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तेलंगाना, आंध्र से लेकर दिल्ली और गुजरात तक बाल तस्करी का नेटवर्क, हुआ बड़ा खुलासा - CHILD TRAFFICKING CASE

बाल तस्करी का नेटवर्क कई राज्यों में फैला है. तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, दिल्ली और गुजरात में इसके सक्रिय गिरोह का पता चला है.

प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : March 3, 2025 at 3:45 PM IST

3 Min Read

हैदराबाद: तेलंगाना के चैतन्यपुरी में बाल तस्करी के रैकेट की जांच में अन्य राज्यों से जुड़े लिंक सामने आए हैं. इस रैकेट में एक बड़े संगठित क्राइम नेटवर्क का पता चला है. 24 फरवरी को हैदराबाद पुलिस ने चार बच्चों को बेचने के आरोप में कुल 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था.

पिछले साल राचकोंडा कमिश्नरेट के तहत मेडिपल्ली बाल तस्करी मामले का तार कोठापेट की एक 35 साल की हाउस वाइफ बट्टू दीप्ति और गांधी अस्पताल के 40 साल के एक वॉर्ड बॉय बुद्धि संपतकुमार से जुड़े पाए गए थे. उस समय वे दोनों सबूतों के अभाव में कानून की गिरफ्त से बच निकलने में कामयाब रहे. अब 9 महीने बाद चैतन्यपुरी पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया है.

इस बीच, आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में पुलिस ने शनिवार को एक और बाल तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया. पुलिस ने मामले में गिरोह की लीडर बालगाम सरोजा (21) को गिरफ्तार किया है. इस आरोपी महिला को पहले भी मेडिपल्ली मामले में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, जेल से रिहा होने के बाद उसने फिर से बाल तस्करी शुरू कर दी. इन घटनाक्रमों ने इस संदेह को मजबूत किया है कि बाल तस्करी से जुड़े रैकेट के तार कई राज्यों से जुड़े हुए हैं.

कौन है प्रीति किरण? रहस्य गहराता जा रहा है
हैदराबाद और विजयवाड़ा पुलिस को संदेह है कि, बाल तस्करी मामले में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली और गुजरात के बीच दलालों का एक मजबूत नेटवर्क काम कर रहा है.

पुलिस के मुताबिक, बच्चों की तस्करी मुख्य तौर पर दिल्ली और गुजरात से की जाती है. उसके बाद तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के स्थानीय गिरोह संभावित खरीदारों के रूप में निःसंतान दंपतियों की खोज करते हैं. यदि कोई दंपती उनसे बच्चा खरीदना चाहता है तो, बाल तस्करी नेटवर्क बच्चों की आपूर्ति के लिए अन्य राज्यों में एजेंटों को सक्रिय करता है.

मेडीपल्ली मामले में, दिल्ली की एक महिला प्रीति किरण का नाम तस्करी किए गए बच्चों को भेजने में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में सामने आया है. पुलिस के प्रयासों के बावजूद, वह कानून की गिरफ्त से बचने में कामयाब हुई है. हालांकि, चैतन्यपुरी और विजयवाड़ा मामलों में, जांच ने एक बार फिर उसका नाम अहमदाबाद, गुजरात के अनिल नामक व्यक्ति के साथ जोड़ा है.

अब, कई मामलों और एक ही नाम से बार-बार जुड़ने के कारण, पुलिस प्रीति किरण की तलाश तेज कर रही है और अंतरराज्यीय बाल तस्करी नेटवर्क के भीतर गहरे संबंधों को उजागर करने के प्रयास में जुट गई है.

ये भी पढ़ें: बच्चों की खरीद-फरोख्त का घिनौना खेल! पुलिस ने किया लेडी गिरोह का भंडाफोड़, पांच गिरफ्तार

हैदराबाद: तेलंगाना के चैतन्यपुरी में बाल तस्करी के रैकेट की जांच में अन्य राज्यों से जुड़े लिंक सामने आए हैं. इस रैकेट में एक बड़े संगठित क्राइम नेटवर्क का पता चला है. 24 फरवरी को हैदराबाद पुलिस ने चार बच्चों को बेचने के आरोप में कुल 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया था.

पिछले साल राचकोंडा कमिश्नरेट के तहत मेडिपल्ली बाल तस्करी मामले का तार कोठापेट की एक 35 साल की हाउस वाइफ बट्टू दीप्ति और गांधी अस्पताल के 40 साल के एक वॉर्ड बॉय बुद्धि संपतकुमार से जुड़े पाए गए थे. उस समय वे दोनों सबूतों के अभाव में कानून की गिरफ्त से बच निकलने में कामयाब रहे. अब 9 महीने बाद चैतन्यपुरी पुलिस ने दोनों को पकड़ लिया है.

इस बीच, आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में पुलिस ने शनिवार को एक और बाल तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया. पुलिस ने मामले में गिरोह की लीडर बालगाम सरोजा (21) को गिरफ्तार किया है. इस आरोपी महिला को पहले भी मेडिपल्ली मामले में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि, जेल से रिहा होने के बाद उसने फिर से बाल तस्करी शुरू कर दी. इन घटनाक्रमों ने इस संदेह को मजबूत किया है कि बाल तस्करी से जुड़े रैकेट के तार कई राज्यों से जुड़े हुए हैं.

कौन है प्रीति किरण? रहस्य गहराता जा रहा है
हैदराबाद और विजयवाड़ा पुलिस को संदेह है कि, बाल तस्करी मामले में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली और गुजरात के बीच दलालों का एक मजबूत नेटवर्क काम कर रहा है.

पुलिस के मुताबिक, बच्चों की तस्करी मुख्य तौर पर दिल्ली और गुजरात से की जाती है. उसके बाद तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के स्थानीय गिरोह संभावित खरीदारों के रूप में निःसंतान दंपतियों की खोज करते हैं. यदि कोई दंपती उनसे बच्चा खरीदना चाहता है तो, बाल तस्करी नेटवर्क बच्चों की आपूर्ति के लिए अन्य राज्यों में एजेंटों को सक्रिय करता है.

मेडीपल्ली मामले में, दिल्ली की एक महिला प्रीति किरण का नाम तस्करी किए गए बच्चों को भेजने में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में सामने आया है. पुलिस के प्रयासों के बावजूद, वह कानून की गिरफ्त से बचने में कामयाब हुई है. हालांकि, चैतन्यपुरी और विजयवाड़ा मामलों में, जांच ने एक बार फिर उसका नाम अहमदाबाद, गुजरात के अनिल नामक व्यक्ति के साथ जोड़ा है.

अब, कई मामलों और एक ही नाम से बार-बार जुड़ने के कारण, पुलिस प्रीति किरण की तलाश तेज कर रही है और अंतरराज्यीय बाल तस्करी नेटवर्क के भीतर गहरे संबंधों को उजागर करने के प्रयास में जुट गई है.

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