौरान, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष स्थानीय टीम प्रमुखों से महत्वपूर्ण फीडबैक प्राप्त करेंगे. साथ ही उन्हें उस पुरानी पार्टी में उनके नए महत्व का आश्वासन देंगे, जो उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे बड़े राज्यों में खुद को पुनर्जीवित करने के लिए इच्छुक है.
गांधी परिवार के गृह राज्य उत्तर प्रदेश में, पार्टी ने हाल ही में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा सभी राज्य टीमों को भंग करने के महीनों बाद सभी 75 जिलों में जिला इकाई प्रमुखों की नियुक्ति की है.
उत्तर प्रदेश में संगठन लंबे समय से पार्टी प्रबंधकों के लिए एक समस्या रहा है, जहां कांग्रेस के पास 403 विधायकों में से केवल 2 और 80 सांसदों में से मात्र 6 हैं. राहुल उन छह सांसदों में से एक हैं और भाजपा शासित राज्य में खोई जमीन को बरकरार रखने के लिए पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं में जोश भरते दिखाई दे रहे हैं. बता दें कि, राहुल गांधी संगठनात्मक पुनर्गठन की देखरेख कर रहे हैं.
मध्य प्रदेश के प्रभारी पूर्व एआईसीसी सचिव और यूपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय कपूर ने ईटीवी भारत से कहा कि, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा हमेशा उत्तर प्रदेश पर ध्यान केंद्रित करते रहे हैं. कुछ डीसीसी प्रमुखों को बरकरार रखा गया है, जबकि कई जगहों पर नए चेहरे लाए गए हैं. ये स्थानीय नेता अब आलाकमान के साथ अपने विचार साझा करेंगे और राज्य में पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए एक रोडमैप सुझाएंगे.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय कपूर ने ईटीवी भारत से कहा कि,नए डीसीसी प्रमुखों की नियुक्ति सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए की गई है. वे नए लोगों को पार्टी में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए जोश भरेंगे. पार्टी के मामलों में उनकी बात भी ज्यादा होगी. आने वाले दिनों में आप पार्टी में एक नया स्वरूप देखेंगे. उन्होंने कहा कि, अगले महीने एआईसीसी सत्र से पहले अन्य समितियों का भी गठन किया जाएगा.
वहीं पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, एआईसीसी सत्र 2025 में कांग्रेस संगठन में किए जा रहे प्रस्तावित पुनर्गठन को औपचारिक रूप देगा. पिछली बार ऐसी स्थानीय स्तर की नियुक्तियां 2019 में की गई थीं, जब प्रियंका गांधी वाड्रा यूपी की प्रभारी थीं. एक अन्य बड़े राज्य महाराष्ट्र में, कांग्रेस ने 2024 में 48 लोकसभा में से 14 जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन विधानसभा चुनावों में उस प्रदर्शन को दोहरा नहीं सकी.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की खराब स्थिति आंशिक रूप से बूथ प्रबंधन में कमी और बीजेपी द्वारा कथित मतदाता सुची में हेर फेर के कारण हुआ है.
हालांकि, पार्टी प्रबंधकों ने दावा किया कि, भले ही राज्य चुनावों में इसका स्ट्राइक रेट बहुत अधिक नहीं था लेकिन फिर भी कांग्रेस की महाराष्ट्र के अधिकांश जिलों में उपस्थिति है. महाराष्ट्र के प्रभारी एआईसीसी सचिव बीएम संदीप ने ईटीवी भारत से कहा कि, राज्य में कुछ खाली पदों को जल्द ही भर दिया जाएगा. कांग्रेस ने पूर्व में महाराष्ट्र की कमान संभाली थी और इसलिए अधिकांश जिलों में उसकी उपस्थिति है.
पार्टी प्रबंधकों का कहना है कि, उनके लिए पार्टी विस्तार की गुंजाइश है. डीसीसी प्रमुखों को अब सशक्त बनाया जाएगा और जवाबदेही भी होगी. इसके लिए उनके साथ नियमित बातचीत करनी होगी. आलाकमान सीधे जिला प्रमुखों से दशकों बाद बातचीत कर रहा है. इसका निश्चित रूप से दूरगामी प्रभाव होगा.
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