चेन्नई: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार को राज्य की स्वायत्तता पर सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने की घोषणा की. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा राज्यों के अधिकारों को धीरे-धीरे छीना जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति राज्य की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंधों की विस्तार से जांच करेगी. स्टालिन ने राज्य विधानसभा को बताया कि समिति सरकार जनवरी 2026 में अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपेगी. सिफारिशों के साथ अंतिम रिपोर्ट दो साल में पेश की जाएगी.
समिति में पूर्व नौकरशाह अशोक वर्धन शेट्टी और राज्य योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एम नागनाथन सदस्य होंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समिति कानून के अनुसार, उन विषयों को स्थानांतरित करने के लिए अध्ययन करेगी जो पहले राज्य सूची में थे लेकिन समवर्ती सूची में शामिल कर दिए गए थे. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) राज्यों के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.
अपने भाषण के दौरान मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत एक एकात्मक राष्ट्र नहीं बल्कि राज्यों का संघ है, जिसकी स्थापना संघवाद के सिद्धांतों पर हुई थी. उन्होंने कहा कि, स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी हम खुद को ऐसी स्थिति में पाते हैं, जहां राज्यों को अपनी सही शक्तियों को सुरक्षित रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है.
समिति निम्नलिखित का अध्ययन और समीक्षा करेगी:
- संवैधानिक प्रावधान, कानून, नीतियां और प्रशासनिक तंत्र जो केंद्र-राज्य संबंधों को प्रभावित करते हैं.
- उन शक्तियों को फिर से प्राप्त करने की गुंजाइश जो मूल रूप से राज्य सूची में थीं, लेकिन समय के साथ संघ सूची में चली गईं.
- सुशासन सुनिश्चित करने में राज्यों के सामने आने वाली चुनौतियां और उपयुक्त उपायों की सिफारिश करना.
- राष्ट्रीय अखंडता और एकता से समझौता किए बिना प्रशासनिक, विधायी और न्यायिक मामलों में राज्यों के लिए अधिकतम स्वायत्तता सुनिश्चित करने के तरीके.
- 1971 की राजमन्नार समिति सहित पिछले आयोगों की सिफारिशें, उभरते राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और कानूनी विकास के संदर्भ में.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल के दिनों में तमिलनाडु ऐसा कदम उठाने वाला एकमात्र राज्य है. उन्होंने याद दिलाया कि 1969 में पूर्व मुख्यमंत्री सी.एन. अन्नादुरई के उत्तराधिकारी एम. करुणानिधि ने केंद्र-राज्य संबंधों का अध्ययन करने के लिए राजमन्नार समिति का गठन किया था और इसकी सिफारिशों को 1974 में विधानसभा में मंजूरी दी गई थी.
हाल के घटनाक्रमों पर प्रकाश डालते हुए स्टालिन ने शिक्षा को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित करने की आलोचना की और नीट परीक्षा को इसका सीधा परिणाम बताया. उन्होंने तर्क दिया कि नीट केवल एक निश्चित वर्ग के छात्रों को लाभ पहुंचाता है जबकि ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के छात्रों को इससे नुकसान होता है.
उन्होंने केंद्र सरकार पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के माध्यम से तमिलनाडु के छात्रों पर अप्रत्यक्ष रूप से हिंदी थोपने और राज्य को 2,500 करोड़ रुपये की शिक्षा निधि से वंचित करने का आरोप लगाया. उन्होंने राष्ट्र की संघीय भावना को बनाए रखने के लिए सामूहिक प्रयासों का आग्रह किया.
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