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कैश विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR की याचिका पर विचार करने से किया इनकार - CASH ROW

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को लेकर दायर याचिका पर विचार नहीं करेगा.

SC
सुप्रीम कोर्ट (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 21, 2025 at 6:48 PM IST

2 Min Read

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजधानी में अपने आधिकारिक आवास से कैश बरामद होने के मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. यह मामला जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष आया था.

आठ मई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट और जज के जवाब को राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री को भेज दिया है.

पीठ ने कहा, "रिट ऑफ मंडामस (Writ Of Mandamus) मांगने से पहले याचिकाकर्ता को उचित अधिकारियों के समक्ष प्रतिनिधित्व दाखिल करके अपनी शिकायत का निवारण करना होगा. इसलिए, हम इस रिट याचिका पर विचार करने से इनकार करते हैं. इस स्तर पर अन्य प्रार्थनाओं पर गौर करना आवश्यक नहीं है."

इन-हाउस जांच पैनल द्वारा वर्मा पर आरोप लगाए जाने के बाद पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा. विवाद के बीच दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर किए गए जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया. जस्टिस वर्मा के इस्तीफा देने से इनकार करने के बाद जस्टिस खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा.

सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्परा और तीन अन्य द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया. याचिका में तत्काल आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि आंतरिक समिति ने न्यायाधीश के खिलाफ आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया है. याचिका में कहा गया था कि आंतरिक जांच से न्यायिक अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है, लेकिन यह लागू कानूनों के तहत आपराधिक जांच का विकल्प नहीं है.

बता दें कि इस साल मार्च में उन्हीं याचिकाकर्ताओं ने आंतरिक जांच को चुनौती देते हुए और औपचारिक पुलिस जांच की मांग की और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. तब कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि चल रही आंतरिक कार्यवाही की पृष्ठभूमि में यह समय से पहले है.

यह भी पढ़ें- 'ड्रग माफिया या आतंकवादी नहीं', सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व IAS प्रोबेशनर पूजा खेडकर को अग्रिम जमानत दी

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजधानी में अपने आधिकारिक आवास से कैश बरामद होने के मामले में हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. यह मामला जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष आया था.

आठ मई को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि भारत के मुख्य न्यायाधीश ने इन-हाउस जांच समिति की रिपोर्ट और जज के जवाब को राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री को भेज दिया है.

पीठ ने कहा, "रिट ऑफ मंडामस (Writ Of Mandamus) मांगने से पहले याचिकाकर्ता को उचित अधिकारियों के समक्ष प्रतिनिधित्व दाखिल करके अपनी शिकायत का निवारण करना होगा. इसलिए, हम इस रिट याचिका पर विचार करने से इनकार करते हैं. इस स्तर पर अन्य प्रार्थनाओं पर गौर करना आवश्यक नहीं है."

इन-हाउस जांच पैनल द्वारा वर्मा पर आरोप लगाए जाने के बाद पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना ने उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा. विवाद के बीच दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट में ट्रांसफर किए गए जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया. जस्टिस वर्मा के इस्तीफा देने से इनकार करने के बाद जस्टिस खन्ना ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा.

सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्परा और तीन अन्य द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया. याचिका में तत्काल आपराधिक कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी, जिसमें कहा गया था कि आंतरिक समिति ने न्यायाधीश के खिलाफ आरोपों को प्रथम दृष्टया सही पाया है. याचिका में कहा गया था कि आंतरिक जांच से न्यायिक अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है, लेकिन यह लागू कानूनों के तहत आपराधिक जांच का विकल्प नहीं है.

बता दें कि इस साल मार्च में उन्हीं याचिकाकर्ताओं ने आंतरिक जांच को चुनौती देते हुए और औपचारिक पुलिस जांच की मांग की और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. तब कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था कि चल रही आंतरिक कार्यवाही की पृष्ठभूमि में यह समय से पहले है.

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