नई दिल्ली: किसी भी कंपनी या विभाग में एक निर्धारित समय तक नौकरी करने के बाद कर्मचारी ग्रेच्युटी पाने का हकदार हो जाता है. यह समय 5 साल तक का निर्धारित किया गया है. ऐसे अगर कोई कर्मचारी किसी कंपनी में पांच साल तक काम करता है को नियोक्ता की ओर से उसे ग्रेच्युटी की राशि दी जाती है.
हालांकि, कई बार कर्मचारी इससे वंचित हो जाते हैं. ऐसे में कर्मचारियों के लिए इससे जुड़े नियम जानना बेहद जरूरी है. बता दें कि जरूरी नहीं है कि ये राशि हर हाल में मिले. हालांकि अगर कोई कर्मचारी जरा भी गड़बड़ी या गलती कर देता है तो नियोक्ता फटाक से ग्रेच्युटी की राशि को काट सकता है.
इस तरह का नुकसान करने पर रुकेगी ग्रेच्युटी
ग्रेच्युटी पाने और ग्रेच्युटी देने का प्रावधान ग्रेच्युटी एक्ट 1972 में दिया गया है. इसके तहत जिस कंपनी या फैक्ट्री में 10 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं, उस संस्थान को कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देनी होगी. हालांकि, कर्मचारी के किसी काम से कंपनी को नुकसान होता है या कंपनी कर्मचारी को निकालती है तो कंपनी मालिक उस कर्मचारी की ग्रेच्युटी रोक सकता है.
गौरतलब है कर्मचारी के कारण नियोक्ता की संपत्ति को जितना रुपये का नुकसान हुआ है, वह उसकी उतनी ही ग्रेच्युटी रोक सकता है.
नियोक्ता नहीं कर सकता मनमानी
बेशक कानून में कंपनी में नुकसान होने पर नियोक्ता को नुकसान की भरपाई के लिए कर्मचारी की ग्रेच्युटी रोकने का अधिकार है, लेकिन इसमें वह मनमानी नहीं कर सकता. इसके लिए उसे कारण बताना होगा. ग्रेच्युटी एक्ट के मुताबिक वजह बताने के बाद ही वे कर्मचारी की ग्रेच्युटी रोक सकता है.
ग्रेच्युटी को लेकर क्या हैं प्रावधान?
ग्रेच्युटी एक्ट के मुताबिक अगर कर्मचारी के कारण या उसकी ओर से किए गए किसी भी कार्य से कंपनी का नुकसान होता है तो नियोक्ता कर्मचारी को नोटिस जारी करके इस नुकसान के बारे में जवाब मांग सकता है. इसके बाद नियोक्ता ग्रेच्युटी की उतनी राशि रोक सकता है, जितना उसको नुकसान हुआ हैं. बेशक यह नुकसान नैतिक कार्य या नैतिक आधार पर हुआ हो.