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क्या है टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस? जिसके पानी के जहाजों में लगाते ही कछुए हो जाएंगे सेफ - TURTLE EXCLUDER DEVICE

केंद्र ने कछुआ पकड़ने में कमी लाने के लिए टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस लगाने का प्रस्ताव रखा है. ईटीवी भारत संवाददाता चंचल मुखर्जी की रिपोर्ट...

कछुओं का झुंड
कछुओं का झुंड (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 21, 2025 at 10:02 PM IST

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नई दिल्ली: सरकार ने मौजूदा मशीनीकृत मछली पकड़ने वाले जहाजों में टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TED) लगाने का प्रस्ताव दिया है, जिससे गैर-लक्षित प्रजातियों के ‘बाय-कैच’ और कैप्चर को कम करने, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल मछली पकड़ने में मदद मिलेगी.

मत्स्य पालन विभाग के मुताबिक, यह कदम कछुओं की आबादी के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण और सुरक्षा को बढ़ाता है, और यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुपालन में पर्यावरण के अनुकूल समुद्री मत्स्य पालन में मदद करेगा.

मत्स्य पालन मंत्रालय संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से TED (टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस) से संबंधित गतिविधियों को लागू करने के लिए केंद्रीय स्तर पर कार्यान्वयन एजेंसी होगी। विभिन्न एजेंसियां ​​जागरूकता अभियानों के माध्यम से TED के उपयोग को बढ़ावा दे रही हैं.

मंत्रालय ने कहा, समुद्री कछुओं की आबादी की रक्षा और संरक्षण के लिए, ट्रॉलर जाल में TED को अनिवार्य रूप से फिट करने सहित विभिन्न उपायों के माध्यम से कछुओं की आबादी का अच्छा संरक्षण और प्रबंधन करना आवश्यक है.

मंत्रालय ने कहा कि सरकार का उद्देश्य गैर-लक्षित प्रजातियों के शिकार और पकड़े जाने की घटनाओं को कम करना, आर्थिक पहलुओं के लिए टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल मछली पकड़ने की प्रथाओं को अपनाना है.

मत्स्य पालन विभाग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, समुद्री कछुओं के लिए मुख्य खतरा मछली पकड़ने के उपकरणों में उलझकर डूब जाना है. समुद्री कछुओं का शिकार और पकड़े जाने की घटनाएं वैश्विक स्तर पर एक समस्या है, जिसके बाद वैज्ञानिकों, मछुआरों और हितधारकों ने मछली पकड़ने के दौरान इस समस्या से निपटने के लिए TED विकसित किया है. जिम्मेदार मत्स्य पालन के लिए एफएओ आचार संहिता के दिशा-निर्देश समुद्री कछुओं जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा की आवश्यकता की वकालत करते हैं.

TED पर मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, मई 1996 में, संयुक्त राज्य अमेरिका के कानून (सार्वजनिक कानून 101-162 की धारा 609) ने उन ट्रॉल जालों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया, जो TED से लैस नहीं थे.

वैज्ञानिकों का क्या कहना है
वैज्ञानिकों का कहना है कि, TED समुद्री क्षेत्र में मछली पकड़ने के दौरान कछुओं और लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने के लिए एक प्रणाली है. इसे मछली पकड़ने वाले जहाजों और कछुओं को पकड़ने के लिए जाल में लगाया जाएगा.

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी बीके बेहरा ने ईटीवी भारत को बताया कि, आंध्र प्रदेश में, लगभग 100 ऐसे TED पहले ही लगाए जा चुके हैं और जल्द ही और भी लगाए जाएंगे. आईसीएआर मत्स्य विभाग के डॉ. प्रमोद पांडे ने कहा कि, TED निश्चित रूप से समुद्री क्षेत्रों में मछली पकड़ने के दौरान कछुओं को बचाने में मदद करेगा.

TED पर मछुआरों के विचार
मछुआरे उमंग भाई नारन ने ईटीवी भारत को बताया कि,TED डिवाइस बहुत जल्द उनकी नाव में लगाई जाएगी. इस संबंध में, हमें कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया गया है और मछली पकड़ने के मौसम से पहले हमें फील्ड ट्रेनिंग दी जाएगी. प्रशिक्षण में, उन्हें TED डिवाइस और मछली पकड़ने वाले समुदाय के लिए इसके लाभों के बारे में जानकारी मिली."

ईटीवी भारत से बातचीत में एक अन्य मछुआरे अर्जुन भाई परमार ने कहा कि, उन्होंने TED डिवाइस के बारे में सुना है, लेकिन अभी तक उनके नावों में ऐसा कोई डिवाइस नहीं लगाया गया है. अगर सरकार उन्हें यह TED सिस्टम मुहैया कराती है, तो इससे गहरे समुद्र में विलुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी."

ऑनलाइन पंजीकरण सिस्टम
ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली ReALCraft के तहत पंजीकरण किया जा रहा है और मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारतीय तटीय जल में कुल 2,44,232 मछली पकड़ने वाली नावें चल रही हैं.

कार्यान्वयन एजेंसी
मत्स्य पालन मंत्रालय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से TED से संबंधित केंद्रीय स्तर पर कार्यान्वयन एजेंसी होगी, जबकि संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नोडल कार्यान्वयन एजेंसी होंगे.

TED का फिटमेंट
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रॉलर जाल में TED को फिट करना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत गैर-लाभार्थी उन्मुख गतिविधि के रूप में लागू किया जाएगा.

टीईडी की इकाई लागत
सरकार के मुताबिक, पीएमएमएसवाई के तहत टीईडी की इकाई लागत केंद्र और संबंधित राज्य सरकार के बीच 60:40 के अनुपात में साझा की जाती है.

