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हाईकोर्ट की टिप्पणी से सीएम सुखविंदर सिंह की असहमति, नेता प्रतिपक्ष ने मांगा इस्तीफा तो एमएलए सुधीर शर्मा ने लिख डाली ऐसी बात - CM SUKHVINDER SINGH SUKHU

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विमल नेगी मामले में न्यायमूर्ति की टिप्पणी पर असहमत जताई है. वहीं, जयराम ठाकुर ने सीएम से इस्तीफा मांगा है.

विमल नेगी मौत मामले पर सियासत
विमल नेगी मौत मामले पर सियासत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : May 26, 2025 at 9:57 PM IST

6 Min Read

शिमला: कभी समोसा प्रकरण, कभी जंगली मुर्गा विवाद तो अब चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत के बाद डीजीपी-एसपी शिमला के बीच खींचतान, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार का विवादों से नाता बना हुआ है. दिल्ली से लौटने के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया से बातचीत करते हुए अब एक और ऐसी बात कह दी, जिस पर बवाल होना तय है. सीएम सुक्खू ने हाईकोर्ट की एक टिप्पणी से असहमति जताई है. हालांकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाईकोर्ट की तरफ से विमल नेगी केस में सीबीआई जांच का स्वागत किया और साथ ही ये भी कहा कि उनकी सरकार अपील में नहीं जाएगी, परंतु एक टिप्पणी से ये स्पष्ट हो गया कि अदालत की तीखी प्रतिक्रिया से सरकार असहज हुई है.

दरअसल, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वे जस्टिस साहब (विमल नेगी केस को सुन रहे न्यायमूर्ति) की टिप्पणी से सहमत नहीं है. अदालती टिप्पणी में ये कहा गया था कि सीबीआई की जांच टीम में कोई हिमाचल काडर का अफसर नहीं होना चाहिए. प्रेस वार्ता के बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी लंबा-चौड़ा बयान जारी करते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस्तीफा देने को कहा.

नेता प्रतिपक्ष ने कहा,"सरकार के पास सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है. जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार के भ्रष्टाचार ने एक ईमानदार अधिकारी की बलि ले ली. पूर्व सीएम जयराम ने ये भी कहा कि जिस तरह एसपी शिमला अदालत के फैसले के बाद प्रेस वार्ता कर निर्णय को चुनौती दे रहे थे, उससे स्पष्ट है कि इन पर अदालत की अवमानना का केस होना चाहिए".

यही नहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने भी लगे हाथ सोशल मीडिया पर एक चुटीली टिप्पणी कर दी. सुधीर शर्मा ने लिखा, "कहीं हिमाचल का अलग हाईकोर्ट ही मत खोल लेना". सुधीर शर्मा की सोशल मीडिया पोस्ट पर कई लोग अपनी प्रतिक्रियाएं भी दे रहे हैं.

दिल्ली से लौटे सीएम ने दिए कई संकेत

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ मीडिया को संबोधित करने पहुंचे थे. राज्य सचिवालय में प्रेस वार्ता में सीएम के साथ मंत्री व विधायक शामिल थे. वहां, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एचपी पावर कारपोरेशन के चीफ इंजिनियर विमल नेगी की संदेहास्पद मौत को लेकर सरकार का पक्ष विस्तार से रखा. इस दौरान सीएम ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार सीबीआई जांच के खिलाफ अपील के माध्यम से हाईकोर्ट नहीं जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. ये डीजीपी व एसपी शिमला को संकेत थे. इसके अलावा सीएम सुक्खू एक अहम मीटिंग ले रहे हैं. उस मीटिंग के बाद एसपी शिमला को लेकर कोई एक्शन संभावित है.

सिलसिलेवार रखा सरकार का पक्ष

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चीफ इंजीनियर की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में सिलसिलेवार सरकार का पक्ष रखा. सीएम ने बताया कि उन्होंने आरंभ से ही विमल नेगी के परिजनों को न्याय दिलाने की बात मजबूती से कही. यही कारण है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को भी जांच रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए गए थे. सीएम ने ऊना जिला के पेखुवाला में स्थापित 32 मेगावाट के प्रोजेक्ट को लेकर भी अपनी बात कही. सीएम ने कहा कि यदि विमल नेगी के परिजन उनसे कहते तो वे भी सीबीआई जांच की सिफारिश कर देते. साथ ही सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भाजपा पर इस मामले में राजनीति करने का आरोप लगाया.

एसआईटी को बदलने पर भी रखा पक्ष

मीडिया ब्रीफिंग के दौरान सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विमल नेगी की मौत के मामले में जांच को लेकर गठित एसआईटी को बदलने वाली बात पर भी प्रतिक्रिया दी. सीएम ने खुद कहा कि डीजीपी ने उनसे एसआईटी बदलने पर चर्चा की थी. इस पर सीएम ने डीजीपी को ऐसा न करने को कहा था. सीएम ने कहा कि एसआईटी के अलावा डीजीपी की रिपोर्ट और फिर एसीएस ओंकार शर्मा को मिलाकर कुल तीन रिपोर्ट्स भी, ऐसे में संदेह होना लाजिमी था.

