नई दिल्ली: मोदी कैबिनेट ने आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में तिरुपति-पकाला-कटपडी सिंगल रेलवे लाइन सेक्शन के दोहरीकरण को मंजूरी दे दी. इस मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से 400 गांवों और 14 लाख आबादी को फायदा मिलेगा.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में बुधवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने तिरुपति-पाकला-काटपाडी एकल रेलवे लाइन खंड के दोहरीकरण को मंजूरी दे दी. ये रेल खंड आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में स्थित है. एक सौ चार किलोमीटर लंबी इस रेल लाइन के दोहरीकरण की लागत 1332 करोड़ रुपये होगी.
मीडिया ब्रीफिंग में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बढ़ी हुई लाइन क्षमता से रेलों की गतिशीलता में सुधार होगा. इससे रेलवे के लिए बेहतर दक्षता और सेवा विश्वसनीयता भी बढ़ेगी. साथ ही ऐसा होने से मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव परिचालन को आसान बनाने में भी मदद मिलेगी. इसके अलावा इससे भीड़भाड़ को काबू रखने में सहूलियत रहेगी. इतना ही नहीं इससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्ततम खंडों पर आवश्यक बुनियादी ढाँचागत क्षेत्रों का भी विकास होगा.
#WATCH | Union Minister Ashwini Vaishnaw says, " ...prime minister has approved tirupati to katpadi doubling which is a project worth rs 1332 crores..." pic.twitter.com/Z71pATGpyP
— ANI (@ANI) April 9, 2025
बता दें कि यह परियोजना मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत की गई है. यह एकीकृत योजना के माध्यम से संभव हुआ है. इसके होने से ये रेल मार्ग लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए आसान हो जाएगा.
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, "आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के तीन जिलों को कवर करने वाली यह परियोजना इंडियन रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 113 किलोमीटर तक बढ़ा देगी।"
उन्होंने कहा कि तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर तक रेल कनेक्टिविटी के साथ-साथ ये परियोजना खंड श्री कालहस्ती शिव मंदिर, कनिपकम विनायक मंदिर, चंद्रगिरी किला आदि तक भी रेल संपर्क भी मुहैया करा रही है. इससे देश भर से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी.
इस मल्टी-ट्रैकिंग रेल परियोजना से लगभग 400 गांवों और 14 लाख लोगों की कनेक्टिविटी में चार चांद लगेंगे. गौर करें तो ये कोयला, कृषि वस्तुओं, सीमेंट और अन्य खनिजों आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए यह एक जरूरी मार्ग है. इस परियोजना के होने से रेल क्षमता में बढ़ोतरी होगी. ऐसा होने पर हरेक वर्ष 4 मिलियन टन अतिरिक्त माल की ढुलाई होगी.
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा कि रेलवे पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन का एक साधन है. इससे जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही 4 करोड़ लीटर तेल का आयात कम होगा. इसके अतिरिक्त इस परियोजना से 20 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन को कम करने में सफलता मिलेगी. इसका ये भी मतलब है कि इससे हमें एक करोड़ नए पेड़ लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि 20 करोड़ किग्रा कार्बन का उत्सर्जन नहीं होगा.
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