ये भी पढ़ें: भीषण गर्मी-गहरे समुद्र में मछली पकड़ने पर लगी रोक की वजह से आसमान छू रही हैं मछली की कीमतें

नई दिल्ली: सरकार ने मौजूदा मशीनीकृत मछली पकड़ने वाले जहाजों में टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस (TED) लगाने का प्रस्ताव दिया है, जिससे गैर-लक्षित प्रजातियों के ‘बाय-कैच’ और कैप्चर को कम करने, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल मछली पकड़ने में मदद मिलेगी.

मत्स्य पालन विभाग के मुताबिक, यह कदम कछुओं की आबादी के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करते हुए लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण और सुरक्षा को बढ़ाता है, और यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुपालन में पर्यावरण के अनुकूल समुद्री मत्स्य पालन में मदद करेगा.

मत्स्य पालन मंत्रालय संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से TED (टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस) से संबंधित गतिविधियों को लागू करने के लिए केंद्रीय स्तर पर कार्यान्वयन एजेंसी होगी। विभिन्न एजेंसियां ​​जागरूकता अभियानों के माध्यम से TED के उपयोग को बढ़ावा दे रही हैं.

मंत्रालय ने कहा, समुद्री कछुओं की आबादी की रक्षा और संरक्षण के लिए, ट्रॉलर जाल में TED को अनिवार्य रूप से फिट करने सहित विभिन्न उपायों के माध्यम से कछुओं की आबादी का अच्छा संरक्षण और प्रबंधन करना आवश्यक है.

मंत्रालय ने कहा कि सरकार का उद्देश्य गैर-लक्षित प्रजातियों के शिकार और पकड़े जाने की घटनाओं को कम करना, आर्थिक पहलुओं के लिए टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल मछली पकड़ने की प्रथाओं को अपनाना है.

मत्स्य पालन विभाग की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, समुद्री कछुओं के लिए मुख्य खतरा मछली पकड़ने के उपकरणों में उलझकर डूब जाना है. समुद्री कछुओं का शिकार और पकड़े जाने की घटनाएं वैश्विक स्तर पर एक समस्या है, जिसके बाद वैज्ञानिकों, मछुआरों और हितधारकों ने मछली पकड़ने के दौरान इस समस्या से निपटने के लिए TED विकसित किया है. जिम्मेदार मत्स्य पालन के लिए एफएओ आचार संहिता के दिशा-निर्देश समुद्री कछुओं जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों की सुरक्षा की आवश्यकता की वकालत करते हैं.

TED पर मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, मई 1996 में, संयुक्त राज्य अमेरिका के कानून (सार्वजनिक कानून 101-162 की धारा 609) ने उन ट्रॉल जालों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया, जो TED से लैस नहीं थे.

वैज्ञानिकों का क्या कहना है
वैज्ञानिकों का कहना है कि, TED समुद्री क्षेत्र में मछली पकड़ने के दौरान कछुओं और लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने के लिए एक प्रणाली है. इसे मछली पकड़ने वाले जहाजों और कछुओं को पकड़ने के लिए जाल में लगाया जाएगा.

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी बीके बेहरा ने ईटीवी भारत को बताया कि, आंध्र प्रदेश में, लगभग 100 ऐसे TED पहले ही लगाए जा चुके हैं और जल्द ही और भी लगाए जाएंगे. आईसीएआर मत्स्य विभाग के डॉ. प्रमोद पांडे ने कहा कि, TED निश्चित रूप से समुद्री क्षेत्रों में मछली पकड़ने के दौरान कछुओं को बचाने में मदद करेगा.

TED पर मछुआरों के विचार
मछुआरे उमंग भाई नारन ने ईटीवी भारत को बताया कि,TED डिवाइस बहुत जल्द उनकी नाव में लगाई जाएगी. इस संबंध में, हमें कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया गया है और मछली पकड़ने के मौसम से पहले हमें फील्ड ट्रेनिंग दी जाएगी. प्रशिक्षण में, उन्हें TED डिवाइस और मछली पकड़ने वाले समुदाय के लिए इसके लाभों के बारे में जानकारी मिली."

ईटीवी भारत से बातचीत में एक अन्य मछुआरे अर्जुन भाई परमार ने कहा कि, उन्होंने TED डिवाइस के बारे में सुना है, लेकिन अभी तक उनके नावों में ऐसा कोई डिवाइस नहीं लगाया गया है. अगर सरकार उन्हें यह TED सिस्टम मुहैया कराती है, तो इससे गहरे समुद्र में विलुप्तप्राय प्रजातियों को बचाने में निश्चित रूप से मदद मिलेगी."

ऑनलाइन पंजीकरण सिस्टम
ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली ReALCraft के तहत पंजीकरण किया जा रहा है और मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारतीय तटीय जल में कुल 2,44,232 मछली पकड़ने वाली नावें चल रही हैं.

कार्यान्वयन एजेंसी
मत्स्य पालन मंत्रालय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के माध्यम से TED से संबंधित केंद्रीय स्तर पर कार्यान्वयन एजेंसी होगी, जबकि संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नोडल कार्यान्वयन एजेंसी होंगे.

TED का फिटमेंट
रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रॉलर जाल में TED को फिट करना प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) के तहत गैर-लाभार्थी उन्मुख गतिविधि के रूप में लागू किया जाएगा.

टीईडी की इकाई लागत
सरकार के मुताबिक, पीएमएमएसवाई के तहत टीईडी की इकाई लागत केंद्र और संबंधित राज्य सरकार के बीच 60:40 के अनुपात में साझा की जाती है.

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