आखिर कैसे उलझा मामला?

दरअसल, पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी. उनका पार्थिव शरीर बिलासपुर जिला में सतलुज नदी के किनारे मिला था. विमल नेगी के परिजनों ने इस मौत के लिए पावर कारपोरेशन के एमडी आईएएस हरिकेश मीणा व निदेशक देसराज सहित अन्य पर आरोप लगाए थे कि उनकी प्रताड़ना के कारण विमल नेगी की जान गई. इस मामले में जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी. हाईकोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने पुलिस के रवैये पर कड़ी टिप्पणी की.

उसके बाद एसपी शिमला ने मीडिया से बातचीत में डीजीपी, मुख्य सचिव, पूर्व डीजीपी व अन्यों पर गंभीर आरोप लगाए. यहां तक कि एसपी शिमला संजीव गांधी ने डीजीपी ऑफिसर के कर्मचारी पर कुख्यात नशा तस्कर भूरिया गैंग के साथ मिलीभगत की बात कही. संजीव गांधी ने सीबीआई की टीम को भी लौटा दिया, जो जांच रिकार्ड लेने आई थी. एसपी शिमला ने उनके सामने ये तथ्य रखा कि एसआईटी अपील के माध्यम से सीबीआई जांच के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगी. इस बीच, दिल्ली से लौटे सीएम सुक्खू ने अपील के जरिए हाईकोर्ट जाने की बात पर विराम लगा दिया और साथ ही अफसरों के अनुशासन में रहने की नसीहत दी, लेकिन बड़ी बात ये रही कि सीएम ने हाईकोर्ट के न्यायाधीश की टिप्पणी पर ही असहमति जता दी.

भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है. साथ ही नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी तीखा वार करते हुए कहा कि सरकार ने कांग्रेस नेताओं के भ्रष्टाचार को दबाने के लिए एक ईमानदार अफसर की बलि ली है. इस घमासान के बीच ये स्पष्ट है कि आने वाले समय में प्रदेश में भाजपा को सरकार के खिलाफ एक और मुद्दा मिल गया है.

ये भी पढ़ें: DGP और SP के बीच खींचतान पर बोले CM सुक्खू, "अनुशासन में रहे अधिकारी, फीडबैक लेने के बाद होगी उचित कार्रवाई"

शिमला: कभी समोसा प्रकरण, कभी जंगली मुर्गा विवाद तो अब चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत के बाद डीजीपी-एसपी शिमला के बीच खींचतान, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार का विवादों से नाता बना हुआ है. दिल्ली से लौटने के बाद सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मीडिया से बातचीत करते हुए अब एक और ऐसी बात कह दी, जिस पर बवाल होना तय है. सीएम सुक्खू ने हाईकोर्ट की एक टिप्पणी से असहमति जताई है. हालांकि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाईकोर्ट की तरफ से विमल नेगी केस में सीबीआई जांच का स्वागत किया और साथ ही ये भी कहा कि उनकी सरकार अपील में नहीं जाएगी, परंतु एक टिप्पणी से ये स्पष्ट हो गया कि अदालत की तीखी प्रतिक्रिया से सरकार असहज हुई है.

दरअसल, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि वे जस्टिस साहब (विमल नेगी केस को सुन रहे न्यायमूर्ति) की टिप्पणी से सहमत नहीं है. अदालती टिप्पणी में ये कहा गया था कि सीबीआई की जांच टीम में कोई हिमाचल काडर का अफसर नहीं होना चाहिए. प्रेस वार्ता के बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी लंबा-चौड़ा बयान जारी करते हुए सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस्तीफा देने को कहा.

नेता प्रतिपक्ष ने कहा,"सरकार के पास सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है. जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार के भ्रष्टाचार ने एक ईमानदार अधिकारी की बलि ले ली. पूर्व सीएम जयराम ने ये भी कहा कि जिस तरह एसपी शिमला अदालत के फैसले के बाद प्रेस वार्ता कर निर्णय को चुनौती दे रहे थे, उससे स्पष्ट है कि इन पर अदालत की अवमानना का केस होना चाहिए".

यही नहीं, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ छत्तीस का आंकड़ा रखने वाले धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा ने भी लगे हाथ सोशल मीडिया पर एक चुटीली टिप्पणी कर दी. सुधीर शर्मा ने लिखा, "कहीं हिमाचल का अलग हाईकोर्ट ही मत खोल लेना". सुधीर शर्मा की सोशल मीडिया पोस्ट पर कई लोग अपनी प्रतिक्रियाएं भी दे रहे हैं.

