किन्नौर: दुष्यंत कुमार का फेमस शेर कौन कहता है आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो, आपने कई बार सुना होगा लेकिन इसे सच्चाई का चोला बहुत कम लोग पहना पाते हैं. कुछ ऐसा ही कमाल किया है हिमाचल प्रदेश की बेटी छोंजनि अंगमो ने, हिमाचल के किन्नौर जिले के छोटे से गांव चांगो की 29 वर्षीय छोंजिन अंगमो ने वो कर दिखाया जो दुनिया के लिए एक चमत्कार से कम नहीं है. छोंजिन अंगमो पहली दृष्टिबाधित महिला बन गई हैं जिसने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को बौना साबित कर दिया. छोंजने अंगमों ने एवरेस्ट पर तिरंगा लहराकर बता दिया की पत्थर तबीयत से उछाला जाए तो आसमान में भी छेद हो सकता है.
हिमाचल की बेटी ने रचा इतिहास
एक दृष्टिहीन युवती ने वो कर दिखाया है जो दुनिया भर के अरबों लोगों के लिए सिर्फ सपना ही है. छोंजिन 8848 मीटर की दुनिया की सबसे ऊंची चोटी पर अपनी विजय पताका लहराकर ये साबित कर दिया कि सीमाएं शरीर की तो हो सकती हैं लेकिन सपनों की नहीं और उन सपनों को साकार करने की भी नहीं. छोंजिन ने अपने हौसले से माउंट एवरेस्ट का गुरूर भी तोड़ दिया. दरअसल दृष्टिहीन पर्वतारोही छोंजिन अंगमो ने विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह कर एक नया इतिहास रच दिया है.
किन्नौर ज़िला के चांगो गांव निवासी छोंजिन अंगमो जी ने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर विजय पताका फहराकर हिमाचल प्रदेश का नाम पूरे देश और पूरी दुनिया में गौरवान्वित किया है।
— Sukhvinder Singh Sukhu (@SukhuSukhvinder) May 24, 2025
दृष्टिबाधित छोंजिन अंगमो जी ने अपार साहस और अटूट संकल्प से दुनिया को दिखा दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार… pic.twitter.com/2l5nsnb1hw
छोंजिन अंगमो ने 19 मई, 2025 को सुबह 8:30 बजे दांडू शेरपा और गुरुंग मैला के साथ एवरेस्ट एक्सपीडिशन के तहत ये उपलब्धि हासिल की. उन्होंने इस उपलब्धि के लिए यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया को स्पॉन्सरशिप के लिए आभार प्रकट किया है, जिनकी प्रेरणा और सहयोग से वो इस मुकाम तक पहुंची हैं.
तीसरी कक्षा में चली गई आंखों की रोशनी
छोंजिन अंगमो के जीवन संघर्षों से भरा रहा है. आठ साल की उम्र में जब तीसरी कक्षा में पढ़ाई कर रही थी तो उनकी आंखों की रोशनी चली गई. छोंजिन की आंखों की रोशनी भले चली गई, लेकिन उन्होंने हालात के आगे घुटने नहीं टेके. उन्होंने अपना हौसला और इरादा पहाड़ से ऊंचा और मजबूत कर लिया, उनके माता-पिता ने उनका दाखिला लेह स्थित महाबोधि स्कूल और दृष्टिबाधित बच्चों के छात्रावास में करवा दिया. जहां से उनके जीवन की नई दिशा मिली.
परिवार और गांव ने की सराहना
छोंजिन अंगमो की इस उपलब्धि पर उनका परिवार, गांव, प्रदेश और पूरा देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है. पूरे परिवार के साथ-साथ गांव के लोगों ने उनकी मेहनत और लगन की सराहना की है और उन्हें इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है. छोंजिन अंगमो ने बताया कि उनका सपना था कि 'एक दिन माउंट एवरेस्ट को फतह करें. अपनी दृष्टिहीनता को कभी अपने सपनों के आड़े नहीं आने दिया और अपनी मेहनत और लगन से इस उपलब्धि को हासिल किया है.'
सीएम सुक्खू ने भी उनकी इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर उनकी तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा कि छोंजिन अंगमो ने माउंट एवरेस्ट की चोटी को जीतकर हिमाचल प्रदेश का नाम देश और दुनिया में गौरवान्वित किया है.

बैंक में करती हैं नौकरी
छोंजिन अंगमो यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की कर्मचारी हैं. बैंक ने ही उनके इस अभियान के लिए उन्हें स्पॉन्सर किया था. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने भी अपने सोशल मीडिया पेज पर उनकी उपलब्धि को सराहते हुए तस्वीर पोस्ट की है. छोंजिन के फेसबुक प्रोफाइल के मुताबिक उन्होंने इतिहास में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमए किया है और स्कूली पढ़ाई चंडीगढ़ से पूरी की है. उन्हें 2024 में CavinKare ABILITY अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया है. 2024 में उन्हें राष्ट्रपति ने दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण के लिए सम्मानित किया.

लोगों के लिए बनीं प्रेरणा
छोंजिन अंगमो की इस उपलब्धि ने उन्हें एक प्रेरणा का स्रोत बना दिया है. उनकी कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. छोंजिन ने साबित कर दिया कि मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, जिनमें रास्ते बदलने का नहीं, उन्हें पार करने का हौसला होता है.

वहीं, चांगो के ग्रामीणों ने छोंजिन अंगमो को उनकी इस अविश्वसनीय उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई दी है. 29 साल की छोंजिन अंगमों की ये उपलब्धि सिर्फ उनके गांव, प्रदेश या देश को ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए भी मिसाल है. उम्मीद है कि उनकी कहानी और उपलब्धि दूसरे लोगों को अपने सपनों को हासिल करने के लिए प्रेरित करेगी.
ये भी पढ़ें: हिमाचल की NCC कैडेट कृतिका ने माउंट एवरेस्ट किया फतह, रच दिया इतिहास