नई दिल्ली: पाकिस्तान ने बुधवार को सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवान पूर्णम कुमार शॉ को छोड़ दिया. पूर्णम शॉ 23 अप्रैल को गलती से बॉर्डर क्रॉस कर पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे और पाकिस्तानी बलों ने उन्हें हिरासत में ले लिया था. 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया था. हालांकि, 20 दिन बाद में पाकिस्तान ने अटारी वाघा बॉर्डर से बीएसएफ जवान को वापस भेज दिया.
पाकिस्तान रेंजर्स ने 23 अप्रैल की दोपहर पूर्णम शॉ को पकड़ा था. इसके बाद, पाकिस्तान रेंजर्स के अधिकारियों ने सीमा पर बीएसएफ अधिकारियों के साथ फ्लैग मीटिंग में भाग लिया था, लेकिन जब भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर विभिन्न बिंदुओं पर क्रॉस फायरिंग में होने लगी थी, तो दोनों पक्षों के अधिकारियों के बीच सभी स्तरों पर संचार बंद हो गया था.
बयान में कहा गया कि पाकिस्तान रेंजर्स के साथ नियमित फ्लैग मीटिंग और अन्य संचार माध्यमों से बीएसएफ के लगातार प्रयासों से कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ की वापसी संभव हो पाई है.
गलती से बॉर्डर क्रॉस करने वाले जवान के लिए प्रोटोकॉल
अगर भारतीय सेना या बीएसएफ का कोई जवान गलती से बॉर्डर क्रॉस कर पाकिस्तान की सीमा चला जाता है और बाद में भारत वापस आने पर जवान को कुछ प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ता है.
विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के उदाहरण से इसे समझा जा सकता है. फरवरी 2019 में बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान विंग कमांडर अभिनंदन लड़ाकू विमान मिग-21 उड़ा रहे थे, लेकिन उनका फाइटर जेट क्रैश होकर पाकिस्तान की सीमा के अंदर गिरा गया था और उनको बंदी बना लिया गया था.
विंग कमांडर अभिनंदन के मामले में क्या हुआ था
भारत सरकार के प्रयासों के बाद पाकिस्तान ने सम्मान के साथ विंग कमांडर अभिनंदन को सौंप दिया था. भारत वापस आने के बाद उन्हें तुरंत ड्यूटी पर नहीं रखा गया था. सुरक्षा प्रोटोकॉल के मुताबिक विंग कमांडर अभिनंदन को कुछ समय के लिए ग्राउंडेड कर दिया गया था.
अब अगर बीएसएफ जवान पूर्णम कुमार शॉ की बात करें तो ऐसी स्थिति में किसी भी जवान को बर्खास्त नहीं किया जाता है. हालांकि, कुछ समय के लिए उनको ड्यूटी पर नहीं रखा जाता है. इस दौरान वह किसी ऑपरेशन में भाग नहीं ले सकते. जवान की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को देखते हुए ऐसा किया जाता है. जिससे कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह ठीक हो जाएं.
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