दिल्ली से लौटे सीएम ने दिए कई संकेत

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू अपने पूरे लाव-लश्कर के साथ मीडिया को संबोधित करने पहुंचे थे. राज्य सचिवालय में प्रेस वार्ता में सीएम के साथ मंत्री व विधायक शामिल थे. वहां, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एचपी पावर कारपोरेशन के चीफ इंजिनियर विमल नेगी की संदेहास्पद मौत को लेकर सरकार का पक्ष विस्तार से रखा. इस दौरान सीएम ने स्पष्ट किया कि उनकी सरकार सीबीआई जांच के खिलाफ अपील के माध्यम से हाईकोर्ट नहीं जाएगी. साथ ही उन्होंने कहा कि अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी. ये डीजीपी व एसपी शिमला को संकेत थे. इसके अलावा सीएम सुक्खू एक अहम मीटिंग ले रहे हैं. उस मीटिंग के बाद एसपी शिमला को लेकर कोई एक्शन संभावित है.

सिलसिलेवार रखा सरकार का पक्ष

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने चीफ इंजीनियर की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में सिलसिलेवार सरकार का पक्ष रखा. सीएम ने बताया कि उन्होंने आरंभ से ही विमल नेगी के परिजनों को न्याय दिलाने की बात मजबूती से कही. यही कारण है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव ओंकार शर्मा को भी जांच रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए गए थे. सीएम ने ऊना जिला के पेखुवाला में स्थापित 32 मेगावाट के प्रोजेक्ट को लेकर भी अपनी बात कही. सीएम ने कहा कि यदि विमल नेगी के परिजन उनसे कहते तो वे भी सीबीआई जांच की सिफारिश कर देते. साथ ही सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भाजपा पर इस मामले में राजनीति करने का आरोप लगाया.

एसआईटी को बदलने पर भी रखा पक्ष

मीडिया ब्रीफिंग के दौरान सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विमल नेगी की मौत के मामले में जांच को लेकर गठित एसआईटी को बदलने वाली बात पर भी प्रतिक्रिया दी. सीएम ने खुद कहा कि डीजीपी ने उनसे एसआईटी बदलने पर चर्चा की थी. इस पर सीएम ने डीजीपी को ऐसा न करने को कहा था. सीएम ने कहा कि एसआईटी के अलावा डीजीपी की रिपोर्ट और फिर एसीएस ओंकार शर्मा को मिलाकर कुल तीन रिपोर्ट्स भी, ऐसे में संदेह होना लाजिमी था.

आखिर कैसे उलझा मामला?

दरअसल, पावर कारपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी. उनका पार्थिव शरीर बिलासपुर जिला में सतलुज नदी के किनारे मिला था. विमल नेगी के परिजनों ने इस मौत के लिए पावर कारपोरेशन के एमडी आईएएस हरिकेश मीणा व निदेशक देसराज सहित अन्य पर आरोप लगाए थे कि उनकी प्रताड़ना के कारण विमल नेगी की जान गई. इस मामले में जांच के लिए एसआईटी गठित की गई थी. हाईकोर्ट में केस की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने पुलिस के रवैये पर कड़ी टिप्पणी की.

उसके बाद एसपी शिमला ने मीडिया से बातचीत में डीजीपी, मुख्य सचिव, पूर्व डीजीपी व अन्यों पर गंभीर आरोप लगाए. यहां तक कि एसपी शिमला संजीव गांधी ने डीजीपी ऑफिसर के कर्मचारी पर कुख्यात नशा तस्कर भूरिया गैंग के साथ मिलीभगत की बात कही. संजीव गांधी ने सीबीआई की टीम को भी लौटा दिया, जो जांच रिकार्ड लेने आई थी. एसपी शिमला ने उनके सामने ये तथ्य रखा कि एसआईटी अपील के माध्यम से सीबीआई जांच के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगी. इस बीच, दिल्ली से लौटे सीएम सुक्खू ने अपील के जरिए हाईकोर्ट जाने की बात पर विराम लगा दिया और साथ ही अफसरों के अनुशासन में रहने की नसीहत दी, लेकिन बड़ी बात ये रही कि सीएम ने हाईकोर्ट के न्यायाधीश की टिप्पणी पर ही असहमति जता दी.

भाजपा विधायक सुधीर शर्मा ने तुरंत प्रतिक्रिया दी है. साथ ही नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी तीखा वार करते हुए कहा कि सरकार ने कांग्रेस नेताओं के भ्रष्टाचार को दबाने के लिए एक ईमानदार अफसर की बलि ली है. इस घमासान के बीच ये स्पष्ट है कि आने वाले समय में प्रदेश में भाजपा को सरकार के खिलाफ एक और मुद्दा मिल गया है.

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